सोमवार, 9 जून 2025

Mirzapur main Varanasi के चार युवक डूबे, दो लापता

औरंगाबाद के है रहने वाले, दो को बचाया गया, रेती पर माैज-मस्ती पड़ गई भारी

सरफराज/रिजवान 

Mirzapur (dil India live). चुनार थाना क्षेत्र के बहरामगंज स्थित कोल्हुआं घाट पर सोमवार शाम गंगा में नहा रहे छह साथियों में चार गंगा में डूबने लगे। दो को उनके साथ आए मित्रों ने बचा लिया पर दो गंगा में डूब गए। मौके पर गोताखोर व पुलिस डूबे युवकों की तलाश कर रही है। 

वाराणसी के लल्लापुरा इलाके के चार दोस्त शनि (28), शहबाज (19), साजिद (19) और छोटू (20) चुनार घूमने आए थे। शाम को ये चारों चुनार के दरगाह शरीफ के रहने वाले अपने मित्र विक्की चौरसिया व बहरामगंज के राकेश के साथ नहाने के लिए कोल्हुआ घाट गए। जहां सभी नाव से गंगा के बीच में पड़ी रेती पर चले गए वहां पहुंच कर गंगा में नहाने लगे। 

नहाने के दौरान पानी की गहराई का अंदाजा न होने के कारण चारों डूबने लगे। इनमें से साजिद व छोटू को किसी तरह विक्की व राकेश ने बचा लिया, लेकिन शनि और शहबाज गहरे पानी में जाने से डूब गए। घटना की जानकारी होते ही आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और सूचना पुलिस को दिया। 

मौके पर कोतवाल रवींद्र भूषण मौर्य, हल्का इंचार्ज राजेश रमण राय के साथ पहुंच गए और उन्होंने इसकी सूचना डूबे युवकों के परिजनों को दी। इसके साथ ही मौके पर स्थानीय गोताखोरों को भी पुलिस द्वारा बुलवाया गया है। दो युवकों की तलाश चल रही है। चारों युवक दो बाइक से आए थे।

Varanasi Nagar Nigam अधिकारियों ने तैयार किया सफाई के लिए अनोखा प्लान

सड़क पर कूड़ा कोई फेंकें आप फोटो भेजकर पाएं रुपये 500 इनाम

Sarfaraz Ahmad/Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live). यूपी के वाराणसी जिले में सफाई को लेकर नगर निगम ने एक अनोखा प्लान तैयार किया है। इस प्लान के तहत वाराणसी नगर निगम लोगों को सुधारने के लिए आम नागरिकों की ही मदद की ओर एक कदम बढ़ाया है। कार्यकारिणी की बैठक में आए प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही इस 'स्मार्ट काशी ऐप' के जरिए इंप्लीमेंट करने की तैयारी की जा रही है। इसके योजना के तहत गंदगी फैलाने वाले, कूड़ा फेंकने वाले और साफ-सुथरी सड़कों को गंदा करने वालों पर पब्लिक का ही मदद ली जाएगी। बदले में नगर निगम के मददगार को कैश इनाम दिया जाएगा। 

नगर निगम वाराणसी के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि पिछली कार्यकारिणी की बैठक में पार्षद श्याम आश्रय मौर्य की तरफ से एक प्रस्ताव लाया गया था। यह प्रस्ताव था 'फोटो भेजो और इनाम पाओ'। इसको लेकर अधिकारियों ने पूरा प्लान तैयार कर लिया है। जिसके बाद वाराणसी नगर निगम के स्मार्ट काशी ऐप के जरिए इसको लिंक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति मोहल्ले में गंदगी करने वाले, कचरा फेंकने वाले, इधर-उधर थूकने वाले या फिर खुले में शौच या अन्य किसी भी तरह की गंदगी फैलाने वाले की तस्वीर स्मार्ट काशी ऐप पर अपलोड करता है तो उसका नाम पता गुप्त रखते हुए उसके यूपीआईडी नंबर पर 500 रुपये का इनाम भेजा जाएगा।

उन्होंने बताया कि इनाम मिलने के बाद जो व्यक्ति गंदगी करता हुआ कमरे में कैद होगा उसके खिलाफ कार्रवाई करते हुए स्थानीय सुपरवाइजर की मदद से उसका चालान भी किया जाएगा। जिसके एवज में उसे 100 रुपये से लेकर ढाई हजार रुपये तक के चालान की राशि का भुगतान करना पड़ेगा।

दरअसल यह अलग-अलग मद में डिसाइड है कि किस नियम की अनदेखी पर किस तरह का चालान होगा। ऐसे में यह प्रक्रिया आम नागरिकों को जोड़ते हुए जनता की मदद से ही सुधार की दिशा में आगे बढ़ाई जाएगी। यह कार्य पहले इंदौर व अन्य कई शहरों में लागू किया गया, जिसका अच्छा रिस्पांस भी मिला।

Varanasi में प्रबन्ध निदेशक Office पर बिजली के निजीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन

बनारस के बिजली कर्मचारी कल जनजागरण के द्वितीय चरण में पन्नालाल पार्क पर करेंगे सभा 

बिजली कर्मचारियों का ऐलान

उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण का टेंडर होते ही पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे: 02 जुलाई को उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के समर्थन में देश के सभी जनपदों में व्यापक विरोध प्रदर्शन होंगे : 09 जुलाई को देश के बिजली कर्मी उप्र में निजीकरण के विरोध में राष्ट्र व्यापी हड़ताल करेंगे।

  • sarfaraz Ahmad 

Varanasi (dil India live)।  विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले आज भिखारीपुर स्थित प्रबन्ध निदेशक कार्यालय पर दोपहर-2 बजे से 5 बजे तक बनारस के बिजलीकर्मियो ने बिजली के निजीकरण के विरोध में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। कल से जनजागरण सभा बनारस के अलग-अलग क्षेत्रो में किये जाने के तारतम्य में कल 33 / 11 के.वी. विद्युत उपकेंद्र पन्नालाल पार्क पर जनजागरण सभा किया जाएगा। यह सभा शाम 3 बजे से जनजागरण सभा किया जाएगा जिसमें उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि एवं व्यापार संगठन के पदाधिकारियों एवं अन्य को सम्मिलित किया जाएगा।

 

अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी 

 वक्ताओ ने बताया कि वर्तमान में चर्चा का विषय है कि बिजली के फाल्ट समय से दूर नही हो रहे है और जनता को परेशानी हो रही लेकिन इसका मुख्य कारण हमारे पुर्वांचल के पूर्व निदेशक कार्मिक थे जिन्होंने पूरे पुर्वांचल के सभी वितरण खंडों में संविदाकर्मियों की संख्या को कम कर दिया था जिसके कारण फील्ड के अधिकारी राजस्व वसूली  को प्राथमिकता देते हुए राजस्व वसूली में कर्मचारियों को लगा दिए है किंतु स्थिति ये है कि 10 हजार उपभोक्ताओं को प्रत्येक शिफ्ट में 6-9संविदाकर्मियों द्वारा राजस्व वसूली के साथ लाइन अनुरक्षण का कार्य संपादित किया जा रहा है जिससे बनारस जैसे माननीय प्रधानमंत्री जी के क्षेत्र में ही वर्तमान में पूर्व के साल से लगभग 400-500संविदाकर्मियों को निकाल दिया गया है जिसके कारण बिजली के मरम्मत होने में काफी समय ल जा रहा है। 

   वक्ताओ ने बताया कि प्रबन्ध निदेशक पुर्वांचल को संघर्ष समिति पुर्वांचल कमेटी द्वारा पत्र के माध्यम से 5 सूत्रीय मांग पत्र लगभग 2 महीने से दिया गया है किंतु उनके द्वारा समस्याओं का समाधान तो दूर की बात बल्कि संघर्ष समिति से द्विपक्षीय वार्ता हेतु भी आज तक पत्र नही जारी किया गया। जिसके कारण कर्मचारियों में लगातार नाराजगी बढ़ती जा रही है और एक दिन बड़े आंदोलन होने की संभावना से इनकार भी नही किया जा सकता है।

  वक्ताओ ने बताया कि आज  नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की बैठक में  निजीकरण के विरोध में 194 दिन से लगातार  उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन की सराहना की गयी और पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं के दमन की निंदा की। यह भी चेतावनी दी गई कि यदि बिजली कर्मियों का दमन न रुका तो देश के तमाम 27 लाख बिजली कर्मी मूक दर्शक नहीं रहेंगे और लोकतांत्रिक ढंग से इसके विरोध में आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार की होगी साथ ही कोऑर्डिनेशन कमिटी ने यह भी निर्णय लिया कि उत्तर प्रदेश में चल रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में आगामी 02 जुलाई को पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।  

       कोऑर्डिनेशन कमेटी ने यह भी निर्णय लिया कि  पूरे देश में खासकर उप्र में चल रही बिजली की निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में आगामी 09 जुलाई को देशभर के तमाम  बिजली कर्मी  निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे।

     वक्ताओ ने बताया कि आज नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने केंद्र सरकार से मांग की है कि किसानों, आम घरेलू उपभोक्ताओं और गरीब उपभोक्ताओं के व्यापक हित में केंद्र सरकार तत्काल हस्तक्षेप कर उत्तर प्रदेश में चल रही बिजली की निजीकरण की प्रक्रिया को निरस्त कराए।

   सभा की अध्यक्षता ई. नरेंद्र वर्मा ने एवं संचालन सौरभ श्रीवास्तव ने किया। सभा को सर्वश्री ई. मायाशंकर तिवारी, ई. के.के. ओझा, ई. प्रीति यादव, ई. रुचि कुमारी, अलका कुमारी, प्रमोद कुमार, अंकुर पाण्डेय, संदीप कुमार, रंजीत पटेल, विजय नारायण हिटलर, सुनील कुमार, मनोज यादव, हेमंत श्रीवास्तव आदि ने संबोधित किया।

Varanasi main NSUI का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर 'Buniyad' का हुआ आगाज़

नेतृत्व निर्माण की नींव रखता एनएसयूआई का "बुनियाद" प्रशिक्षण शिविर




Varanasi (dil India live). वाराणसी में आज एनएसयूआई यूपी ईस्ट द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नेतृत्व निर्माण शिविर “बुनियाद” का आगाज़ हुआ। इस प्रशिक्षण शिविर का उद्देश्य युवाओं में वैचारिक स्पष्टता, संगठन कौशल और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सजगता का विकास करना है।

शिविर की शुरुआत सेवादल टीम द्वारा ध्वजारोहण के साथ हुई, जिसके बाद दिवाकर सिंह द्वारा प्रशिक्षण विषय और सदस्यों का परिचय सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में सदस्यों ने शिक्षा, राजनीति, रुचियों और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में परिचय देकर आपसी संवाद को मजबूत किया। वैचारिक सत्र में डॉ. सौरभ बाजपेयी ने “गांधी और नेहरू के ‘आइडिया ऑफ इंडिया’” पर खुला संवाद आयोजित किया, जहां कांग्रेस की विचारधारा और आज के भारत में उसकी संभावनाओं पर चर्चा हुई।


इसके बाद पत्रकार और लेखक पियूष बबेले ने 'गाँधी, भगत, अम्बेडकर, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस और नेहरू' पर हो रहे भ्रामक प्रचारों के विरुद्ध तथ्यात्मक समझ प्रस्तुत की। सामाजिक न्याय और संगठन निर्माण पर मनीष शर्मा ने संवाद किया, जबकि संतोष ने नई शिक्षा नीति की आलोचनात्मक समीक्षा की। शिविर के अंतर्गत आरटीआई, आरटीई, मनरेगा, खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे कानूनों पर भी जानकारी दी गई, जिसमें बल्लभ ने सटीक और सरल व्याख्या की।


शाम के सत्र में इंदु और टीम द्वारा लैंगिक मुद्दों पर एक फिल्म प्रदर्शन और विमर्श आयोजित किया गया, जिसने प्रतिभागियों को संवेदनशील और समावेशी दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रेरित किया। प्रशिक्षण शिविर के दौरान पूर्व एमएलसी दीपक सिंह, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के उपाध्यक्ष विश्व विजय सिंह, ज़िलाध्यक्ष राजेश्वर सिंह पटेल, कांग्रेस पार्षद प्रिंस राय खगोलन, शिक्षक नेता संजय राय प्रियदर्शी ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विकास सिंह और धन्यवाद ज्ञापन भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के उत्तर प्रदेश पूर्वी अध्यक्ष ऋषभ पाण्डेय ने किया।

Varanasi main Sports City व टाउनशिप को लेकर विरोध

सड़क चौड़ीकरण में मनमानी के विरोध में तीसरे दिन भी आंदोलन जारी 

ग्रामीणो ने किया प्रदर्शन, अधिकारियों पर मनमानी का लगाया आरोप

  • Mohd Rizwan

Varanasi (dil India live). अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम गंजारी और आसपास के गाँवों में प्रस्तावित सड़क चौड़ीकरण व स्पोर्ट सिटी और टाउनशिप में भूमि अधिग्रहण में हो रही कथित मनमानी के खिलाफ तीसरे दिन सोमवार को भी ग्रामीणों ने यहाँ के एक बाग में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि व पूर्वांचल किसान यूनियन के अध्यक्ष योगीराज सिंह पटेल के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में नागरिकों ने शासन प्रशासन का खिलाफत करने हुए नारेबाज़ी कर अपनी नाराजगी जताई।


प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि विभाग सड़क चौड़ीकरण और स्पोर्ट् सिटी व टाउनशिप के लिए जमीन अधिग्रहण में मनमानी कर रहा है। दस मीटर की निर्धारित चौड़ाई के स्थान पर कही तेरह मीटर, कहीं चौबीस मीटर कहीं तीस मीटर तक जमीन ली जा रही है। इतना ही नहीं, चौड़ाई के मापदंडों में भी भेदभाव हो रहा है—कहीं सड़क ज्यादा चौड़ी बनाई जा रही है तो कहीं कम। इस मनमाने अधिग्रहण से यहां के कई गांव उजाड़ दिए जाएँगे।


अधिग्रहण लेकर अधिकारियों पर नाराजगी

नागरिकों का कहना है कि अधिग्रहण में पारदर्शिता का पूरी तरह अभाव है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इस मुद्दे पर संवाद के लिए तैयार नहीं है, जिससे लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

अधिग्रहण पारदर्शी और निष्पक्ष हो

प्रदर्शनकारियों ने मांग किया है कि अधिग्रहण पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से किया जाए। सड़क चौड़ीकरण के लिए निर्धारित दस व पन्द्रह मीटर के मानकों का सख्ती से पालन हो। बिना सहमति से अधिग्रहण न किया जाए अधिकारियों द्वारा नागरिकों की समस्याओं को सुना जाए और समाधान के प्रयास किए जाएं।

ज़िम्मेदारों की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। आंदोलनकारी नागरिकों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो प्रदर्शन को और तेज किया जाएगा। आंदोलन के दौरान राजातालाब एसडीएम शान्तून कुमार ने प्रदर्शनकारियों को तहसील बुलाकर ज्ञापन लिया और ठोस कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। 

अपना दल कमेरावादी ने दिया समर्थन

प्रदर्शन की अध्यक्षता हरसोस ग्राम प्रधान ओमप्रकाश सिंह पटेल व संचालन राजकुमार गुप्ता ने किया इस दौरान अपना दल कमेरावादी पार्टी ने प्रदर्शन का समर्थन किया। प्रदर्शन में योगीराज सिंह पटेल, राजकुमार गुप्ता, ओमप्रकाश सिंह पटेल, गगन प्रकाश यादव, दीलिप पटेल, राजेश पटेल, संजय पटेल, पारस नाथ, विनय कुमार, शशि कुमार, प्रदीप कुमार, लालजी, संजय, मनोज, विरेंद्र आदि सहित सैकड़ों लोग शामिल थे।

जानिए क्या है Government of India का विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025

किसानों को ड्रोन तकनीक पर दिया गया प्रशिक्षण 


Sarfaraz Ahmad 

Varanasi (dil India live). कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किसान कल्याण हेतु चलाये जा रहे देश-व्यापी कार्यक्रम 'विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025" में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के तत्वावधान में संचालित कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए निदेशक डॉक्टर राजेश कुमार ने बताया कि  संस्थान ने गत 11 दिनों (29 मई से 8 जून) में उत्तर प्रदेश के 6 जिलों में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। अभियान के दौरान आइआइ‌वीआर के 50+ वैज्ञानिकों की 18 विशेषज्ञ टीमों ने कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों एवं राज्य सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, संत रविदासनगर और कुशीनगर जिलों के 44,000+ किसानों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित किया। प्रतिदिन औसतन 4,400+ किसानों तक पहुंच के साथ यह अभियान कृषि विस्तार के क्षेत्र में एक नया मानदंड स्थापित कर रहा है।


अभियान में 36% महिला सहभागिता विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जो ग्रामीण महिलाओं के कृषि क्षेत्र में बढ़ते योगदान को दर्शाती है। प्रतिदिन 54 किसान संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से 15+ ब्लॉक के 65+ गांवों में धान की सीधी बुआई (DSR), IIVR की उच्च उत्पादन किस्में, एकीकृत कीट प्रबंधन, प्राकृतिक खेती, नैनो उर्वरक तकनीक, संरक्षित खेती, मूल्य संवर्धन, किचन गार्डनिंग, मशरूम खेती, मधुमक्खी पालन और ड्रोन तकनीक पर व्यापक प्रशिक्षण दिया गया। राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन के साथ तालमेल बिठाते हुए जैविक कीट नियंत्रण और रासायनिक निर्भरता कम करने पर विशेष जोर दिया गया।


जानिए क्या है मुख्य चुनौतियां 

मुख्य चुनौतियों में नीलगाय सहित वन्यजीवों से फसल सुरक्षा, जल संकट, सफेद मक्खी एवं जैसिड जैसे कीटों का प्रबंधन, बाजार पहुंच की कमी, गुणवत्तापूर्ण बीज की देर से आपूर्ति और सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव प्रमुख है। इन समस्याओं के तत्काल समाधान हेतु अल्पकालिक योजना में जैविक कीट नियंत्रण, फेरोमोन टैप का व्यापक प्रयोग, ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा, और प्रत्येक जिले में किसान उत्पादक संगठन (FPO) गठन शामिल है। मध्यकालिक योजना में सभी 6 जिलों में क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापना, मोबाइल मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला और 1000+ प्रगतिशील किसानों को कृषि उद्यमी बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

युवाओं के लिए रोजगार के अवसर 

यह अभियान  कृषि मंत्री की किसान आय दोगुनी करने, टिकाऊ कृषि, महिला सशक्तिकरण, तकनीक हस्तांतरण और जलवायु लचीली कृषि की दृष्टि के पूर्णतः अनुरूप है। 


IIVR की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता में राज्य सरकार के सहयोग से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग समूह स्थापित करना, 10,000+ ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करना और कार्बन-तटस्थ कृषि की दिशा में कार्य करना शामिल है। यह समृद्ध कृषक समुदाय निर्माण की दिशा में निरंतर वैज्ञानिक सहयोग प्रदान करने का संकल्प लेकर राष्ट्रीय कृषि विकास लक्ष्यों के साथ पूर्ण तालमेल बिठाता है।

बिजली के निजीकरण के खिलाफ हुई संघर्ष समिति की online meeting

बिजली कर्मचारियों की 22 जून को होगी महापंचायत

प्रबन्ध निदेशक कार्यालय पर कल होने वाला पूर्वांचल के बिजलीकर्मियों का विरोध स्थगित 


  • Sarfaraz Ahmad 

Varanasi (dil India live). बिजली के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कल भी आंदोलन जारी रहेगा। हालांकि कर्मचारियों ने भिखारीपुर स्थित प्रबन्ध निदेशक कार्यालय के घेराव की घोषणा की थी। लेकिन प्रबंध निदेशक से आश्वासन मिलने के बाद कर्मचारियों ने फिलहाल घेराव स्थगित कर दिया है। उधर, रविवार को संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों की ऑनलाइन हुई प्रांतस्तरीय बैठक में 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत की तैयारी की समीक्षा की गई। इस दौरान महापंचायत में रखे जाने वाले प्रस्ताव पर चर्चा हुई। उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मियों के समर्थन में आंदोलन का निर्णय लेने के लिए नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की कोर कमेटी की 09 जून को दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक होगी। संघर्ष समिति ने निजीकरण को लेकर पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन से आज 05 और सवाल पूछे।

बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की कोर कमेटी की 09 जून को दिल्ली में होनेवाली बैठक से पहले 06 महीने से उत्तर प्रदेश में चल रहे आंदोलन की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन के कार्यक्रम तय किए जाएंगे। कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज (एटक), इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (सीटू), इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (इंटक),  ऑल इंडिया पावर मेंस फेडरेशन और कुछ अन्य बिजली कर्मचारी संगठनों के राष्ट्रीय पदाधिकारी सम्मिलित होंगे। 

जानिए क्या है बैठक का मुख्य एजेंडा 

बैठक का मुख्य एजेंडा उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन को राष्ट्रव्यापी आन्दोलन बनाना और समर्थन देना है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रांतीय पदाधिकारियों की रविवार को ऑनलाइन मीटिंग हुई। इसमें निजीकरण के विरोध में विगत छह माह से चल रहे आंदोलन की समीक्षा की गई और आगामी 22 जून को लखनऊ में होने वाली किसानों, उपभोक्ताओं और बिजलीकर्मियों की महापंचायत की तैयारी और महापंचायत में रखे जाने वाले प्रस्तावों पर चर्चा की गई। इसमें सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर से संकल्प व्यक्त लिया कि छह माह तो कुछ भी नहीं है, निजीकरण के विरोध में आंदोलन फैसला होने तक चलता रहेगा। जब तक सरकार निजीकरण का फैसला पूरी तरह वापस नहीं लेती आंदोलन से पीछे हटने का सवाल ही नही उठता है। 

पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से पूछे गए ये सवाल 

प्रत्येक सप्ताह के शनिवार और रविवार को निजीकरण पर पावर कार्पोरेशन प्रबंधन से पूछे जाने वाले पांच प्रश्नों के क्रम में संघर्ष समिति ने प्रश्न पूछे हैं। प्रश्न यह है कि क्या निजी कॉरपोरेट घरानों की सहूलियत की दृष्टि से निजीकरण के पहले ही बड़े पैमाने पर लगभग 45 प्रतिशत संविदाकर्मियों को हटाया जा रहा है या हटा दिया गया है ? भीषण गर्मी में अनुभवी संविदाकर्मियों को हटाए जाने से क्या बिजली आपूर्ति प्रभावित नहीं हो रही है? क्या प्रबन्धन बिजली व्यवस्था बिगाड़ कर निजीकरण थोपना चाहता है? पूछा गया कि निजीकरण पर पॉवर कारपोरेशन द्वारा जारी frequently asked questions frequently asked questions प्रपत्र में लिखा है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण नहीं हो रहा है। अपितु पी पी पी मॉडल पर सुधार हेतु निजी क्षेत्र की भागीदारी  सुनिश्चित की जा रही है, जिसमें निजी क्षेत्र की 51प्रतिशत और सरकारी क्षेत्र की 49 प्रतिशत भागीदारी होगी जो लगभग बराबर ही है। प्रश्न यह है कि जिसकी 51प्रतिशत भागीदारी होती है उसका मालिकाना हक नहीं होता ? निजी क्षेत्र की 51प्रतिशत भागीदारी ग्रेटर नोएडा में है। क्या ग्रेटर नोएडा की कंपनी नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड निजी कंपनी नहीं है? इसके अलावा यह भी पूछा गया कि-पॉवर कारपोरेशन कह रहा है कि निजीकरण इसलिए किया जा रहा है क्योंकि घाटा बढ़ता जा रहा है। घाटे की भरपाई के लिए सरकार को सब्सिडी एवं लास फंड देना पड़ रहा है। यह बढ़ता ही जा रहा है और इस बोझ को अब आगे सरकार वहन नहीं कर सकती। लेकिन यह सही नही है, क्योंकि सब्सिडी को घाटा बताना और घाटे में जोड़ना एक बहुत गंभीर मामला है।

भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में जारी किए गए अपने संकल्प पत्र में लिखा था कि गरीबी की रेखा के नीचे रहने वालों को मात्र 03 रुपए प्रति यूनिट की दर पर बिजली दी जाएगी। इसकी सब्सिडी देना सरकार की बाध्यता है। सवाल है कि पॉवर कारपोरेशन स्पष्ट करे कि क्या निजीकरण के बाद सरकार सब्सिडी की धनराशि नहीं देगी ? यदि निजीकरण के बाद सरकार सब्सिडी की धनराशि देगी तो सरकारी क्षेत्र को यह धनराशि देना बोझ कैसे है? 51प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर निजीकरण करने से सुधार की क्या गारंटी है ? उड़ीसा में 1999 में चार विद्युत वितरण कंपनियां बनाकर निजी क्षेत्र को 51 प्रतिशत हिस्सेदारी दी गई थी। एक निजी कंपनी अमेरिका की ए ई एस कम्पनी ने चक्रवात में ध्वस्त हुए बिजली के नेटवर्क को बनाने से इनकार कर दिया और यह कंपनी एक साल बाद ही भाग गई। 16 साल बाद फरवरी 2015 में उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने सुधार में पूर्णतया विफल रहने के कारण अन्य तीनों विद्युत वितरण कंपनियों का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। क्या गारंटी है कि जो उड़ीसा में हुआ वह निजीकरण के बाद उत्तर प्रदेश में नहीं होगा ?  यह कि ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने ट्वीट किया है कि 2017 में 41प्रतिशत ए टी एंड सी हानियों से घटकर 2024 में ए टी एंड सी हानियां 

16.5 प्रतिशत रह गई हैं। यह उत्तर प्रदेश में बिजली सेक्टर में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बहुत बड़ा सुधार है। सवाल है कि ऊर्जा मंत्री इतने बड़े सुधार का दावा कर रहे हैं जो आंकड़ों की दृष्टि से सही भी है तो उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का एकसाथ निजीकरण क्यों किया जा रहा है ?