रविवार, 25 अगस्त 2024

आगरा कैथेड्रल आज मना रहा 175 वीं वर्षगांठ

जानिए इस महागिरजा का खूबसूरत इतिहास 


Aman 

Varanasi (dil India live)। आगरा कैथेड्रल आज अपनी स्थापना की 175 वीं वर्षगांठ मना रहा है। रविवार की शाम कैथेड्रल के 175 वर्ष पूरे होने की खुशी में जश्न मनेगा। शाम को प्रभु का शुक्रिया अदा करने के लिए धन्यवाद मास का आयोजन होगा।

खूबसूरत महागिरजा का शानदार इतिहास 

अपने भीतर सैकड़ों साल का इतिहास समेटे आगरा के वजीरपुरा रोड पर पीले रंग की ऊंची इमारत - कैथेड्रल ऑफ द इमैक्युलेट कॉन्सेप्शन देखते ही बनती है। कैथेड्रल (महागिरजा) ऐतिहासिक शहर आगरा में अपनी एक अलग पहचान रखता है। इस महागिरजा ने समय के कई पड़ाव देखे हैं और 1857 के विद्रोह के दौरान हुए नुकसान का बड़ा दंश भी झेला है, लेकिन अपनी रवायतों के साथ प्रभु का गुणगान करते हुए 175 साल पूरे कर शान से खड़ा है। यहां शाम को धन्यवाद मास होना है।

वर्तमान भव्य यहां गिरजाघर का निर्माण 1846 में तिब्बत हिंदुस्तान के तत्कालीन विकर अपोस्टोलिक, आरटी रेव आर्कबिशप डॉ जोसेफ एंटोनी बोरघी ओसी द्वारा शुरू किया गया था, जिन्होंने 1849 में पूर्ण संरचना को आशीर्वाद भी दिया था। इस भवन के वास्तुकार इटली के फ्लोरेंस के फादर बोनवेंचर थे और इतालवी वास्तुकला का प्रभाव शहर के मध्य में स्थित इस कैथेड्रल में स्पष्ट दिखाई देता है, जहां इन दिनों भव्य समारोह के लिए सजावट की गई है। इसका सामने का हिस्सा, संगमरमर के खंभे, खूबसूरत पेंटिंग, घंटाघर के बगल का गुम्बद के आकार का गिरजाघर शहर ही नहीं देश भर के लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। इतालवी वास्तुकला की झलक है। कैथेड्रल आर्च डायोसिस के पल्ली पुरोहित फादर मिरांडा इग्नाटियस हैं। कैथेड्रल आगरा डायोसीज़ का केंद्र है, जिसका नेतृत्व वर्तमान में आगरा आर्क डिओसीज़ के आर्क बिशप डॉ. राफ़ी मंजली करते हैं, जो आगरा से पहले वाराणसी धर्म प्रांत के दूसरे बिशप थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

फूलों की खेती और उससे बने उत्पाद आर्थिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी-भक्ति विजय शुक्ला

Sarfaraz Ahmad  Varanasi (dil India live). फूलों की बढ़ती मांग और ग्रामीण किसानों तथा महिलाओं में फूलों की खेती के प्रति रुचि को देखते हुए, ...