हाजी साहेबान को पहनाया गया अरबी रुमाल
Varanasi (dil India live). हज बैतुल्लाह से सरफराज होकर हाजियों के अपने मुल्क वापसी पर इसरा (ISSRA) वाराणसी यूपी द्वारा खजुरी स्थित "ड्रीम पैलेस मैरेज लॉन" में हाजियों के खैरमकदम एवं अभिनंदन समारोह' का आयोजन मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी की सदारत व मौलाना हसीन अहमद हबीबी की निजामत में आयोजित किया गया। जिसमें हाजियों व हज्जिनों को अरबी रूमाल पहनाने के बाद माल्यार्पण कर उनका खैरमकदम किया गया।
इंडोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा हाजी भारत से
इस दौरान इसरा के जनरल सेक्रेटरी हाजी फारुख खां ने बताया कि वर्ष 2025 में सम्पूर्ण भारत से जाने वाले हज जायरीन की संख्या पूरे विश्व में दूसरे नम्बर पर थी। जिसमें प्रथम स्थान पर इण्डोनेशिया के हज यात्री थे। भारत के सबसे बड़े प्रान्त उत्तर प्रदेश से हज यात्री दूसरे प्रान्तों की अपेक्षा सबसे अधिक थे। इसरा (ISSRA) के द्वारा लगाये गये हज ट्रेनिंग कैम्प में हज जायरीन को हज से मुत्तालिक पूरी जानकारी दी गई। जिससे हज जायरीनों को हज के अरकानों को मुकम्मल करने में आसानी हुई।
नबी के रौज़े पर जारी हो गया आंसू
हज बैतुल्लाह से सरफराज होकर तथा हुजूर सल्लाहो अलैहे वसल्लम के रौज-ए-अकदस की जियारत से सकुशल वापस आने पर वाराणसी से हाजी रियाज अहमद, बदरूद्दीन, शमशेर अली, मो. आलम का कहना था कि हम सब लोग खुशकिस्मत थे कि हमारी रवानगी मदीना मुनव्वरा के लिए हुई। हमने यह दिल में सोचा था कि जब रौज-ए-अकदस (स.) आंखों के सामने होगा तो अपने दिल का हाल बयान करूंगा व दिल से तमाम दुआएँ मागूंगा लेकिन जब रौज-ए-अकदस (स.) गुम्बदे खजरा व रौज-ए-अकदस निगाहों के सामने आया तो आंखों से सिर्फ आसूं ही जारी हो गये और हम सब सिर्फ हाथ उठाकर रोते रहे न तो दिल की बातें याद रही और न ही दुआएं याद रही।
गाजीपुर से आये हाजी नफीस अंसारी 'बिस्मिल्लाह का कहना था कि इसरा (ISSRA) द्वारा हज टेनिंग कैम्प में मिली जानकारी और संस्था द्वारा बांटे गये पर्चे से हम लोगों को हज के अरकानों को पूरा करने में काफी सुविधा हुई और अरकानों और दुआओं को बार-चार रटना नहीं पड़ा।
बलिया से आये हाजी मुन्नवर हुसैन का कहना था कि वाकई काबा शरीफ तथा मस्जिद नबवी (स.) में अल्लाह तआला की रहमत बरसती है और चौबीसों घण्टे नूर की बारिश होती रहती है और अल्लाह तआला गैब से अपने मेहमानों की मदद फरमाता है। ऐसे ही रामनगर से आये हाजी अनवारूल, हाजी अली बख्श, हाजी अफजाल व अनीस अहमद का कहना था कि अल्लाह तआला अपने हाजियो को पूरी दुनियां से हज बैतुल्लाह से सरफराज करने के लिए बुलाता है और अपने मेहमानों के लिए इस पाक सरजमीं पर फरिश्तों को भेजकर उनकी मदद मेहमाननवाजी फरमाता है, और उसकी रहमों करन से हाजी हज के मुश्किल अरकानों को पूरा कर पाता है। वाकई एक ही दिन में उमराह और कई-कई तवाफ करने के बाद जम-जम पीकर अल्लाहतआला की बारगाह में जब सेहत की दुआ की जाती है तो सारी थकान दूर हो जाती है। अल्लाह तआला फिर से ऐसी कूबत अता करता है कि बार-बार तवाफ और उमराह किया जाता था।
ऐसे ही चन्दौली से आये मसीउद्दीन खॉ, हाजी नियामत उल्ला ने बताया कि इबादत में 40 दिन बीत गये पता ही नहीं चला और अभी खुदा की इबादत से अभी दिल भरा ही नहीं था कि वापस जाने की बारी आ गई और तवाफे विदा करने की बारी आई तो ऐसा लगा कि रूह जिस्म से निकल जायेगी। 6. सोनभद्र से आये मो० आरिफ खों मदीना में हुजूर स० के रौजए अकदस के सामने अदब के साथ खड़े होकर जब हमने रो-रो कर अपने और सभी हाजियों के हज के अरकानों या बखैरियत पूरा होने और हज के मुश्किल अरकानों को आसानी से पूरा होने के लिए दुआ की तो अल्लाह ने हम सभी को हज बैतुल्लाह से सरफराज किया और हम लोग अल्लाहतआला करम से अपने अपने मुल्कों में बखैरियत पहुँच गये। प्रोग्राम के अंत में सभी ओलमा व हाजी साहबानों ने मिलकर यह दुआ कि जो लोग इस साल 2025 हज में किन्हीं वजहों से हज पर नहीं जा पाये हैं या जिनकी तमन्ना 2026 में हज पर जाने की है उन्हें अल्लाह अपने रहम व करम से इस साल हज 2026 में सरफराज फरमाये।
इनकी रही खास मौजूदगी
औरतों में लेडीज हज ट्रेनर सबीहा खातून, समन खां, निकहत फातमा, अनम फातमा सहित हज्जिन बहीदुन, चांद, अफसाना, खूश्बू बानो, दरख्शा, खालिदा बेगम, कमरुन्निसा, खैरून्निशा, जरीना बेगम, सुबस्ता खान, सफिया बेगम, नफीसा बेगम, सुल्ताना बीबी, जरीना बीबी आदि मौजूद थी। इस मौके पर उलेमा में मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, मौलाना निजामुद्दीन चतुर्वेदी, हाफिज गुलाम रसूल, मौलाना मुबारक ने जलसे को खेताब किया। हाफिज हबीबुर्रहमान, कारी शहाबुद्दीन, हाजी सैय्यद असफर अली बनारसी, डाक्टर हम्ज़ा तथा इसरा (ISSRA) के पदाधिकारी एवं सदस्यगण मौजूद थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें