मंगलवार, 25 जनवरी 2022

राष्ट्रीय बालिका दिवस

बेटियों को कानूनी अधिकारों के प्रति किया जागरूक


वाराणसी, 25 जनवरी(dil india live)। राष्ट्रीय बालिका दिवस पर सोमवार को जिले में जागरुकता कार्यक्रमों  का आयोजन किया गया। इनमें किशोरियों को उनके क़ानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ ही हितकारी योजनाओं के बारे में  भी उन्हें अवगत कराया गया।

सारनाथ स्थित डेयर बालिका गृह में आयोजित जागरुकता शिविर में  बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा  सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने का उद्देश समाज में लोगों को बेटियों के प्रति जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि एक दौर ऐसा भी था, जब बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता था। लड़कियों का बाल-विवाह भी करवाया जाता था। इसे रोकने के लिए ही सरकार ने कानून बनाया। अब समय बदल चुका है। आज बेटियों के गर्भ में आने से लेकर जन्म लेने और फिर बड़े होने तक, उनकी सुरक्षा के लिए कानून हैं। बेटियां अब बिना डरे ही समाज के हर क्षेत्र में मुकाबला कर रही हैं। उनको हर क्षेत्र में लड़कों के बराबर ही हक दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक किशोरी को इन कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए ताकि उनका कोई शोषण न कर सके। उन्होंने कहा कि ऐसे तमाम अवसर होते हैं  जब बच्चियां लोक-लाज के भय से अपने साथ हो रहे शोषण पर मौन रह जाती हैं । नतीजा होता है कि वह दलदल में फंसती जाती हैं  और एक समय ऐसा भी आता है कि उनका जीवन बर्बाद होने की स्थिति में आ जाता है। ‘गुड टच व बैड टच’ के बारे में समझाते हुए उन्होंने कहा कि यदि आप को लगता है कि ऐसा कर रहे व्यक्ति की मंशा ठीक नहीं है तो तत्काल विरोध करें। इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर कानून का सहारा लें।

उन्होंने शिविर में शामिल किशोरियों से कहा कि उन्हें अपनी पढ़ाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हम जितने ही शिक्षित होंगे, उतने ही अपने अधिकारों, कानूनों की जानकारी हासिल कर सकेंगे। शिविर में शामिल किशोरियों को उन्होंने पाक्सो एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह एक्ट किस तरह से उनकी सुरक्षा करता है। उन्होंने बाल कल्याण समिति और विभाग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह विभाग उनकी सुरक्षा के लिए खास तौर पर काम करता है और जरूरत  पड़ने पर वह कभी भी इसकी मदद ले सकती हैं।  शिविर में शामिल पंचक्रोशी की रहने वाली रीना ने बताया कि यहां आने से उसे कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलीं  । अकथा की सुनीता ने कहा कि शिविर में शामिल होने से उन्हें  अपने अधिकारों के बारे में पता चला। शिविर में फादर अभिसिक्तानंद व सिस्टर मंजू समेत अन्य लोगों ने विचार व्यक्त किया।


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