शायरो ने पेश किये कलाम, हुई तकरीर
दामन का हर एक दाग तो धोना ही पड़ेगा...
वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। हज़रत मुहम्मद (स.) के १२ वे जानशीन जो आज भी दुनिया में मौजूद है, वक़्त आने पर वो सामने आएंगे और दुनिया से ज़ुल्म ओ सितम मिटाएंगे , ये बातें शिया मस्जिद कालीमहाल में हाजी सैयद फरमान हैदर ने इमाम के जश्न की तक़रीर के सिलसिले से ये बातें कही है। इस दौरान कई जगह मेहफिलें हुई, दालमंडी में शाही दानी के निवास पर आयोजित महफिल में मौलाना सैयद अक़ील हुसैन ने नूरानी तक़रीर पेश की। रेहान बनारसी, अंसार बनारसी, वफा अबुतुरबी, इमरान हैदरी, मेहदी बनारसी, अज़ा बनारसी, शराफत बनारसी आदि ने अपने उम्दा कलाम से लोगों को फैज़याब किया। दूसरी ओर मदनपुरा मे बाजार सदानंद में तौक़ीर रज़ा के निवास पर भी मजलिस का आयोजन हुआ जिसमें मौलाना अक़ील हुसैनी ने खितब् किया। इस अवसर पर रज़ा बनारसी , शब्बीर बनारसी, आदि ने कलाम पेश किये। हाजी सैयद फरमान हैदर ने बताया के इमाम की शान मे महफ़िलों का सिलसिला जारी रहेगा । २ अप्रिल को रामनगर गोलाघाट मे खवातीन महफिल सजाएंगी। वहीं ३ अप्रैल को मस्जिद नादे अली मे मेहफिलो का आयोजन होगा और ४अप्रैल को हक़ीम मोहम्मद काजिम् के निवास पर कदीमि महफिल का आयोजन होगा।
इमाम का जन्म ११८७ साल पहले १५ शाबान २५५ हिजरी मे हुआ था। इमाम के चाहने वाले इमाम की सलामती की दुआएँ करते दिखाई दिए। शिया बिरादरी ने इमाम को याद करते हुए यू कहाँ के "हसीन पर्दो में वो बेनकाब बैठे है, हिजबे गैब में वो बेहिजाब बैठे है" और मशहूर शायर डा. नाज़िम का एक कलाम इमाम की खिदमत मे शायरों ने पेश किया के "रहमत का तलबगर तो होना ही पड़ेगा, दामन का हर एक दाग तो धोना ही पड़ेगा। "
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