शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

पेड़ पौधे मत करो नष्ट, सांस लेने में होगा कष्ट- डॉक्टर एहतेशाम

गौराकला school में शुरू हुआ पौधारोपण अभियान, दर्जनों पौधे लगाए गए

Varanasi (dil India live)। चिरईगांव ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय गौराकलां के प्रांगण में शुक्रवार को पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

अध्यापक और छात्रों ने मिलकर दर्जनों पौधे लगाए। इस अवसर पर प्रिंसिपल आरती देवी ने कहा कि पौधों से हमें ऑक्सीजन मिलती है जो हमारे जीवन के लिए सबसे अहम है। हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाकर वातावरण को हरा भरा बनाना होगा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को जन्मदिन, परिवार में विवाह उत्सव अन्य आयोजनों पर पौधे लगाने चाहिए, और उसकी प्रतिदिन देखभाल करनी चाहिए। अटेवा के ज़िला उपाध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक ने कहा कि पौधे हमारे जीवन की अमूल्य निधि है। हमें प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। संतुलन बनाए रखने मे प्रकृति से सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए। बच्चों को कई नारों से जागरूक किया गया।'पेड़-पौधे मत करो नष्ट, सांस लेने में होगा कष्ट'। 'पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ, इस दुनिया को सुंदर बनाओ'। 'पेड़ लगाये जीवन बचाए, इस धरती को स्वर्ग बनाये'। 'इस धरती को चलो हरा भरा बनाये, आओ मिलकर पेड़ लगाये'। पौधा रोपण के बाद संचारी रोग से बचाव व स्वच्छता एवं अधिक नामांकन अभियान पर जोर दिया गया। इस अवसर पर प्रिंसिपल आरती देवी, ग्राम प्रधान राजीव कुमार राजू, अटेवा के डॉ एहतेशामुल हक, रेखा उपाध्याय, सादिया तबस्सुम, अनीता सिंह, शशिकला, प्रमिला सिंह, ज्योति कुमारी, शक्ति कुमारी, रीता, सोनी, आशा, रीना, त्रिलोकी इत्यादि मौजूद थे।

गुरुवार, 18 जुलाई 2024

...हम जिंदा-ए-जावेद का मातम नहीं करते

कर्बला की जंग के बाद चुप का बजा डंका, निकला लुटा हुआ काफिला



 





Varanasi (dil India live)। कर्बला की जंग के वाक़यात पर रौशनी डालने के लिए दालमंडी से गुरुवार को चुप का डंका बजाते हुए लुटा हुआ काफिले का जुलूस निकला। इस मौके पर शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर सलाम और कलाम पेश करते हुए जुलूस में चल रहे थे। दालमंडी स्थित मरहूम डॉ.नाजिम जाफरी के अजाखाने से निकले लुटे काफिले के जुलूस में फरमान हैदर ने पढ़ा, अशरे को भी शब्बीर का जो गम नहीं करते, वो पैरवी-ए-सरवरे आलम नहीं करते, हिम्मत हो तो महशर में पयंबर से भी कहना, हम जिंदा-ए-जावेद का मातम नहीं करते...। जुलूस के कदीमी रास्ते में आलिमों ने तकरीर पेश की। तकरीर में जब उन्होंने लुटे हुए काफिले का मंजर बयान किया तो शिया समुदाय के लोग बिलख उठें। 

सैकड़ों साल कदीमी इस लुटे काफिले के जुलूस में अलम, दुलदुल व परचम भी शामिल था। जुलूस के आते नई सड़क पर चारों ओर लोगों का मजमा ज़ियारत करने उमड़ा दिखा। जुलूस में परचम के पीछे दो लोग चुप का डंका, बजाते हुए दरगाहे फातमान की ओर बढ़े। इस मौके पर तमाम लोग दुलदुल, अमारी की जियारत कर रहे थे। आयोजन में सैयद आलीम हुसैन, अब्बास मुर्तजा शम्सी, समर शिवालवी, मुनाजिर हुसैन मंजू, नायाब रज़ा, सलमान हैदर, सैफ जाफरी, सिराज वगैरह कलाम पढ़ते हुए चल रहे थे। मुज्तबा जाफरी व डा. मुर्तज़ा जाफरी के संयोजन में निकले जुलूस में कर्बला के शहीदों का लुटा हुआ काफिला नई सड़क, फाटक शेख सलीम, पितरकुंडा, लल्लापुरा होकर होकर दरगाहे फातमान पहुंचा। जहां उलेमा ने तकरीर में कहा कि कर्बला में यजीद ने मोर्चा तो जीत लिया मगर जंग वो हार गया, आज पूरी दुनिया में इमाम हुसैन का नाम सबसे ज्यादा रखा जा रहा है मगर यज़ीद का नामलेवा कोई नहीं है। यजीद था और इमाम हुसैन हैं।

अज़ादारी जनाबे जैनब की देन

दालमंडी में ख्वातीन की मजलिस को खिताब करते हुए मोहतरमा नुजहत फातेमा ने कहा कि कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनकी बहन जनाबे ज़ैनब व उम्मे कुलसुम, उनके बेटे इमाम ज़ैनुल आबदीन व चार साल की छोटी बहन जनाबे सकीना ने ज़ालिम यज़ीद के जुल्म के सामने घुटने नहीं टेके बल्कि बहादुरी से सामना किया। दर्दनाक जुल्म सहते हुए कर्बला के बाद इमाम हुसैन के मिशन को दुनिया तक कामयाबी से पहुंचाया। यहां डा. नसीम जाफरी ने शुक्रिया अदा किया।

बुधवार, 17 जुलाई 2024

Muharram 10: यौमे आशूरा पर बोल मोहम्मदी या हुसैन...की सदाओं संग कर्बला में दफन हुई ताजिया

जंजीर और कमा का मातम देखकर कांप उठे लोग 

मस्जिदों में शहादतनामा, मोमीनीन ने रखा रोज़ा 



















Varanasi (dil India live)। इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की शहादत के गम में शहर कि बल खाती गलियों-मुहल्लों से लेकर सूदूर ग्रामीण इलाकों से तकरीबन 1000 से अधिक ताजियों का जुलूस बुधवार को निकला। इससे पहले घरों में कुरानख्वानी और फातिहा हुई। इमामबाड़ों और अजाखानों में नौहाख्वानी और मजलिसें हुईं। बोल मोहम्मदी या हुसैन...की सदाओं संग कर्बला में दफन होने के लिए ताजिया का जुलूस कर्बला पहुंच कर दफन हुआ, तो दूसरी ओर शहर भर की शिया अंजुमनों ने जंजीर और कमा का मातम किया, जिसे देखकर तमाम लोग कांप उठे। इस दौरान सुन्नी मस्जिदों में कर्बला के शहीदों की याद में शहादतनामा पेश किया गया, और मोमीनीन ने नफल रोज़ा रखा, शाम में अज़ान की सदाओं पर रोज़ा खोला गया।

इससे पहले शहर और ग्रामीण इलाकों से सुबह 10 बजे के बाद से ही नौवीं मुहर्रम पर इमाम चौक पर बैठाए गए ताजियों का जुलूस उठाया जाना शुरू हो गया जो अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ कर्बला पहुंचा। लल्लापुरा, मदनपुरा, रेवड़ी तालाब, दालमंडी, नई सड़क, रामापुरा, बजरडीहा आदि इलाकों के ताजिये दरगाहे फातमान लेकर जाकर ठंडे किए गए। उधर बड़ी बाजार, दोषीपुरा, कज्जाकपुरा, जलालीपुरा, कोयलाबाजार, पीलीकोठी, पुरानापुल आदि इलाकों के ताजिये सदर इमामबाड़ा लाट सरैया व तेलियानाला घाट में ले जाकर ठंडे किए गए। कुछ ताजिये शिवाला घाट और भवनिया कब्रिस्तान में दफन हुए।शिवपुर, बीएचयू, लंका आदि इलाकों से भी ताजिये कर्बला पहुंचकर ठंडे हुए। दरगाहे फातमान मार्ग पर खासी भीड़ देर रात तक उमड़ी रही। ताजिये के साथ ढोल, ताशा बजाते और युवा लाठी, डंडे आदि के जरिये फन-ए-सिपाहगिरी का करतब दिखाते हुए चल रहे थे।

शामे गरीबां की मजलिस

शाम में जुलूस के बाद देर शिया समुदाय की ओर से शाम-ए-गरीबां की मजलिसें होगी। दरगाहे फातमान, दालमंडी, पितरकुंडा, काली महाल, गौरीगंज व शिवाला में मजलिस को उलेमा बेताब करते हुए शहीदान-ए-कर्बला का जिक्र करेंगे। उधर, मरकजी सीरत कमेटी की ओर से नई सड़क स्थित खूजर वाली मस्जिद में जिक्र शोहदा-ए-कर्बला कार्यक्रम हुआ जिसमें उलेमा ने कर्बला के वाक़यात पर रौशनी डाली।

नफिल रोजा रखकर पेश की अकीदत-

सुन्नी समुदाय ने इमाम हुसैन की शहादत की याद में घरों में फातिहा और दुआख्वानी की। नफिल रोजा रखकर अकीदत पेश की। मगरिब की नमाज के बाद रोजा खोला गया।

जुलूस में जंजीर का मातम-

शिया समुदाय ने मजलिस, मातम व जुलूस निकाल कर कर्बला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया। जगह-जगह से अंजुमनों ने अलम, ताबूत दुलदुल का जुलूस उठाया। अजादारों ने कमा, जंजीर से मातम किया। जोहर की नमाज के बाद शहर की सभी अंजुमनों के जुलूस उठने लगे। अंजुमन हैदरी नई सड़क, अंजुमन जौव्वादिया कच्चीसराय, अंजुमन मातमी जौव्वादिया पितरकुडा, अंजुमन गुलजारे अब्बासिया व अंजुमन कासिमिया अब्बासिया ने गौरीगंज व शिवाला से अलम, दुलदुल का जुलूस उठाया। इस दौरान बड़े संग बच्चे भी सीनाजनी, खंजर, कमा से मातम कर रहे थे। खूनी मातम देख जियारतमंदों की आंखें नम हो गईं।

उधर, अर्दली बाजार इमामबाड़े से अंजुमन इमामिया के कमा व जंजीरी मातम देखकर सभी की आंखें नम हो गईं। इस दौरान काफी भीड़ रही। अर्दली बाजार से दसवीं मोहर्रम पर  अलम, ताबूत, दुलदुल का जुलूस यौम-ए अशूरा को उल्फत बीबी हाता स्थित मास्टर जहीर हुसैन के इमामबारगाह से उठा। तकरीर अबूल हसन साहब ने पेश किया। जुलूस में अंजुमन इमामिया के नेतृत्व में लोग नौहाखानी, मातम और सीनाजनी करते हुए चल रहे थे। जुलूस अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ नदेसर, अंधरापुल, लोहा मंडी,पिशाचमोचन के रास्ते देर शाम फातमान पहुंच कर ठंडा हुआ़। जुलूस में इरशाद हुसैन "शद्दू ", जैन, दिलशाद, ज़ीशान,फिरोज़, जफर अब्बास, दिलकश. मिसम, अयान, शाद, अमान, अलमदार हुसैन, अद्दनान, अरशान आदि ने सहयोग किया। सैय्यद फरमान हैदर ने बताया कि 11 वीं मुहर्रम को लुटे हुए काफिले का जुलूस दालमंडी में हकीम काजिम के इमामबाड़े से जुमेरात को सुबह 11 बजे से उठेगा।

उधर परवेज़ कादिर खां की अगुवाई में उठा दूल्हे का कदीमी जुलूस सकुशल संपन्न हो गया। इस दौरान जुलूस 60 ताजिया को सलामी और 72 अलाव पर दौड़ने के बाद शिवाला स्थित इमाम बाड़ा दूल्हा कासिम नाल पहुंच कर ठंडा हुआ। शाम में पुनः पानी वाला दूल्हा निकला जौ आसपास के इलाकों में होकर वापस शिवाला घाट पर पहुंच कर सम्पन्न हुआ। परवेज़ कादिर खां ने अवाम और पुलिस प्रशासन को शुक्रिया कहा।

तख्तों ताज के लिए नहीं, इंसानियत की हिफाजत के लिए हुई कर्बला की जंग

सब्र और शहादत की मिसाल है कर्बला की जंग

Varanasi (dil India live)। इंसानियत की हिफाजत के लिए हज़रत इमाम हुसैन ने अपने 71 साथियों के साथ सन 61 हिजरी को कर्बला के मैदान में शहादत दे दी थी। कर्बला की जंग किसी साम्राज्य के विस्तार या तख्तों ताज के लिए नहीं हुई बल्कि नाना हज़रत मुहम्मद के दीने इस्लाम को जिंदा करने के लिए हुई। सब्र और शहादत की कर्बला से बड़ी मिसाल पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलती।

मुहर्रम का महीना हमें पैगाम देता है कि सब्र का दामन हर दौर में पकड़े रहो, एक दूसरे से भाईचारे और मोहब्बत के साथ रहो। मस्जिद टकटकपुर के इमामे जुमा मौलाना अजहरुल कादरी कहते हैं कि इस महीने में कर्बला की धरती से मजहबे इस्लाम के गुलशन तथा ईमान व कुरान की हिफाजत के लिए पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने अपने 72 अजीजों को कुर्बान कर दिया। उन्होंने कहा कि इंसानियत की हिफाजत, लोगों की मदद तथा सब्र का पैगाम कर्बला से हमको मिला है। कर्बला की सरजमीं पर हक और बातिल की जंग हुई जिसमें इमाम आली मकाम ने बातिल के आगे सर को न झुकाया बल्कि हक और इस्लाम को जिंदा करने के लिए अपने आपको कुर्बान कर दिया। यही वजह है कि आज पूरी कायनात में इस्लाम का डंका बज रहा है। मौलाना हाफिज शफी अहमद कहते हैं ढोल, नगाड़े, नाच गाने की इस्लाम में कोई जगह नहीं है। आज लोग जुलूस निकाल रहे हैं मगर नमाज नहीं अदा कर रहे हैं। इमाम हुसैन से मोहब्बत करते हो तो सबसे पहले नमाज पढ़ो, तभी तुम सच्चे हुसैनी कहलाओगे। कर्बला की सरजमीं में जंग जारी थी मगर इमाम हुसैन और उनके साथियों ने नमाज नहीं छोड़ी। आज हम छोटी छोटी बातों पर नमाज छोड़ दें रहे हैं। मौलाना अमरुलहोदा कहते हैं इमाम हुसैन तुम्हारी नमाज, तुम्हारे मोहर्रम के रोज़े और इस्लाम के बताए रास्ते पर तुम्हारे चलने से खुश होंगे। तुम इमाम को खुश करना चाहते हो तो बेहयाई, मक्कारी, गीबत, बूरे काम छोड़कर नमाज़ी बन जाओ। हाफिज कारी शाहबुद्दीन इस्लाम की रौशनी में कहते हैं कि अपने अजीजों, पड़ोसियों, जरुरतमंदों का ख्याल रखो उनकी मदद करो, उन्हें नीचा न दिखाओ, उनकी बातों को अनसुनी न करों वरना जिस दिन रब ने जो ताकत दी है दौलत और सेहत दी वो उसे वापस ले लेगा तो तुम किसी काम के नहीं रहोगे। यजीद कर्बला में इमाम हुसैन को शहीद करने के बाद भी जंग हार गया। ऐसे  ही आप समझ लें कि यजीद था और इमाम हुसैन हैं।परवरदिगार हम सभी को नबी के नवासों ने जो कर्बला की जमीं से पैगाम दिया उस पर अमल करने की तौफीक अता फरमाएं (आमीन)।

मंगलवार, 16 जुलाई 2024

9 moharram: इमाम चौक पर बैठेगी सैकड़ों ताजिया, मुस्लिम रखेंगे रोज़ा

उठेगा दूल्हे का ऐतिहासिक जुलूस, घरों में होगी फातेहा 


फाईल फोटो 

Varanasi (dil India live). 9 वीं मोहर्रम पर मंगलवार की शाम मुस्लिम बहुल इलाके 'या हुसैन या हुसैन' की सदाओं से गूंज उठेंगे। शहीदाने कर्बला की याद में इमाम चौकों पर ताजिया मलीदे और शर्बत की फातेहा के बाद बैठा दी जाएंगी और इमाम हुसैन की शहादत को शिद्दत से याद किया जाएगा। इमाम चौकों और इमामबाड़ों में ताज़िए की जियारत को देर रात तक हुजुम उमड़ेगा। सुन्नी वर्ग ने शहर के विभिन्न इलाकों और मस्जिदों में जलसे का आयोजन किया है जहां देर रात तक उलेमाओं कर्बला की शहादत बयां करेंगे। इस दौरान दो दिन का मोमीनीन रोज़ा भी रखते हैं। कुछ लोग 9 वीं मोहर्रम और 10 वीं मोहर्रम को तो कुछ लोग 10 वीं, 11 वीं मोहर्रम को रोज़ा रहते हैं। मौलाना अजहरुल कादरी कहते हैं मोहर्रम की दस तारीख के रोज़े की बहुत फजिलत है। मौलाना कहते हैं कि कर्बला के मैदान में शहादत देकर इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाया है। अब तमाम दुनिया के इंसानों को चाहिए कि इमाम हुसैन के पैगाम को बचाएं। बुराई से बचें और नेकी व हमदर्दी के रास्ते पर चलें।

तैयारियां पूरी, तैयार हो गई खूबसूरत ताजिया 

आठ मोहर्रम को ताज़िए को अंतिम रूप दे दिया गया। ताज़िया को कारीगरी के बेहतरीन नमूनों और कलात्मक डिजाइनों से सजाया गया है। इन ताजियों को देखने के लिए शाम को भीड़ देर रात तक जमी रहेगी। खासकर लल्लापुरा स्थित रांगे का ताजिया, बाकराबाद के बुर्राक की ताजिया, बजरडीहा स्थित शीशे का ताजिया, उल्फत बीबी के हाते की ज़री की ताजिया, कोयला बाजार स्थित नगीने का ताजिया, मजीद पहलवान कमेटी की फूलों की ताजिया, दालमंडी स्थित पीतल की ताजिया, गौरीगंज की शीशम की ताजिया, चपरखट की ताजिया, शिवाला की कुम्हार की ताजिया, दोषीपुरा की शाबान की ताजिया, बजरडीहा की कागज की ताजिया के अलावा सैकड़ों मन्नती ताजिया आज मंगलवार की शाम इमाम चौक पर बैठा दी जाएगी इसकी तैयारियां पूरी हो गई है।

निकलेगा दूल्हे का ऐतिहासिक जुलूस

मुहर्रम की परंपरा का निर्वाह करते हुए शिवाला स्थित इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल से देर रात दूल्हे का जुलूस सदर परवेज़ कादिर खां की अगुवाई में निकलेगा। इसमें शामिल जनसैलाब 'या हुसैन या हुसैन' कहते हुए पारंपरिक रास्तों पर लगाएं गये अलावा से होकर दस मोहर्रम की सुबह पुनः शिवाला लौटेगा। इस दौरान दूल्हा 72 अलावा व 60 ताजिया को सलामी देकर  दहकते अंगारों से होकर वापस शिवाला लौटता है।

रविवार, 14 जुलाई 2024

रवायतों के साथ निकालें दूल्हे का जुलूस, नयी परम्परा न करें कायम

दूल्हा कासिम नाल कमेटी शिवाला कि बैठक में लिया गया निर्णय 


Varanasi (dil India live)। हज़रत दूल्हा कासिम नाल कमेटी के सदर परवेज़ कादिर खां की अगुवाई में 9 वीं मोहर्रम की मध्यरात्रि को आग पर दौड़ने वाला दूल्हे का जुलूस शिवाला से अपनी रवायतों के साथ उठेगा। जुलूस में कोई भी नयी परम्परा नहीं कायम की जाएगी। इन्हीं बातों पर जुलूस कमेटी के सदस्यों की पुलिस प्रशासन के साथ बैठक हुई। बैठक में डीसीपी काशी, एसीपी भेलूपुर, एसीपी चेतगंज, एसीपी दशाश्वमेध व भेलूपुर प्रभारी निरीक्षक ने प्रकाश डालते हुए कहा कि यह रिवायती जुलूस है। जुलूस शांति पूर्वक निकले इसके लिए कमेटी भी पुलिस प्रशासन का सहयोग करें। इस पर दूल्हा कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा कि बेशक जुलूस शिवाला से उठता है और कमेटी सदैव पुलिस प्रशासन का सहयोग करती रही है और इस बार भी करेगी। पदाधिकारियों ने कहा कि जुलूस दूल्हा कमेटी निकाल कर आवाम के हवाले कर देती है जुलूस में शामिल लोग इसे लेकर आगे बढ़ते हैं। जुलूस में अगर कोई भी शांति भंग करने की कोशिश करता है तो उसके लिए वो स्वयं जिम्मेदार होगा। ऐसे लोगों को कमेटी खुद पुलिस के हवाले करेंगी। इसलिए जुलूस शांति पूर्वक और रवायतों के साथ निकालें। शहर में अमन-चैन कायम रखे।

शनिवार, 13 जुलाई 2024

42 घंटे लगातार चलने वाला duldul का julus आज


Varanasi (dil India live)। ऐतिहासिक 42 घंटे लगातार चलने वाला दुलदुल का कदीमी जुलूस दालमंडी स्थित इमामबाड़ा कच्ची सराय से शनिवार को शाम में उठेगा। दुलदुल के इस जुलूस के मुतवल्ली सैयद इकबाल हुसैन, लाडले हसन के अनुसार 13 जुलाई शनिवार को 5:30 बजे जुलूस अपने परम्परागत रास्तों से गुजरेगा। जुलूस में अंजुमने दर्द भरे नौहो पर मातम का नज़राना पेश करेंगी। 

इस जुलूस में घोड़ा, ऊंट के साथ कई मशहूर बैंड भी मौजूद रहता है जो मातमी धुन बजाते हुए रास्ते भर चलता है। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर फाटक शेख़ सलीम, नई सडक, काली महाल, माताकुंड, पितरकुंडा होकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाएगा। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाएगा और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होगा। यह जुलूस 6 से 8 मोहर्रम तक लगातार चलता ही रहता है। जुलूस में अंजुमन जववादिया बनारस नौहाख्वानी व मातम का नजराना पेश करेगी।

'हमारी फिक्र पर पहरा लगा नहीं सकते, हम इंकलाब है हमको दबा नहीं सकते'

'बेटियां है तो घर निराला है, घर में इनसे ही तो उजाला है....' डीएवी कॉलेज में मुशायरे में शायरों ने दिया मोहब्बत का पैगाम Varanasi (d...