Varanasi (dil India live)। भक्ति व्यक्ति के जीवन से प्रारंभ होकर मृत्यु तक चलने वाली प्रक्रिया है, बिना भक्ति के जीवन अधूरा है। उक्त विचार बुधवार को डीएवी पीजी कॉलेज में चल रहे दो दिवसीय 'हिन्दी भक्ति कविता और पंजाबी का गुरमति साहित्य : प्रभाव एवं अंतः सम्बन्ध' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में गुरुनानक खालसा स्कूल की निदेशिका श्रीमती जगजीत कौर अहलूवालिया ने समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि कही। हिन्दी विभाग एवं उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में जगजीत कौर ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब सिख धर्म मे 11 वें गुरु के रूप में स्थापित है। गुरुग्रंथ साहिब एक साँझी बाणी है जो किसी खास को नेतृत्व देने के बजाए सबको नेतृत्व प्रदान करती है। उन्होंने बताया कि गुरुबाणी में हिन्दी भक्ति के कवियों के साथ साथ विभिन्न मतावलंबियों की बाणी भी शामिल है। कबीर, रविदास, रामदेव, रामानन्द, जयदेव, बाबा फरीद जैसे संतो फकीरों की साझी बाणी के रूप में संकलित है।
उन्होंने यह भी बताया कि सिख धर्म का काशी से गहरा संबंध रहा है, पहली उदासी के दौरान लगभग 530 वर्ष पूर्व प्रथम गुरु गुरुनानक देव काशी आये, आज उसी स्थान पर गुरुबाग गुरुद्वारा स्थापित है। नौंवे गुरु तेग बहादुर सिंह भी 7 महीने 18 दिन तक काशी के नीचीबाग में रह चुके है।
विशिष्ट वक्ता उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अरविन्द नारायण मिश्र ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब में उत्तर प्रदेश के पाँच संतो को स्थान मिला है, जिसमे रामानंद ने निर्गुण भक्ति साधना की बात कही है। उनके सिद्धांत समानता के अधिकार की बात कहते है, यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। अध्यक्षता करते हए महाविद्यालय के कला संकाय प्रभारी प्रो. मिश्रीलाल ने कहा कि भक्ति कविता और गुरमति साहित्य दोनों ही व्यक्ति के जीवन को परिवर्तित करने की शक्ति रखते है। भक्ति काल की कविताओं का उदय लोकमंगल की भावना से ही हुआ। इसके अलावा विभिन्न सत्रों में सुश्री मांजना शोधार्थी पंजाब ने बाबा फरीद की भक्ति कविता, शोधार्थी विवेक कुमार तिवारी ने भक्ति कविता और पंजाब, हिंदू कन्या महाविद्यालय, सीतापुर की डॉक्टर पल्लवी मिश्रा ने पंजाब में सूफी कविता एवं डॉ. राकेश पांडे ने गुरु ग्रंथ साहिब में भक्ति कविता के संदर्भ में व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी, स्वागत प्रोफेसर समीर कुमार पाठक, रिपोर्ट प्रस्तुति डॉ. नीलम सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर राकेश कुमार राम ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रोफेसर ऋचारानी यादव, प्रोफेसर मधु सिसोदिया, डॉ. सीमा, डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ. सोमनाथ पाठक, डॉ. अस्मिता तिवारी, डॉ.विश्वमोली सहित अन्य विभागों के प्राध्यापक उपस्थित रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें