- ट्रस्ट बनाकर दीनी व दुनियावी शिक्षा के मदरसे, स्कूल व कॉलेज बनाने पर दिया जोर
Varanasi (dil India live). 03.10.2023. रेवड़ीतालाब में अंजुमन तरक्की-ए-अहले अहले सुन्नत के मैदान बज़्मे कासमी बरकाती का जलसा शुरू खानकाह मारहरा शरीफ के सज्जादा नशीन ताजुल मशाईख हजरत सैय्यद शाह डा. अमीन मियां कादरी बरकाती मारहरवी ने बनारस के रेवड़ीतालाब में कहा कि तालीम के बिना कोई भी कौम तरक्की नही कर सकती. आज हमारे जो हालात है उसकी असल वजह यही है कि हमने अपने नबी का रास्ता छोड दिया, बुज़ुर्गो की बातो को नज़र अंदाज़ कर दिया. नबी ने कहा है कि इल्म हासिल करना हो तो चीन तक जाओ. नबी ने उस दौर में कहा जब अरब से चीन जाना बहुत दुश्वारी भरा काम था मगर आज गली गली में तालीम मिल रही है, स्कूल, मदरसो से लेकर हायर एजुकेशन तक की तालीम आपके अपने शहर में है फिर भी हम तालीम से दूर होते जा रहे हैं. इससे ज़्यादा अफसोस की बात और क्या हो सकती है.
वो मंगलवार को बाद रेवड़ीतालाब स्थित अंजुमन तरक्की-ए-अहले अहले सुन्नत के मैदान (बैतुस्सलाम) में बज़्मे कासमी बरकाती के तत्वधान में होने वाले जश्ने ईद मीलादुन्नबी को खेताब कर रहे थे. उन्होने कहा कि अब भी वक्त है अपने बच्चों को तालीम दो, भले ही चटनी रोटी खाओ मगर बच्चों को पडाओ. नबी को मानने वाले हो तो अपने घरो में आलिम, हाफीज के साथ ही डाक्टर, इंजिनियर, आईएस, पीसीएस, जज पैदा करो. जलसे में हजारों अकीकतमंदों को उन्होने शैक्षणिक से साथ ही धार्मिक नसीहत भी दी.
जलसे में उनके शहजादे कि प्रसिद्ध वलिये अहद हजरत सैय्यद अमान मियां बरकाती ने कहा कि कुछ ताकते हमारे मुल्क को खोख्ला करने में लगी हुई है. उनके नापाक मंसूबे से हमे होशियार रहने कि ज़रुरत है, क्यों की इस्लाम कहता है कि मुल्क से मोहब्ब्त इमान का हिस्सा है. उन्होने मुल्क में अमन, आपसी मोहब्ब्त और सौहार्द के साथ रहने कि हिदायत दी. हज़रत मौलाना सैय्यद नूर आलम अलीगढ़ ने नबी की सुन्न्त और मिलाद पर रौशनी डाली जबकि जयपुर राजस्थान से आए मशहूर शायर इमरान रजा बरकाती ने नाते नबी से लोगो को देर रात तक बांधे रखा।
इस दौरान मौलाना अजरुल कादरी बरकाती उस्ताद मदरसा खानम जान ने बताया कि हजरत अमीन मियां से जलसे में भारी तादाद में पूर्वांचल के अकीदतमन्द मिलने पहुंचे और बरकाती सिलसिले में मुरीद हुए। जलसे में खास तौर से मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, बीएचयू के प्रोफेसर डॉक्टर अफजल अहमद मिस्बाही, मौलाना मोईनुद्दीन अहमद फारूकी प्यारे मियां, मौलाना इलियास मिस्बाही, कारी अबु शहमा, मौलाना याकूब के अलावा सैंकड़ों उलेमा व मस्जिदों के इमाम उपस्थित थे।
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