देश-दुनिया में चर्चित शहर काजी के जनाजे में उमड़ा जनसैलाब
Varanasi (dil India live)। देश-दुनिया में मशहूर व मारूफ काजी-ए-शहर बनारस अल्लामा, मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब को जुमे की नमाज के बाद बजरडीहा सिथत कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इससे पहले उनके जनाजे की नमाज मौलाना मोहम्मद जमील अहमद ने अदा करायी। उनके जनाजे में लाखों लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
हम बता दें कि शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब गुरुवार को रोज़ा थे, शाम में मगरिब की नमाज के साथ ही उन्होंने रोज़ा इफ्तार किया, नमाज अदा किया और कुछ ही देर बाद वो अल्लाह को प्यारे हो गए। उनके इंतकाल की खबर से समूचे पूर्वांचल खासकर बरेलवी मुस्लिमों में अफसोस की लहर दौड़ गई। उनके साहबजादे मोहम्मद जावेद ने बताया कि शहर काजी मरहूम तकरीबन 90 साल के थे। उनके मुरीद इम्तियाज खां ने बताया कि हज़रत के लाखों मुरीद देश विदेश में फैले हुए हैं।
अब जलसे की कौन करेगा सदारत
आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शहर काजी तकरीबन पांच दशक से काजी ए शहर बनारस के पद पर आसीन थे। शहर ही नहीं जिले और आसपास के इलाकों में होने वाले तकरीबन सभी दीनी जलसों की सदारत शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब मरहूम ही किया करते थे। अहसन हमदी कहते हैं कि काजी साहब ही जलसों की ज़ीनत हुआ करते थे। इतनी उम्र होने के बावजूद सभी जलसों में वो पहुंचते थे। उनकी ही अगुवाई में तिलभांडेश्वर सिथत शरई अदालत रमजान, ईद, बकरीद समेत महीनों के चांद देखें जाने का ऐलान होता और तमाम फतवे जारी होते थे। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके इंतकाल पर अफसोस जाहिर किया।
सुल्तान क्लब ने पेश की खिराजे अकीदत
जिसमे काजिए शहर गुलाम यासीन साहब की सामाजिक और दीनी खिदमात पर विस्तृत प्रकाश डाला गया। इनके मुरीद काफी संख्या में पूरे पूर्वांचल में फैले हुए हैं,आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले काज़ी साहब 50 वर्षों से क़ाज़ी ए शहर बनारस की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इनकी निगरानी में एक शरई अदालत भी कायम है जो सुन्नी मसलक के मानने वाले उनके आवास पर फतवा लेने पहुंचते थे। बनारस से जब नरेंद्र मोदी सांसद चुने गए और देश के प्रधानमंत्री बने तो इनके नेतृत्व में एक दल मुबारकबाद देने के लिए दिल्ली पहुंचा। आप ने बनारस में हज हाउस कायम करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। आप के अगुवाई में ईद मिलादुन्नबी का जुलूस भी निकलता रहा है। आप ने अपने पीछे नाती पोतों का भरा पूरा परिवार छोड़ा है, पत्नी का 14 वर्ष पहले ही इंतकाल हो चुका है। इनके इंतकाल से समाज में जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति मुश्किल है।
अफसोस बैठक में अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, उपाध्यक्ष महबूब अली,महासचिव एच हसन नन्हें, सचिव जावेद अख्तर, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज, मौलाना अब्दुल्लाह, हाफिज मुनीर, मुहम्मद इकराम, नसीमुल हक, मुख्तार अहमद, अब्दुर्रहमान इत्यादि शामिल थे।
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