पितृसत्तात्मक व्यवस्था ने सौदव महिलाओं को दबाया
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव/प्रताप बहादुर सिंह)। डीएवी पीजी काॅलेज के आईक्यूएसी के तत्वावधान में ग्रीवांस एण्ड रिड्रेसल कमेटी द्वारा आयोजित आनलाइन व्याख्यान श्रृंखला में ‘पितृसत्तात्मक षडयन्त्रों के विविध रूप और स्त्री मुक्ति के प्रश्न‘
विषय पर सोमवार को तेलगांना, हैदराबाद की दी अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विवि की सहायक आचार्य डाॅ. प्रियदर्शनी नारायण ने कहा कि पितृसत्तात्मक व्यवस्था में महिलाओं को दबाये रखने में धर्म ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इस धर्म में मातृ धर्म, स्त्री धर्म, पत्नी धर्म आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि यह पितृसत्ता का प्रभाव ही है कि महिलाओं की पहचान उनसे जुड़े हुए पुरूषों से ही होती है चाहे वह उसका पिता हो या फिर पति। डाॅ. प्रियदर्शनी ने कहा कि ऐसा नही है कि पितृसत्ता व्यवस्था में सिर्फ महिलायें ही नही बल्कि पुरूष भी प्रताड़ित हुए है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. शिव बहादुर सिंह ने कहा कि भारतीय समाज प्रारम्भ से ही पितृसत्तात्मक समाज रहा है लेकिन यह भी एक कड़वी सचाई है कि यहाॅ उदार पितृसत्तात्मक व्यवस्था रही है जिसमें स्त्री पुरूष के विकास के समान अवसर भी उपलब्ध है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. पूनम सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन समन्वयक डाॅ. ऋचारानी यादव ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डाॅ. संगीता जैन, डाॅ. पारूल जैन, श्रीमती साक्षी चैधरी, डाॅ. तरू सिंह, डाॅ. श्रुति अग्रवाल आदि आनलाइन जुड़े रहे।
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