पोस्ट कोविड मरीजों की तकलीफ में भी राहत नहीं
लखनऊ 7 नवंबर (dil india live)। इस बार कोविड काल के बाद दीपावली का पर्व आने से लोगों में जोश और उत्साह ज्यादा था। इसके चलते आतिशबाजी भी खूब हुई। पर्व के उल्लास में लोग जानवरो और मरीजों की तकलीफ भूल गये। पटाखो की आवाज से जानवर जहां दहशत में थे वहीं पटाखों के धुएं से दमा और कोरोना संक्रमित मरीजों की तकलीफ बढ़ गई।
सांस लेने में तकलीफ, खांसी, गले में खराश और जकड़न की समस्या के 100 से ज्यादा मरीज शनिवार को बलरामपुर, सिविल व लोक बंधु अस्पताल के अलावा रानी लक्ष्मी बाई व भाऊराव देवरस अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे। इनमें 40 मरीज कोरोना से उबर चुके व अन्य 60 मरीज सांस की तकलीफ वाले हैं। डॉक्टरों का कहना है कि दमा व पोस्ट कोविड मरीज जरूरी एहतियात बरतें और डॉक्टर की सलाह जरूर लें। चिकित्सकों का कहना था कि पटाखों के शोर और प्रदूषण ने मरीज़ों को खासा परेशान किया। सरकार ने सिर्फ दो घंटे आतिशवाजी का आदेश पारित किया था मगर पूरी रात आतिशबाज़ी ने प्रदूषण के साथ ही मरीजों का जीना दुश्वार कर किया।
1 टिप्पणी:
Patakha nahi bajana chahiye ye bahot nukshan hai
एक टिप्पणी भेजें