दालमंडी से निकले जुलूस में बजा इमाम हुसैन की जीत का डंका
दोषीपुरा में उठा 18 बनी हाशिम का ताबूत
Sarfaraz Ahmad
Varanasi (dil India live). उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आज 7 जुलाई (11 मोहर्रम 1447 हिजरी) सोमवार को बनारस में इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत कर्बला के शहीदों व असीरो की याद में ग़म मनाने का सिलसिला जारी रहा। इस दौरान हकीम काजि़म और डॉक्टर नाजिम जाफरी के आजाखाना दालमंडी से उठाया गया। इस जुलूस को चुप के डंके का जुलूस भी कहते हैं जुलूस से पहले मजलिस को इमाम हैदर ने खिताब किया और कई शायरों ने अपने कलाम पेश किए।
जुलूस की खासियत है के इसमें नौहाख्वानी व मातम नहीं होता बल्कि लोग लाउडस्पीकर पर शाहिदाने कर्बला को खिराज अकीदत पेश करते हुए शेर सुनाते हुए नज्में पढ़ते हुए सलाम पढ़ते हुए चलते रहते हैं। इसमें मौके पर सरफराज हुसैन, शुजात हुसैन, सैयद फरमान हैदर, प्रिंस, अब्बास जाफरी, सलमान हैदर जुलूस में व्यवस्था संभालने हुए थे।
जुलूस के नई सड़क पहुंचने पर सैयद फरमान हैदर ने कलाम पेश किया। लगभग पिछले 50 वर्षों से या कलम पेश कर रहे हैं अशरे पर भी जो शब्बीर का गम नहीं करते, वह पैरवी-ए-सरवरे आलम नहीं करते, हिम्मत है तो महशर में भी कहना, हम जिंदा ए जावेद का मातम नहीं करते...। जुलूस दालमंडी से उठकर दालमंडी, नई सड़क, काली महल, पितरकुंडा होता हुआ दरगाहे फातमान पहुंचा, यहां रौजे पर सलामी देने के बाद मजलिस का आगाज़ हुआ। संयोजक अब्बास जाफरी व जीशान जाफरी जुलूस के साथ-साथ चल रहे थे। पदम् श्री वाइस चांसलर प्रो. ऐनुल हसन (मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी हैदराबाद) ने कलाम को पेश किया और साथ-साथ हैदर कीरतपुरी ने भी कलाम पेश किया।
मजलिसों की शुरुआत जनाबे जैनब की देन
ख़्वातीन की मजलिस को किताब करते हुए डॉक्टर नुज़हत फातेमा ने कहा कि आज जो सारे जमाने में मजलिस हो रही है। यह इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब की देन है, उन्हें कर्बला में कैद कर लिया गया था। उन्होंने सारी दुनिया में इमाम हुसैन के पैगाम को पहुंचाया।
उठा 18 बनी हाशिम का ताबूत
दोषीपुरा के बारादरी इलाके में दोषीपुरा की अंजुमनों ने 18 बनी हाशिम का ताबूत उठाया। इस मौके पर आयोजन की जिया़रत के लिए बड़ी संख्या में अजादार दोषीपुरा पहुंचे। यहां मजलिस का आयोजन हुआ और एक-एक ताबूत का परिचय कराया गया।
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