बुधवार, 19 फ़रवरी 2025

Banaras rail इंजन कारखाना में अंतर्विभागीय वॉलीबॉल प्रतियोगिता

बरेका में रोमांचक मुकाबलों में खिलाड़ियों ने दिखाया दमखम

प्रतियोगिता में महाप्रबंधक नरेश पाल ने वॉलीबॉल कोर्ट पहुंचकर बढ़ाया खिलाड़ियों का उत्साह 

Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live). बनारस रेल इंजन कारखाना  खेल संघ के तत्वावधान में आयोजित अंतर्विभागीय वॉलीबॉल प्रतियोगिता के अंतर्गत 19 फरवरी को खेल मैदान में दो रोमांचक मुकाबले खेले गए। प्रतियोगिता का उद्घाटन जन संपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने खिलाड़ियों से परिचय प्राप्त कर, उन्हें शुभकामनाएं देते हुए खेल भावना के साथ उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया।


प्रथम मुकाबले में सिविल व भंडार डिपो और प्लांट डिवीजन के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली, जिसमें प्लांट डिवीजन  ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए 25-15, 25-15 के रोमांचक स्कोर से सिविल व भंडार डिपो को हराया। खिलाड़ियों के उम्दा प्रदर्शन और टीम वर्क ने दर्शकों का दिल जीत लिया। प्लांट डिवीजन की ओर से कर्मचारी परिषद सदस्य धर्मेंद्र कुमार सिंह का खेल सराहनीय रहा।

प्रतियोगिता के दौरान स्वयं महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह वॉलीबॉल कोर्ट पर पहुंचकर खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया साथ उन्होंने खिलाड़ियों से खेल संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की। खिलाड़ी अपने मध्य महाप्रबंधक को देख अत्यंत प्रसन्न दिखे।


दूसरे मुकाबले में लोको डिवीजन-1 और इंजन डिवीजन के बीच संघर्षपूर्ण खेल देखने को मिला। इस मैच में लोको डिवीजन-1 ने जबरदस्त खेल दिखाते हुए 25-22, 25-22,  के संघर्षपूर्ण स्कोर से जीत दर्ज की। खिलाड़ियों के जोश और खेल कौशल ने मैदान में उत्साह का संचार किया। बरेका में आयोजित इस तरह की अंतर्विभागीय प्रतियोगिताएं अधिकारियों एवं कर्मचारियों में खेल भावना, अनुशासन और आपसी सौहार्द को बढ़ावा देती हैं।


मैच को आयोजित करने में मुख्य रूप से बरेका वॉलीबॉल कोच सुनील राय, उदय राज यादव, प्रशांत सिंह, अनुवीर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा। मैच के दौरान मुख्य रूप से खेलकूद संघ के महासचिव एवं मुख्य यांत्रिक इंजीनियर उत्पादन, विपणन सुनील कुमार, उप मुख्य यांत्रिक इंजीनियर स्पेयर पार्ट्स एम.पी सिंह, सहायक सामग्री प्रबंधन डिपो हरि सिंह कुरियाल एवं बड़ी संख्या में कर्मचारीगण खेल प्रेमी उपस्थित रहे। यह आयोजन केवल प्रतियोगिता तक सीमित न रहकर कर्मचारी सामूहिक एकता एवं टीम बरेका के महत्वपूर्ण संदेश के वाहक बनते हैं।

Kashi की jivan शैली से साक्षात्कार कराती दिखीं प्रशिक्षुओं की कृतियां

वीकेएम के सर्जना में दिखे ‘जीवन के रंग’



 Varanasi (dil India live)। वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा वाराणसी में प्राचार्य रचना श्रीवास्तव की अगुवाई में ‘सर्जना’ सप्ताहोत्सव का आगाज़ बुधवार को किया गया। जीवन के रंग’ शीर्षक से शुरू हुए इस आयोजन में ग्राफिक डिजाइन (लोगो मेकिंग), प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, छाया चित्रण, जीरो वेस्ट (अपशिष्ट अनुप्रयोग), तात्कालिक रंजन, हस्तशिल्प एवं मेहंदी प्रतियोगिता में छात्राओं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। सर्जना का प्रारंभ ग्राफिक डिजाइन प्रतियोगिता से प्रातः 10:00 से हुआ, जिसका मुख्य विषय ‘बी गुड डू गुड ’ था। इस प्रतियोगिता में 15 छात्राएं उपस्थित रहीं। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता अपराह्न 12:00 से शुरू हुई जिसमें 88 छात्राओं ने हिस्सा लिया। छायाचित्रण और जीरो वेस्ट प्रतियोगिता में क्रमशः 75 और 50 छात्राओं ने भाग लिया, जिसका  मुख्य विषय ‘काशी का रंग’ था। तात्कालिक रंजन और हस्तशिल्प प्रतियोगिता अपराह्न 2:00 से शुरू हुआ, जिसका प्रकरण क्रमशः महाविद्यालय परिसर का जीवन एवं काशी के कला एवं शिल्प था जिनमें क्रमशः 14 व 24 छात्राओं ने भाग लिया, आज के कार्यक्रम का समापन मेहंदी प्रतियोगिता के साथ हुआ जिसमें कुल 57 छात्राओं की उपस्थिति दर्ज हुई।महाविद्यालय के संकाय सदस्य एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी भी उपस्थित रहे जिसमें मुख्य रूप से डा. आरती कुमारी, डा. सौमिलि मण्डल, एच. अम्बरीष, डॉ. पूर्णिमा, डॉ. शशिकेश कुमार गोंड , डा. वर्षा सिंह, प्रो. ममता मिश्रा, डा. मन्जू कुमारी, राजलक्ष्मी ने कार्यक्रम के आयोजक की भूमिका निभाई इसके साथ ही निर्णायक मंडली में डा. कल्पना आनंद, डा. माधुरी, डा. गरिमा एवं  डा. शशिप्रभा, डॉ संगीता देवड़िया, डॉ अंशु शुक्ला, डॉ. शशिकला, डॉ. सुनीता दीक्षित, डॉ. सरोज उपाध्याय, डॉ. नैरंजना श्रीवास्तव, डॉ. सुप्रिया सिंह एवं डॉ. पूनम वर्मा थी। सभी प्रतियोगिताओं का आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्या, प्रो. रचना श्रीवास्तव, सर्जना संयोजिका प्रो. सीमा वर्मा, और सह- संयोजिका डा. सुमन सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।






परवाज़ के निः शुल्क मेडिकल कैम्प में मरीजों को दिया गया परामर्श संग मुफ्त दवाएं

नेत्र चिकित्सक ने की आंखों की जांच, दिया परामर्श 



Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। परवाज़ वेलफेयर सोसाइटी और ISSRA की ओर से बजरडीहा टापर स्कूल के समीप निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इस फ्री मेडिकल कैम्प में सैकड़ों मरीजों की चिकित्सकों ने जांच की। इस मौके पर डाक्टरों ने मरीजों को जहां उचित चिकित्सकीय सलाह दी वहीं 2 दिन की दवाईयां भी निःशुल्क दी गई। आयोजन के दौरान आंख के डाक्टरों ने मरीजों की आंखों की निःशुल्क जांच कर आंखों में दवाइयां डाली और परामर्श दिया।इस मौके पर परवाज़ वेलफेयर सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी हाजी फारुख खां ने बताया कि इस मेडिकल कैम्प में पांच चिकित्सकों ने मरीजों की जांच की, उन्हें दवाइयां और उचित परामर्श दिया। इससे पहले लोहता और लल्लापुरा समेत कई जगहों पर संस्था ने निःशुल्क कैंप लगाया था। जो बेहद सफल रहा और इसका बड़ी संख्या में लोगों ने लाभ उठाया। इस मौके पर डा. इस्माईल ज़फ़र, डा. तालिब, डा. मोहम्मद हम्ज़ा, डा. सैयद, मौलाना हसीन अहमद हबीबी, डा. हाजी फारुख, शाहरुख खान आदि व्यवस्था संभाले हुए थे।

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025

VKM Varanasi में 19 से दिखेगा ‘जीवन के रंग‘, होगी विभिन्न प्रतियोगिताएं


Varanasi (dil India live)। वसन्त कन्या महाविद्यालय कमच्छा के सांस्कृतिक और अकादमिक मञ्च ‘सर्जना ‘ की शुरुआत 19 फरवरी को महाविद्यालय परिसर में किया जाएगा। 24 फरवरी तक चलने वाले इस सप्ताहव्यापी कार्यक्रम में ‘जीवन के रंग ‘ केन्द्रीय विषय पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। महाविद्यालयीय यह मञ्च छात्राओं में अन्तनिर्हित प्रतिभाओं को उभारने तथा निखारने हेतु अवसर प्रदान करता है। इसके अन्तर्गत विभिन्न अकादमिक और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। सर्जना में ग्राफिक डिज़ाइन, फोटोग्राफी, व्यावसायिक योजना, नाटक एवं रंगमंच, गायन-वादन के साथ नृत्य-संगीत, चित्रकला, हस्तकला और काव्यकला के साथ ही छात्राओं के सर्जनात्मक अभिव्यक्ति को मूर्तिमान करने वाली प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा ।

परमवीर चक्र विजेता Vir abdul Hamid का नाम स्कूल से हटाने पर नाराज़गी

वीर अब्दुल हमीद के पौत्र से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी जतायी नाराज़गी
 

Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव के स्कूल की हाल में ही रंगाई-पुताई की गई। पेंट करने के बाद आनन-फानन में स्कूल का नाम बदलकर पीएम श्री कम्पोजिट विद्यालय कर दिया गया। इसे लेकर पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने नाराजगी जताई है। 

पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने एक खबर का स्क्रीनशॉर्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर करते हुए लिखा है कि ये बेहद निंदनीय और अशोभनीय है कि देश के लिए शहीद होने से अधिक महत्व किसी और को दिया जा रहा है।अब बस यही बाक़ी रह गया है कि कुछ लोग देश का नाम भारत की जगह भाजपा रख दें, जिन्होंने न आज़ादी दिलाने में कोई भूमिका निभाई न ही आज़ादी बचाने में वो शहीदों का महत्व क्या जानें। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने परम वीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का नाम स्कूल से हटाए जाने पर कहा कि गाजीपुर जिले में एक प्राथमिक विद्यालय के प्रवेश द्वार से 1965 के युद्ध के नायक वीर अब्दुल हमीद का नाम हटाया जाना बेहद निंदनीय और अशोभनीय है।

शहीद वीर अब्दुल हमीद के परिवार के लोगों ने भी स्कूल की बाहरी दीवार और गेट से वीर अब्दुल हमीद का नाम हटाए जाने का विरोध किया।इसी स्कूल में कभी परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद ने शिक्षा हासिल ग्रहण की थी।परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हामिद के पौत्र जमील अहमद ने कहा कि पांच दिन पहले स्कूल की रंगाई-पुताई की गई थी।प्रवेश द्वार पर शहीद हमीद विद्यालय की जगह पीएम श्री कम्पोजिट स्कूल लिख दिया गया।

गाजीपुर के धामूपुर स्थित परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद विद्यालय का नाम बदलकर पीएम श्री कंपोजिट विद्यालय करने का कांग्रेस ने भी विरोध किया है। कांग्रेस के वाराणसी महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने इसे शहीदों का अपमान करार दिया। राघवेन्द्र चौबे ने कहा कि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अमेरिका के अजय समझे जाने वाले सात पैटन टैंकों को धवस्त करने वाले परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद का नाम हटाया जाना दुखद है। जबकि वीर अब्दुल हमीद इसी विद्यालय के विद्यार्थी थे। आज भी विद्यालय के रजिस्टर में उनका नाम दर्ज है।

सोमवार, 17 फ़रवरी 2025

Duniya (दुनिया) की पहली Air Post सेवा ने पूरे किए 114 वर्ष

पोस्टमास्टर जनरल ने बताया भारत में कुंभ के दौरान हुई थी शुरुआत

-18 फरवरी 1911 को दुनिया का पहला हवाई जहाज 6,500 पत्रों को लेकर उड़ा था

Ahmadabad (dil India live). डाक सेवाओं ने पूरी दुनिया में एक लम्बा सफर तय किया है। भारत को यह सौभाग्य प्राप्त है कि दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा यहीं से आरम्भ हुई। उत्तर गुजरात परिक्षेत्र, अहमदाबाद के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि यह ऐतिहासिक घटना 114 वर्ष पूर्व 18 फरवरी, 1911 को प्रयागराज में हुई थी। संयोग से उस साल कुंभ का मेला भी लगा था। उस दिन दिन  फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने एक नया इतिहास रचा था। वे अपने विमान में प्रयागराज से नैनी के लिए 6500 पत्रों को अपने साथ लेकर उड़े। विमान था हैवीलैंड एयरक्राफ्ट और इसने दुनिया की पहली सरकारी डाक ढोने का एक नया दौर शुरू किया।



पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव के अनुसार प्रयागराज में उस दिन डाक की उड़ान देखने के लिए लगभग एक लाख लोग इकट्ठे हुए थे जब एक विशेष विमान ने शाम को साढ़े पांच बजे यमुना नदी के किनारों से उड़ान भरी और वह नदी को पार करता हुआ 15 किलोमीटर का सफर तय कर नैनी जंक्शन के नजदीक उतरा जो प्रयागराज के बाहरी इलाके में सेंट्रल जेल के नजदीक था। आयोजन स्थल एक कृषि एवं व्यापार मेला था जो नदी के किनारे लगा था और उसका नाम ‘यूपी एक्जीबिशन’ था। इस प्रदर्शनी में दो उड़ान मशीनों का प्रदर्शन किया गया था। विमान का आयात कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने किया था। इसके कलपुर्जे अलग अलग थे जिन्हें आम लोगों की मौजूदगी में प्रदर्शनी स्थल पर जोड़ा गया।  प्रयागराज से नैनी जंक्शन तक का हवाई सफ़र आज से 114  साल पहले मात्र  13 मिनट में पूरा हुआ था।
पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि हालांकि यह उड़ान महज छह मील की थी, पर इस घटना को लेकर प्रयागराज में ऐतिहासिक उत्सव सा वातावरण था। ब्रिटिश एवं कालोनियल एयरोप्लेन कंपनी ने जनवरी 1911 में प्रदर्शन के लिए अपना एक विमान भारत भेजा था जो संयोग से तब प्रयागराज आया जब कुम्भ का मेला भी चल रहा था। वह ऐसा दौर था जब जहाज देखना तो दूर लोगों ने उसके बारे में ठीक से सुना भी बहुत कम था। ऐसे में इस ऐतिहासिक मौके पर अपार भीड होना स्वाभाविक ही था। इस यात्रा में हेनरी ने इतिहास तो रचा ही पहली बार आसमान से दुनिया के सबसे बडे प्रयाग कुंभ का दर्शन भी किया।
भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी  श्री कृष्ण कुमार यादव के अनुसार कर्नल वाई विंधाम ने पहली बार हवाई मार्ग से कुछ मेल बैग भेजने के लिए डाक अधिकारियों से संपर्क किया जिस पर उस समय के डाक प्रमुख ने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी। मेल बैग पर ‘पहली हवाई डाक’ और ‘उत्तर प्रदेश प्रदर्शनी, इलाहाबाद’ लिखा था। इस पर एक विमान का भी चित्र प्रकाशित किया गया था। इस पर पारंपरिक काली स्याही की जगह मैजेंटा स्याही का उपयोग किया गया था। आयोजक इसके वजन को लेकर बहुत चिंतित थे, जो आसानी से विमान में ले जाया जा सके। प्रत्येक पत्र के वजन को लेकर भी प्रतिबंध लगाया गया था और सावधानीपूर्वक की गई गणना के बाद सिर्फ 6,500 पत्रों को ले जाने की अनुमति दी गई थी। विमान को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 13 मिनट का समय लगा।
भारत में डाक सेवाओं पर तमाम लेख और एक पुस्तक 'इंडिया पोस्ट : 150 ग्लोरियस ईयर्ज़' लिख चुके श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया  कि इस पहली हवाई डाक सेवा का विशेष शुल्क छह आना रखा गया था और इससे होने वाली आय को आक्सफोर्ड एंड कैंब्रिज हॉस्टल, इलाहाबाद को दान में दिया गया। इस सेवा के लिए पहले से पत्रों के लिए खास व्यवस्था बनाई गई थी। 18 फरवरी को दोपहर तक इसके लिए पत्रों की बुकिंग की गई। पत्रों की बुकिंग के लिए ऑक्सफोर्ड कैंब्रिज हॉस्टल में ऐसी भीड लगी थी कि उसकी हालत मिनी जी.पी.ओ सरीखी हो गई थी। डाक विभाग ने यहाँ तीन-चार कर्मचारी भी तैनात किए थे। चंद रोज में हॉस्टल में हवाई सेवा के लिए 3000 पत्र पहुँच गए। एक पत्र में तो 25 रूपये का डाक टिकट लगा था। पत्र भेजने वालों में प्रयागराज की कई नामी गिरामी हस्तियाँ तो थी हीं, राजा महाराजे और राजकुमार भी थे।
आज दुनिया भर में संचार के तमाम माध्यम हैं, परंतु पत्रों की जीवंतता का अपना अलग स्थान है। ये पत्र अपने समय का जीवंत दस्तावेज हैं। इन पत्रों में से न जाने कितने तो साहित्य के पन्नों में ढल गए। आज हवाई जहाज के माध्यम से देश-दुनिया में डाक पहुँच रही हैं, परंतु इसका इतिहास कुंभ और प्रयागराज से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। इन पत्रों ने भूमंडलीकरण की अवधारणा को उस दौर में परिभाषित किया, जब विदेश जाना भी एक दु:स्वप्न था। हवाई डाक सेवा ने न सिर्फ पत्रों को पंख लगा दिए, बल्कि लोगों के सपनों को भी उड़ान दी। देश-विदेश के बीच हुए तमाम ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ी बातों और पहलुओं को एक-जगह से दूसरी जगह ले जाने में हवाई डाक सेवा का योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा।

चित्रों के जरिए पर्यावरण संरक्षण पर दिया गया ज़ोर

वसंत कन्या महाविद्यालय में एक-दिवसीय एनएसएस शिविर

कार्यक्रम में स्वयं सेविकाओं ने पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा को उजागर करते हुए विभिन्न जीवंत चित्रों का निर्माण किया। इसमें कुछ में लगातार काटे जा रहे हरे वृक्षों पर जहां चिंता जताई गई वहीं पर्यावरण को कैसे सुरक्षित रखना है कैसे बेहतर करना है इसका सुझाव दिया गया।

Varanasi (dil India live)। आज वसन्त कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी में राष्ट्रीय सेवा योजना, इकाई-5 की कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. वर्षा सिंह द्वारा एक-दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर पर्यावरण सुरक्षा पर आधारित था। जिसके अंतर्गत निबन्ध-लेखन प्रतियोगिता एवं पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने स्वयं सेविकाओं का उत्साहवर्द्धन करने के साथ-साथ उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनायें दी। कार्यक्रम में स्वयं सेविकाओं ने पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा को उजागर करते हुए विभिन्न जीवंत चित्रों का निर्माण किया। इसमें कुछ में लगातार काटे जा रहे हरे वृक्षों पर जहां चिंता जताई गई वहीं पर्यावरण को कैसे सुरक्षित रखना है कैसे बेहतर करना है इसका सुझाव दिया गया।