रविवार, 28 मार्च 2021

शबे बरात: इबादत में डूबे मोमिनीन, अदा कि खास नमाज़े



अज़ीज़ो ने लगाई अपनों की कब्रों पर हाज़िरी

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शबे बरात


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शबे बरात पर इतवार को अपनों  बुजुर्गो की क्रबगाह पर अज़ीजों ने चिरागा किया, उनके नाम पर शमां रौशन किया।:इस दौरान फातेहा पढ़ कर अज़ीज़ो कि मगफिरत की दुआएं मांग कर उन पर सवाब पहुंचाया गया। इस दौरान देर रात तक घरों में भी तमाम लोगो ने इबादत  फातेहा किया  दुआए मगफिरत मांगी। शहर के प्रमुख बुजुर्गो के रौज़ों, आस्तानों और मस्जिदों में ज़ायरीन का हुजुम इस बार दिखाई दिया, लोग देर रात तक इबादत करते दिखे। इबादत गुज़ार रात भर इबादत के बाद सोमवार को सहरी करके नफ्ल रोज़ा रखेंगे।

यहाँ लगाई हाज़िरी, किया ज़ियारत

बनारस शहर के प्रमुख कब्रिस्तानों में तमाम लोग अपने पुरखो कि कब्रगाह पर हाज़िरी लगाई, कब्रो कि ज़ियारत कि खास कर टकटकपुरहुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंजबहादर शहीद कब्रिस्तान रविन्द्रपुरीबजरडीहा का सोनबरसा कब्रिस्तानजक्खा कब्रिस्तानसोनपटिया कब्रिस्तानबेनियाबाग स्थित रहीमशाहदरगाहे फातमानचौकाघाटरेवड़ीतालाबसरैयाजलालीपुराराजघाट, अलईपुरा समेत बड़ी बाजारपीलीकोठीपठानीटोलापिपलानी कटराबादशाहबागफुलवरियालोहताबड़ागांवरामनगर आदि इलाक़ों की कब्रिस्तानों और दरगाहों में लोगों ने  हर साल पहुच कर शमां रौशन की। पिछ्ली बार लाक डाउन के चलते इन जगहो पर सन्नाटा पसरा थालोगो ने घरो में फातेहा पढ़कर अज़ीज़ों की बक्शीश के लिए दुआएं मगफिरत मांगी थी। घरो में शबे बरात पर रौशनी का भी खास इंतेज़ाम किया गया था।  

घरों में लौटती है पुरखों की रूह




मर्द ही नही घरों में ख्वातीन ने भी शबे बरात की रात इबादत की। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा  शिरनी बनाने में जुटी हुई थी। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो गयीशबे बरात से ही रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों की डय़ूटी लगाता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगाकिसकी जिंदगी खत्म होगीकिसके लिये साल कैसा होगापूरे साल किसकी जिन्दगी में क्या उतार-चढ़ाव आयेगा। ये इसी रात लिखा जाता है साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ  रौशन रखते हैं।

हलवे की हुई घरों में फातेहा 

शबे बरात पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में इस बार चहल-पहल दिखाई दी। सूरज डूबते ही घरों में लज़ीज़ हलवोंशर्बतशिरनी की फातेहा का जो दौर शुरू हुआ वो मगरिब की नमाज़ के बाद से इशा की नमाज़ तक चलता रहा। फातेहा के बाद लोगों ने सदका निकालागरीबों और मिस्कीनों को खैरात निकाला और तबरुक लोगों में तकसीम किया। शबे बरात का सबसे ज्यादा उत्साह बच्चों में दिखाई दे रहा था। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा  शिरनी बनाने में जुटी हुई थी। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो गयीयह दौर दे रात तक चलता रहा।

1 टिप्पणी:

Imtiyaz khan ने कहा…

Is baar Allah pak ka bada karam tha

फूलों की खेती और उससे बने उत्पाद आर्थिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी-भक्ति विजय शुक्ला

Sarfaraz Ahmad  Varanasi (dil India live). फूलों की बढ़ती मांग और ग्रामीण किसानों तथा महिलाओं में फूलों की खेती के प्रति रुचि को देखते हुए, ...