रब लेता है अपने नेक बंदों का इम्तेहान
डॉ. एहतेशामुल हक
(सदर, सुल्तान क्लब, वाराणसी)
डॉ. एहतेशामुल हक
(सदर, सुल्तान क्लब, वाराणसी)
जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने बताया कि अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह करने की परंपरा सालों से चली आ रही है। इसी परंपरा को रोकने और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए इस तरह के आयोजन का शासन से निर्देश मिला था। जिस के क्रम में सुनीता सिंह मरदह, सुशील मिश्रा एवं मनीष राय बिरनो, चाइल्ड हेल्पलाइन गाजीपुर जखनिया, प्रियंका प्रजापति प्रभारी सेंटर मैनेजर मनिहारी, नेहा राय महिला कल्याण अधिकारी सदर, गीता श्रीवास्तव संरक्षण अधिकारी देवकली में ड्यूटी लगाई गई थी। इन सभी लोगों ने सुबह 8 बजे बीआरसी पर तैनात खंड शिक्षा अधिकारी के देखरेख में जागरूकता रैली निकाली।
महिला कल्याण अधिकारी नेहा राय ने सदर में खंड शिक्षा अधिकारी नगर अशोक गौतम के देखरेख में जागरूकता रैली निकाली। जो प्राथमिक विद्यालय विशेश्वरगंज से होते हुए मिश्र बाजार के साथ ही अन्य इलाकों में भ्रमण करते हुए और बाल विवाह पर रोकथाम के लिए लोगों को संदेश देते हुए वापस प्राथमिक विद्यालय विशेश्वरगंज पर आकर खत्म हुई। इस दौरान खंड शिक्षा अधिकारी नगर अशोक गौतम ने बताया कि आज के रैली का 2 महत्व है। पहला तो बाल विवाह पर रोकथाम के लिए जन जागरूकता करना। साथ ही स्कूल चलो अभियान के तहत बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना।
कार्यशाला में सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बेसिक हेल्थ वर्कर (बीएचडबल्यू), स्वास्थ्य पर्यवेक्षक तथा मलेरिया विभाग के अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे। कार्यशाला में जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे एवं वाराणसी मंडल के जोनल एंटोंमोलॉजिस्ट व बायोलोजिस्ट डॉ. अमित कुमार सिंह ने मच्छरजनित बीमारियों से संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने इनके प्रकार, पहचान, जीवन चक्र, हाउस इंडेक्स, कंटेनर इंडेक्स, मच्छरों का घनत्व, लार्वा का घनत्व निकालने के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इसके साथ ही मच्छर पनपने वाले स्रोतों की खोज तथा उनका निवारण कर लोगों को इन बीमारियों से बचाव के बारे में भी समझाया |
वाराणसी व आजमगढ़ मण्डल के लिए मंडलीय टीम का गठन जोनल एंटोंमोलॉजिस्ट व बायोलोजिस्ट डॉ. अमित कुमार सिंह के नेतृत्व में किया गया है। प्रत्येक जनपद स्तरीय टीम में एक मलेरिया/फाइलेरिया निरीक्षक, एक कीट संग्रहकर्ता और एक स्वास्थ्य पर्यवेक्षक को शामिल किया गया है। डॉ अमित ने बताया कि वेक्टर जनित रोगों का संचरण काल इसी मौसम में होता है जिससे विभिन्न प्रकार के संचारी व मच्छर जनित रोगों का प्रसार होता है। संचरण काल में अधिकांश रोगी ग्रामों एवं नगरीय क्षेत्रों से सूचित होते हैं जिनके पर्यवेक्षण एवं सघन निरीक्षण की आवश्यकता होती है। बुखार के रोगियों का समय से पर्यवेक्षण, सघन निरीक्षण एवं सतत निगरानी द्वारा ही वेक्टर जनित रोगों के आउट ब्रेक की स्थिति को रोका जा सकता है।
इस दौरान जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया के कारण, लक्षण आदि के बारे में विस्तार से बताया। इसके साथ ही टीम को मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए संबंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के बारे में बताया। उन्होने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरे बांह के कपड़े पहनें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी क्रीम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें । घरों में कीटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें जिससे मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं। मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। हर शनिवार व रविवार को लार्वा पनपने वाले स्रोतों का निवारण करें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं। सभी ग्रामीण व शहरी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों, हेल्थ वेलनेस सेंटर व चिकित्सालयों पर निःशुल्क जांच व उपचार की सुविधा मौजूद है।
अगर आपने 29 वीं रमज़ान का चांद देखा है तो आपकी जिम्मेदारी है इसकी जानकारी उलेमाओं या फिर चांद कमेटी को दें। ताकि ईद का सही ऐलान किया जा सके। क्यों कि उलेमा आपकी तस्दीक पर ही ईद का ऐलान करते हैं। मर्द हो या ख्वातीन ईद का चांद जरूर देखे।
चांद देखने की रवायत इस्लाम में सैकड़ों साल कदीमी है। जब नबी-ए-करीम (स.) ने मक्का से मदीना हिजरत किया और अपने नबी होने का ऐलान किया था। तभी हिजरी सन् की शुरुआत चांद देखकर हुई। इसलिए चांद के दीदार से ही इस्लामी हिजरी महीने का आगाज़ होता है। चांद देखने का सवाब भी है। नबी-ए-करीम (स.) फरमाते हैं कि पांच महीने का चांद देखना वाजिबे केफाया है। इसमें शाबान, रमज़ान, शव्वाल, ज़ीकादा और जिल्हिज्जा शामिल है। यानी जिसने, इन महीनों का चांद देखा उसके नाम और आमाल में नेकिया लिखी जायेगी। हिजरी माह 29 या 30 का होता है। इस्लाम में 28 या 31 तारीख का कोई वजूद नहीं है। इसलिए हर साल अंग्रेजी कलैंडर से तकरीबन 10 दिन कम हो जाता है और ईद कभी गर्मी में तो कभी बरसात और सर्दी में पड़ती है।
Mohd Rizwan
Varanasi (dil India live )। मोमिनीन ने आज सहरी करके 28 वां रोज़ा मुकम्मल करेंगे। अलविदा जुमा सम्पन्न होने के बाद अब सुबह से ही बाज़ार में भारी भीड़ उमड़ी हुई है। बनारस के सभी बाज़ार खरीदारों से गुलज़ार हैं। गली मुहल्लों से लेकर मॉल तक में ईद की खरीदारी अपने शबाब दिखाई दे रही है।बाजार के ब्रांडेड वस्त्र ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। यूथ में ब्रांडेड कपंनियों के कपड़ों की खरीदारी करने को ज्यादा उत्सुकता दिख रही हैं। आयशा सूट घर, के इसार अख्तर बताते हैं कि लेडिज कपड़ो की खरीदारी दोपहर से लेकर रात तक हो रही है। भीषण गर्मी के चलते सभी का ज़ोर काटन पर है। लडकियों की पहली पंसद पटियाला सूट, पैंट, पलाजो, गाउन फ्राक, शरारा कमिज, लहंगा चोली आदि की अत्यधिक डिमांड है।
दरअसल अलविदा जुमे का मतलब ही होता है कि अब रमज़ान रुख्सत हो रहा है और ईद आएगी। यही वजह है कि अलविदा जुमा बीतते ही तमाम मोमिनीन ईद की तैयारियों को अब अंतिम रुप देने में लग जाते हैं। ज्यादातर लोग दोपहर में एसी मार्केट का रुख कर रहे हैं। जैसे ट्रेंड, स्पेंसर्स, वी मार्ट, विशाल मेगा मार्ट, जालान आदि में भीड़ उमड़ रही है तो शाम में परम्परागत बाज़ारों का रोज़ेदार रुख कर रहे हैं। रोज़ा खोलने के बाद से देर रात तक दालमंडी, नई सड़क, दशाश्वमेध, चौक, गुरुबाग, अर्दली बाज़ार आदि में लोगों की भी ड़ जुट रही है। यहीं नहीं भीषण गर्मी के चलते काफी ऐसे लोग हैं जो भीड़ और गर्मी से बचने के लिए गली-मुहल्लों से ईद की खरीदारी कर रहे हैं। जैसे बड़ी बाज़ार, पीलीकोठी, मदनपुरा की गलियांं, बजरडीहा, अर्दली बाज़ार की गलियों में खरीदारी करते दिख जा रहे हैं। बाज़ार ही नहीं गली-मुहल्लों में भी ईद की रौनक है। इसको लेकर युवा वर्ग कुर्ता पाजामा, कालीदार कुर्ता पाजामा, खान ड्रेस की अधिक डिमांड है।
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