सोमवार, 1 नवंबर 2021

हौसले ने छेड़ी बड़ी जंग

लेखा अधिकारी ने उठाया पर्यावरण सुधारने का बीड़ा


वाराणसी (dil india)। बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात वित्त एवं लेखा अधिकारी अनूप मिश्रा सप्ताह के पहले दिन सोमवार को अपने निवास नीलकंठ बिहार से अपने कचहरी स्थित कार्यलय साइकिल से आते-जाते हैं। वह सप्ताह में सोमवार को 3 किलोमीटर का रास्ता साइकिल से तय कर कार्यालय पहुंचते हैं।

अनूप मिश्रा कहते हैं कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने का एकमात्र तरीका यही है कि सप्ताह में हर व्यक्ति कम से कम 1 दिन साइकिल से चले तो हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और हम प्रदूषित हवाओं से भी बचेंगे। उन्होंने कहा कि शहर में वाहनों का आवागमन अधिक होने से यहां प्रदूषण बहुत होता है, इसलिए यहां का एयर इंडेक्स बहुत ही खराब है। उन्होंने बताया कि मेरे मन में यह विचार आया की क्यों न सप्ताह में एक दिन साइकिल से चला जाए।

फिर मैंने अपने कार्यालय में तैनात सभी सहयोगियों को प्रेरित किया और मेरे कार्यालय में तैनात सभी कर्मचारियों ने मेरा पूरा सहयोग करते हुए पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए सहयोग किया और हम लोग सप्ताह में हर सोमवार को साइकिल से कार्यालय आने लगे उन्होंने बताया कि पर्यावरण के प्रति बाल्यावस्था से ही मेरे मन में उस को संरक्षित करने का और सुरक्षित है

उन्होंने बताया कि मेरी माता प्रोफेसर शशि रानी मिश्रा पर्यावरण के प्रति सदैव सचेत रहती हैं उनको पशु पक्षियों से और प्रकृति के प्रति अधिक लगाव है। उसी से मुझे भी प्रेरणा मिली कि उस पर्यावरण संरक्षण का मैं भी एक कड़ी बनूँ। इसी क्रम में मेरा यह प्रयास जारी है।

वो कहते हैं कि पर्यावरण वैज्ञानिकों ने बताया कि रविवार को उत्तराखंड में हुए ग्लेशियर की घटना प्रकृति और पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ के वजह से ही हुआ है, इसलिए मेरा यह मानना है कि सभी को पर्यावरण के प्रति जागृत होना पड़ेगा और उस को सुरक्षित रखने के लिए अपने घर के पास पौधे लगाने होगें, प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना होगा व सप्ताह में वह 1 दिन वाहन का प्रयोग बंद करना होगा तभी हम सभी सुरक्षित रह पायेगें।

हम सभी का दायित्व है कि राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करें क्योंकि शहरों का विस्तार तेजी से हो रहा है बाग बगीचे सब काटे जा रहे हैं हाईवेज बन रहे हैं रोड के किनारे के पौधे काटे जा रहे हैं और पौधों को लगाने के प्रति लोग सचेत नहीं हो रहे हैं। अगर लोगों की उदासीनता इसी प्रकार बनी रही तो आने वाले दिनों में निश्चय ही प्रकृति का दंश हम सभी को झेलना पड़ेगा। इसीलिए मैंने यह निश्चय किया कि एक शुरुआत मेरे द्वारा की जाए ताकि लोगों में यह संदेश जा सके कि अपने पर्यावरण की सुरक्षा करना किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि हर व्यक्ति का दायित्व है। कर्मचारीगण विष्णु गुप्ता,राम सिंह,अजय पांडेय ,राम कुँवर,दिनेश यादव,अफ़ज़ल,पुष्कर मिश्रा,सत्यदेव द्वारा यह संकल्प लिया गया।

कोई टिप्पणी नहीं:

फूलों की खेती और उससे बने उत्पाद आर्थिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी-भक्ति विजय शुक्ला

Sarfaraz Ahmad  Varanasi (dil India live). फूलों की बढ़ती मांग और ग्रामीण किसानों तथा महिलाओं में फूलों की खेती के प्रति रुचि को देखते हुए, ...