मंगलवार, 31 अक्टूबर 2023

bunkar's सरदार बने सरदार मोहम्मद असलम

बुनकरों के चौदह मोहल्लों के नये सरदार का ऐलान: हक और हुक़ूक़ के लिए किसी भी आंदोलन के लिए रहेंगे तैयार 




Varanasi (dil India live). 31.10.2023. जामा मस्जिद हैंसतल्ले वाराणसी में बुनकर बिरादराना तंजीम चौदहों (14 मोहल्ले) का एक अजीमुश्शान जलसे का आयोजन किया गया। जलसे में मरकजी बुनकर पंचायत चौदहों के नव नियुक्त सदर सरदार मोहम्मद असलम अंसारी  की दस्तारबंदी की गई। यह पद चौदहों के पूर्व सरदार मकबूल हसन अशरफी के इंतकाल के बाद खाली हुआ था।दसतारबंदी की सरपरस्ती इमाम-ए-बनारस मौलाना जियाउर रहमान साहब खतीम (ईदगाह मस्जिद लाट सरैया), सपा नेता अतहर जमाल लारी, शहर उत्तरी के पूर्व विधायक हाजी अब्दुल समद अंसारी कर रहे थे। इस मौके पर सरदार शमसुद्दीन साहब की भी दस्तारबंदी हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता सरदार अखलाक अंसारी ने की। इस दौरान महेंद्र, जमाल अंसारी, जियाउर्रहमान अंसारी, अजीमुद्दीन अंसारी, अमित यादव, मौलाना सिफादुर रहमान, हजरत मौलाना गुलाम नबी रहीमी, मौलाना गुलाम मुर्सलीम रहीमी अशरफी जलसे को खेताब फरमाया। मौलाना हारून रशीद नक्शबंदी, मौलाना नियाज अहमद कासमी, मौलाना नसीर अहमद सिराजी, मौलाना अमानूर रहमान, मौलाना मुश्ताक अहमद अशरफी, मौलाना रियाजुद्दीन, सरदार अतिकुल्लाह, सरदार मोहम्मद आसिफ, तंजीम पांचों के सरदार हाफिज हाजी मोईनुद्दीन, सरदार अजीजुर रहमान, सरदार अब्दुल मजीद, सरदार रहमतुल्लाह, महतो फ़याजुद्दीन, सरदार मोइनुद्दीन, सरदार हाफिज कमरुद्दीन, सरदार निहालउद्दीन, सरदार अनीसुररहमान, सरदार मोहम्मद हनीफ, सरदार फैजुररहमान, सरदार मोइनुद्दीन, सरदार हबीबुल्लाह, सरदार अनवारुल्लाह, सरदार हाजी अब्दुल कलाम, सरदार एनुअल हुदा एवं मुस्ताक अहमद, मोहम्मद निहालुद्दीन, मोहम्मद अजीमुद्दीन, मोहम्मद अब्दुल, अब्दुल्ला फैजान व मौलाना मोहम्मद अंसारी आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे। इस दौरान नए सरदार ने ऐलान किया कि वो हमेशा बुनकरों के साथ उनके छोटे-बड़े सभी मामलों में इंसाफ करेंगे। बुनकरों के हक और हुक़ूक़ के लिए किसी भी आंदोलन को वो हमेशा तैयार रहेंगे।

गुरु पूजा व भंडारे में उमड़े श्रद्धालु




Varanasi (dil India live). 31.10.2023. श्री सिद्धपीठ यमुनेशवर आश्रम‌ (आराम मठ) भदऊ चुंगी, राजघाट वाराणसी में श्री 81 वां अधिवेशन एवं गुरु पूजा का कार्यक्रम और भंडारा का आयोजन किया गया. जूमा अखाड़ा के श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर अभीमुक्तानंद गिरी महाराज एवं श्री श्री 1008 आशुतोष नंद जी, श्री निरंजनी श्री पंचायती महानिवाड़ी अखाड़ा के सचिव यम्मापूरी जी महाराज, श्री भारती जी अटल अखाड़ा एवं कोतवाल काशी मंडल पागल बाबा के नेतृत्व 13 अखाड़े के संत एवं महंत ने प्रसाद ग्रहण किया. इस कार्यक्रम का आयोजन श्री यमुनेशर के महंत श्री वैभव गिरी महाराज ने किया. कार्यक्रम मानता ध्यान अंजी महाराज का ब्रम्हलीन एवं श्रद्धांजलि के लिए हुआ. जिसने मटके पुजारी संजय पांडेय जी एवं उनके सपूत रिषू पांडेय, राहुल तिवारी एवं सभी भक्तगण शामिल थे.

ऋतिक बने मिस्टर पूर्वांचल, आदित्य को मिला मसलमैन का खिताब


Varanasi (dil India live).31.102023. मिस्टर पूर्वांचल के प्रतिष्ठापरक खिताब के लिए देररात तक चले कड़े मुकाबले में वाराणसी के ऋतिक जायसवाल ने द्वितीय मिस्टर पूर्वांचल का खिताब अपने नाम किया, वहीं आदित्य पाण्डेय मिस्टर मसलमैन बने। काशी डिस्ट्रिक्ट बॉडी बिल्डिंग एण्ड फिटनेस एसोसिएशन के तत्वावधान में रविवार को नगवा, लंका स्थित तुलसी विद्या निकेतन के प्रांगण में आयोजित स्पर्धा में प्रदेश भर के 250 से अधिक बॉडी बिल्डरों ने प्रतिभाग किया। स्पर्धा मे 14 वें शेर ए बनारस के लिए भी खिलाड़ियों ने जद्दोजहद की, जिसमें आदित्य पाण्डेय को शेर ए बनारस का टाइटल मिला, वही कुणाल यादव मिस्टर मसलमैन का ख़िताब अपने नाम करने में सफल रहे। फिटनेस फिजिक स्पर्धा में गोरखपुर के देवेश दुबे एवं बनारस के रजत सिंह ने बाजी मारी। विजेताओं को ट्रॉफी, नकद राशि, सर्टिफिकेट, सप्लीमेंट सहित अन्य पुरस्कार दिए गए। 

विभिन्न भार वर्ग में मे भी खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया। 0 - 55 किलोग्राम भार वर्ग में संतोष कुमार, 55 से 60 किलोग्राम भार वर्ग में गोंडा के शिवम गुप्ता, 60 से 65 किलोग्राम भारवर्ग में वाराणसी के अली, 65 से 70 किलोग्राम भारवर्ग में वाराणसी के आदित्य पाण्डेय, 70 से 75 किलोग्राम भारवर्ग में वाराणसी के कुणाल यादव, 75 से अधिक किलोग्राम भारवर्ग में ऋतिक जायसवाल प्रथम रहे। इन विजेताओं को भी ट्रॉफी के साथ-साथ नकद पुरस्कार, सर्टिफिकेट, ट्रैकसूट एवं अन्य पुरस्कार प्रदान किए गए।

महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ ने किया शुभारंभ- प्रतिस्पर्धा का शुभारंभ मुख्य अतिथि अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने किया, इस अवसर पर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्होंने कहा कि यह स्पर्धा हार जीत से कही ज्यादा सतत प्रयास और कठिन परिश्रम के लिए मायने रखती है, इस दौर में खुद को फिट रखना सबसे बड़ी चुनौती है और शारिरिक परिश्रम इसमें काफी मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के आयोजन होते रहने चाहिए जिससे प्रतिभा को उचित मंच और सम्मान मिलता है। संचालन अध्यक्ष अहमद फैसल महतो ने किया।

इनकी रही उपस्थिति- आयोजन में मुख्य रूप से महासचिव विकास चौरसिया, कोषाध्यक्ष पवन यादव, मयंक उपाध्याय, कार्पल इंटरनेशनल के इंडिया हेड आरिफ सिद्दीकी, हाईकोर्ट के एडवोकेट अब्बास मुर्तजा फिरदौसी, प्रताप बहादुर सिंह, राजेन्द्र, रियासुद्दीन, कैस अंसारी, संजू चौरसिया आदि रहे। 

निर्णायक मंडल में मुख्य रूप से चेयरमैन फसरूद्दीन खान, जौनपुर के अवधेश यादव, भदोही के आलम खान एवं वाराणसी के आनन्द यादव रहे।

सोमवार, 30 अक्टूबर 2023

Ma शेरावाली सबसे बड़ा है तेरा नाम रे...

महिलाओं ने डांडिया उत्सव में किया जमकर धमाल



Varanasi (dil India live).30.10.2023. महिला भूमिहार समाज वाराणसी का डांडिया कार्यक्रम  होटल मदीन, कैंटोमेंट में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रीति प्रिया व अतिथि भावना, प्रोफेसर उषा किरण राय और डॉक्टर आकांक्षा सिंह ने शमां रौशन कर कार्यक्रम की शुरुआत की।  

मुख्य  अतिथि पटना से आयी हुई प्रीति प्रिया ने कहा कि भूमिहार एक भारतीय जाति है जो उत्तर प्रदेश, विहार, झारखंड  तथा अन्य  राज्यों में निवास  करती है। भूमिहार  का अर्थ होता है, भूमिपति, भूमि से आहार अर्जित करने वाला। प्रोफेसर  ऊषा किरन राय ने कहा 

 सबसे प्रसिद्ध  अवधारण  के अनुसार ऐसा माना जाता है  कि भगवान  परशुराम ने क्षत्रिय  को पराजित किया और उनसे जीते हुए राज्य व भूमि बाहणों को दान  कर दी । बाह्णणो ने खेती करना शुरु किया और बाद में युद्ध  में भी भाग लिया  इन बाह्यण को ही भूमिहार बाह्णण कहते है।

भावना और डा. आकांक्षा ने भी महिलाओ के उत्थान पर विचार व्यक्त 

किया। इस कार्यक्रम की सफलता भूमिहार समाज की महिलाओं की एकता और परस्पर प्रेम और मित्रता का प्रतीक है। कार्यक्रम  की शुरुआत जाह्नवी सिंह ने माॅ शेरावाली, मां जोधा वाली, सबसे बड़ा है तेरा नाम रे... नृत्य से किया।  कार्यक्रम में उपस्थित सभी  महिलाओं ने डांडिया रास किया और साथ ही मां अंबे की अराधना की। वहां उपस्थित  सभी लोगो ने यह शपथ लिया कि  वे सभी अपने समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहेंगे, और इसकी शुरूआत वह अपने ही गांव, परिवार और घर से करेंगी। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर राजलक्ष्मी राय, किरन सिंह, शुभ्रा सिंह, मंजुला चौधरी ने किया। पूनम सिंह, प्राची राय, सोनिया राय ,मयूरी सिंह, शिवि राय, सरिता सिंह, प्रियंका सिंह, सौम्या राय, वंदना सिंह और आयुषी प्रधान  ने कार्यक्रम को सफल बनाने मे सहयोग दिया।आये हुए लोगो का धन्यवाद  किरन सिंह , डॉक्टर राजलक्ष्मी ने किया।

रविवार, 29 अक्टूबर 2023

घर बना अस्पताल: वायरल बुखार और डेंगू ने एक भी घर नहीं छोड़ा

वाराणसी के इस गांव में कई मौतों से मचा हाहाकार

suman Lata 

Varanasi (dil India live).29.10.2023. वाराणसी के कई गांव बुखार की चपेट में हैं। कछवा रोड सेवापुरी ब्लाक के ठटरा गांव में वायरल बुखार एवं मलेरिया की चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई है। वहीं दर्जनों लोग बीमार हैं। कोई भी घर नहीं छूटा जहां बुखार का कोई मामला ना हो।

अस्पताल से प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव की कुंती देवी (70 वर्ष) की वायरल बुखार के चलते 20 अक्टूबर को इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके अलावा 27 अक्टूबर को सोमारु बिंद (50 वर्ष), 28 अक्टूबर को किशन जमादार सफाई कर्मी (65 वर्ष) 29 अक्टूबर की सुबह बचाऊ राम गुप्ता (75 वर्ष) की वायरल बुखार के चपेट में आने पर इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके अलावा गांव के दर्जनों लोग निजी अस्पताल में बीमार होने पर अपना इलाज कर रहे हैं। ज्यादातर वायरल बुखार के चलते सर्दी, जुकाम, सिर में दर्द, पूरे शरीर में दर्द होने पर निजी अस्पतालों में लोग अपना इलाज कर रहे हैं। निजी अस्पताल में जगह न मिलने पर निजी चिकित्सक की सलाह पर घर में ही बीमार होने वाले मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

वायरल  बुखार की चपेट में ठटरा गांव निवासी अरविंद सिंह व मोहन गुप्ता की रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव आई। इसी तरह चित्रसेनपुर पूरे गुड़िया बिहड़ा डोमैला छतेरी सहित अन्य गांव में वायरल बुखार एवं अन्य बीमारी के चपेट में आने से निजी क्लीनिक संचालकों के यहां इलाज करा रहे हैं

शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2023

Desh Duniya में ‘ग्यारहवीं शरीफ’ का जश्न

दावते इस्लामी इंडिया के इज्तेमा में बड़े पीर साहब का चला जिक्र 

-बड़े पीर साहब के उर्स पर हुई घरों में फातेहा

-गौसे पाक का वलियों में सबसे ऊंचा है मर्तबा


Varanasi (dil India live). 27.10.2023. गौसे आज़म हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां (बड़े पीर साहब) का उर्स-ए-पाक ‘ग्यारहवीं शरीफ’ के रूप में अदबो-एहतराम के साथ देश दुनिया के साथ ही बनारस में भी मनाया जा रहा है। फजर की नमाज़ के बाद से ही मदरसों, मस्जिदों व घरों में कुरानख्वानी, फातिहा व महफिल-ए-गौसुलवरा का आयोजन शुरु हो गया। इससे पहले जुमेरात को दावते इस्लामी इंडिया की ओर से मस्जिद रंगीले शाह दालमंडी में इज्तेमा का खास एहतमाम किया गया। इज्तेमा में बड़े पीर साहब का जिक्र चला। इस दौरान जुमे को सुबह फज्र की नमाज के बाद कुरआन ख्वानी, नियाज-फातिहा का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अब पूरा महीना चलता रहेगा। इस दौरान जगह जगह गौस़े पाक का लंगर भी चलेगा। उधर शिवाला में खालिद कादरी के जेरे इंतेज़ाम दूल्हे वाली गली में लंगरे गौसिया का एहतमाम किया गया। लंगर चखने अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ पड़ा। समाचार लिखे जाने तक सैकड़ों लोग लंगर चखने जुटे हुए थे। खालिद कादरी ने बताया कि गौसे पाक की फातेहा के साथ ही लंगर का दौर शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहेगा।

मौलाना अज़हरूल कादरी कहते हैं कि अल्लाह के वलियों में सबसे ऊंचा मरतबा हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी यानी गौस-ए-आज़म का है। हमारे औलिया-ए-किराम व मशायख जिस रास्ते से गुजरे उन रास्तों में तौहीद व सुन्नत-ए-नबी का नूर व खुशबू फैल गई। हिन्दुस्तान में ईमान व दीन-ए-इस्लाम बादशाहों के जरिए नहीं आया बल्कि हमारे इन्हीं बुजुर्गों, औलिया व सूफिया के जरिए आया। ऐसे लोग जिनके चेहरों को देखकर और उनसे मुलाकात करके लोग ईमान लाने पर मजबूूर हो जाते थे। हमें भी इनकी तालीमात पर मुकम्मल अमल करना चाहिए। जिससे दुनिया व आखिरत की कामयाबी मिलेगी। मौलाना कादरी ने कहा कि हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां अम्बिया अलैहिस्सलाम के सच्चे जानशीन हैं। इस्लाम व ईमान की रोशनी इन्हीं के जरिए से हम तक पहुंची है। हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अपने मुरीदों के लिए फरमाते हैं कि जब तक मेरा एक-एक मुरीद जन्नत में नहीं चला जाएगा तब तक मैं भी जन्नत में नहीं जाऊंगा।

पहले पातशाह नानक देव के 554 वें प्रकाशोत्सव पर निकली प्रभातफेरी

ऐतिहासिक गुरूद्वारा गुरूबाग पहुंची दो प्रभातफेरी


Varanasi (dil India live). 27.10.2023. सिक्ख धर्म के संस्थापक पहले पातशाह जगत गुरु श्री गुरूनानक देव महाराज का 554 वॉ प्रकाशोत्सव 27 नवंबर को, कार्तिक पूर्णिमा के दिन है. गुरूद्वारा प्रबन्धक कमेटी एवं समूह साध-संगत के सहयोग से बड़े उत्साह श्रद्धा के साथ गुरूद्वारा गुरूबाग में प्रकाशपर्व मनाया जायेगा. इसी उपलक्ष्य में एक माह तक गुरुद्वारे से प्रभातफेरी निकाली जाती है.

शुक्रवार को पहले दिन दो प्रभात फेरी गुरूद्वारा गुरूबाग पहुंची. प्रभातफेरी का पुष्प वर्षा के साथ भव्य स्वागत किया गया. गुरु महाराज के आगमन पर्व (प्रकाशोत्सव) के उपलक्ष्य में ऐतिहासिक दोनो प्रभात फेरियां 27-10-2023, दिन शुक्रवार को प्रातः 6:00 बजे गुरूद्वारा गुरूबाग पहुंची. पहली प्रभात फेरी गुरूद्वारा बड़ी संगत नीची बाग (आस भैरव) से चलकर चौक, बॉसफाटक, गोदौलिया लक्सा होते हुए गुरुद्वारा गुरूबाग पहुंची तथा दूसरी प्रभात फेरी मलदहिया लाजपत नगर से चलकर सिगरा, नानक नगर, रथयात्रा होते हुये गुरूबाग पहुंची. जहां पर संगत का भव्य स्वागत किया गया. इसके उपरान्त गुरूद्वारा गुरूबाग के रागी जत्था भाई नरेन्द्र सिंह ने गुरूवाणी कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया, तत्पश्चात गुरु का अटूट लंगर बरताया गया. ये प्रभात फेरियॉ लगातार 30 दिन तक रोजाना चलेगीं. दोनो प्रभात फेरी के गुरूद्वारे पहुंचने पर गुरूद्वारे के ग्रन्थी भाई रंजीत सिंह, भाई महंत सिंह ने अरदास किया तथा गुरूद्वारे में उपस्थित समूह साध-संगत को धन्यवाद दिया.

बुधवार, 25 अक्टूबर 2023

ऐतिहासिक भरत मिलाप की 3 मिनट की लीला देखने घंटों पहले से जुटा रहा हुजुम

श्रीराम-भरत, मिलाप देखने नाटी इमली पहुंचे लाखों श्रद्धालु 




Varanasi (dil India live). विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली का भरत मिलाप देखने लोगों का हुजूम बुधवार को उमड़ पड़ा. चित्रकूट रामलीला समिति द्वारा आयोजित ऐतिहासिक भरत मिलाप को देखने के लिए लाखों की भीड़ नाटी इमली मैदान में डटी हुई थी. आलम यह था कि भरत मिलाप मैदान पर बुधवार को पैर तक रखने की जगह नहीं थी. लंका से रावण का वध कर माता सीता और भाई लक्ष्मण और हनुमान के साथ पुष्पक विमान पर सवार होकर भगवान् राम भरत मिलाप मैदान नाटी इमली पहुंचे. यहां कुछ ही देर बाद अयोध्या से भरत और शत्रुघ्न भी पहुंचे और मिलाप के चबूतरे पर आसीन हो गए. कुछ ही छण बाद नेमियों ने रामचरित मानस की चौपाइयां पढ़नी शुरू की, सूर्य तेजी से भारत मिलाप मैदान की उस ख़ास जगह पर रौशनी के लिए मानों आतुर हो उठा जिसपर राम और लक्ष्मण, भरत व शत्रुघन को गले लगाने दौड़ पड़ते हैं.

घड़ी की सुई ने शाम 4 बजकर 40 मिनट का जैसे ही निशान बनाया वैसे ही चबूतरे के एक निश्चित स्थान पर अस्ताचलगामी सूर्य की किरणें पहुंची, भगवान श्रीराम और लक्ष्मण रथ से उतरकर भरत और शत्रुघ्न की तरफ दौड़ पड़े और उन्हे उठाकर गले लगाया. 3 मिनट की इस लीला को देखने पूरा मैदान हर हर महादेव और सियावर रामचंद्र की जय के जयघोष से गूंज उठा.

चित्रकूट रामलीला समिति के अध्यक्ष और भरत मिलाप के व्यवस्थापक बाल मुकुंद उपाध्याय ने बताया कि मेघा भगत भगवान श्रीराम को स्वप्न में आकर दर्शन दिए थे और यहां भरत मिलाप कराने का निर्देश दिया. मेघा भगत द्वारा स्थापित इस लीला में यादव बंधुओं ने परंपरा का निर्वहन किया और भगवान का पुष्पक विमान भरत मिलाप स्थल से अयोध्या तक पहुंचाया। उनका गणवेश देखते ही बन रहा था. कार्यक्रम में महाराजा बनारस भी सदियों पुरानी परम्पराओं का निर्वहन करते दिखाई दिए. 



वाराणसी के सांसद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस पर्व की अपने ही अंदाज में बधाई दी.

Education news : मदरसों के निरीक्षण का अधिकार शिक्षा विभाग को नहीं

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग करता है मदरसों का संचालन

शिक्षा विभाग के दखल से मदरसों में हो रही है़ असहजता की स्थिति


Varanasi (dil India live). 25.10.2023. मुजफ्फरनगर के बेसिक शिक्षा विभाग कि एक न्यूज ने प्रदेश भर के मदरसों की नींद उड़ा दी. मुजफ्फरनगर में बीएसए ने नोटिस जारी कर कहा है कि जिस मदरसों की मान्यता नहीं है वो हर दिन के हिसाब से दस हजार रुपए जुर्माना जमा कर दें. सोशल मीडिया पर बीएसए की न्यूज़ वायरल क्या हुई बनारस से लेकर बरेली, जौनपुर से लेकर देवबंद तक हड़कंप मच गया. हालांकि जब पड़ताल किया गया तो मामला उल्टा निकला, बेसिक शिक्षा विभाग को तो मदरसों के जांच का ही अधिकार नहीं है. इसकी पुष्टि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने की. कहा कि 1995 में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के गठन के बाद मदरसों का समस्त कार्य अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को हस्तानांतरित कर दिया गया। डॉ. जावेद ने कहा कि इसके बाद उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004 प्रतिस्थापित किया गया जिसके माध्यम से उत्तर प्रदेश अशासकीय अरबी और फारसी मदरसा मान्यता, प्रशासन और सेवा विनियमावली 2016 बनाई गई. जिसके बाद से जिला मदरसा शिक्षा अधिकारी का तात्पर्य जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से हो गया. निरीक्षक अरबी मदरसा अथवा अध्यक्ष या निदेशक द्वारा नामित किसी अधिकारी द्वारा कभी भी मदरसों का निरीक्षण किया जा सकेगा. उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004/ विनियमावली 2016 में दिए व्यवस्था के तहत अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अलावा किसी भी विभाग के अधिकारी द्वारा ना तो मदरसों का निरीक्षण किया जाएगा और ना ही किसी प्रकार की नोटिस दी जाएगी. डॉ. जावेद ने कहा कि अक्सर संज्ञान में आता है कि नियमों से हट कर शिक्षा विभाग के अधिकारी जो सक्षम प्राधिकारी ना होने के बावजूद उनके द्वारा जनपद में संचालित मदरसों का निरीक्षण किया जाता है और नोटिस भी दी जाती है जो अधिनियम के विपरीत है. उधर आल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया के राष्ट्रीय महामंत्री वहीदुल्ला खान सईदी ने कहा है कि मान्यता प्राप्त अथवा गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच करने, मान्यता न होने की दशा में उन्हें किसी प्रकार की नोटिस अथवा जुर्माना वसूलने का कोई भी अधिकार बेसिक शिक्षा व माध्यमिक शिक्षा विभाग को नहीं है. यदि किसी जनपद में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा मदरसों की जांच अथवा जुर्माना की नोटिस दी जाती है तो वह मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2004 का सीधे-सीधे उल्लंघन होगा. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार/ निरीक्षक, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा भी उत्तर प्रदेश के समस्त जिलाधिकारियों को संबोधित दिनांक 3 नवंबर 2022 को प्रेषित पत्र में भी इस बात को स्पष्ट कर दिया गया था। यदि किसी जनपद के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा जुर्माना की नोटिस दिया जाना अनियमित है. निदेशक बेसिक शिक्षा/ माध्यमिक शिक्षा को उपरोक्त प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया जाना न्यायोचित होगा.

बाल संरक्षण अधिनियम का भी दे रहे हैं हवाला

वहीदुल्लाह खां सईदी कहते हैं कि वह इस बात का भी संज्ञान लेना आवश्यक है कि, जारी नोटिस और जुर्माना में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और बाल संरक्षण अधिनियम का हवाला दिया जा रहा है जबकि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के संशोधित अधिनियमों में मदरसों को अधिनियम के प्रतिबंधों से अलग रखा गया है।

मंगलवार, 24 अक्टूबर 2023

बुराई पर अच्छाई की जीत : बनारस में जला पूर्वांचल का सबसे ऊंचा रावण




Varanasi (dil India live). 24.10.2023. बुराई पर अच्छाई का प्रतीक दशहरा पर्व पर इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पूर्वांचल का सबसे बड़ा रावण जलाया गया. वाराणसी के बीएलडब्लू स्थित रामलीला मैदान में जैसे ही 75 फीट ऊंचा रावण जलाया गया, मौजूद लोग वीडियो बनाने और सेल्फी लेने में व्यस्त हो गए। काफी लोग अपने दूर दराज में बैठे अपनों को वीडियो काल के जरिए रावण दहन का लाइव दिखाते दिखाई दिए। बरेका में रावण के साथ मेघनाद और कुंभकर्ण का भी पुतला जलाया गया जिसकी ऊंचाई 70 और 65 फीट थी. इस रावण दहन के समय करीब 1 घंटे तक शानदार आतिशबाजी हुई. करीब 50 हजार रुपये के पटाखे रावण में लगाए गए थे. बता दें कि इस रावण दहन को देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ बरेका के मैदान के अंदर और बाहर इकट्ठा होती है. इसके लिए सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम भी किए गए थे. रावण दहन से पहले 2 घंटे में मोनो एक्टिंग के जरिए रामलीला का मंचन भी बरेका के रामलीला मैदान में हुआ.

गौरतलब हो कि 2 महीने में 15 लोगों ने मिलकर रावण को तैयार किया था। कारीगर शमशाद ने बताया कि इस रावण को तैयार करने में करीब 2 महीने का वक्त लगा है. उनके परिवार के करीब 15 लोगों ने इसे तैयार किया है. तीन पीढ़ियों से शमशाद का परिवार इस काम को करता आ रहा है. ऐसे ही मलदहिया, भोजूबीर समेत कई जगहों पर दशहरे पर रावण दहन किया गया।

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जियो रजा बनारस: अपनी नहीं बच्चों की तो करो फिक्र


Varanasi (dil India live). 24.10.2023. कोतवाली थाना क्षेत्र में मैदागिन मार्ग पर बाइक से जा रहे एक सज्जन को दशहरा उत्सव के दौरान शाम में थानाध्यक्ष कोतवाली आशीष मिश्र ने रोक लिया और जमकर फटकार लगाई.ए दरअसल एक ही बाइक पर 6 बच्चों को लेकर जा रहे सज्जन अपने साथ साथ बच्चों का जीवन भी खतरे में डाले हुए दिखाई दिए. डांट फटकार के बाद कोतवाली पुलिस ने इनको बाइक के साथ अपने पास बैठा लिया, काफी गुहार के बाद सज्जन को छोड़ा गया है.आगे से यह हरकत ना करने की कड़ी ताकीद मिली है.

शनिवार, 21 अक्टूबर 2023

अच्छी फिल्मों को करें प्रमोट, इससे ही आएगा बदलाव : खेसारीलाल

संघर्ष 2 को प्रमोट करने आनंद मंदिर पहुंचे खेसारी  

-दर्शकों से हुए रूबरू हुए खेसारी लाल यादव 


Varanasi (dil India live). 21.10.2023. भोजपुरी फिल्म जगत के हिट अभिनेता खेसारी लाल यादव, चर्चित निर्माता रत्नाकर कुमार और निर्देशक पराग पाटिल, विनीत विशाल और अभिनेत्री मेघाश्री व माही श्रीवास्तव भोजपुरी फिल्म "संघर्ष 2" के प्रमोशन को लेकर शनिवार को वाराणसी के आनंद मंदिर सिनेमा पहुंचे. उनके साथ रंजन सिन्हा भी मौजूद रहे. आनंद मंदिर में मौजूद दर्शकों ने कलाकारों का गर्मजोशी से स्वागत किया। खेसारी लाल यादव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए भोजपुरी फिल्मों को प्रमोट करने की बात कही. इस मौके पर खेसारीलाल यादव ने कहा कि भोजपुरी फिल्मों की ओर आज दुनिया निगाहें लगा बैठी हैं, लेकिन फिल्म को उस हिसाब से अपने घर में कभी प्रमोट नहीं किया गया, जिस हिसाब से दूसरे प्रदेशों में अपनी भाषा की फिल्मों को किया जाता है. उन्होंने कहा कि फिल्म "संघर्ष 2" एक अच्छी फिल्म है. आप इसे देखें और फिर प्रतिक्रिया दें. उन्होंने कहा कि भोजपुरी हमारी अपनी भाषा है. अगर हम भाषा को ही प्रमोट करें, तो हम सभी कलाकारों का प्रमोशन हो जायेगा. क्योंकि इसी भाषा ने हमें आपके दिलों में जगह बनाने का मौका दिया है. हम सभी कलाकार इस भाषा से हैं और इस भाषा की फिल्मों को अपने घर में सम्मान मिले. इसके लिए रत्नाकर कुमार और पराग पाटिल जैसे फ़िल्मकार अनवरत लगे हैं.

वहीं, रत्नाकर कुमार ने कहा कि फिल्म "संघर्ष 2" एक अच्छी कहानी वाली फिल्म है, जो समाज को दर्शाती है. इस फिल्म को सबों को देखना चाहिए. अभी तक जिन लोगों ने फिल्म देखी है , उन्हें ये पसंद आई है. हम लोग कमर्शियल फिल्म जरुर बनाते हैं, लेकिन उन फिल्मों में क्लास होता है. मेरे बैनर से बनी किसी भी फिल्म को देख लीजिये, उसमें गलत चीजें नहीं दिखने वाली है. "संघर्ष 2" को बेहद आधुनिक तकनीक से और बड़े स्तर पर बनाया गया है. यह फिल्म कहानी पटकथा स्क्रीनप्ले डायलॉग रोमांस म्यूजिक एक्शन से भरपूर है और एक कमर्शियल फिल्म की सारी जरूरतों को पूरा करती है. इसलिए हमारी फिल्म हर तरह के दर्शक वर्ग के लोगों को पसंद आने वाली है. 

आपको बता दें कि “संघर्ष 2” शुक्रवार को पूरे भारत में एक साथ रिलीज हुई है. यह एक एक्शन पैक्ड सिनेमा है जिसकी प्रस्तुति जितेंद्र गुलाटी और वर्ल्ड वाइड चैनल कर रही है. फिल्म के निर्माता रत्नाकर कुमार है जिनकी पहचान क्वालिटी बेस्ट फिल्म करने की रही है. को प्रोड्यूसर निवेदिता कुमार और कुलदीप श्रीवास्तव हैं. फिल्म के निर्देशक पराग पाटिल हैं. फिल्म में खेसारी लाल यादव के साथ मेघा श्री, माही श्रीवास्तव, कीर्ति यादव, सबा खान, वरण्या मल्होत्रा, सुशील सिंह, संजय पांडे, विनीत विशाल, अनूप अरोड़ा, विनोद मिश्रा, सामर्थ चतुर्वेदी, जे नीलम, रोहित सिंह मटरू, पप्पू यादव, सुबोध सेठ, मनीष चतुर्वेदी, वैभव राय, अक्की, संजीव मिश्रा, यादवेंद्र यादव, ओ पी कश्यप मुख्य भूमिका में है. फिल्म के गानों में शानदार लिरिक्स और म्यूजिक कृष्णा बेदर्दी का है. फिल्म की कहानी वीरू ठाकुर ने लिखी है. पी आर ओ रंजन सिन्हा हैं. डीओपी आरआर प्रिंस है. एक्शन दिलीप यादव, एस मल्लेश और न्योंग का है.

डांडिया महोत्सव में हुआ जमकर धमाल



Varanasi (dil India live). 21.10.2023. हाथों में छोटे छोटे डंडे लिए गुजराती गीतों पर नृत्य करती थिरकती और एक दूसरे से डंडे लड़ाती महिलाओं का हुजूम देखते ही बन रहा था. फिज़ा में गीत के बोल, मां शेरावाली, सबसे बड़ा है तेरा नाम रे... बुलंद हो रहे थे. मौका था डांडिया महोत्सव का, जिसमें महिलाओं ने जमकर धमाल किया.
बंजारा लान, फातमान में महिला व्यापार मंडल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अम्बरीष सिंह (भोला), हिन्दु युवा वाहिनी वाराणसी मण्डल प्रभारी/सदस्य वाराणसी विकास प्राधिकरण, केशव जलान द्वारा दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. वाराणसी महिला व्यापार मंडल की अध्यक्ष सुनीता सोनी ने बताया कि नवरात्रि पर्व पर महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत की याद में महिलाओं द्वारा गरबे और डांडिया नृत्य व उत्सव का आयोजन किया गया. ऐसे आयोजन हमारी संस्कृति समेत परंपराओं को पहचान कराती हैं. जो आने वाली पीढ़ी के लिए एक मार्गदर्शक बनने में सहायक होती है.
कार्यक्रम में ममता रानी अपर पुलिस आयुक्त द्वारा महिलाओं और सामजिक लोगों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में राजू सोनी, अर्चना सेठ, विजय शंकर, अजय सिंह, प्रतीक श्रीवास्तव, रौनक सिंह आदि मौजूद थे.

दशहरा नजदीक, काशी में उत्सव का माहौल

महासप्तमी पर काशी के मंदिरों में उमड़े भक्त


Varanasi (dil India live).21.10.2023. काशी में दशहरा जैसे जैसे नजदीक आ रहा है उत्साह और उल्लास देखते ही बन रहा है। तरह तरह के पंडाल अलग-अलग थीम पर तैयार हो चलें हैं। जिन्हें बंगाल, गुजरात आसाम और बिहार के कारीगर अब अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। वहीं सातवें दिन भी देवी मंदिरों में भक्तों का हुजूम दर्शन पूजन करने उमड़ा। शारदीय नवरात्र की महासप्तमी को मां काली की आराधना में भक्त उमड़े हुए थे। दरअसल शुंभ, निशुंभ के साथ रक्तबीज का विनाश करने के लिए देवी ने कालरात्रि का रूप धारण किया था। हाथ में खप्पर, तलवार और गले में नरमुंड की माला धारण करने वाली मां का स्वरूप संकट से उबारने वाला माना जाता है। इसलिए महासप्तमी की पूजा करने वाराणसी स्थित दक्षिणेश्वरी काली मंदिर में भोर से ही व्रती महिलाओं और पुरुषों ने हाजिरी लगाई। हाथों में प्रसाद, माला, फूल के साथ भक्तों का रेला मंदिर में उमड़ा हुआ था। खासकर श्री काशी विश्वनाथ गली में मां काली और भोजूबीर पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग पर मां दक्षिणेश्वरी काली के प्राचीन मंदिर में दर्शन पूजन करने श्रद्धालुओं का हुजूम सुबह से ही नज़र आया।

मान्यता है कि श्रीमार्कंडेय पुराण और श्रीदुर्गा सप्तशती के अनुसार काली मां की उत्पत्ति जगत जननी मां अंबा के ललाट से हुई थी। दुर्गा के नौ रूपों में सातवां रूप हैं देवी कालरात्रि का।इसलिए नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। शत्रुओं से मुक्ति और कष्ट निवारण के लिए मां काली की आराधना फलदायी है। श्री काशी विश्वनाथ गली में मां काली और भोजूबीर पंचक्रोशी परिक्रमा मार्ग पर मां दक्षिणेश्वरी काली का प्राचीन मंदिर विराजमान है। मां कालरात्रि की पूजा गृहस्थ लोगों को मां की शास्त्रीय विधि से पूजा करना चाहिए। देवी की पूजा में नीले रंग का उपयोग किया जाता है। माता के इस रूप को गुड़ का भोग अति प्रिय है। रात रानी या गेंदे के फूल अर्पित कर घी का दीपक लगाया गया और दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया।

शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023

राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में काशी के चार विजेता शिक्षक होंगे सम्मानित


Varanasi (dil India live).20.10.2023. राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ में 12 से 15 सितंबर के मध्य कला, क्राफ्ट एवं पपेट्री पर आधारित सामग्री निर्माण एवं प्रस्तुतिकरण पर प्रदेशस्तरीय प्रतियोगिता आयोजित हुई थी। जिसमें प्राथमिक स्तर पर भाषा विषय में छवि अग्रवाल (स.अ.) प्रा. वि. बनपुरवा काशी विद्यापीठ एवं गणित विषय में अब्दुर्रहमान (स.अ.) प्रा. वि. ठटरा (1) सेवापुरी वहीं उच्च प्राथमिक स्तर पर विज्ञान विषय में श्रवण कुमार गुप्ता (स.अ.) कमपोजिट विद्यालय देहली विनायक, सेवापुरी एवं गणित विषय में तूबा आसिम (स.अ.) कंपोजिट विद्यालय गंगापुर आराजीलाइंस ने सफलता प्राप्त की।

ज्ञात हो कि कल, क्राफ्ट एवं फैक्ट्री के माध्यम से शैक्षिक सामग्री निर्माण तथा कक्षा-कक्ष में इसकी उपयोगिता, लर्निंग आउटकम की संप्राप्ति और प्रस्तुतिकरण के आधार पर निर्णायक मंडल ने मूल्यांकन किया जिसके फलस्वरूप प्रदेश भर के 300 प्रतिभागी शिक्षकों में से केवल 100 शिक्षकों ने सफलता अर्जित की। सभी चयनित शिक्षक अब एससीईआरटी लखनऊ में प्रदेशस्तरीय सम्मान समारोह में सम्मानित होंगे। खुशी के इस अवसर पर डायट प्राचार्य उमेश कुमार शुक्ला, डायट प्रवक्ता हर गोविन्दपुरी, नगमा परवीन, प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, अरविन्द कुमार सिंह ने चयनित सभी प्रतिभागियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

डांडिया इवनिंग में हुई जमकर मस्ती




Varanasi (dil India live).20.10.2023. स्माइल मुनिया, वैश्य महिला समाज और काशी प्रबुद्ध महिला मंच ने संयुक्त रूप से डांडिया इवनिंग का आयोजन किया। इस दौरान बच्चों को कपड़े एवं खाद्य, पाठ्य सामग्री वितरित कर उनके जीवन में त्योहार के रंग भरने का छोटा सा प्रयास किया गया। अध्यक्ष अंजलि अग्रवाल ने सभी को त्योहारों की अग्रिम बधाई दी। धन्यवाद रेनू कैला ने तथा संयोजन निशा एवं संगीता अग्रवाल का रहा।नीतू सिंह, ममता पंड्या, ममता, इरा, रागिनी, जंयती, प्रीति जयसवाल, शाइस्ता, सत्यभामा, सुषमा व उषा ने डांडिया प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। सलोनी जैन रेखा अग्रवाल ने अंत में धन्यवाद दिया।

मि. पूर्वांचल प्रतिस्पर्धा 29 अक्टूबर को



Varanasi (dil India live).20.10.2023. काशी डिस्ट्रिक बॉडी बिल्डिंग एण्ड फिटनेस एसोसिएशन के तत्वावधान में प्रतिष्ठापरक 14 वीं शेर - ए - बनारस एवं दूसरी मिस्टर पूर्वांचल की प्रतिस्पर्धा आगामी 29 अक्टूबर, 2023, रविवार को आयोजित होगी। गुरुवार को भीमनगर, सिकरौल स्थित कैम्प कार्यालय में आयोजित एसोसिएशन की बैठक में उक्त निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता करते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष अहमद फैसल महतो ने बताया कि शेरे बनारस एवं मिस्टर पूर्वांचल की प्रतिस्पर्धा बॉडी बिल्डिंग की 6 एवं फिटनेस फिजिक की एक कैटेगरी में आयोजित होगी जिसमें प्रदेश भर के 250 से अधिक बॉडी बिल्डर भाग लेंगे। टाइटल एवं मसल मैन विजेता को नकद पुरस्कार के अलावा, ट्राफी, सर्टिफिकेट, सप्लीमेन्ट, ट्रैक सूट भी प्रदान किया जायेगा। बेस्ट ऑफ फाइव को ट्रॉफी, सर्टिफिकेट, टीशर्ट एवं सभी प्रतिभागियों को मेडल प्रदान किया जायेगा। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का आयोजन नगवा, लंका स्थित तुलसी विद्या निकेतन के प्रांगण में होगा। खिलाड़ियो का वजन प्रतिस्पर्धा के एक दिन पूर्व भीम नगर, सिकरौल (वरुणा एंक्लेव के सामने) स्थित किंग्स द जिम में होगा। स्पर्धा में 250 से अधिक खिलाड़ी शेर ए बनारस की प्रतिष्ठापरक टाइटल के लिए अपना दमखम दिखायेंगे। बैठक में मुख्य रूप से पवन यादव, विकास चौरसिया, फसरूद्दीन खान, एडवोकेट फिरदौसी, प्रताप बहादुर सिंह, मयंक उपाध्याय, निसार अहमद, रियासुद्दीन, कैस अंसारी, विजय आदि शामिल रहे।

गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023

Kashi में Mata स्कन्द बागेश्वरी देवी मंदिर में हैं विराजमान

नवरात्र: पांचवें दिन स्कन्द माता के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु


Varanasi (dil India live).19.10.2023. धर्म की नगरी काशी में नवरात्रि की धूम मची हुई है। शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन भक्तों का हुजूम देवी मंदिरों में जुटा हुआ है। खासकर जैतपुरा स्थित बागेश्वरी देवी मंदिर में भक्तों ने भोर से ही दर्शन पूजन के लिए लम्बी लाइन लगा रखी थी। मंदिर का पट मंगला आरती के बाद खुला तो पूरा मंदिर परिसर माता के जयकारे से गूंज उठा।

इस प्राचीन मंदिर में स्कन्द माता विराजमान हैं उनकी गोद में भगवान् शंकर के पुत्र कार्तिकेय मौजूद हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां दर्शन पूजन करने वालों में निसंतान महिलाओं कि भी ज्यादा उपस्थिति रहती है, मान्यता है कि मां के दर्शन मात्र से संतान सुख मिलता है। 

नवरात्रि के चलते कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली। माता बागेश्वरी देवी मंदिर जैतपुरा में विराजित स्कंदमाता के दर्शन के लिए आस्थावानों का रेला उमड़ा है ऐसे वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। मंदिर के महंत गोपाल मिश्रा ने बताया कि नवरात्र के पांचवें दिन स्कन्द माता के दर्शन का विधान है। मान्यता है कि माता ने तारकासुर के वध के लिए कार्तिकेय को प्रशिक्षित किया था और ज्ञान दिया था जिसके बाद कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया तभी से इनका नाम स्कंदमाता पड़ा।

महंत ने बताया कि जिन लोगों को बोलने या चलने में दिक्कत होती वो लोग यहां दर्शन-पूजन करने साल भर आते हैं माता उनके दुःख हर लेती हैं इसके अलावा जिन महिलाओं को अभी तक संतान सुख नहीं मिला है और वो परेशान हैं उन्हें यहां दर्शन करना चाहिए माता दर्शन मात्र से संतान सुख देती हैं। इसके अलावा उनके दर्शन से मोक्ष प्राप्ति में आसानी होती है।

Varanasi के कलाम ने रौशन किया देश का नाम


Varanasi (dil India live).19.10.2023. उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के अजगरा विधानसभा के चोलापुर निवासी मोहम्मद अब्बास अली के पुत्र मो. कलाम ने नेपाल में अपने देश और जनपद का नाम रौशन किया है। भारत और नेपाल के बीच हुए खेल यूथ गेम्स एजुकेशन फेडरेशन इंडिया (YGEFI) में रेसलिंग में शामिल होकर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले कलाम की जीत पर अजगरा में जश्न का माहौल है। कलाम के चाचा मोहम्मद अली ने बताया की 10 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक हुए इस चैंपियनशिप में कलाम ने भारत का नाम रोशन किया है। इनको बधाई देने वालों का घर पर तांता लगा हुआ है। आसपास के गांव से भी लोग बधाईयां देने उमड़ रहे हैं।

बुधवार, 18 अक्टूबर 2023

Mata दरबार में गम्भीर रोगों से मुक्ति की प्रार्थना को जुटे भक्त

शारदीय नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्माष्डा की भक्ति में डूबे भक्त


Varanasi (dil India live).18.10.2023. नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा करने देवी मंदिरों में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। इस दौरान बुधवार को महिलाओं ने चौथा व्रत रख कर मंदिरों का रुख किया। देवी कूष्मांडा की पूजा करने कुमकुम, मौली, अक्षत, पान के पत्ते, केसर और शृंगार आदि श्रद्धा पूर्वक भक्तों ने चढ़ाया। इस दौरान काफी भक्तों ने सफेद कोहड़ा  मातारानी को अर्पित किया, और दुर्गा चालीसा का पाठ किया। अंत में घी के दीपक जलाकर कपूर से मां कूष्मांडा की आरती की गई व मां कूष्मांडा से अपने परिवार के सुख-समृद्धि और संकटों से रक्षा का आशीर्वाद लिया गया। मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए देवी कुष्मांडा की पूजा अविवाहित लड़कियों ने भी की। काशी के पंडित नवीन कुमार दुबे बताते हैं कि मां कुष्मांडा का स्वरुप बहुत ही पावन है। मां की आठ भुजाएं हैं, इसलिए मां कूष्माण्डा अष्टभुजा वाली भी कहलाईं। इनके आठ हाथों में कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल-पुष्प अमऋतपूर्ण कलश, चक्र, गदा और माला है। मां कूष्माण्डा का वाहन सिंह है। जिनकी साधना करने पर साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर और कामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए कष्टों और बीमारियों से मुक्ति के लिए मंदिरों में महिलाओं-पुरुषों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है।वो बताते है कि इनका निवास सूर्य मंडल के भीतर के लोक में स्थित है। सूर्य लोक में निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा करने मंदिरों में अपार भीड़ भोर से ही दिखाई दी। कानपुर, वाराणसी और उत्तराखंड के कुष्मांडा देवी मंदिर देश भर में प्रसिद्ध हैं। इनमें भी वाराणसी में मौजूद मंदिर बहुत पुराना माना जाता है और उसका महत्व भी बहुत है। इसे दुर्गा मंदिर कहा जाता है और इसमें देवी के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी भागवत ग्रंथ में भी इसका उल्लेख है। मान्यताओं के अनुसार देवी कुष्मांडा के दर्शन से शत्रुओं का विनाश होता है। सुख शांति और धन एवं वैभव की प्राप्ति होती है। वाराणसी के दक्षिण क्षेत्र के भव्य मंदिर में देवी दुर्गा कुष्मांडा रूप में विराजमान हैं। मंदिर से लगे कुंड का भी महत्व दुर्गाकुंड के रूप में है। देवी भागवत में भी इस मंदिर का उल्लेख है।

ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने वाली मां कूष्मांडा सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदि शक्ति हैं। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अण्डा अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अन्धकार ही अन्धकार परिव्याप्त था, तब इन्हीं देवी ने अपने 'ईषत' हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी। इनके पूर्व ब्रह्माण्ड का अस्तित्व नहीं था।

इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही है, इनके तेज की तुलना इन्हीं से की जा सकती है। अन्य कोई भी देवी-देवता इनके तेज़ और प्रभाव की समता नहीं कर सकते। इन्हीं के तेज़ और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रहीं हैं। ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में स्थित तेज़ इन्हीं की छाया है। इनकी आठ भुजाएं हैं,अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानी जाती हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डलु, धनुष, बाण, कमलपुष्प, अमृत कलश,चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है एवं इनका वाहन सिंह है यह भी कथा है कि शुम्भ-निशुम्भ के वध के बाद थकी देवी ने इस स्थान पर ही शयन किया था। उनके हाथ से उनकी असि जिस स्थान पर खिसकी, वह स्थान असि नदी के रूप में विख्यात हुआ। लिंग पुराण के अनुसार दक्षिण में दुर्गा देवी काशी क्षेत्र की रक्षा करती हैं।

एक मान्‍यता के अनुसार, इस मंदिर में स्‍थापित मूर्ति को मनुष्‍यों द्वारा नहीं बनाया गया है बल्कि यह मूर्ति स्‍वंय प्रकट हुई थी, जो लोगों की बुरी ताकतों से रक्षा करने आई थी। नवरात्रि और अन्‍य त्‍यौहारों के दौरान इस मंदिर में हजारों भक्‍तगण श्रद्धापूर्वक आते है। गैर-हिंदू को मंदिर के आंगन और गर्भगृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। इस मंदिर को बंदर मंदिर भी कहा जाता है क्‍यों कि इस मंदिर के परिसर में काफी संख्‍या में बंदर उपस्थित रहते है।

मंगलवार, 17 अक्टूबर 2023

नवरात्रि का तीसरा दिन: मां चंद्रघण्‍टा के मंदिरों में आस्था का सैलाब

चंद्रघंटा ही "काशी" में अपने  भक्तों को दिलाती हैं मोक्ष 

शेरावाली के जयकारे से गूंज उठी चौक की गलियां


Varanasi (dil India live).17.10.2023. शारदीय नवरात्रि का तीसरे दिन देवी मंदिरों में आस्था का सैलाब दिखाई दिया. इस मौके पर मां चंद्रघंटा के दर्शन-पूजा का विधान होने कि वजह से वाराणसी के चौक स्थित लक्खी चौतरा गली में देवी चंद्रघंटा मंदिर शेरावाली के जयकारों से गूंज उठा है. मंदिर परिसर से लेकर गलियों तक में देश भर से आए भक्तों की भारी भीड़ है. मां चंद्रघंटा का गुड़हल और बेले के फूल से श्रृंगार किया गया है.

मंदिर के वैभव योगेश्वर महंत ने बताया कि देवी चंद्रघंटा का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है. उनके मष्तक पर अर्ध चन्द्र सुशोभित है. इनके दशों भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र एवं हड्डियां हैं. काशी में मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति के प्राण निकलते हैं तो भगवती उनके कंठ में जाकर घंटी बजाती हैं, जिससे मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. नवरात्र के तीसरे दिन लोग भगवती की पूजा अर्चना करते हैं. जिसकी जैसी मनोकामनाएं होती है भगवती उसे पूरा करती हैं. उन्होंने आगे मां चंद्रघंटा मंदिर के विषय में बताते हुए कहा कि यह मंदिर प्राचीन है और इस मंदिर का उल्लेख काशी खंड में भी मिलता है.

नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्गा माता के तीसरे स्‍वरूप चंद्रघण्‍टा देवी की पूजा का विधान है। देवी भागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा का यह रूप शांति और समृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है। ऐसी मान्‍यता है कि चंद्रघण्‍टा देवी की पूजा करने से आपके तेज और प्रताप में वृद्धि होती है और समाज में आपका प्रभाव बढ़ता है। देवी का यह रूप आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि प्रदान करने वाला माना गया है। आइए नवरात्रि के तीसरे दिन आपको बताते हैं चंद्रघण्‍टा देवी की पूजाविधि, पूजा मंत्र और मां का नाम चंद्रघण्‍टा क्‍यों पड़ा।

ऐसे पड़ा चंद्रघण्‍टा नाम

मां दुर्गा का यह स्‍वरूप अलौकिक तेज वाला और परमशक्तिदायक माना गया है। माता के रूप में उनके मस्‍तक पर अर्द्धचंद्र के आका का घंटा सुशोभित है, इसलिए देवी का नाम चंद्रघण्‍टा पड़ा है। मां के इस रूप की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन सूर्योदय से पहले उठकर करनी चाहिए। मां की पूजा में लाल और पीले फूल का प्रयोग किया जाता है। उनकी पूजा में शंख और घंटों का प्रयोग करने से माता प्रसन्‍न होकर हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।

मां चंद्रघण्‍टा का रूप

अष्‍ट भुजाओं वाली मां चंद्रघण्‍टा का स्‍वरूप स्‍वर्ण के समान चमकीला है और उनका वाहन सिंह है। उनकी अष्‍टभुजाओं में कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि जैसे अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं। उनके गले में सफेद फूलों की माला और सिर पर रत्‍नजड़ित मुकुट शोभायमान है। मां चंद्रघण्‍टा सदैव युद्ध की मुद्रा में रहती हैं और तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं।

मां चंद्रघण्‍टा का भोग

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्‍टा की पूजा में केसर की बनी खीर का भोग लगाना सबसे अच्‍छा माना जाता है। मां के भोग में दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाने की परंपरा है। आप दूध की बर्फी और पेड़े का भी भोग लगा सकते हैं।

लाल रंग का महत्‍व

मां चंद्रघण्‍टा की पूजा में लाल रंग के वस्‍त्र पहनकर पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है. लाल रंग शक्ति और वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस रंग के व‍स्‍त्र धारण करने से आपके धन समृद्धि में वृद्धि होती है और आपके परिवार में संपन्‍नता आती है.

मां चंद्रघण्‍टा का पूजा मंत्र

"पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।

सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥

मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥"

मां चंद्रघण्‍टा की पूजाविधि

नवरात्रि के तीसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान कर लें और फिर पूजा के स्‍थान को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें. उसके मां दुर्गा की प्रतिमा को स्‍थापित करके मां के चंद्रघण्‍टा स्‍वरूप का स्‍मरण करें. घी के 5 दीपक जलाएं और फिर मां को लाल रंग के गुलाब और गुड़हल के फूल अर्पित करें. फूल चढ़ाने के बाद रोली, अक्षत और अन्‍य पूजन सामिग्री चढ़ाएं और मां का पूजा मंत्र पढ़ें. उसके बाद कपूर और घी के दीपक से माता की आरती उतारे और पूरे घर में शंख और घंटों की ध्‍वनि करें. पूजा के वक्‍त शंख और घंटी का प्रयोग करने से माहौल में सकारात्‍मकता बढ़ती है और नकारात्‍मक ऊर्जा का नाश होता है. पूजा के बाद मां को केसर की खीर का भोग लगाएं और मां से क्षमा प्रार्थना करके पूजा संपन्‍न करें. पूजा के बाद यदि आप चंद्रघंटा माता की कथा, दुर्गा चालीसा का पाठ करें या फिर दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें तो आपको संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है.

सोमवार, 16 अक्टूबर 2023

नवरात्रि के दूसरे दिन देवी मंदिरों में महिलाओं का हुजूम



ब्रह्मचारिणी देवी का दर्शन करने उमड़ा भक्तों का रेला 

Varanasi (dil India live). 16.10.2023. शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन वाराणसी समेत पूर्वांचल के देवी मंदिरों में महिलाओं व पुरुषों की भारी भीड़ उमड़ी. पहले दिन जहां मां शैलपुत्री का दर्शन पूजन हुआ था वहीं दूसरी ओर दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी का दर्शन पूजन हुआ.  ब्रह्मचारिणी देवी का दर्शन पूजन करने के लिए श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ा. मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर काशी के सप्तसागर (कर्णघंटा) क्षेत्र में लोग भोर से ही जुटे हुए थे. दुर्गा पूजा के क्रम में ब्रह्मचारिणी देवी का दर्शन-पूजन बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है. इसलिए सुबह से ही यहां भीड़ लगी हुई थी. काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी. श्रद्धालु लाइन में लगकर मां का दर्शन प्राप्त करते दिखाई दिए. श्रद्धालु मां के इस रूप का दर्शन करने के लिए नारियल, चुनरी, माला-फूल आदि लेकर श्रद्धा-भक्ति के साथ अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे.

होती है परब्रह्म की प्राप्ति

ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है. इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमंडल रहता है. जो देवी के इस रूप की आराधना करता है उसे साक्षात परब्रह्म की प्राप्ति होती है. मां के दर्शन मात्र से श्रद्धालु को यश और कीर्ति प्राप्त होती है.

पूरी होगी हर मनोकामना

यहां ना सिर्फ काशी बल्कि अन्य जिलों से भी लोग दर्शन एवं पूजन के लिए आते हैं. नवरात्रि पर तो इस मंदिर में लाखों भक्त मां के दर्शन करने के लिए आते हैं. ऐसी मान्यता है कि मां के इस रूप का दर्शन करने वालों को संतान सुख मिलता है. साथ ही वो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं।

रविवार, 15 अक्टूबर 2023

नवरात्रि : मां शैलपुत्री के मंदिर में उमड़ा जनसैलाब




Varanasi (dil India live). 15.10.2023. रविवार से पवित्र नवरात्रि शुरू हो गया है. इस दौरान पहले ही दिन देवी मंदिरों में भक्तों का हुजूम सुबह से ही उमड़ा हुआ है. पहले दिन ख़ास कर मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना होती है. इसे देखते हुए मां शैलपुत्री के मंदिरों में जनसैलाब उमड़ा। जलालीपुरा पुराना पुल स्थित माता शैलपुत्री के दरबार में भोर से दर्शन पूजन शुरू हुआ. समाचार लिखे जाने तक एक लाख भक्तों ने यहां दर्शन पूजन कर लिया था.

नवरात्रि भारत में सबसे शुभ और मनाए जाने वाले हिंदू त्योहारों में से एक है. यह नौ दिनों का त्योहार है जो मां के शक्ति स्वरूप की आराधना करते हुए मनाया जाता है. पूरे भारत में नवरात्रि का पहला दिन बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि या महा नवरात्रि  अश्विन महीने में आती है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार सितंबर या अक्टूबर के दौरान आती है. यह आश्विन माह की प्रतिपदा (पहले दिन) को शुरू होती  है और आश्विन माह की नवमी को समाप्त होती है. इस वर्ष, शारदीय नवरात्रि 15 अक्तूबर, 2023 को शुरू हुई और 24 अक्तूबर को समाप्त होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार दिनांक 15 अक्तूबर को शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दौरान सर्वप्रथम घटस्थापना की जाती है और फिर  मां दुर्गा का आह्वान, स्थापन और प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. तदोपरांत मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र और भोग के बारे में-

पूजा विधि

सबसे पहले मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर केशर से 'शं' लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। तत्पश्चात् हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें.

मंत्र इस प्रकार है

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:.

मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प मनोकामना गुटिका एवं मां के तस्वीर के ऊपर छोड़ दें. इसके बाद प्रसाद अर्पित करें तथा मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें. इस मंत्र का जप कम से कम 108 करें.

मां शैलपुत्री का स्वरूप 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। इनका जन्म शैल अर्थात पत्थर से हुआ था जिसके कारण इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. मां अपनी भक्तों की प्रार्थना सुनने बैल पर सवार होकर आती हैं और एक हाथ में कमल का पुष्प व दूसरे में त्रिशूल धारण करती हैं.

काशी में है मां शैलपुत्री का मंदिर, दर्शन मात्र से ही कष्टों से मिलती है मुक्ति

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत के पहला दिन होने के चलते आज के दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. शिव नगरी 'काशी' के  जलालीपुरा क्षेत्र में माता शैलपुत्री का मंदिर स्थित है. नवरात्रि के दिनों में माता के दरबार में भक्तों की काफी भीड़ देखी जाती है. कहा जाता है कि नवरात्रि में पहले दिन माता के दर्शन करने से भक्तों को विवाह संबंधी परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है और भक्तों की मन्नतें भी पूरी हो जाती है. 

मां शैलपुत्री का इतिहास

इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जब माता पार्वती ने हिमवान की पुत्री के रुप में जन्म लिया था तो वे शैलपुत्री कहलाई थीं। मंदिर को लेकर एक और किवदंती है कि एक बार माता भगवान शिव से नाराज होकर कैलाश से काशी आ गई थीं और जब भगवान भोलेनाथ उन्हें मनाने के लिए काशी आए तब माता ने कहा कि उन्हें यह स्थान काफी अच्छा लग रहा है और यह कहकर माता यही रूक गई, जो आज तक अपने भक्तों को दर्शन देती आ रही हैं और मुरादें भी पूरी करती आ रही हैं.

माता शैलपुत्री मंदिर का आकर्षण

इस मंदिर में प्रवेश करते ही आपको एक अलग ही अनुभूति होगी, जो शायद आपने कभी ना की हो. माता का मंदिर भी काफी सुंदर है. इस मंदिर में माता की दिन बार आरती की जाती है। इसके साथ ही माता को चढ़ावे के रूप में चुनरी और नारियल चढ़ाया जाता है. माता का वाहन वृषभ होने के कारण मां वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं.

कौन हैं मां शैलपुत्री?

दुर्गाजी पहले स्वरूप में ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं. येे नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री भी कहा जाता है. पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा. नवरात्रि के प्रथम दिन योगी अपने मन को ‘मूलाधार’ चक्र में स्थित करते हैं और यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है.

माता शैलपुत्री की कथा

राजा प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया, जिसमें शंकरजी को निमंत्रित नहीं किया गया था. इस बात की जानकारी सती को हुई, तो उनका मन विकल हो उठा. उन्होंने भगवान शिव को इस बारे में बताया. तब शंकर जी ने कहा कि प्रजापति दक्ष उनसे किसी कारण से नाराज हैं, इसलिए यज्ञ में नहीं बुलाए हैं. बिना निमंत्रण वहां जाना ठीक नहीं है.

सती नहीं मानीं और उस यज्ञ में चली गईं. वहां जाने पर उनको अपनी गलती का एहसास हुआ क्योंकि सभी लोग उनको अनदेखा कर रहे थे, कोई ठीक से बात भी नहीं कर रहा था. मां ने बस प्रेम से उनको गले लगाया. लोगों के इस व्यवहार से सती और दुखी हो गईं.

वहां पर उनका और उनके पति भगवान शंकर का तिरस्कार हो रहा था. दक्ष ने उनको कटु वचन भी बोले. तब सती का मन क्रोध से भर गया. शिव जी के रोकने के बाद भी वह अपने पिता के यज्ञ में शामिल होने आई थीं. क्रोध और ग्लानि के वशीभूत उन्होंने स्वयं को उस यज्ञ की अग्नि में जलाकर भस्म कर दिया.

इससे शंकर जी भी उद्वेलित हो गए और उन्होंने उस यज्ञ को भी तहस नहस कर दिया. फिर वही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लीं. वही ‘शैलपुत्री’ नाम से विख्यात हुईं. उनको पार्वती और हैमवती नाम से भी जाना जाता है.

मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व

नवरात्रि की प्रथम देवी मां शैलपुत्री हैं. आज पूरे दिन मां शैलपुत्री का ध्‍यान करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है. उनकी कृपा से भय दूर होता है, शांति और उत्साह मिलता है. वे अपने भक्तों का यश, ज्ञान, मोक्ष, सुख, समृद्धि आदि प्रदान करती हैं. उनकी आराधना करने से इच्छाशक्ति प्रबल होती है.

मां शैत्रपुत्री पूजन मंत्र

वन्दे वांच्छितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌॥वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌॥

याशिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी।पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी रत्नयुक्त कल्याणकारीनी.

मां शैलपुत्री पूजा विधि

आज सबसे पहले घटस्थापना और पूजन संकल्प के बाद मां शैलपुत्री की पूजा करें. उनको अक्षत्, सफेद फूल, सिंदूर, धूप, दीप, गंध, फल, मिठाई आदि अर्पित करें. इस दौरान उनके पूजन मंत्र का उच्चारण करें और माता शैत्रपुत्री की कथा पढ़ें. माता शैल.पुत्री को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं या फिर गाय के घी का भी भोग लगा सकते हैं. इसके बाद घी के दीपक से मां शैत्रपुत्री का आरती करें. पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना मंत्र से करें. मां से पूजा में कमियों और गलतियों के लिए माफी मांग लें. उसके बाद मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.

नारी सुरक्षा जागरूकता सम्मान रैली निकली

पढ़ी लिखी नारी,घर घर की उजियारी...



Varanasi (dil India live). विकास खंड चिरईगांव के गौराकलां प्राथमिक विद्यालय से मिशन शक्ति के चौथे चरण के अंतर्गत नारी सुरक्षा सम्मान एवं स्वावलंबन के प्रति विद्यालय की बेटियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता रैली प्रिंसिपल आरती देवी के नेतृत्व में निकाली गई।स्कूल के बच्चे, शिक्षक, अभिभावक जागरूकता रैली को स्कूल से प्रारंभ होकर गांव के विभिन्न रास्तों से होते हुए तख्तियों पर लिखे नारा, पढ़ी लिखी नारी, घर घर की उजियारी...व, नारी का सम्मान करना पुरुषों का काम है, रावण तो कल भी बदनाम था आज भी बदनाम है...। शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास, रौनकें जितनी यहां हैं औरतों के दम से हैं। समानता का अधिकार पाएं, महिलाएं अब आगे आएं। खुशी खुशी लगाते हुए चल रहे थे। रैली स्कूल के प्रांगण में संगोष्ठी में तब्दील हो गई।

         इस अवसर पर अटेवा के ज़िला उपाध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक ने अपना विचार रखते हुए कहा कि महिला जिसे स्त्री नारी औरत वोमेन जैसे अनेक नाम से पुकारा जाता है पहले के समय से तुलना करें तो अब महिलाओं की स्तिथि में काफी सुधार हुआ आज की महिलाएं शिक्षक,चिकित्सक,खिलाड़ी, वैज्ञानिक, लीडर इत्यादि अधिक संख्या में बन रही हैं, इस प्रकार उन्होंने परिवार और समाज में एक प्रतिष्ठित पद के लिए अपना स्थान बना लिया है। प्रिंसिपल आरती देवी ने कहा कि हमारे समाज में महिला सशक्तिकरण के अनेक प्रयास किए जा रहे हैं जो कि महिलाओं की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए काफी महत्वपूर्ण है,महिलाएं किसी भी कार्य में पुरुषों से पीछे नहीं हैं।उन्हें सिर्फ जागरूक होने की आवश्यकता है। स्त्री ईश्वर की वह सबसे खूबसूरत रचना है जो की प्रकृति को चलाने में अग्रिम भूमिका निभाती है,लेकिन यह भी एक कटु सत्य है कि हमेशा पुरुषों के आगे एक स्त्री को भेदभाव,हिंसा,बुरा बर्ताव का सामना भी करना पड़ता है।

कार्यक्रम के दौरान 1090 वूमेन पावर हेल्पलाइन,181 महिला हेल्पलाइन,112 पुलिस सहायता,102 स्वास्थ्य सेवा,108 एंबुलेंस सेवा आदि के बारे में विस्तार से बताया गया। इस अवसर पर प्रिंसिपल आरती देवी, ग्रामप्रधान राजेश कुमार राजू, अटेवा के ज़िला उपाध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, वंदना पांडेय, अनीता सिंह, शशिकला, प्रमिला सिंह, ज्योति कुमारी, शक्ति कुमारी, त्रिलोकी सहित अभिभावकगण, छात्र एवं छात्राएं भारी संख्या में उपस्थित थे।

गौरीगंज में इल्म, इंसानियत व नबी की तालीम पर उलेमा ने डाली रौशनी

बज़्म रबीउन नूर व जश्न मुजाहिदे मिल्लत के जलसे में उलेमा की हुई तकरीर



Varanasi (dil India live). अंजुमन तबलीग अहले सुन्नत व दावते नमाज की ओर से गौरीगंज चौराहे पर बज़्म रबी उननूर व जश्ने हुजूर मुजाहिदे मिल्लत का दो दिनी जलसे में उलेमाओं ने जहां नबी की जिंदगी, इल्म और मुल्क में अमन और मिल्लत पर रौशनी डाली वहीं हुजूर मुजाहिदे मिल्लत की दीनी ख़िदमात पर भी तजकरा चला। उलेमा ने कहा कि हुजूर मुजाहिदे मिल्लत ने इल्म और दीन की जो शमां रौशन की थी, उससे तमाम लोग आज न सिर्फ फायदा उठा रहे हैं बल्कि रहती दुनिया तक फायदा उठाते रहेंगे। इस दौरान शायरों ने नातिया कलाम से लोगों को देर रात तक बांधे रखा। जलसे की सदारत शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब कर रहे थे। लोगों का स्वागत हाजी गुलाम गौस ने दिया। काली शाहबुद्दीन की नात को लोगों ने पसंद किया.

शनिवार, 14 अक्टूबर 2023

Prayagraj के स्वावलंबन मेले में 'हुनर ए बनारस' की धूम

बनारस की खुशबू से महका प्रयागराज का मेला स्थल 


Prayagraj (dil India live). भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा प्रयागराज में आयोजित स्वावलंबन मेला में साई इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, वाराणसी द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर पर अर्पित फूलों से निर्मित अगरबत्ती, धूप, कोन, हवन कप के साथ साथ दीवाली के गिफ्ट आदि के स्टाल लगाए गए हैं। मेले में हुनर ए बनारस की धूम रही। मेला स्थल बनारस की खुशबू से महक उठा। अगरबत्ती और धूप की सुगंध लोगों को अपनी ओर खींच रही थी।

इससे पहले स्टॉल का शुभारंभ प्रयागराज के मेयर गणेश केशरवानी द्वारा किया गया। उक्त अवसर पर व्यापार मंडल, प्रयागराज के अध्यक्ष सुशील खरबंदा, सिडबी, लखनऊ के सहायक महाप्रबंधक नीरज भल्ला, प्रयागराज सिडबी के मैनेजर शशांक कुमार,  शोभित अग्रवाल आदि लोग उपस्थित रहे।

शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023

Media की जिम्मेदारी है सामाजिक ताने बाने को बनाये रखना: सुमित अवस्थी

सांस्कृतिक अध्ययन पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी




Varanasi (dil India live). 13.10.2023. वरिष्ठ टीवी पत्रकार सुमित अवस्थी ने शुक्रवार को डीएवी पीजी कॉलेज में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा कि सामाजिक ताने बाने को बनाये रखने का दायित्व मीडिया का रहा है। धीरे धीरे सोशल मीडिया के बढ़ते दायरे ने उस ताने बाने को बिगाड़ने में ज्यादा भूमिका निभाई। वे डीएवी में अंग्रेजी विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'सांस्कृतिक अध्ययन : भाषा, साहित्य एवं मीडिया विषय पर आयोजित संगोष्ठी के समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। 

उन्होंने कहा की अपने व्यक्तित्व को उठाना है कि तो हमें व्यक्तिवादी सोच से ऊपर उठना होगा। भाषा, साहित्य और मीडिया तीनों एक दूसरे के पूरक है। मीडिया में बदलते दौर के साथ चुनौती और बढ़ गयी है, तकनीक के साथ हमे खुद को बदलना होगा। बदलती तकनीक का उपयोग हमें सकारात्मक रूप में कर समाज के लिए कुछ बेहतर करने की दिशा मे करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारिता के गिरते मूल्यों को छोटे शहर के पत्रकारों ने अब भी बचा कर रखा है। 

विशिष्ट वक्ता पौलेण्ड, अंग्रेजी भाषा विश्वविद्यालय से आये डॉ. लुकाज बरेंसकी ने कहा कि पोलिश साहित्य के अनुवाद से हमने सांस्कृतिक विभिन्नताओं को जाना और समझा। यह साहित्य और मीडिया का ही लाभ है जिसमें हम उन देशों की संस्कृति और विरासत को समझ पाते है जिनकी भाषा हमसे इतर है। विशिष्ट वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर कृष्ण मोहन पाण्डेय ने कहा कि मीडिया के बढ़ते प्रभाव के दौर में विचारों की स्वतंत्रता अत्यंत आवश्यक है। स्वतंत्र विचारों से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है। मीडिया को बंधन में रखना लोकतंत्र के लिए उचित नही है। अध्यक्षता महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य प्रो. सत्य गोपाल ने किया। इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत डॉ. इंद्रजीत मिश्रा ने किया। संचालन डॉ. महिमा सिंह ने किया।

वक्ताओं में ये भी रहे शामिल

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. अनुराग दवे ने भारतीय सिनेमा में हुए बदलाव पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। उनके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. वरुण गुलाटी ने भारत के संदर्भ में, मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रो. सुधीर नारायण सिंह ने सांस्कृतिक अध्य्यन के प्रारंभिक दौर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राहुल चतुर्वेदी ने प्रशंसक संस्कृति पर प्रकाश डाला।

इनकी रही सहभागिता 

संगोष्ठी में देश विदेश के लगभग 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। नेपाल, रूस, यूक्रेन के अलावा ब्रिटेन के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में डीएवी कॉलेज के उपाचार्य प्रो. समीर पाठक, डॉ. राहुल, डॉ. विजय नाथ दुबे, डॉ. संगीता जैन, डॉ. वंदना बालचंदनानी, साकेत मिश्रा, संस्कृति पाण्डेय आदि सहित समस्त अध्यापक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...