काशी की पहचान ही आपसी भाईचारा : महंत संकटमोचन प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र
सर्वधर्म समभाव का सशक्त संदेश, गीतों से गूंजा प्रेम और भाईचारा
एडीजीपी पीयूष मोर्डिया बोलें सभी धर्मों के मूल भाव समान भले ही विधियां अलग
dil india live (Varanasi). ख्रीस्त जयंती की पूर्व संध्या पर मंगलवार को बिशप हाउस में आयोजित मिलन समारोह में देश और समाज में अमन-ओ-शांति, सद्भाव और आपसी भाईचारे को मजबूत करने का अमनवादियों ने संकल्प लिया। इस मौके पर विभिन्न धर्मों, समाज और प्रशासन से जुड़े गणमान्य लोगों ने एक स्वर में कहा कि अमन और प्रेम का रास्ता ही मानवता की सच्ची पहचान है।
कार्यक्रम की शुरुआत वाराणसी धर्मप्रांत के बिशप यूजिन जोसेफ के नेतृत्व में दीप प्रज्वलन के साथ हुई। इसके उपरांत अतिथियों का पारंपरिक रूप से शॉल ओढ़ाकर और स्मृति-चिह्न देकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का मुख्य अतिथि संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने कहा कि प्रभु यीशु के संदेशों को जीवन में उतारने से ही समाज में सच्ची शांति और अमन स्थापित हो सकता है। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म बैर और नफरत नहीं सिखाता, बल्कि प्रेम, करुणा और मानवता का पाठ पढ़ाता है। सभी धर्म जोड़ने की बात करते हैं, तोड़ने की नहीं। काशी की पहचान ही आपसी भाईचारा और सहअस्तित्व है, जिसे हर हाल में बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
ननटभिक्षु डॉ. के. सुमेधा थेरो ने कहा कि बुद्ध हों या यीशु अथवा अन्य महापुरुष, सभी ने मानवता को प्रेम और शांति का संदेश दिया। यही संदेश आज के दौर में सबसे अधिक प्रासंगिक है। दलाई लामा भी करुणा और सद्भाव को ही विश्व शांति का आधार मानते हैं।
बसंता कॉलेज की प्राचार्या प्रो. अलका सिंह ने कहा कि आदर्शों पर भाषण देना सरल है, लेकिन उन्हें अपने जीवन में अपनाना चुनौतीपूर्ण होता है। वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण ने यीशु के संदेशों में पश्चाताप को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आत्ममंथन ही समाज को सही दिशा दे सकता है।
एडीजीपी पीयूष मोर्डिया ने कहा कि सभी धर्मों के मूल भाव समान हैं, भले ही उनकी विधियां अलग हों। धर्म का उद्देश्य समाज में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना है। शिया धर्मगुरु मौलाना फरमान रजा ने आपसी मिल्लत और भाईचारे को सामाजिक सौहार्द की सबसे बड़ी पूंजी बताया। मौलाना अब्दुल आखिर नोमानी ने कहा कि मिलजुल कर रहने से ही देश की तरक्की और सामाजिक स्थिरता संभव है।
इस अवसर पर विवेकानंद जैन, तिब्बती विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार डॉ. सुनीता चंद्रा, मुख्य आयकर आयुक्त हरि गोविंद सिंह, डॉ. रमेश चंद नेगी और कबीर मठ के उमेश कबीर ने भी अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम के दौरान सेंट मेरी सोनातालाब की छात्राओं और बीएचयू की प्रो. ग्रेस पानमेई द्वारा प्रस्तुत अमन और प्रेम के गीतों ने सभी को भावविभोर कर दिया। नववाणी के मूक-बधिर बच्चों द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का भावुक समापन हुआ।
कार्यक्रम का संचालन रामसुधार सिंह ने किया, जबकि बिशप यूजिन जोसेफ ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, डॉ. तहरीन फातिमा, नाहिदा आरिफ़, फादर फिलिप, गांधीवादी डा. मोहम्मद आरिफ, वरिष्ठ पत्रकार ए.के. लारी, विवेक उपाध्याय, सपा नेत्री पूजा यादव, प्रो रजनीश पटेल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे।
















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