भाषा के प्रसार में धर्म की कोई भूमिका नहीं-डॉक्टर आफ़ताब अहमद आफ़ाक़ी
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Varanasi (dil India live). मदर हलीमा फ़ाउंडेशन के माध्यम से नई दिल्ली के नेशनल काउंसिल फ़ॉर प्रोमोशन ऑफ़ उर्दू लैंग्वेज के एक वर्षीय उर्दू डिप्लोमा के छात्र-छात्राओं को मदर हलीमा सेंट्रल स्कूल में प्रमाण पत्र वितरित किए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉक्टर आफ़ताब अहमद आफ़ाक़ी (अध्यक्ष उर्दू विभाग बीएचयू) ने कहा कि भाषा धर्म के प्रसार का साधन तो हो सकती है, लेकिन भाषा के प्रसार में धर्म की कोई भूमिका नहीं। किसी भी भाषा को धर्म और राष्ट्र से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उर्दू का पहला दीवान एक गैर-मुस्लिम शायर का था, साथ ही बीएचयू के उर्दू और अरबी विभाग के प्रमुख भी गैर-मुसलमान रह चुके हैं। आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में भी उर्दू के क्षेत्र में सभी तरक्की के रास्ते खुले हुए हैं। विशिष्ट अथिति नेशनल इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल मंजूर आलम ने भी छात्रों को प्रमाण पत्र वितरित किए। अक्षय शर्मा को दस्तारे उर्दू एवं अल्फिया को रिदाये उर्दू से सम्मानित किया गया। फाउंडेशन के प्रबंधक नोमान हसन खान ने काउंसिल और इस कोर्स के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और मेहमानों का दिली इस्तेक़बाल किया। आयोजन में शबाना उस्मानी ने उर्दू की रोशनी को जलाए रखने की अपील की। फाउंडेशन के संस्थापक मरहूम सुलेमान आसिफ के बेटे इरफान हसन ने कार्यक्रम किअध्यक्षता की। फराह जमाल ने गज़लें पेश कीं जिसे लोगों ने खूब सराहा। इस मौके पर जहां इस्मत जहां ने धन्यवाद दिया वहीं मशहूर यूटयूबर इमरान हसन ने खूबसूरत मंच संचालन किया।
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