उठेगा दूल्हे का ऐतिहासिक जुलूस, घरों में होगी फातेहा
फाईल फोटो |
Varanasi (dil India live). 9 वीं मोहर्रम पर मंगलवार की शाम मुस्लिम बहुल इलाके 'या हुसैन या हुसैन' की सदाओं से गूंज उठेंगे। शहीदाने कर्बला की याद में इमाम चौकों पर ताजिया मलीदे और शर्बत की फातेहा के बाद बैठा दी जाएंगी और इमाम हुसैन की शहादत को शिद्दत से याद किया जाएगा। इमाम चौकों और इमामबाड़ों में ताज़िए की जियारत को देर रात तक हुजुम उमड़ेगा। सुन्नी वर्ग ने शहर के विभिन्न इलाकों और मस्जिदों में जलसे का आयोजन किया है जहां देर रात तक उलेमाओं कर्बला की शहादत बयां करेंगे। इस दौरान दो दिन का मोमीनीन रोज़ा भी रखते हैं। कुछ लोग 9 वीं मोहर्रम और 10 वीं मोहर्रम को तो कुछ लोग 10 वीं, 11 वीं मोहर्रम को रोज़ा रहते हैं। मौलाना अजहरुल कादरी कहते हैं मोहर्रम की दस तारीख के रोज़े की बहुत फजिलत है। मौलाना कहते हैं कि कर्बला के मैदान में शहादत देकर इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाया है। अब तमाम दुनिया के इंसानों को चाहिए कि इमाम हुसैन के पैगाम को बचाएं। बुराई से बचें और नेकी व हमदर्दी के रास्ते पर चलें।
तैयारियां पूरी, तैयार हो गई खूबसूरत ताजिया
आठ मोहर्रम को ताज़िए को अंतिम रूप दे दिया गया। ताज़िया को कारीगरी के बेहतरीन नमूनों और कलात्मक डिजाइनों से सजाया गया है। इन ताजियों को देखने के लिए शाम को भीड़ देर रात तक जमी रहेगी। खासकर लल्लापुरा स्थित रांगे का ताजिया, बाकराबाद के बुर्राक की ताजिया, बजरडीहा स्थित शीशे का ताजिया, उल्फत बीबी के हाते की ज़री की ताजिया, कोयला बाजार स्थित नगीने का ताजिया, मजीद पहलवान कमेटी की फूलों की ताजिया, दालमंडी स्थित पीतल की ताजिया, गौरीगंज की शीशम की ताजिया, चपरखट की ताजिया, शिवाला की कुम्हार की ताजिया, दोषीपुरा की शाबान की ताजिया, बजरडीहा की कागज की ताजिया के अलावा सैकड़ों मन्नती ताजिया आज मंगलवार की शाम इमाम चौक पर बैठा दी जाएगी इसकी तैयारियां पूरी हो गई है।
निकलेगा दूल्हे का ऐतिहासिक जुलूस
मुहर्रम की परंपरा का निर्वाह करते हुए शिवाला स्थित इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल से देर रात दूल्हे का जुलूस सदर परवेज़ कादिर खां की अगुवाई में निकलेगा। इसमें शामिल जनसैलाब 'या हुसैन या हुसैन' कहते हुए पारंपरिक रास्तों पर लगाएं गये अलावा से होकर दस मोहर्रम की सुबह पुनः शिवाला लौटेगा। इस दौरान दूल्हा 72 अलावा व 60 ताजिया को सलामी देकर दहकते अंगारों से होकर वापस शिवाला लौटता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें