मी टू छवि खराब करने का मंच नहीं, एक आन्दोलन
Varanasi (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में संचालित जेन्डर एवं सोसाइटी कोर्स के अन्तर्गत शनिवार को समसामयिक लैंगिक विमर्शः मी टू से जुड़े मिथकों पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता एमिटी विश्वविद्यालय, पटना में अंग्रेंजी विभाग की असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ. अरूंधति शर्मा ने मी टू सिर्फ एक शब्द नही है और ना ही यह किसी शख्शियत की छवि को खराब करने का जरिया बल्कि यह एक आन्दोलन है जिसका उद्देश्य समाज में सफेदपोश का नकाब ओढ़कर अनैतिक कृत्य को अंजाम देने वालो को बेनकाब करना है।
समाज में यह भ्रान्ति फैल गयी है कि मी टू आन्दोलन सिर्फ पुरूषों को बदनाम करने के लिए चलाया जाता है बल्कि वास्तविकता इससे उलट है। मी टू केवल महिलाओं की आवाज तक सीमित नही है, इस मंच का प्रयोग पुरूष भी अपने विरूद्व हुए लैंगिक उत्पीड़न के लिए करते है। डॉ. अरूंधति ने यह भी कहा कि हालांकि मी टू आन्दोलन उन महिलाओं के लिए बड़ा हथियार बन पाया जो समाज में सार्वजनिक रूप से अपने विरूद्ध हुए उत्पीड़न को व्यक्त नही कर सकती थी।
अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. विक्रमादित्य राय ने कहा कि आरंभ से ही मी टू को महिलाओं से ही जोड़ कर देखा गया है, यह सिर्फ एकपक्षीय आवाज नही है वरन पुरूष भी इस मंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे है। संचालन डॉ. सुष्मिता शुक्ला एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नेहा चौधरी ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. हसन बानो, डॉ. सुषमा मिश्रा सहित अन्य अध्यापक, शोधार्थी, एवं छात्र - छात्राएं शामिल रहे।
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