कलाएं जीवन को करती हैं अनुशासित-प्रो.रचना
Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय नृत्य और अभिनय से सोमवार को झंकृत हुआ। 'जीवन के रंग'आधारित विषय पर सांस्कृतिक और अकादमिक मंच 'सर्जना' के अंतिम चरण में छात्राओं ने शास्त्रीय और लोक धुनों पर बेहतरीन नृत्य की प्रस्तुतियां दीं। समानांतर चल रहे रंगमंच पर प्रतिभागियों ने स्किट, एकल अभिनय, मिमिक्री, मूक अभिनय के माध्यम से जीवन के विविध भावों को प्रदर्शित किया। प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने छात्राओं को अध्ययन के साथ सृजनात्मक गतिविधियों की महत्ता बताते हुए इसे व्यक्तित्व निर्माण का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने कहा की कलाएं जीवन को अनुशासित करती हैं। इसलिए शिक्षण का एक कार्य विद्यार्थियों में सृजनात्मकता का विकास करना भी होता है। प्रो. सीमा वर्मा, डॉ. सुमन सिंह के निर्देशन में चल रहे इस सप्ताह व्यापी उत्सव में आज के कार्यक्रमों का संयोजन प्रो. ममता मिश्रा, डॉ. आरती चौधरी, डॉ. पूर्णिमा सिंह, सौम्यकांत मुखर्जी द्वारा किया गया। निर्णायक मंडल में सुरोजीत चटर्जी, डॉ नैरंजना श्रीवास्तव, डॉ. अमित ईश्वर, सिद्धि भट्ट, डॉ. पूनम वर्मा, डॉ. चेतना नागर, आकाश चंद्रा ने प्रतिभागियों के सृजनात्मकता की सराहना की। इन प्रतियोगिताओं में लगभग 150 छात्राओं ने भाग लिया। आयोजन में महाविद्यालय की सभी टीचर्स उपस्थित थी।
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