मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

बसपा ने इन विधान सभा सीटों पर बदले उम्मीदवार


लखनऊ, 08 फरवरी (dil India live)| बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिये घोषित अपने उम्मीदवारों में से चार सीटों पर बदलाव किया है। 
बसपा ने सोमवार को चार उम्मीदवारों की संशोधित सूची जारी करते हुये सुलतानपुर जिले की लम्भुआ सीट पर अवनीश कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है। पार्टी ने इससे पहले 31 जनवरी को जारी सूची में इस सीट से उदयराज वर्मा उर्फ पंकज को प्रत्याशी घोषित किया था। इसके अलावा बसपा ने प्रयागराज जिले की बारा (सु) सीट से डा शिव प्रकाश की जगह डा अजय कुमार को उम्मीदवार बना दिया है। जबकि इलाहाबाद पश्चिम सीट से लल्लन सिंह पटेल की जगह गुलाम कादिर अब बसपा के प्रत्याशी होंगे। बसपा ने अयोध्या जिले की मिल्कीपुर (सु) सीट से मीरा देवी को टिकट दिया है। पार्टी ने इससे पहले इस सीट पर संतोष कुमार उर्फ सूरज चौधरी को टिकट दिया था।



ग्रामीण महिलाओ ने कबाड़ में उभारा कलात्मक सौन्दर्य

घरो के बेकार वस्तुओ से बने प्रोडक्ट की लगी प्रदर्शनी


वाराणसी 
07 फरवरी (dil India live) | महिलाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास और उपयोग कार्यक्रम के अंतर्गत प्रधानमन्त्री जी की परिकल्पना व् सोच को आगे बढ़ाते हुए उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में घरों में पड़े वेस्ट मेटेरियल माध्यम से स्वरोजगार उत्पन्न करने के उद्देश्य से 2 दिवसीय “कबाड़ से जुगाड़” कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का आयोजन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से साईं इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट, वाराणसी द्वारा महिलाओ के लिए विकास के लिए प्रदेश के पहले रूरल वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क, बसनी में किया गया |

कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए श्री बलदेव पी.जी. कालेज, बडागांव की प्रोफेसर डॉ. अंशु मिश्रा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओ ने घरो में पड़ी बेकार वस्तुओ एवं पुराने न्यूज़ पेपरो से अपनी कल्पनाशीलता से एक जीवंत प्रतिभा को निखारा है |  इससे ग्रामीण महिलाओ की अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है | निश्चित तौर ग्रामीण महिलाओ को बस मौका मिलने की देरी है |

रूरल वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क में 3 घंटे की इस प्रतियोगिता में महिलाओ ने बेकार सामान से सुंदर कलाकृतिय तैयार करने के साथ साथ कागज का हास्पिटल, घडी, शादी के कार्ड से मनमोहक प्रोडक्ट तैयार किया|

    हुनर-ए-बनारस की निदेशिका पूनम तिवारी ने कहा  महिलाओ ने अपनीं कल्पनाशीलता की जोम छाप छोडी है वह काबिले तारीफ है | उक्त प्रतियोगिता में पुराने न्यूज़ पेपर से बने घर में गणेश जी प्रतिमा बनाने वाली राधा वर्मा को प्रथम, शादी के कार्ड से मनमोहक प्रोडक्ट बनाने वाली श्रुति सिंह को दूसरा, कागज से हिन् घड़ी बनाने वाली कुमकुम मिश्रा को तृतीय एवं वैष्णव गुप्ता को सांत्वना पुरस्कार का चयन हुआ | प्रतियोगिता में बिजयी प्रतिभागियों को कल कार्यशाला के समापन अवसर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार जी के हाथो पुरस्कृत किया जायेगा | अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक अजय सिंह द्वारा किया गया | कार्यक्रम में एस.बी.आई. जनरल इंश्योरेंस कम्पनी व् प्रोत्साहन संस्था का भी सहयोग रहा |

उक्त अवसर पर प्रोजक्ट मैनेजर इन्द्रेस पाण्डेय, कबाड़ से जुगाड़ की कोआर्डिनेटर दीक्षा सिंह, यास्मिन बानो, अनुपमा दुबे, हर्ष सिंह आदि लोग शामिल रहे | 

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

सरकार गरीब नवाज़ के दर पर झुकती है कायनात


अजमेर 07 फरवरी (dil India live) राजस्थान के अजमेर में चल रहे दुनिया के मशहूर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह,( सरकार गरीब नवाज) के दर पर सारी कायनात झुकती है। ख्वाजा का उर्स इन दिनों अजमेर के साथ ही समूची दुनिया में मनाया जा रहा है। जो अजमेर नहीं जा सके हैं वो जहां हैं वहीं उर्स का आयोजन कर रहें हैं। राजस्थान ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी ख्वाजा को लोग याद कर रहे हैं।

कल है ख्वाजा का कुल शरीफ़

अजमेर में 810 वें सालाना उर्स में मंगलवार को कुल की छठी का आयोजन होगा। अकीदतमंद कुल को देखते हुए आज रात से ही दरगाह परिसर के बाहर की दीवारों को गुलाबजल, ईत्र और केवड़े से धोकर कुल के छीटें लगाने शुरू कर देंगे।

कोरोना नियमों में सरकार की ओर से शीथिलता के बाद दरगाह परिसर चौबीस घंटे जायरीनों से आबाद है और उर्स की रौनक न केवल दरगाह क्षेत्र में बल्कि दरगाह के चारों तरफ फैली हुई है। आज रात को दरगाह दीवान और ख्वाजा साहब के सज्जादानशीन सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान की सदारत में दरगाह परिसर के महफिलखाने में उर्स की छठी व अंतिम शाही महफिल होगी। इसके बाद मध्यरात्रि से ख्वाजा साहब की मजार को छठी का गुस्ल देने की धार्मिक रस्म अदा की जाएगी।
जिला प्रशासन ने कुल की रस्म व छठी के मद्देनजर आठ फरवरी को पूरे जिले में राजकीय अवकाश घोषित किया है। कुल की रस्म में बड़ी संख्या में जायरीनों के पहुंचने की उम्मीद है। जो जायरीन कल नहीं आ पाएंगे वे ग्यारह फरवरी को नवी के कुल की रस्म अदायगी में हिस्सा लेंगे। उसके बाद गरीब नवाज का 810वां सालाना उर्स संपन्न हो जाएगा।

मीरा कुमार लेंगी रविदास जयंती में हिस्सा

संत रविदास मंदिर में चार दिवसीय जयंती 14 से

मुख्य कार्यक्रम 16 को, तैयारी अंतिम चरण में पहुँची

वाराणसी (dil India live) I संत रविदास जयंती समारोह के अवसर पर राजघाट स्थित रविदास मंदिर में चार दिवसीय कार्यक्रम 14 से 16 फरवरी तक चलेगा। मुख्य कार्यक्रम 16 फरवरी आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार सपरिवार उपस्थित रहेगी। इस संबंध में दी रविदास स्मारक सोसाइटी के महासचिव श्री सतीश  कुमार उर्फ फागुनी राम ने बताया कि संत शिरोमणि रविदास की जयंती समारोह धूमधाम से मनाया जाएगा। समारोह की तैयारी जोर शोर से की जा रही है। मंदिर परिसर का रंग रोगन एवं साफ सफाई में दर्जनों कारीगर लगे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर को विद्युत झालरों एवं आकर्षण लाइटों से सजावट की जाएगी। सोसायटी के महासचिव फागुनी राम ने बताया कि चार दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिदिन भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और मंदिर दर्शन पूजन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि समारोह में भारत सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पूर्ण पालन किया जाएगा।

अदा से झूमना, ख्वाजा की चौखट चूमना

ख्वाजा के दर पर पेश किया गया बसंत


अजमेर 07 फरवरी (dil India live) राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के दर पर बसंत पेश किया गया।
बसंत महीने के मौके पर ख्वाजा के दर पर आज परंपरागत तरीके से बसंत पेश किया गया, जिसकी सदारत दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन के प्रतिनिधि सैयद नसीरुद्दीन ने की। सभी लोग बड़ी शानौ शौकत के साथ बसंत का गुलदस्ता लेकर निजामगेट पर पहुंचे और शाही कव्वालों द्वारा अमीर खुसरो द्वारा लिखे गए सूफी कलामों को गाते हुए चल रहे थे जिसमें आज बसंत मना ले सुहागिन, ख्वाजा मोइनुद्दीन के दर पर आ जाती है बसंत, नाजो अदा से झूमना- ख्वाजा की चौखट चूमना...जैसे कलाम पेश कर रहे थे। सभी लोगों ने आस्ताने पहुंचकर सरसों तथा अन्य पीले रंग के फूलों का गुलदस्ता पेश कर मुल्क की खुशहाली की कामना की।
उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब को पीले बसंती फूलों से बेहद लगाव था। इस कारण वर्षों से बसंत पंचमी के अवसर पर यहां बसंत पेश करने की परंपरा है।

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

रोज़ डे के साथ शुरु होगा वेलेन्टाईन वीक

आइये जाने कब है कौन सा डे, क्या है तैयारियां


वाराणसी ६ फरवरी (dil India live)। इंतेज़ार की घड़ी जल्द खत्म होने वाली है। 7 फरवरी से वैलेंटाइन वीक का आगाज़ हो जाएगा। प्यार के पक्षी अभी से ही अपने युवा साथियों के साथ उड़ान भरते दिखाई दे रहे हैं। कोरोना काल के बाद इस बार इस पर्व को लेकर लोगों में खास उत्साह रहने की उम्मीद है। कोई प्रेमी के लिए गिफ्ट खरीद रहा है तो कोई किमती चाकलेट। प्रेमी प्रेमिकाओं का उत्‍सव जो आने वाला है। वेलेन्टाईन डे का क्रेज विदेशों से ज्यादा अब भारतीय लोगों में भी दिखाई देता है। दरअसल सात फरवरी को रोज डे, आठ फरवरी को प्रपोज डे, नौ फरवरी को चॉकलेट डे, दस को टेडी डे, ग्यारह फरवरी को प्रॉमिस डे, बारह फरवरी को किस डे, तेरह फरवरी को हग डे और चौदह फरवरी को वैलेंटाइन डे देश दुनिया में मनाया जाएगा। 

14 फरवरी वैलेंटाइन डे का वो खास दिन होता है, जिस दिन आशिक और माशुक अपने प्यार का इजहार करते है। प्यार और मोहब्बत के इस खास दिन को देखते हुए दुनिया भर का बड़ा छोटा बाजार भी इसे भूनाने में लगा जाता है। तरह तरह के गिफ्ट आइटम प्यार के जोड़ो को केन्द्र करके बाजार में उतारा गया है। छोटी गली कूचों की दुकानों से लेकर बड़े माल व फूलों की दुकान तक पर रेड रोज, यलो और व्हाईट रोज़ से लेकर गुलदस्‍तों तक की डिमांड शुरू हो जाती है। फूलों के कारोबारी इस सीजन में लग्न न होने से वैलेंटाइन डे पर फूलों का कारोबार कर युवओं को आकर्षित करने में जुटे हैं। रेड रोज की कीमत दस रुपये से लेकर बीस और चेरी रेड तक पचीस रुपये प्रति पीस से लेकर छोटा बुके सौ रुपये से लेकर हजारों रुपये तक पैकेज में उपलब्ध है। कारोबारी बता रहे हैं कि ग्राहक अभी खरीदारी तो नहीं कर रहे हैं मगर पूछताछ और बुकिंग का दौर शुरू हो चुका है। उम्मीद है कि रोज़ डे की पूर्व संध्या पर यह कारोबार अपने शबाब पर होगा।

लता मंगेशकर अलविदा...

 बनारस घराने से लता मंगेशकर का था गहरा रिश्ता

  • सुर संगम फिल्म में राजन, साजन मिश्र के साथ किया था पार्श्व गायन
  • सिद्देश्वरी देवी के आवास पर कभी ठहरी थी लता मंगेशकर
  • स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से सदमें में है काशी  




अमन

वाराणसी ०६ फरवरी (dil India live)।  28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी लता मंगेशकर ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। स्वर कोकिला लता मंगेशकर का दुनिया को अलविदा कहना कला और सांस्कृतिक नगरी काशी के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। लता मंगेशकर का काशी संगीत घराने से गहरा लगाव था। खासकर ठुमरी गायिका सिद्देश्वरी देवी के घर वो कई बार आयी थीं।  ठुमारी सम्राट पं. महादेव प्रसाद मिश्र से उन्होंने ठुमरी की बारीकी सीखी थी। बिस्मिल्लाह खां की वो बहुत बड़ी फैन थीं। यही नहीं फिल्म सुर संगम में राजन मिश्र व साजन मिश्र के साथ लता मंगेशकर ने भी पार्श्व गायन पेश किया था। एक कलाकार के रूप में लता मंगेशकर का बनारस संगीत घराने से गहरा लगाव था।  पं. साजन मिश्र कहते हैं कि लता जी का उनके परिवार से गहरा और नज़दीकी रिश्ता था। 1982 में लता जी ने पं. दीनानाथ जी की स्मृति में कार्यक्रम रखा था तो उसमें बनारस घराने से सितारा देवी का डांस हुआ था और हम दोनों भाईयों का गायन था, वो उनसे पहली मुलाकात थी। उन्होंने इतनी इज्ज़त दी थी कि लग ही नहीं रहा था कि उनसे पहली बार मिले हैं। उसके बाद 1983 में सुर संगम के लिए भी उन्होंने अपनी आवाज़ दी।  इसके बाद तो उनका काशी के संगीत घरानों से उनका गहरा लगाव हो गया था। ऐसी गायिका शायद ही कभी धरती पर आये।

पं. किशन महाराज के शिष्य अमित मिश्रा कहते हैं कि पं. किशन महाराज, राजन-साजन मिश्र जब भी मुम्बई जाते थे तो वो लता मंगेशकर के घर पर ही ठहरते थे। बनारस से गए कलाकारों का वो दिल से स्वागत करती थी। ठुमरी सम्राट महादेव प्रसाद मिश्र कला संस्थान के पं. गणेश मिश्रा की माने तो वो बतौर एक कलाकार बनारस वालों की बहुत कद्र करती थी। बड़े गुलाम अली खां की शिष्या लता मंगेशकर के बारे में कहा गया है कि वो इतना मीठा गायन पेश करती थी कि उनके उस्ताद बड़े गुलाम अली भी कह उठते थे कि ई इतना सुर में गावे ली कि कभी डाटो ना खावेली...जब सब्हे सही हव ता का डाटी...।  पं. किशन महाराज की पुत्री अंजलि मिश्रा कहती है कि उनके घर से उनका गहरा रिश्ता था। यही वजह है कि वो स्वस्थ्य हो इसके लिए पूरे देश के साथ ही बनारस संगीत घराने के लोग भी प्रार्थना कर रहे थे। उन्होंने 30 हजार से भी ज्यादा गाना गाया था। यह किसी कलाकार के लिए बहुत बड़ी बात है। काशी की गलियों से संघर्ष करते हुए बालीवुड में अपनी पहचान बनाने वाली सुरभि सिंह कहती है कि अकसर उनसे मुलाकात होती थी मगर कभी लगा ही नहीं कि वो इतने बड़े कद की मलिका हैं। बेहद साधारण था उनका व्यवहार। गरीबी से लेकर धनी बनने तक कभी उनके व्यवहार में बदलाव नहीं आया।  

दरअसल 28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी लता मंगेशकर ने पांच साल की उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था। उनके शुरुआती गुरु उनके पिता ही थे, बाद में बड़े गुलाम अली से उन्होंने गायन की शिक्षा ली। उनका काशी से गहरा लगाव था भले ही वो काशी कम आयी मगर यहां के संगीत घराने की वो बड़ी कद्रदान थीं। बिस्मिल्लाह खां, सिद्देश्वरी देवी, पं. महादेव प्रसाद मिश्र, सितारा देवी, किशन महाराज, राजन-साजन मिश्र से उनका गहरा लगाव था।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...