शनिवार, 30 मार्च 2024

दुरुद पढ़ने वाले आसानी से होंगे जन्नत में दाखिल

 माहे रमज़ान नफ्स पर नियंत्रण का महीना 

Varanasi (dil india live)। रमज़ान की अज़मतों का क्या कहना, अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने तमाम रहमतों और बरकतों को इस मुकद्दस महीने में नाज़िल फरमाया। माहे रमज़ान नफ्स पर नियंत्रण का महीना है। ऐसे तो हर दिन-हर रात दुरुद शरीफ पढ़ने का बेहद सवाब है मगर नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया है कि जो इंसान कसरत से इस पाक महीने में दुरुद शरीफ पढ़ेगा उसे बरोज़ कयामत पुलसिरात पर से आसानी से जन्नत में दाखिल कर दिया जायेगा। इसलिए इस महीने में दुरुद कसरत से पढ़ने वालों की तादाद बढ़ जाती है। इस महीने की 21, 23, 25, 27 व 29 तारीख शबे कद्र कहलाती है जो हज़ार महीनों की इबादत से भी बेहतर है। इन रातों में तमाम मुस्लिम खूब इबादत करते हैं। मोमिन 20 तरीख से ईद का चांद होने तक एतेकाफ पर बैठता है। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स.) फरमाते हैं कि जिसने रमज़ान का रोज़ा रखा और उसकी हुदूद को पहचाना और जिन गुनाहों से बचना चाहिये, उससे वो बचता रहा तो उसकी वो गुनाह जो उसने पहले की है उसका कफ़्फ़ारा हो जायेगा रमज़ान का रोज़ा। अल्लाह हदीस में फरमाता है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। अल्लाह का मज़ीद इरशाद है, बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। जब रोज़ा का दिन हो तो बेहूदा बातों से दूर रहें और बुराईयों से बचे। रोज़ा चूंकि अल्लाह के लिए हैतो रोज़ा रखकर बंदा अल्लाह को ही पा लेता है। तो फिर जानबुझ कर कोई बंदा क्यों अपना नुकसान करेगा। इस महीने में इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको बक्श दे और रोज़ेदारों को ईद की खुशियों के साथ नेक इंसान बनने की तौफीक दे..आमीन।

   हाजी फारुक खां  {हज खिदमतगार व इसरा के जनरल सेक्रटरी हैं }

शुक्रवार, 29 मार्च 2024

गुड फ्राइडे : हे पिता इनको क्षमा कर, क्योंकि यह नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं...

यीशु के क्रूस पर दिए सात वचन फिज़ा में गूंजे, लोगों की भींग गई पलकें 

यीशु मसीह ने क्रूस पर अपने प्राण दिए त्याग 




Varanasi (dil India live). हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में अर्पण करता हूं...। हे पिता इनको क्षमा कर, क्योंकि यह नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं...।

 गुड फ्राइडे पर शुक्रवार को प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए ऐसे ही सात वचन जब फिज़ा में गूंज उठे तो मसीही समुदाय के लोगों की पलकें भींग गई। जहां प्रोटेस्टेंट वर्ग की ओर से पुण्य शुक्रवार को विशेष आराधना के साथ ही क्रूस पर दिए ईसा मसीह के अंतिम सात वचनों को दोहराया गया वहीं उसे अपनी जिंदगी में उतारने कि सभी न प्रतिज्ञा की। वाराणसी धर्म प्रान्त कि ओर से प्रभु यीशु के बलिदान को याद करने के लिए गुड फ्राइडे पर क्रूस मार्ग की यात्रा निकाली गई। पुण्य शुक्रवार या गुड फ्राइडे वो दिन है जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को गोल्गथा नामक पहाड़ पर, जो कलवारी नमक स्थान पर स्थित है, क्रुस पर चद़ाया गया था। इस घटना से पूर्व प्रभु यीशु मसीह को रोमी सैनिकों एवं धर्मगुरुओं द्वारा अत्यंत वेदनाओं एवं दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा और अंत में क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए। उनकी इस पवित्र मौत का आज मसीही समुदाय स्मरण कर अपनी आंखें नम करता दिखा। कैंटोंमेंट स्थित सेंट मेरीज कैथड्रल में क्रूस यात्रा निकाली गई जिसमें प्रभु यीशु को मौत के पूर्व दी गई कठोर सजा व क्रूस पर चढ़ाए जाने का नाट्य द्वारा प्रदर्शन किया गया। यीशु को जो अमानवीय यातनाएं दी गईं थी उसका संजीव चित्रण देख लोग सहम उठे। वहां मौजूद हर शख्स की आंख से आंसू छलक उठा। शांति और प्रेम के लिए प्रभु यीशु के बलिदान को मसीही समुदाय ने गुड फ्राइडे के तौर पर याद किया। वाराणसी के बिशप यूजीन जोसेफ ने इससे पहले विशेष प्रार्थना की।  

सजा से मरण तक कि झांकी 

कैथोलिक ईसाई समुदाय की ओर से सेंट मेरीज महागिरजा में बिशप की अगुवाई में प्रभु यीशु मसीह के क्रूस मरण की गाथा का मंचन किया गया। इस दौरान उन्हें सजा दिए जाने से लेकर क्रूस मरण तक का सजीव नाट्य कलाकारों ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन पल्ली पुरोहित ने किया। इस दौरान मसीही समुदाय का हुजूम वहां जुटा हुआ था। सुबह से ही गुड फ्राइडे पर चर्चेज में लोगों के पहुंचने का दौर शुरू हो गया था। सुबह प्रोटेस्टेंट मसीही समुदाय की आराधना शुरू हुई। इस दौरान पादरियों ने क्रूस पर दिए प्रभु के सात दिव्य वचन पढ़े, जिनको की गुड फ्राइडे के दिन प्रार्थना सभाओं में स्मरण किया जाता है। यीशु मसीह के मानने वाले इन वचनों को आत्मसाध कर जीवन मैं अपनाने का संकल्प लिया। पादरी सैम जोशुआ व पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि मौत के दिन को गुड फ्राइडे इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसी दिन प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति को उनके पापों से बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए और सभी को उद्धार का अवसर प्रदान किया। चर्च आफ बनारस के पादरी बीएन जॉन, सेंट पाल चर्च के पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि यीशु मसीह को घोर यातना दी गई, और क्रूस पर उन्हे चढ़ाया गया। क्रूस पर उनकी पवित्र मौत की खबर से कि कलवारी में ईसा शहीद हुए धरती रो पड़ी मगर चमत्कार तीसरे ही दिन हुआ जब ईसा मसीह पुनः जीवित हो उठे। ऐसे ही लाल गिरजा में पादरी संजय दान, बेटेल फुल गास्पल चर्च में पादरी एंड्रू थामस, ईसीआई चर्च में पादरी दशरथ पवार, पादरी नवीन ज्वाय, विजेता प्रेयर मिनीस्ट्रीज में पादरी अजय कुमार व पास्टर एसपी सिंह ने प्रार्थना सभा को संबोधित करते हुए प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए सात वचन पढ़े।

बंदे को अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देता है मुकद्दस रमज़ान


 फिर रमजान की दौलत पाने जुटे हुए हैं ख़ुदा के नेक बंदे

Varanasi (dil india live)। बंदे को हर बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाला पाक महीना रमजान शुरू हो चुका है। इस मुकद्दस महीने की रूहानी चमक से दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है, और फिजा में घुलती अजान और दुआओं में उठते हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे कि मिसाल पेश कर रहे हैं। दौड़-भाग और खुदगर्जी भरी जिंदगी के बीच इंसान को अपने अंदर झांकने और खुद को अल्लाह की राह पर ले जाने की प्रेरणा देने वाले रमजान माह में भूख-प्यास समेत तमाम शारीरिक इच्छाओं तथा झूठ बोलने, चुगली करने, खुदगर्जी, बुरी नजर जैसी सभी बुराइयों पर लगाम लगाने की मुश्किल कवायद रोजेदार को अल्लाह के बेहद नजदीक पहुंचा देती है।

रमजान की फजीलत

माहे रमजान में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम इच्छाओं को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादत गुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है, इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है रमजान में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख  के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है।

रमज़न के तीन अशरे

अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को 10-10 दिन केे तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है। जबकि तीसरा अशरा 'जहन्नुम से आजादी' का है। इस आखिरी अशरे में रब रोज़ा रखने वाले को जहन्नुम से आजाद कर देता है।

रमजान माह  की विशेषताएं

महीने भर के रोज़े  रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पढना, क़ुरान की तिलावत करना, एतेकाफ़ में बैठना, अल्लाह से दुआ मांगना, ज़कात देना, अल्लाह का शुक्र अदा करना। इसीलिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान पढना। जिससे क़ुरान पढना न आने वालों को क़ुरान सुनने का सबाब ज़रूर मिलता है।रमजान को नेकियों का मौसम-ए-बहार  कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत ज्यादा करता है। अपने अल्लाह को खुश करने के लिए रोजो के साथ, कुरआन, दान धर्म करता है यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है, इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं। यानी जिसने माह भार रोज़ा रखा ईद उसी की है। या हर मुुसलमान को रोज़ा रखने कि तौफीक देेे…आमीन।

मो. रिज़वान (वाराणसी के युवा पत्रकार हैं) 

कलवारी में ईसा शहीद हुए धरती का फटा कलेजा


Varanasi (dil india live). Good Friday की विशेष आराधना व प्रार्थना देश दुनिया में आज सुबह से ही चर्जेज़ व गिरजाघरों में शुरु हो गई। इस दौरान जहाँ प्रभु ईसा मसीह को क्रूस पर चढ़ाये जाने की मार्मिक इतिहास का वर्णन हुआ वहीं इसे सुनकर लोगों की आंखों में सहज ही आंसु भर आया। बनारस में प्रोटेंसटेंट मसीही समुदाय के चर्चेज़ में प्रार्थना दोपहर 12 बजे से शुरु होगी तो कैथलिक चर्चेज़ में 3 बजे से क्रूस पर प्रभु यीशु को चढ़ाये जाने की मार्मिक गाथा का मंचन, क्रूस मार्ग की आराधना संग शुरु होगी। सेंट मेरीज़ महागिरजा में बिशप यूज़ीन जोसेफ़ प्रार्थना सभा की अगुवाई करेंगे।

Good Friday जानिए क्यों मनाया जाता है


ये वो दिन है जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को गोल्गथा नामक पहाड़ पर, जो कलवारी नमक स्थान पर स्थित है, क्रुस पर चद़ाया गया था। चर्च आफ बनारस के पादरी बीएन जॉन ने बताया कि इस घटना से पूर्व प्रभु यीशु मसीह को रोमी सैनिकों एवं धर्मगुरुओं द्वारा अत्यंत वेदनाओं एवं दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा और अंत में क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए। उनकी पवित्र मौत को सभी हर साल गुड फ्राइडे के रुप में मनाते हैं। सेंट पॉल चर्च के पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि यीशु मसीह को घोर यातना दी गई, और क्रूस पर उन्हे चढ़ाया गया। क्रूस पर उनकी पवित्र मौत की खबर से ही, कलवारी में ईसा शहीद हुए धरती का कलेजा फट गया, मगर चमत्कार तीसरे ही दिन हुआ जब ईसा मसीह पुनः जीवित हो उठे।

क्रूस पर दिए प्रभु ने सात वचन

क्रूस पर से यीशु ने सात दिव्य वचन कहे जिनको की आज के दिन प्रार्थना सभाओं में स्मरण किया जाता है। यीशु मसीह के मानने वाले इन वचनों को आत्मसाध कर जीवन मैं अपनाने का संकल्प लेते हैं। मसीहियों का ये विश्वास है की आज के दिन को शुभ शुक्रवार इसलिए कहा जाता है क्यूंकि आज ही के दिन प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति को उनके पापों से बचाने के लिए अपने प्राण दिए और सभी को उद्धार का अवसर प्रदान किया।

गुरुवार, 28 मार्च 2024

अल्लाह की इबादत के लिए खुद को वक्फ कर देने का नाम 'एतेकाफ'

 जानिए कितनी तरह का होता है रमज़ान का रोज़ा 


Varanasi (dil india live )। रमज़ान की नेमतों और रहमतों का क्या कहना। रमज़ान तमाम अच्छाइयां अपने अंदर समेटे है। रमज़ान का रोज़ा रोज़ेदारों के लिए रहमत व बरकत का सबब बनकर आता है। इसमें तमाम परेशानियां और दुश्वारियां बंदे की दूर हो जाती हैं। नेकी का रास्ता ऐसे खुला रहता है कि फर्ज़ और सुन्नत के अलावा नफ्ल इबादत और मुस्तहब इबादतों की भी बंदा कसरत करता है। इस महीने कि यही तो खूबी है कि बंदा रब कि रज़ा के लिए कसरत से इबादत करता है।

रोज़ा कितनी तरह का होता है इसे कम ही लोग जानते हैं। तो रमज़ान के रोज़े को तीन तरह से समझे। मसलन पहला, आम आदमी का रोज़ा: जो खाने पीने और जीमाह से रोकता है। दूसरा खास लोगों का रोज़ा: इसमें खाने पीने और जीमाह के अलावा अज़ा को गुनाहों से रोज़ेदार बचाकर रखता है, मसलन हाथ, पैर, कान, आंख वगैरह से जो गुनाह हो सकते हैं, उनसे बचकर रोज़ेदार रहता है। तीसरा रोज़ा खवासुल ख्वास का होता है जिसे खास में से खास भी कहते हैं। वो रोज़े के दिन जिक्र किये हुए उमूर पर कारबन भी रहते हैं और हकीकतन दुनिया से अपने आपको बिलकुल जुदा करके सिर्फ और सिर्फ रब की ओर मुतवज्जाह रखते हैं। रमज़ान की यह भी खसियत है कि जब दूसरा अशरा पूरा होने वाला रहता है तो, 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ करते है। जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानि मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार। पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। रमज़ान में एतेकाफ रखना जरूरी। एतेकाफ नबी की सुन्नतों में से एक है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना। हदीस और कुरान में है कि एतेकाफ अल्लाह रब्बुल इज्ज़त को राज़ी करने के लिए रोज़ेदार बैठते है। एतेकाफ सुन्नते रसूल है। हदीस व कुरान में है कि हजरत मोहम्मद रसूल (स.) ने कहा कि एतेकाफ खुदा की इबादत में रोज़ेदार को मुन्हमिक कर देता है और बंदा तमाम दुनियावी ख्वाहिशात से किनारा कर बस अल्लाह और उसकी इबादतों में मशगूल रहता है। इसलिए जिन्दगी में एक बार सभी को एतेकाफ पर बैठना चाहिए। या अल्लाह ते अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने और दीगर इबादतों को पूरा करने की तौफीक दे।..आमीन।

मौलाना अज़हरुल कादरी     
(मदरसा खानमजान, अर्दली बाज़ार, वाराणसी)

चर्चेज में ईसाई पुरोहित अपने शिष्यों का आज धोएंगे पैर




desh duniya में आज मनाया जा रहा है ‘माउंडी थर्सडे’ 




Varanasi (dil India live). desh duniya में आज मसीही समुदाय को मानने वाले ‘माउंडी थर्सडे’ मना रहे हैं। इस दौरान चर्चेज में ईसाई पुरोहित अपने शिष्यों का पैर धोएंगे। ईसा मसीह द्वारा अपने शिष्यों के साथ अंतिम भोज्य और रोटी का टुकड़ा शिष्यों में बांटे जाने की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यहां जानिए इस पर्व की ख़ास बातें।

जानिए क्या है ‘माउंडी थर्सडे’

‘माउंडी’ एक लैटिन शब्द ‘मेंडाटम’ से आया है, जिसका अर्थ ‘आदेश’ होता है। बाइबिल समेत ईसाईयों के अन्य ग्रंथों के अनुसार, ईसा मसीह ने अपने शिष्यों को एक-दूसरे से प्रेम करने के लिए आदेश दिया था। ईसाईयों का मानना है कि ईसा मसीह ने गुरुवार के दिन क्रूस मरण से पहले अपने 12 शिष्यों के पैर धोए थे और उनके साथ अंतिम बार भोज्य भी किया था, जिसे ‘लास्ट सपर’ के नाम से जाना जाता है। वहीं, ईसाईयों का मानना है कि उनके इसी आदेश को प्रत्येक वर्ष गुरुवार को ‘माउंडी थर्सडे’ के नाम से मनाया जाता है। बता दें कि हर साल ईसाई कैथोलिक प्रार्थना के लिए चर्च में इकट्ठा होते हैं और आपस में रोटी बांटकर इस त्योहार को मनाते हैं।

कब मनाया जाता है ‘माउंडी थर्सडे’
‘माउंडी थर्सडे’ को पवित्र गुरुवार, वाचा गुरुवार, महान और पवित्र गुरुवार और रहस्यों का गुरुवार के नाम से भी जाना जाता है। ये ईसाई कैलेंडर के पवित्र सप्ताह के पांचवें दिन पड़ता है, जो इस बार आज 28 मार्च को मनाया जा रहा है। भारत के कुछ खास ईसाई आबादी वाले राज्य जैसे केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों में भी यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसके दूसरे दिन ही ‘गुड फ्राइडे’ मनाया जाएगा। 

बुधवार, 27 मार्च 2024

शिद्द्त की गर्मी के बावजूद ज़ुनेहरा फातेमा ने रखा रोज़ा


Varanasi (dil india live). कहा जाता है कि रब अपने नेक बंदो का इम्तेहान लेता है और जो उसमें पास हो जाता है उसकी ज़िंद्गी में अल्लाह खुशियां ही खुशियां भर देता है। यही वजह है कि शिद्द्त की गर्मी के बावजूद ज़ुनेहरा फातेमा ने अपनी ज़िंदगी का पहला रोज़ा रखा। जामिया रहमानिया गर्ल्स स्कूल में क्लास 1 की तालीम ले रही ज़ुनेहरा फातेमा के वालिद कमालुद्दीन कहते हैं कि मेरी बेटी ने इतनी कम उम्र में रोज़ा रख लेगी हम सबने कभी सोचा भी नही था मगर जब दोपहर तक शिद्द्त की गर्मी के बावजूद ज़ुनेहरा फातेमा ने अपनी ज़िंदगी का पहला रोज़ा रख लिया तो हम लोगो को यकीन हो गया कि वो रोज़ा रख लेगी। माशा अल्लाह उसने रोज़ा मुकम्म्ल भी कर लिया। 

 

ज़कात न देने से होता है माल बर्बाद



Varanasi (dil india live). ज़कात देना हर साहिबे नेसाब पर वाजिब है। साहबे नेसाब वो है जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी में से कोई एक हो, या फिर बैंक, बीमा, पीएफ या घर में इतने के बराबर साल भर से रकम रखी हो तो उस पर मोमिन को ज़कात देना वाजिब है। ज़कात शरीयत में उसे कहते हैं कि अल्लाह के लिए माल के एक हिस्से को जो शरीयत ने मुकर्रर किया है मुसलमान फक़़ीर को मालिक बना दे। ज़कात की नीयत से किसी फक़़ीर को खाना खिला दिया तो ज़कात अदा न होगी, क्योंकि यह मालिक बनाना न हुआ। हां अगर खाना दे दे कि चाहे खाये या ले जाये तो अदा हो गई। यूं ही ज़कात की नियत से कपड़ा दे दिया तो अदा हो गई। ज़कात वाजिब के लिए चंद शर्ते है : मुसलमान होना, बालिग होना, आकि़ल होना, आज़ाद होना, मालिके नेसाब होना, पूरे तौर पर मालिक होना, नेसाब का दैन से फारिग होना, नेसाब का हाजते असलिया से फारिग होना, माल का नामी होना व साल गुज़रना। आदतन दैन महर का मोतालबा नहीं होता लेहाज़ा शौहर के जिम्मे कितना दैन महर हो जब वह मालिके नेसाब है तो ज़कात वाजिब है। ज़कात देने के लिए यह जरूरत नहीं है कि फक़़ीर को कह कर दे बल्कि ज़कात की नीयत ही काफी है।

फलाह पाते हैं जो ज़कात देते है

नबी-ए-करीम ने फरमाया जो माल बर्बाद होता है वह ज़कात न देने से बर्बाद होता है और फरमाया कि ज़कात देकर अपने मालों को मज़बूत किलों में कर लो और अपने बीमारों को इलाज सदक़ा से करो और बला नाज़िल होने पर दुआ करो। रब फरमाता है कि फलाह पाते हैं वो लोग जो ज़कात अदा करते है। जो कुछ रोज़ेदार खर्च करेंगे अल्लाह ताला उसकी जगह और दौलत देगा, अल्लाह बेहतर रोज़ी देने वाला है। आज हम और आप रोज़ी तो मांगते है रब से मगर खाने कि, इफ्तार कि खूब बर्बादी करके गुनाह भी बटौरते है, इससे हम सबको बाज़ आना चाहिए।

उन्हे दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो

अल्लाह रब्बुल इज्जत फरमाता है जो लोग सोना, चांदी जमा करते हैं और उसे अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते उन्हें दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो। जिस दिन जहन्नुम की आग में वो तपाये जायेंगे और इनसे उनकी पेशानियां, करवटें और पीठें दागी जायेगी और उनसे कहा जायेगा यह वो दौलत हैं जो तुमने अपने नफ्स के लिए जमा किया था। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने और ज़कात देने की तौफीक दे..आमीन

मौलाना शमशुद्दीन साहब
{इमाम, जामा मस्जिद कम्मू खान, डिठोरी महाल, वाराणसी}


मंगलवार, 26 मार्च 2024

आज इमाम हसन की यौमे पैदाइश मना रहा है सारा जहाँ, जगह जगह हो रही है इमाम की फातेहा

Varanasi (dil india live). आज इमाम हसन की यौमे पैदाइश मना रहा है सारा जहाँ ‌‌-जगह जगह हो रही है इमाम की फातेहा वाराणसी। 15 रमज़ान 3 हिजरी को यानी आज से 1442 साल पहले नबी के नवासे हज़रत इमाम ह़सन की पैदाइश मदीना शरीफ़ में हुई थी। जो ह़ज़रते अ़ली के बड़े बेटे, और ह़ज़रते इमाम ह़ुसैन के बड़े भाई हैं। वालिदा का नाम ज़नाबे फ़ातिमा हैं। आज इमाम हसन की यौमे पैदाइश मनाई जा रही है, जगह जगह इमाम हसन की फातेहा हो रही है। हमारे नबी (स.) ह़ज़रत इमाम ह़सन से बहुत ही मोह़ब्बत करते थे। कभी आपको अपने कंधों पर घुमाते थे। तो कभी जब ह़ज़रते ह़सन नमाज़ की ह़ालत में प्यारे नबी के कंधों पर बैठ जाते तो नबी (स.) सज्दे से सर नहीं उठाते थे। कि कहीं आपको चोट ना लग जाए। कभी आपको देखकर फ़रमाते कि जन्नत के नौजवानों का सरदार आ रहा है। ह़ज़रते ह़सन बहुत ही ज़्यादा अदब वाले थे। कभी अपनी मां ह़ज़रते फ़ातिमा के साथ खाना नहीं खाया। इस डर की वजह से कहीं ऐसा ना हो की मां को कोई चीज़ खाते वक़्त पसंद आए और उनसे पहले मेरा लुक़्मा उस चीज़ की तरफ़ बढ़ जाए। आप अपने वालिद के दौरे ख़िलाफ़त में कूफ़ा गए थे और वालिद के इंतक़ाल के बाद बाकी दिन मदीना शरीफ़ आकर गुजा़रे। आप को ज़हर देकर शहीद कर दिया गया था। आपकी उम्र 48 साल हुई। मदीना शरीफ़ के क़ब्रिस्तान जन्नतुल बक़ी में आप को दफ़न किया गया। अल्लाह तआ़ला आपके सदके़ हमें दुनिया और आख़िरत में कामयाबी अता फ़रमाए। (आमीन)

जानिए रमज़ान में किस बातों का रखा जाता है खास ख्याल



Varanasi (dil india live).
 रमजान हिजरी कलैंडर का 9 वां महीना है। रमजान वो महीना है जिसके आते ही फिज़ा में नूर छा जाता है। चोर चोरी से दूर होता है, बेहया अपनी बेहयाई से रिश्ता तोड़ लेता है, मस्जिदें नमाज़ियों से भर जाती हैं। लोगों के दिलों दिमाग में बस एक ही बात रहती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा इबादत की जाये। फर्ज़ नमाज़ों के साथ ही नफ्ल और तहज्जुद पर भी लोगों का ज़ोर रहता है। अमीर गरीबों का हक़ अदा करते हैं, पास वाले अपने पड़ोसियों का, कोई भूखा न रहे, कोई नंगा न रहे, इस महीने में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे जहां तौफीक देता है। वहीं गरीबो, मिसकीनों, लाचारों, बेवा, और बेसहरा वगैरह की ईद कैसे हो, कैसे उन्हें उनका हक़ और अधिकार मिले यह रमज़ान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया, सिखा दिया। यही वजह है कि रमज़ान का आखिरी अशरा आते आते हर साहिबे निसाब अपनी आमदनी की बचत का ढ़ाई फीसदी जक़ात निकालता है। और दो किलों 45 ग्राम वो गेंहू जो वो खाता है उसका फितरा देता है।

सदका-ए-फित्र ईद की नमाज़ से पहले हर हाल में मोमिनीन अदा कर देता है ताकि उसका रोज़ा रब की बारगाह में कुबुल हो जाये, अगर नहीं दिया तो तब तक उसका रोज़ा ज़मीन और आसमान के दरमियान लटका रहेगा जब तक सदका-ए-फित्र अदा नहीं कर देता। रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। परवरदिगारे आलम इरशाद फरमाते है कि माहे रमज़ान कितना अज़ीम बरकतों और रहमतो का महीना है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस पाक महीने में कुरान नाज़िल हुआ।इस महीने में बंदा दुनिया की तमाम ख्वाहिशात को मिटा कर अपने रब के लिए पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा रखता है। नमाज़े अदा करता है। के अलावा तहज्जुद, चाश्त, नफ्ल अदा करता है इस महीने में वो मज़हबी टैक्स ज़कात और फितरा देकर गरीबों-मिसकीनों की ईद कराता है।अल्लाह ने हदीस में फरमया है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। यह महीना नेकी का महीना है इस महीने से इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने कि तौफीक अता कर... आमीन।


                 मौलाना हसीन अहमद हबीबी 

( इमाम, शाही मुगलिया मस्जिद, बादशाह बाग, वाराणसी)

बनारस की फिजां में घुली होली की मस्ती, गलियों से लेकर गंगा घाट तक फागुन का उल्लास




Varanasi (dil india live). होलिका दहन के साथ ही बनारस की फिजां में होली की मस्ती घुली हुई नज़र आयी। गलियों से लेकर गंगा घाट तक फागुन का उल्लास हर किसी के सिर चढ़कर बोलता दिखाई दिया। सुबह से ही होली खेलने की शुरुआत हो गई जो दोपहर तक जारी रही उसके बाद शाम में अबीर और गुलाल की होली परमपरानुसार जो शुरु हुई वो लगातार जारी है। भद्रा की समाप्ति के बाद रविवार की मध्य रात्रि के उपरांत मुहूर्त काल में ढोल नगाड़ों की थाप, हर-हर महादेव के जयघोष के बीच होलिका दहन किया गया। घाट पर हुलियारों की टोली और काशीवासियों ने जमकर अबीर-गुलाल उड़ाए। किशोर-युवाओं का हुजुम ‘जोगीरा, सारारारा... गाते- हुए शरारती मूड में आ गया। सुबह से कहीं होरियारों की टोली तो कहीं डीजे की धुन पर थिरकते युवा काशिका जोश के साथ मस्ती में डूबते-उतराते रहे। घरों से शुरू हुआ उत्सव का आनंद दिन चढ़ने के साथ ही सड़कों पर बिखरने लगा। घरों की रसोई पकवान की सुगंध से निहाल हो उठे, तो बच्चों ने भी धमाल मचाने की तैयारियां शुरू कर दीं। किसी ने पिचकारियों में रंग भरे तो किसी ने गुब्बारों में।होली के रंगों में डूबे युवा और बच्चे मस्ती की तरंग में जगह-जगह डीजे की धुन पर पारंपरिक और भोजपुरी होली गीतों पर थिरक रहे थे। जन-जन के मन के बांध तोड़कर होली का उल्लास और उमंग का रंग दिन चढ़ने के साथ और चटख होता गया। घर से गलियों तक फाग के रंग बरसे तो नख से शिख तक रंगों से सराबोर हो उठे। क्या बुजुर्ग क्या बच्चे हर किसी पर होली का रंग ऐसा चढ़ा कि चेहरा तक पहचानना मुश्किल हो गया। बनारस का कोना-कोना रंगों में भीग गया। घरों होली की शुरूआत हुई तो बच्चों ने छत, बॉलकनी और बरामदों से हर आने-जाने वालों पर रंगों की बौछार की। किसी को रंग भरे गुब्बारे से मारा तो किसी पर अबीर उड़ाए। जो भी मिला उसको रंगों से सराबोर किए बिना नहीं छोड़ा। गोदौलिया, सोनारपुरा, गौरीगंज, शिवाला, अस्सी, भदैनी, भेलूपुरा, लंका, सामनेघाट, नरिया, डीरेका, मंडुवाडीह, कमच्छा से लेकर वरुणा पार इलाके में होली के रंग-गुलाल जमकर उड़े। सड़कों और गलियों में डीजे की धुन पर नाचते-गाते युवाओं ने खूब धमाल मचाया। गंगा किनारे रहने वालों ने गंगा किनारे घाट पर होली खेली। हालांकि नावों पर प्रतिबंध के कारण गंगा उस पार नहीं जा सके।होली का रंग बनारसियो ने सुबह से गंगा घाटों पर जमी भीड़ धीरे-धीरे कम होने लगी। डीजे सॉन्ग पर नाच रहे लोगों को भी पुलिस ने हटाना शुरू कर दिया। शाम को होने वाली गंगा आरती के पूर्व दशाश्वमेध सहित विभिन्न घाटों की सफाई के चलते भीड़ को कम कराया गया। लोगों की सुविधा को देखते हुए दोपहर बाद कुछ क्षेत्रों में पेट्रोल पंप भी खोल दिए गए। सोमवार की सुबह से ही बनारसस की विश्व प्रसिद्ध होली खेलने के लिए यहां के लोग तैयार हो गए थे। जैसे-जैसे सूरज आसमान में चढ़ता गया वैसे-वैसे गंगा घाटों पर भीड़ भी बढ़ती गई। सबसे ज्यादा युवाओं की उपस्थिति रही। रंगोत्सव में देसी-विदेशी पर्यटकों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। होली पर हर साल विदेशी पर्यटकों के साथ सेल्फी लेने की होढ़ मची रहती है। इसमें पर्यटकों को भी काफी खुशी मिलती है। अस्सी से लेकर दशाश्वमेध सहित उसके आगे के घाटों पर हर्षोल्लास के साथ होली का त्योहार मनाया गया। डीजे की धुन पर लोगों ने जमकर डांस किया। दोपहर करीब दो बजे के बाद पुलिस भी लोगों को हटाने लगी। घाटों पर भीड़ का दबाव देखते हुए प्रशासन भी दुरुस्त दिखा। जल पुलिस माइक के माध्यम से लोगों को अगाह कर रही थी। गंगा में ज्यादा दूर तक नहीं जाने का निर्देश दिया जा रहा था।

गंगा आरती से पहले घाटों की सफाई

नगर निगम की ओर से घाटों की सफाई के लिए हर बार की तरह उचित व्यवस्था की गई है। देर शाम होने वाली गंगा आरती के लिए दोपहर बाद घाटों की सफाई होने लगी। इससे पूर्व पर्यटकों ने खूब होली खेली। दूसरी तरफ, दशाश्वमेध सहित विभिन्न घाटों पर लोगों ने गंगा स्नान कर दान-पुण्य किया। वाराणसी घूमने आए पर्यटक गंगा आरती के आकर्षण को भी निहारेंगे।

सोमवार, 25 मार्च 2024

नीमा चिकित्सकों ने सामूहिक इफ्तार पार्टी का किया आयोजन

हमें फख्र है के अल्लाह ने हमे Ramadan की नेमत अता की 



Varanasi (dil india live)। नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) वाराणसी के तत्वावधान में शिवपुर स्थित नीमा भवन में सामूहिक रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया। इसमें बङी संख्या में चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर डॉक्टर एम अजहर ने कहा कि रोजा मुसलमानों को रब की तरफ से दिया गया बेशकीमती तोहफा है जो गुनाहगारों की बख्शीश का जरिया है। तमाम मुसलमानो को चाहिए के हम सब इसकी दिल से कद्र करें और अपने रब को राजी करें। अल्लाह का इन्सानों पर बहुत एहसानात हैं। हमें फख्र है के अल्लाह ने हमे ये नेमत अता की ताकि हम सब उसकी नेमतो की कद्र करें। डॉक्टर फैसल रहमान ने कहा कि रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि जुबान, निगाह, बदकलामी से बचने का भी नाम है। रोज़ा ये एहसास दिलाता है कि हमे सिर्फ अपना पेट नही देखना है बल्कि गैरों की खुशियों को भी अपनी खुशी में शामिल करना है। तमाम मुसलमानो को चाहिए के अपने आस-पास पङोस मे रहने वाले गरीबों और रिश्तेदारों को भी इफ्तार का सामान मुहैया करायें। हमे चाहिए के हम सब बहैसियत एक मुसलमान होने के सबसे पहले एक अच्छा नेक इन्सान बने तथा रब की नेमतों का उठते बैठते शुक्र अदा करते रहें। इस दौरान अजान की सदाएं गूंजते ही सभी रोजेदारों ने एक साथ रोजा इफ्तार किया। इस मौके पर दस्तरख्वान पर तरह तरह के व्यंजन सजे हुए थे और सभी धर्मों के लोग इकट्ठा थे, इससे वहां गंगा जमुनी तहजीब दिखाई दे रही थी। नीमा भवन में ही मगरिब की नमाज़ अदा कर मुल्क में अमन भाईचारा कायम रहने के लिए अल्लाह से दुआ की गई।

          इस अवसर पर डॉक्टर एम अजहर, डॉक्टर मुहम्मद अरशद, डॉक्टर एस आर सिंह, डॉक्टर फैसल रहमान, डॉक्टर अशफाकुल्लाह, डॉक्टर रियाज अहमद, डॉक्टर एहतेशामुल हक, डॉक्टर विनय पाण्डेय, डॉक्टर सगीर अशरफ, डॉक्टर मुबीन अख्तर, डॉक्टर नसीम अख्तर, डॉक्टर अरुण कुमार गुप्ता, डॉक्टर अरुण सिंह, डॉक्टर मुख्तार अहमद, डॉक्टर आर के यादव, डॉक्टर ए के सिंह, डॉक्टर अनिल गुप्ता, डॉक्टर कैलाश त्रिपाठी, डॉक्टर शलीलेश मालवीय, डॉक्टर रौशन अली, डॉक्टर फिरोज अहमद इत्यादि बडी संख्या में चिकित्सकों की उपस्तिथि थी।

moullana मोहम्मद जमील Varanasi के नये शहर काज़ी बनाए गए





Varanasi (dil india live). शहर काज़ी मौलाना गुलाम यासीन साहब के इंतेकाल से बाद काज़ी‌‌-ए-शहर बनारस का पद खाली हो गया था। उस पद पर मोहददीसे कबीर मौलाना जियाउल मुस्तफा रज़वी क़ादरी साहब ने अशफाकनगर निवासी बनारस के मशहूर उलेमा मौलाना मोहम्मद जमील अहमद को शहर काज़ी बनारस बनाए जाने का ऐलान किया है। यह फैसला बरेली शरीफ के प्रमुख अल्लामा मौलाना मुफ्ती असजद रज़ा खां के हवाले से किया गया हैं। मौलाना जमील साहब के नाम के ऐलान के साथ ही यह उम्मीद भी जताई गई है कि वो पूरे बनारस को साथ लेकर चलेंगे और हक पर रहेंगे। इस दौरान अहले सुनन्त वल जमात खासकर बरेलवी उलेमाओ से अपील की गई है की नए शहर काज़ी के फैसले को माने। 

गौरतलब हो कि देश-दुनिया में मशहूर व मारूफ काजी-ए-शहर बनारस मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब का जुमेरात की शाम मगरिब की नमाज के बाद इंतकाल हो गया था। उनके इंतकाल से समूचे पूर्वांचल खासकर बरेलवी मुस्लिमों में अफसोस की लहर दौड़ गई थी। जुमे की नमाज के बाद उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया था। शहर काजी तकरीबन 90 साल के थे। यह भी पता हो कि मौलाना जमील अहमद साहब ने ही पूर्व शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब के जनाजे की बजरडीहा में नमाज अदा करायी थी। इसके बाद उन्हे सुपुर्दे खाक किया गया था। मौलाना जमील अहमद एक सुलझे हुए नेक उलेमा में शुमार हैं। बरेलवी विचारधारा में शहर काज़ी बरेली शरीफ के खलीफा बरेली शरीफ दरगाह प्रमुख ही नियुक्त करते हैं। इसके लिए उलेमा की दीनी तालीम और सलाहियत देखी जाती है। पूर्व शहर काज़ी मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब को मुफ्ती ए आज़म हिंद के खलीफा ने शहर काज़ी बनाया था। इस पद के लिए तालीम, सलाहियत और तमाम अच्छाईयां देखी जाती है। जानकार बताते हैं कि आजादी के बाद वो बनारस के पहले शहर काज़ी बने थे। मौलाना जमील दूसरे शहर काज़ी हैं। आज़ादी के पहले हजरत अलवी शहीद, याकूब शहीद, लाट्शाशाही बाबा वगैरह भी अपने अपने दौर के शहर काज़ी थे। 

रोजेदारों के लिए समुद्र की मछलियां करती हैं दुआएं

रोजेदार के मुंह की महक अल्लाह को मुश्क से ज्यादा पसंद है


Varanasi (dil india live )। फरमाने रसूल (स.) है कि रमजान अल्लाह का महीना है और उसका बदला भी रब ही देंगा। यही वजह है कि रमजान का रोज़ा बंदा केवल रब की रज़ा के लिए ही रखता है। रोज़ा वो इबादत है जो दिखाई नहीं देती बल्कि उसका पता या तो रब जानता है या फिर रोज़ा रखने वाला। रमजान में जब एक मोमिन रोज़ा रखने की नियत करता है तो वो खुद ब खुद गुनाहों से बचता दिखायी देता हैं। उसे दूसरों की तकलीफ़ का पता भूखे प्यासे रहकर रोज़ा रखने पर कहीं ज्यादा होता है। रमजान का अन्य महीनों पर फजीलत हासिल है। हजरत अबू हुरैरा (रजि.) के अनुसार रसूल अकरम (स.) ने इरशाद फरमाया, कि माहे रमजान में पांच चीजें विशेष तौर पर दी गयी है, जो पहली उम्मतों को नहीं मिली थी। पहला रोजेदार के मुंह की महक अल्लाह को मुश्क से ज्यादा पसंद है। दूसरे रोजेदार के लिए समुद्र की मछलियां भी दुआ करती हैं और इफ्तार के समय तक दुआ में व्यस्त रहती हैं। तीसरे जन्नत हर दिन उनके लिए आरास्ता की जाती है। अल्लाह फरमाता है कि करीब है कि मेरे नेक बंदे दुनिया की तकलीफेंअपने ऊपर से फेंक कर तेरी तरफ आवें। चौथे इस माह में शैतान कैद कर दिये जाते हैं और पांचवें रमजान की आखिरी रात में रोजेदारों के लिए मगफिरत की जाती है। सहाबा ने अर्ज किया कि शबे मगफिरत शबे कद्र है। फरमाया- नहीं, ये दस्तूर है कि मजदूर का काम खत्म होने के वक्त मजदूरी दी जाती है। हजरत इबादा (रजि) कहते हैं कि एक बार अल्लाह के रसूल (स.) ने रमजान उल मुबारक के करीब इरशाद फरमाया कि रमजान का महीना आ गया है, जो बड़ी बरकतवाला है। हक तआला इसमें तुम्हारी तरफ मुतव्ज्जो होते हैं और अपनी रहमते खास नाजिल फरमाते हैं। गलतियों को माफ फरमाते हैं। दुआ को कबूल करते हैं। बदनसीब है वो लोग जो इस माह में भी अल्लाह की रहमत से महरूम रहे, रोज़ा नहीं रखा, तरावीह नहीं पढ़ी, इबादत में रातों को जागे नहीं। ऐ परवरदिगारे आलम तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान का रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा...आमीन

               मौलाना साकीबुल कादरी
(इंचार्ज मदरसातुन्नुर, मकबूल आलम रोड, वाराणसी)

मुज़म्मा बनी नन्ही रोज़ेदार


Varanasi (dil india live). मुक़द्दस रमजान शुरू होते ही नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा रोज़ा रखने का सिलसिला जारी है। एक दूसरे की देखा देखी बच्चे रमज़ान का रोज़ा भी रख रहे हैं। ज़ीनतुल इस्लाम गर्ल्स कालेज रेवडीतालाब में दर्जा दो में तालीम ले रही मुज़म्मा आयशा ने भी अब तक पांच रोज़ा मुकम्मल कर लिया है। मोहम्मद शाहिद जमाल की बेटी मुज़म्मा आयशा कहती हैं कि रब की रज़ा के लिए रोज़ा रखा है। उनके वालिदैन को खुशी है की उनके बच्ची नन्ही सी उम्र में ही रोज़ा रखने लगी हैं। वो कहते हैं कि हमने सोचा नहीं था कि मेरी बेटी रोज़ा रख लेगी मगर उसकी जिद के आगे हम लोग कुछ नहीं बोले और उसने रोज़ा रख कर हम सबको खुश कर दिया। पहले रोज़े को उसकी रोज़ा कुशाई हुई थी।

 

 


 

प्रभु मसीह के येरुसलम में प्रवेश की याद में मसीही समुदायों ने मनाया खजूर इतवार

ईसा मसीह के अंहिसा के संदेश को अपनाने और सही राह पर चलने पर दिया गया ज़ोर


Varanasi  (dil India live)। प्रभु ईसा मसीह के सलीब पर चढ़ने के पूर्व येरुसलम नगर में उनके प्रवेश और उसके पश्चात् उनकी दुख-पीड़ा और क्रूस मरण को याद करते हुए शहर के विभिन्न मसीही समुदायों ने खजूर इतवार यानी पॉम संड़े को भक्ति और संजीदगी के साथ मनाया गया। सुबह सेंट मेरीज़ महागिरजा से बिशप यूज़ीन की अगुवाई में खजूर की डालियो संग जुलूस निकला। जुलुस विभिन्न जगहों से होकर वापस चर्च आकर सम्पन्न हुआ। इस दौरान हुई प्रार्थना सभा में बिशप ने कहा कि ईसा मसीह को शांति का राज कुमार कहते हैं। उन्होंने दुनिया को भ्रष्टाचार से दूर रहने और अहिंसा के मार्ग पर चलने का जो संदेश दिया उसे अगर हम नहीं अपनाएगें तो अपना वजूद खो बैठेंगे। कलीसिया का आहवान करते हुए कहा कि ईसा मसीह के अंहिसा के संदेश को अपनाओ और सही राह पर चलो। इस दौरान बाइबिल पाठ संग प्रार्थना की गई। ऐसे ही सुबह सेंट पाल चर्च में पादरी आदित्य कुमार व पादरी सैम जोशुआ की अगुवाई में पाम संड़े मनाया गय, इस दौरान खचाखच भरा रहा गिरजाघर और खजूर का तबर्रुक लोगों में बांटा गया।  पादरी ने सभा को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि ईसा का जैसा स्वभाव था वैसे ही हम भी अपने स्वभाव को बनाए। उधर पादरी संजय दान की अगुवाई में खजूर की डालियो संग जुलूस निकला। जुलूस में भक्त अपने हाथों में खजूर की डालिया लेकर... मेरे प्यारे यीशु जी, मुक्तिदाता यीशु जी, शांतिदाता यीशु जी, होसन्ना आल्लेलूया। जैसे गीत और ईसा मसीह की जयकार लगाते चल रहे थे। जुलूस लाल गिरजाघर विभिन्न जगहों से होकर लाल गिरजा पहुंचा। यहाँ प्रार्थना सभा में विजय दयाल, एडूज, रोशनी फिलिप्स, शीबा, रोमा फिलिप्स, सुशील बैंजमीन, शैलेष सिंह, पुष्पांजलि सिंह, डेविड आदि मौजूद थे।

 चर्च आफ बनारस की ओर से पादरी बीएन जान की अगुवाई में खजूर की डालियो संग जुलूस निकला। जुलुस विभिन्न जगहों से होकर वापस चर्च आकर सम्पन्न हुआ। इस दौरान हुई प्रार्थना सभा में हुई। प्रार्थना सभा के बाद लोगों में खजूर बांटा गया। ऐसे ही बेटलफूल गॉस्पल चर्च में एंडू थामस की अगुवाई में प्रार्थना सभा का अयोजन किया गया। जिसमें चर्च से जुड़े तमाम लोग मौजूद थे। ऐसे ही गिरजाघर स्थित सेंट थामस चर्च समेत तमाम चर्च में प्रभु ईसा मसीह की स्तुति की गई। इसी के साथ अब 29 को ईसा मसीह का मरण दिवस यानी पुण्य शुक्रवार के रूप में मनाया जाएगा।  

रविवार, 24 मार्च 2024

कोई तुमसे झगड़ा करे तो उससे कह दो मैं रोज़े से हूं


 


Varanasi (dil India live)। इसलाम में कहा गया है कि अपने पड़ोसियों के साथ अच्छा सुलूक करो, भले ही वो किसी भी मज़हब का हो। पड़ोसी अगर भूखा सो गया तो उसके जिम्मेदार तुम खुद होगे। यह बात मुक़द्दस रमजान में और भी ज्यादा लागू होती है। क्यों रमजान रब का महीना है। रब कहता हैं कि 11 महीना तो बंदा अपने तरीक़े से गुज़ारता है एक महीना अगर वो मेरे बताए हुए नेकी के रास्ते पर चले तो उसकी तमाम दुश्वारियां दूर हो जाएगी। इस 1 महीने के एवज़ में रोज़ेदार पूरे साल नेकी की राह पर चलेगा।

मुकद्दस रमजान में अगर कोई तुमसे झगड़ा करने पर अमादा हो तो उसे लड़ो मत, बल्कि उससे कह दो मैं रोज़े से हूं। यानी मैं तुमसे लड़ाई झगड़ा नहीं चाहता। रमज़ान मिल्लत की दावत देता है, रमज़ान नेकी की राह दिखाता है। यही वजह है कि रमज़ान में खून-खराबा, लड़ाई झगड़ा सब मना फरमाया गया है। रमज़ान के लिए साफ कहा गया है कि यह महीना अल्लाह का महीना है। इस महीने में रोज़ेदार केवल नेकी, इबादत और मोहब्बत के रास्ते पर चलें। यही वजह है कि रमज़ान आते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं। 

इस माहे मुबारक में पांच ऐसी रात आती है जिसे ताक रात या शबे कद्र कहा जाता है। इस रात में इबादत का सवाब रब ने कई साल की इबादत से भी ज्यादा अता करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की नेअमत अता कर और सभी को रोजा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

हाजी इमरान अहमद (राइन गार्डेन, वाराणसी)

रोज़ा इफ्तार दावत में दिखा गंगा जमुनी नजारा

 




Varanasi (dil India live). वाराणसी समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक सभा के तत्वावधान में शनिवार को हाजी कटरा सरैयां स्थित सपा अल्पसंख्यक सभा के जिला अध्यक्ष डाक्टर दिलशाद अहमद सिद्दीकी के आवास पे रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया जिसमें बङी संख्या में रोजेदारों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर डाक्टर दिलशाद अहमद ने कहा कि रोजा मुसलमानों को रब की तरफ से दिया गया बेशकीमती तोहफा है जो गुनाहगारों की बख्शीश का जरिया है। तमाम मुसलमानो को चाहिए के हम सब इसकी दिल से कद्र करें और अपने रबको राजी करें। अल्लाह का इन्सानों पर बहुत हसानात हैं। हमें फख्र है के अल्लाह ने हमे ये नेमत अता की ताकि हम सब उसकी नेमतो की कद्र करें। रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि जुबान, निगाह, बदकलामी से बचने का भी नाम है रोजा। ये एहसास दिलाता है कि हमे सिर्फ अपना पेट नही देखना है बल्कि गैरों की खुशियों को भी अपनी खुशी में शामिल करना है। तमाम मुसलमानो को चाहिए के अपने आस-पास पङोस मे रहने वाले गरीबों और रिश्तेदारों को भी इफ्तार का सामान मुहैया करायें। गरीबों मिसकीनों तथा रोजेदारों को रोजा खुलवाना रब के नजदीक अजरो सवाब का बाइस होता है। हमे चाहिए के हम सब बहैसियत एक मुसलमान होने के सबसे पहले एक अच्छा नेक इन्सान बने तथा रब की नेमतों उठते बैठते शुक्र अदा करते रहें।

इस अवसर पे प्रमुख रुप से पुर्व मेयर प्रत्याशी हाजी बदरुददीन अहमद,  शहजादे, परवेज अख्तर, नईम अहमद, शारिक अख्तर, साजिद, अरशद, जमील अहमद, हाफिज हसीन अहमद, हाफिज, रेहान, शहजादे, मतीन अंसारी, अतीकुररहमान, शाहनवाज सानू, मोहम्मद सुफियान, बादशाह अली, मतीन, परवेज अख्तर, नईम अहमद, लइक अहमद, शहजादे, रेहान, अजहरुद्दीन, शाहिद जमाल, शाहरुख सिद्दीकी, आरिफ वसीम समेत तमाम गणमान्य लोग भी शामिल थे।

शनिवार, 23 मार्च 2024

शिक्षा को बढ़ावा देने का माध्यम है छात्रवृत्ति योजना





Varanasi (dil India live). मालाबार चेरिटेबल ट्रस्ट/म ट्रस्ट/मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स ज्वैलरी रिटेल द्वारा नानक भवन सिगरा, सिद्धगिरीबाग रोड के सभागार में आयोजित योग्यता आधारित छात्रवृत्ति वितरण हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि सीडीओ (आईएएस) हिमांशु नागपाल थे। साथ ही साथ गुरूनानक स्कूल की निदेशिका जगजीत कौर, कार्यवाहक प्रधानाचार्य  सुमेधा, गुरूनानक इंग्लिश मीडियम स्कूल गुरूबाग की प्रधानाध्यापिका नीलू कौर उपस्थित रहीं। मालाबार गोल्ड एंड डायमंड्स ज्वैलरी रिटेल के शोरूम मैनेजर श्री शुभम केशरी द्वारा मुख्य अतिथि  का स्वागत किया गया। मालाबार की ओर से मुख्य अतिथि की उपस्थिति में वाराणसी के भिन्न-भिन्न विद्यालयों के चयनित 125 छात्राओं को कुल रू० 1025000/- (रू दस लाख पच्चीस हजार) मात्र का वितरण किया गया। मुख्य अतिथि ने कहा कि मालाबार ने सशक्त शिक्षा और नारीत्व को सशक्त बनाना उनका उत्थान करना उनकी क्षमताओं को पहचानना के तहत छात्राओं को छात्रवृत्ति वितरण की जा रही है। यह छात्रवृति शिक्षा को बढ़ावा देने और उभरती प्रतिभाओं की क्षमता को सक्षम करने के लिय ट्रस्ट के समर्पण का प्रतीक है। मुख्य अतिथि महोदय ने श्री शुभम केशरी की ओर से इस कार्यक्रम को भव्य रूप से करने की काफी सराहना की तथा समस्त छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। इस छत्रवृत्ति से जनपद वाराणसी के गुरूनानक खालसा बालिका इ.का. के 54 छात्रायें, GGIC मलदहिया के 40 छात्रायें, बसन्त कन्या इ०का० के 30 छात्रायें एवं अग्रसेन इं०का० के 01 छात्रा लाभन्वित हुई। मालाबार कंपनी की ओर से विद्यालय निदेशिका श्रीमती जगजीत कौर, कार्यवाहक प्रधानाचार्य श्रीमती सुमेधा गुरूनानक इंग्लिश मीडियम स्कूल गुरूबाग की प्रधानाध्यापिका सुश्री नीलू कौर को धन्यवाद दिया गया।

मरियम के आंगन में सजा दस्तरख्वान, सभी धर्म के लोगों ने किया इफ्तार

बिशप हाउस में दिखी गंगा जमुनी तहजीब 




Varanasi (dil India live). कैंटोंमेंट स्थित बिशप हाउस परिसर में जैसे ही अज़ान कि सदाएं बुलंद हुई, अल्लाह हो अकबर, अल्लाह...। अजान के बाद काशी के धर्मगुरुओं और रोजेदारों ने एक ही दस्तरखान पर रोजा इफ्तार किया। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई समेत सभी धर्म के लोग मौजूद रहे। सभी ने काशी की गंगा-जमुनी तहजीब की इस रवायत को देखकर रमजान के मुकद्दस महीने में अल्लाह से मिल्लत व सलामती की दुआएं मांगी।

इससे पहले बिशप हाउस में सजाए गए दस्तरखान पर ईसाई धर्मगुरुओं ने अपने हाथों से रोजेदारों के लिए थालियां परोसी। अजान होने के बाद रोजेदारों के साथ सभी ने रोजा इफ्तार किया। रोजेदारों ने खजूर, शर्बत, लस्सी, खजूर, कटलेट व इमरती आदि से इफ्तारी की। नमाज मुफ्ती ए बनारस मौलाना बातिन ने अदा करायी। उन्होंने मुल्क हिन्दुस्तान में अमन, मिल्लत और सौहार्द की दुआएं मांगी। स्वागत बिशप यूजीन जोसेफ ने किया तो शुक्रिया फादर फिलिप डेनिस व फादर थामस ने कहा।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार एके लारी, नुरुल हसन खां, अशफाक सिद्दीकी, अमन सिद्दीकी, गुरुद्वारा बड़ी संगत नीचीबाग के ग्रंथी भाई धर्मवीर सिंह, ज़ुबैर आदिल, सैयद फरमान हैदर, डॉ. मो.आरिफ, मुनीजा रफीक, मो. इस्माइल रज़ा, परमजीत सिंह अहलूवालिया, अतहर जमाल लारी, एहतेशामुल हक, जावेद अख्तर, डा. हमजा समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।

नन्हे असीम ने रखा रमज़ान का रोज़ा


Varanasi (dil India live)। मुक़द्दस रमजान में नन्हें मुन्ने बच्चों द्वारा रोज़ा रखने की परम्परा बनारस में लगातार बनी हुई है। यही वजह है रमजान शुरू होते ही नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा रोज़ा रखने का सिलसिला शुरू हो जाता है। मदरसा अहयाउल उलूम जैनपुरा में तालीम ले रहे महज 6 साल के मोहम्मद असीम भी रोज़ा है। मोहम्मद उमर और दरकशा महपारा के साहबजादे असीम कहते हैं कि रब राज़ी हो जाए इसलिए रोज़ा रखा। उनके वालिदैन को खुशी है की उनके साहबजादे नन्ही सी उम्र में ही रोज़ा रखने लगे हैं। वो कहते हैं कि हमने सोचा नहीं था कि मेरा बेटा रोज़ा रख लेगा मगर उसकी जिद के आगे हम लोग कुछ नहीं बोले और उसने रोज़ा रख कर हम सबको खुश कर दिया।

"वेस्ट फ्लावर रिसाइक्लिंग सेण्टर" का सीडीओ ने किया उद्घाटन




Varanasi (dil India live)। युवा ग्राम्य विकास समिति, बसनी द्वारा संचालित साईं इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के बसनी स्थित परिसर में "वेस्ट फ्लावर रिसाइक्लिंग सेण्टर" का उद्घाटन वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से वाराणसी मंडल के संयुक्त आयुक्त (उद्योग) श्री उमेश कुमार सिंह, विकास खण्ड-बड़ागांव की खण्ड विकास अधिकारी सुश्री प्रतिभा चौरसिया एवं भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक लखनऊ के उप महाप्रबंधक नीरज भल्ला उपस्थित थे। 

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री हिमांशु नागपाल जी ने कहा कि मंदिरों में अर्पित जिन फूलों को बाद में यहाँ वहाँ फेंक दिया जाता है या फिर नदियों और तालाबों में फेंक दिया जाता है उन्हीं फूलों से साईं इंस्टिट्यूट द्वारा अगरबत्ती, धूप और अन्य उत्पादों का निर्माण किया जाना और इस कार्य से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को जोड़कर उनको भी आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास निःसंदेह सराहनीय है। इस कार्य के लिए सरकार के स्तर पर जो भी सहयोग संभव होगा, किया जाएगा। हम चाहेंगे कि महिलाएं अपना यूनिट लगाएं ताकि वो सीधे उत्पादन से जुड़ सकें। इस काम को करने से धन तो मिलता ही है, साथ में पर्यावरण संरक्षण में भी हम महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। श्री नागपाल ने इस कार्य में संस्था को शासन स्तर पर पूर्ण सहयोग दिलाने की अनुशंसा की। इस अवसर पर उन्होंने मंदिरों पर अर्पित फूलों को इकट्ठा करने के लिए "फ्लावर कलेक्शन वैन" का भी शुभारंभ किया। 

कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा संस्थान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए छवि अग्रवाल, नीतू वर्मा, शर्मिला पटेल, अरविंद दूबे को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया तथा सिडबी के सहयोग से चल रहे अगरबत्ती व धूप का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी महिलाओं को प्रमाण पत्र का वितरण किया गया। 

कार्यक्रम का संचालन साईं इंस्टिट्यूट के निदेशक अजय सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन शिव कुमार शुक्ला ने व्यक्त किया। इस अवसर पर अनुपमा दूबे, हर्ष सिंह, सुप्रिया पाठक, इन्दू वर्मा, प्रियंका पटेल, रेनू दूबे, सरिता देवी, डिम्पल पटेल, अनीता पटेल, दीपा, मधु देवी आदि उपस्थित रहे।

शुक्रवार, 22 मार्च 2024

शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब सुपुर्द-ए-खाक

देश-दुनिया में चर्चित शहर काजी के जनाजे में उमड़ा जनसैलाब 






Varanasi (dil India live)। देश-दुनिया में मशहूर व मारूफ काजी-ए-शहर बनारस अल्लामा, मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब को जुमे की नमाज के बाद बजरडीहा सिथत कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इससे पहले उनके जनाजे की नमाज मौलाना मोहम्मद जमील अहमद ने अदा करायी। उनके जनाजे में लाखों लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। 

हम बता दें कि शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब गुरुवार को रोज़ा थे, शाम में मगरिब की नमाज के साथ ही उन्होंने रोज़ा इफ्तार किया, नमाज अदा किया और कुछ ही देर बाद वो अल्लाह को प्यारे हो गए। उनके इंतकाल की खबर से समूचे पूर्वांचल खासकर बरेलवी मुस्लिमों में अफसोस की लहर दौड़ गई। उनके साहबजादे मोहम्मद जावेद ने बताया कि शहर काजी मरहूम तकरीबन 90 साल के थे। उनके मुरीद इम्तियाज खां ने बताया कि हज़रत के लाखों मुरीद देश विदेश में फैले हुए हैं।

अब जलसे की कौन करेगा सदारत

आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शहर काजी तकरीबन पांच दशक से काजी ए शहर बनारस के पद पर आसीन थे। शहर ही नहीं जिले और आसपास के इलाकों में होने वाले तकरीबन सभी दीनी जलसों की सदारत शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब मरहूम ही किया करते थे। अहसन हमदी कहते हैं कि काजी साहब ही जलसों की ज़ीनत हुआ करते थे। इतनी उम्र होने के बावजूद सभी जलसों में वो पहुंचते थे। उनकी ही अगुवाई में तिलभांडेश्वर सिथत शरई अदालत रमजान, ईद, बकरीद समेत महीनों के चांद देखें जाने का ऐलान होता और तमाम फतवे जारी होते थे। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके इंतकाल पर अफसोस जाहिर किया।

सुल्तान क्लब ने पेश की खिराजे अकीदत

प्रख्यात आलिम ए दीन काज़ी ए शहर बनारस मौलाना गुलाम यासीन साहब का वृहस्पतिवार की रात्रि को तिलभांडेश्वर रेवड़ीतालाब स्थित आवास पर 90 साल की उम्र में इंतकाल हो गया। इंतकाल की खबर लगते ही लोगों का होजूम उमड़ पड़ा। सामाजिक संस्था सुल्तान क्लब की एक अफसोस बैठक संस्था अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक की अध्यक्षता में रसूलपुरा स्थित कार्यालय में आयोजित कर खिराजे अकीदत पेश की गई।

      जिसमे काजिए शहर गुलाम यासीन साहब की सामाजिक और दीनी खिदमात पर विस्तृत प्रकाश डाला गया। इनके मुरीद काफी संख्या में पूरे पूर्वांचल में फैले हुए हैं,आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले काज़ी साहब 50 वर्षों से क़ाज़ी ए शहर बनारस की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इनकी निगरानी में एक शरई अदालत भी कायम है जो सुन्नी मसलक के मानने वाले उनके आवास पर फतवा लेने पहुंचते थे। बनारस से जब नरेंद्र मोदी सांसद चुने गए और देश के प्रधानमंत्री बने तो इनके नेतृत्व में एक दल मुबारकबाद देने के लिए दिल्ली पहुंचा। आप ने बनारस में हज हाउस कायम करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। आप के अगुवाई में ईद मिलादुन्नबी का जुलूस भी निकलता रहा है। आप ने अपने पीछे नाती पोतों का भरा पूरा परिवार छोड़ा है, पत्नी का 14 वर्ष पहले ही इंतकाल हो चुका है। इनके इंतकाल से समाज में जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति मुश्किल है।

अफसोस बैठक में अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, उपाध्यक्ष महबूब अली,महासचिव एच हसन नन्हें, सचिव जावेद अख्तर, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज, मौलाना अब्दुल्लाह, हाफिज मुनीर, मुहम्मद इकराम, नसीमुल हक, मुख्तार अहमद, अब्दुर्रहमान इत्यादि शामिल थे।

गुरुवार, 21 मार्च 2024

शहर काजी मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब के इंतकाल से अफसोस में डूबा पूर्वांचल

 

जुमे की नमाज के बाद होंगे सुपुर्द-ए-खाक 


कुछ वर्ष पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील करने निकले थे शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब (फाईल फोटो)

Varanasi (dil India live)। देश-दुनिया में मशहूर व मारूफ काजी-ए-शहर बनारस मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब का जुमेरात की शाम मगरिब की नमाज के बाद इंतकाल हो गया। उनके इंतकाल से समूचे पूर्वांचल खासकर बरेलवी मुस्लिमों में अफसोस की लहर दौड़ गई। उनके साहबजादे मोहम्मद जावेद ने बताया कि जुमे की नमाज के बाद उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। शहर काजी तकरीबन 90 साल के थे। उनके मुरीद इम्तियाज खां ने बताया कि हज़रत के लाखों मुरीद देश भर में फैले हुए हैं। आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शहर काजी तकरीबन पांच दशक से काजी ए शहर बनारस के पद पर आसीन थे। उनकी ही अगुवाई में तिलभांडेश्वर सिथत उनके दौलतखाने पर शरई अदालत क़ायम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से देश भर के उलेमाओं का एक दल कुछ वर्ष पूर्व शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब की अगुवाई में जब मिलने गया था तो शहर काजी ने पीएम मोदी से बनारस में हज हाउस की मांग की थी। जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया था। काबा से लेकर ईराक समेत कई देशों की धार्मिक यात्रा कर चुके शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब के पूर्वांचल भर में लाखों मानने वाले बरेलवी है। रमजान के रहमत का अशरा पूरा करने के बाद उनके इंतकाल को बेहद मुबारक दिन माना जा रहा है। इसलाम में यह भी माना जाता है कि रमजान में जिनका इंतकाल होता है रब उनसे हिसाब किताब नहीं करता। बजरडीहा में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मौलाना जमील अहमद साहब उनके जनाजे की नमाज जुमा को दोपहर 3 बजे अदा कराएंगे। 

रमजान का मुक़द्दस रोज़ा और तरावीह की पाबंदी


Varanasi (dil India live). मुकद्दस रमजान में पूरे महीने जिस तरह से मोमिन को रोज़ा रखना ज़रूरी है वैसे ही उसे तरावीह की नमाज़ भी अदा करना ज़रुरी होता है। रोज़ा फर्ज़ है और तरावीह सुन्नत। इसके बावजूद तरावीह अदा करना इस्लाम में बेहद ज़रूरी करार दिया गया है, इसलिए कि तरावीह नबी-ए-करीम को बेहद पसंद थी। 

रमज़ान को इबादत का महीना माना जाता है और इस महीने की बहुत अहमियत है। इस मुकददस महीने में मुसलमान महीने भर रोजे (व्रत) रखता है। पांच वक्त की नमाज और नमाजे-तरावीह अदा करता हैं। कुछ मस्जिदों में तरावीह 4 दिन कि तो कहीं 6 दिन तो कहीं 15 दिन में अदा की जाती है। उलेमा कहते हैं कि अगर किसी ने 4 दिन की तरावीह या 15 दिन की तरावीह मुकम्मल कर ली तो वो ये न सोचे कि तरावीह उसकी हो गई। उलेमा कहते है कि तरावीह पूरे महीने अदा करना ज़रूरी है। तरावीह चांद देखकर शुरू होती है और चांद देखकर ही खत्म होती है। तरावीह में पाक कुरान सुना जाता है। अगर किसी ने 4 दिन, 7 दिन या 15 दिन या जितने भी दिन की तरावीह मुकम्मल की हो उसे सुरे तरावीह महीने भर यानी ईद का चांद होने तक अदा करना चाहिए।

दुआएं होती है कुबुल  

रमज़ान में देश दुनिया में अमन के लिए दुआएं व तरक्की के लिए दुआएं मांगी जाती है। दरअसल रमजान का पाक महीना इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इस पाक महीने में लोग इबादत करके अपने रब का जहां शुक्रिया अदा करते हैं वहीं इस महीने में दुआएं कुबुल होती है।

क्या होती है तरावीह

 रमजान में मोमिन दिन में रोज़ा रखते हैं और रात में तरावीह की नमाज़ अदा करते है। यह नमाज़ बीस रिकात सामूहिक रुप से अदा की जाती है। इस नमाज को कम से कम 3 दिन ज्यादा से ज्यादा 30 दिन में पढ़ा जाता है जिसमें एक कुरान मुकम्मल की जाती है। खुद पैगंबर हुजूर अकरम सल्लललाहो अलैह वसल्लम ने भी नमाज तरावीह अदा फरमाई और इसे पसंद फरमाया।।

हाफिज नसीम अहमद बशीरी 

(प्रिंसिपल मदरसा हाफिज जुम्मन साहब)

जानिए कैसे रोज़ा रहते थे नबी और नबी के घरानै वाले


Varanasi (dil India live).हजरत अली के घर में सबने रोजा रखा। हजरत फातिमा ने भी रोजा रखा, दो बच्चे है उनके अभी छोटे है पर रोजा रखा हुआ है। मगरिब का वक़्त होने वाला है, इफ्तारी का वक़्त होने वाला है, सबके सब मुसल्ला बिछा कर रो-रोकर दुआ मांगते हैं। हजरत फातिमा दुआ खत्म करके घर में गयी और चार (4) रोटी बनाई, इससे ज्यादा उनके घर में अनाज नही है। हजरत फातिमा चार रोटी लाती है। पहली रोटी अपने शौहर अली के सामने रख दी! दूसरी रोटी अपने बड़े बेटे हसन के सामने! तीसरी रोटी छोटे बेटे हुसैन के सामने रख दी! ओर एक रोटी खुद रख ली। 

मस्जिद-ए-नबवी में आजान हो गयी, सबने रोजा खोला, सबने रोटी खाई। मगर दोस्तो...अल्लाह की कसम वो फातिमा थी जिसने आधी रोटी खाई ओर आधी रोटी को दुपट्टे से बांधना शुरू कर दिया। ये मामला हजरत अली ने देखा और कहा के फातिमा तुझे भूख नही लगी, एक ही तो रोटी है उसमे से आधी रोटी दुपट्टे में बांध रही हो? फातिमा ने कहा!! ऐ अली हो सकता है मेरे बाबा जान(नबी पाक)को इफ्तारी में कुछ ना मिला हो, वो बेटी कैसे खायगी जिसके बाप ने कुछ खाया नही होगा?


फातिमा दुपट्टे में रोटी बांध कर चल पड़ी है उधर हमारे नबी मगरिब की नमाज़ पढ़ा कर आ रहे हैं हजरत फातिमा दरवाजे पर है देखकर हुजूर कहते हैं ऐ फातिमा तुम दरवाजे पर कैसे, फातिमा ने कहा ए अल्लाह के रसूल मुझे अंदर तो लेके चले। हजरत फातिमा की आंखों में आंसू थे, कहा जब इफ्तार की रोटी खाई तो आपकी याद आ गयी कि शायद आपने खाया नही होगा इसलिए आधी रोटी दुपट्टे से बांध कर लाई हूँ।

रोटी देखकर हमारे नबी की आंखों में आंसू आ गए और कहा, ए फातिमा अच्छा किया जो रोटी ले आई वरना चौथी रात भी तेरे बाबा की इसी हालात में निकल जाती। दोनों एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं। अल्लाह के रसूल ने रोटी मांगी, फातिमा ने कहा बाबा जान आज अपने हाथों से रोटी खिलाऊंगी ओर चौडे चोड़े टुकड़े किये और हुजूर को खिलाने लगी। रोटी खत्म हो गयी और हजरत फातिमा रोने लगती है। हुजूर पाक ने देखा और कहा के फातिमा अब क्यों रोती हो? कहा अब्बा जान कल क्या होगा? कल कोन खिलाने आयगा? कल क्या मेरे घर मे चुहला जलेगा ? कल क्या आपके घर में चुहला जलेगा? नबी ने अपना प्यारा हाथ फातिमा के सर पर रखा और कहा कि फातिमा तू भी सब्र करले ओर मैं भी सब्र करता हूँ। हमारे सब्र से अल्लाह उम्मत के गुनाहगारों के गुनाह माफ करेगा! अल्लाहु अकबर ये होती है मोहब्बत जो नबी को हमसे थी, उम्मत से थी। ये गुनाहगार उम्मती हम ही है जिनके लिए हमारे नबी भूखे रहे, नबी की बेटी भूखी रही! और आज हमलोग क्या कर रहे हैं, उनके लिए। कल कयामत के दिन मैं ओर आप क्या जवाब देंगे?

साभार 

बुधवार, 20 मार्च 2024

गुरुवाणी विविध धर्मो के संतों फकीरों की साँझी वाणी - जगजीत कौर




Varanasi (dil India live)। भक्ति व्यक्ति के जीवन से प्रारंभ होकर मृत्यु तक चलने वाली प्रक्रिया है, बिना भक्ति के जीवन अधूरा है। उक्त विचार बुधवार को डीएवी पीजी कॉलेज में चल रहे दो दिवसीय 'हिन्दी भक्ति कविता और पंजाबी का गुरमति साहित्य : प्रभाव एवं अंतः सम्बन्ध' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में गुरुनानक खालसा स्कूल की निदेशिका श्रीमती जगजीत कौर अहलूवालिया ने समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि कही। हिन्दी विभाग एवं उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में जगजीत कौर ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब सिख धर्म मे 11 वें गुरु के रूप में स्थापित है। गुरुग्रंथ साहिब एक साँझी बाणी है जो किसी खास को नेतृत्व देने के बजाए सबको नेतृत्व प्रदान करती है। उन्होंने बताया कि गुरुबाणी में हिन्दी भक्ति के कवियों के साथ साथ विभिन्न मतावलंबियों की बाणी भी शामिल है। कबीर, रविदास, रामदेव, रामानन्द, जयदेव, बाबा फरीद जैसे संतो फकीरों की साझी बाणी के रूप में संकलित है। 

   उन्होंने यह भी बताया कि सिख धर्म का काशी से गहरा संबंध रहा है, पहली उदासी के दौरान लगभग 530 वर्ष पूर्व प्रथम गुरु गुरुनानक देव काशी आये, आज उसी स्थान पर गुरुबाग गुरुद्वारा स्थापित है। नौंवे गुरु तेग बहादुर सिंह भी 7 महीने 18 दिन तक काशी के नीचीबाग में रह चुके है।

विशिष्ट वक्ता उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अरविन्द नारायण मिश्र ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब में उत्तर प्रदेश के पाँच संतो को स्थान मिला है, जिसमे रामानंद ने निर्गुण भक्ति साधना की बात कही है। उनके सिद्धांत समानता के अधिकार की बात कहते है, यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। अध्यक्षता करते हए महाविद्यालय के कला संकाय प्रभारी प्रो. मिश्रीलाल ने कहा कि भक्ति कविता और गुरमति साहित्य दोनों ही व्यक्ति के जीवन को परिवर्तित करने की शक्ति रखते है। भक्ति काल की कविताओं का उदय लोकमंगल की भावना से ही हुआ। इसके अलावा विभिन्न सत्रों में सुश्री मांजना शोधार्थी पंजाब ने बाबा फरीद की भक्ति कविता, शोधार्थी विवेक कुमार तिवारी ने भक्ति कविता और पंजाब, हिंदू कन्या महाविद्यालय, सीतापुर की डॉक्टर पल्लवी मिश्रा ने पंजाब में सूफी कविता एवं डॉ. राकेश पांडे ने गुरु ग्रंथ साहिब में भक्ति कविता के संदर्भ में व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी, स्वागत प्रोफेसर समीर कुमार पाठक, रिपोर्ट प्रस्तुति डॉ. नीलम सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर राकेश कुमार राम ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रोफेसर ऋचारानी यादव, प्रोफेसर मधु सिसोदिया, डॉ. सीमा, डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ. सोमनाथ पाठक, डॉ. अस्मिता तिवारी, डॉ.विश्वमोली सहित अन्य विभागों के प्राध्यापक उपस्थित रहे।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...