-ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को कोर्ट में मंदिर होने का दावा, याचिका स्वीकार
Ajmer (dil India live)। उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे का विवाद अभी थमा भी नहीं है कि दुनिया भर के सूफिज्म का मरकज कहे जाने वाले राजस्थान के अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने स्वीकार कर लिया है। ये वही ख़्वाजा मुईनुद्दीन हसन चिश्ती सरकार गरीब नवाज है जहां परम्परा रही है कि उर्स के मौके पर खुद प्रधानमंत्री की चादर चढ़ाई जाती है। दुनिया के कोने-कोने से जायरीन अमन और सुकुन की तालाश में ख़्वाजा के दर पर पहुंचते। उसी अजमेर दरगाह पर कोर्ट ने हिंदू सेना की ओर से याचिका स्वीकार कर ली है।
याचिका में महादेव का मंदिर होने का दावा किया गया है। ख्वाजा गरीब नवाज हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे से जुड़ी याचिका पर बुधवार को अजमेर पश्चिम सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अहम फैसला सुनाया। जज ने दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामला, कार्यालय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण धरहर भवन नई दिल्ली को समन नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। याचिका में कहा गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए। साथ ही दरगाह समिति के अनाधिकृत कब्जे को हटाया जाए।
गौरतलब हो कि संभल में जामा मस्जिद को शिव मंदिर साबित करने के लिए सर्वे टीम कोर्ट के आदेश के बाद पहुंची थी। सर्वे के लिए पहुंची टीम के साथ झड़प में पथराव व फायरिंग में कई लोगों की जान चली गई थी। इस बीच अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर इस नए विवाद से लोगों की चिंता बढ़ गई है। अजमेर शरीफ दरगाह मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। यह मामला अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे से जुड़ा होने की वजह से पूरी दुनिया की इस पर निगाह होगी।
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