अमृतरूपी प्रसाद पाने को श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
दर्शनार्थियों ने अमृतकलश हस्ताय सर्वभय कोरोना विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय ॐ धन्वंतराये नमः का किया किया उद्दघोष
वाराणसी 02 नवंबर (dil india)। धनतेरस के अवसर पर आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि जन्मोत्सव को धन्वंतरि निवास में पूरे विधि विधान एवं धूमधाम से मनाया गया। कार्तिक कृष्ण मंगलवार को धनतेरस के शुभलग्न मुहूर्त दोपहर में भगवान का आयुर्वेदिक दवाओं, रत्नो, औषधि युक्त लताओं तिनकों के साथ हिमालय एवं विदेशों से मंगवाए गए विभिन्न प्रकार के सुगन्धित फूलों से श्रृंगार किया गया। भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवान,फल एवं मिठाईयों का भोग लगाकर पांच ब्राह्मणो ने पूरी विधि विधान से वैदिक मन्त्रों का उच्चारण कर पूजन अर्जन करते हुए भगवान से सम्पूर्ण मानव जाति को कोरोना रूपी महामारी से मुक्ति की कामना के लिए वरदान माँगा। राजवैद्य स्व. पंडित शिव कुमार शास्त्री के तीनों पुत्रों राम कुमार शास्त्री नंदकुमार शास्त्री एवं समीर कुमार शास्त्री प्रपौत्र उत्पल कोमल शास्त्री, आदित्य एवं मिहिर ने भगवान की आरती कर सभी के लिए मंगलकामना की। इस वर्ष कोरोना से सुरक्षा की दृष्टि से भगवान धन्वंतरि के अष्ट धातु की प्रतिमा को धन्वंतरि निवास के खुले मैदान में स्थापित किया गया था जिससे सुरक्षा की दृष्टि से बेरीकेटिंग कर श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए हाथों को सेनिटाइज कर मंदिर प्रांगण में भेजा गया जिससे दूर से हीं सभी दर्शनार्थियो को भगवान का दर्शन हो सके। श्रद्धालुओं को आसपास का पूरा वातावरण विभिन्न प्रकार के खुशबुओं से भगवान के विराजमान होने की अनुभूति हो रही थी। श्रद्धालुओं ने भगवान धन्वंतरि के स्वरुप से निकलता तेज आभामण्डल की किरण को ही भगवान का आशीर्वाद रूपी अमृत को प्राप्त करने की अनुभूति कर अपने को निरोग एवं अपने पारिवारिक जनों के स्वस्थ होने की कामना का वरदान माँगा। धन्वंतरि दरबार के द्वार पर शहनाइयों की मंगलध्वनि चारों ओर गूंज रही थी। सुरक्षा को लेकर पुलिसबल बेहद सजग दिखे। सभी श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य का खजाना आरोग्यसुख अमृतरूपी प्रसाद का वितरण किया गया।
उक्त अवसर पर श्री सद्गुरुश्री महाराज, महाराजश्री श्री गोपाल मंदिर, जिले के मंत्री गणों एवं आला अधिकारिओं सहित समाजसेवी एवं विधायक अजय राय, मनोज जायसवाल, सर्वेश नारायण, आरपी सिंह, पवन सिंह सहित काशी के गणमान्य व्यक्तियों ने भगवान धन्वंतरि दरबार में हाजिरी लगायी।
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