...अर्शे बरी हिल गया गिरने से अलम के
आंसुओं का नज़राना सुन उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की याद हुई ताज़ा
Sarfaraz Ahmad
Varanasi (dil India live). चाहमाहमा स्थित ख्वाजा नब्बू के इमामबाड़े से कदीम आठवीं मोहर्रम का तुर्बत व अलम का जुलूस अपनी पुरानी परंपराओं के अनुसार कार्यक्रम संयोजक सैयद मुनाज़िर हुसैन 'मंजू' के ज़ेरे एहतमाम उठा। जुलूस उठने से पूर्व मजलिस को खिताब करते हुए अब्बास मूर्तज़ा शम्सी ने मौला अब्बास की शहादत बयान किया।
जुलूस उठने पर लियाकत अली खां व उनके साथियों ने सवारी शुरू की- "जब हाथ कलम हो गए सक्काए हरम के, और अर्शे बरी हिल गया गिरने से अलम के" जुलूस चाहमामा होते हुए दालमंडी स्थित हकीम साहब के अज़ाख़ाने पर पहुँचा जहां से अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने नौहाख्वानी शुरू करी - "अब्बास क्या तराई में सोते हो चैन से" जिसमें शराफत हुसैन, लियाकत अली खां, साहब ज़ैदी, शफाअत हुसैन शोफी, मज़ाहिर हुसैन, राजा व शानू ने नौहाख्वानी की। जुलूस दालमंडी, खजुर वाली मस्जिद, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महल, पितरकुंड, मुस्लिम स्कुल होते हुए लल्लापूरा स्थित फ़ातमान के लिए देर रात रवाना हुआl
पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खां व उनके साथियों ने शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश किया। फ़ातमान से जुलूस पुनः वापस मुस्लिम स्कुल, लाहंगपूरा , रांगे की ताज़िया, औरंगाबाद, नई सड़क कपड़ा मंडी,कोदई चौकी, सर्राफा बाजार, टेढ़ी नीम, बांस फाटक, कोतवालपूरा, कुंजीगरटोला, चौक,दालमंडी,चाहमामा होते हुए इमामबाङे में समाप्त होगा।
दादा की परंपरा को पौत्र ने रखा कायम
दादा भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश करने की परम्परा को पौत्र आफाक हैदर ने कायम रखते हुए शहीदों की याद में शहनाई पर मातमी धुन पेश किया। हर साल मोहर्रम पर चांद की 8 तारीख को रात्रि 2:00 बजे भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान इसी दरगाहे फातमान में अपने जीवन में चांदी की शहनाई से आंसुओं का नजराना पेश करते थे। वो कर्बला के शहीदों के लिए मातमी धुन बजाते थे आज उनकी परंपरा उनके पोते अफाक हैदर दादा की परंपरा को कायम रखते हुए शहीदों की याद में शहनाई पर मातमी धुन पेश किया। इस दौरान,अब्बास क्या तरही में सोते हो अकबर का लाशा नहीं उठ सकेगा हुसैन से..., डूबता जाता है कहीं दिल ऐसा तो नहीं, दस्त गुरबत में नबी का कुनबा तो नहीं...पेश किया । इस दौरान जाकिर हुसैन, नाजिम हुसैन, अददार हुसैन व शकील अहमद जादूगर हमें काफी लोग मौजूद थे।
अर्दली बाजार से निकला दुलदुल व अलम
सैय्यद जियारत हुसैन के अंर्दली बाजार तार गली स्थित इमामबारगाह से 8 वीं मोहर्रम दुलदुल अंलम, ताबूत का जुलूस शुक्रवार को निकला। संयोजक इरशाद हुसैन "शद्दू" के अनुसार जुलूस अपने कदीमी (पुराने) रास्ते से होकर उल्फत बीबी हाता स्थित स्व.मास्टर जहीर साहब के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। जुलूस में अंजुमन इमामिया नौहा व मातम करती चल रही थी। जुलूस में इरशाद हुसैन सद्दू, जफर अब्बास, दिलशाद, जीशान, फिरोज, अयान, अमान, शाद, अरसान, दिलकश, मीसम आदि मौजूद थे।
आठवीं पर घर-घर हाजिरी कि नज़र
आठ मोहर्रम 1447 हिजरी को देश दुनिया के साथ शहर बनारस में भी हुसैनी लश्कर के अलमदार बहुत सारी दुनिया में वफ़ा की पहचान हजरत अब्बास की याद में मजलिस का आयोजन हुआ। शहर में सैकड़ों मजलिस आयोजित की गई।काली महल और माताकुंड में मजलिस को खिताब करते हुए शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने कहा इमाम हसन के भाई मौला अली के बेटे और लश्कर हुसैनी के अलमदार जिनकी वफा का जिक्र आज तक सारी दुनिया में होता है और उनके नाम के साथी जुड़ गया है अब्बास बा वफा उनकी याद में शहर भर में मजलिस हुई और घर-घर हाजिरी की नज़र भी दिलाई गई। लोगों ने एक नारा खास है अब्बास है अब्बास है। और नौहा मातम के जरिए लोगों ने खिराज अकीदत पेश किया। शहर के अर्दली बाजार, पठानी टोला, रामनगर, शिवाला, गौरीगंज, दालमंडी आदि में कई सारे जुलूस उठाए गए। जिसमें शहर के 28 अंजुमन ने अपने-अपने तरीके से नौहा मातम किया व शहनाई पर भी इमाम हुसैन के गम के नौहे सुन कर खिराज अकीकत पेश की गई। कुछ जुलूस दरगाह फातमान और सदर इमामबाड़ा पहुंचे वहीं कुछ जुलूस हसन बाग टेंगरा मोड़। कुछ जुलूस कुमहार के इमामबाड़े और कुछ जुलूस शिवाले घाट जाकर ठंडे हुए। बताया कि 5 जुलाई को शहर भर में इमाम चौक पर ताजिया रख दिया जाएगा कई जगह मजलिस होगी कई जगह गस्ती आलम उठाया जाएगा देश दुनिया के साथ हमारे शहर बनारस में भी या हुसैन की सदा गूंजती रहेगी।
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