मंगलवार, 21 सितंबर 2021

जो क्षमा मांगे वह वीर, जो क्षमा कर दें वह महावीर: आचार्य विशद सागर

पार्श्वनाथ की जन्मस्थली से दिया. विश्व मैत्री का संदेश

वाराणसी21सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। श्री दिगंबर जैन समाज काशी द्वारा भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म कल्याणक स्थली पर मंगलवार 21/9/2021 को अपराहन से क्षमावाणी पूजन भगवंतो का प्रक्षालन , विदव्त जनों का सम्मान एवं विश्व मैत्री क्षमावाणी का पर्व मनाया गया । विश्व शांति के लिए मंगल कामना एवं विशेष शांति धारा भी की गई ।




प्रारंभ में अपराहन 1:00 बजे से देवाधिदेव श्री 1008 पार्श्वनाथ जी का अभिषेक , पूजन , मंत्रोच्चारण सायंकाल तक चला ।क्षमावाणी पर्व पर अपना संदेश देते हुए आचार्य श्री 108 विशद सागर जी ने कहा -“ जो क्षमा मांगे वह वीर है , जो क्षमा कर दें वह महावीर है । “ आचार्य श्री ने कहा -“ भूल हो जाना मनुष्य का स्वभाव है , क्षमा करना देवीय स्वभाव है । हमारा अहंकार हमें क्षमा मांगने से रोकता है और तिरस्कार क्षमा देने में बाधक बनता है । अहंकार और तिरस्कार को त्याग कर क्षमा मांग लेने से ही तो मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है। क्षमा कल्पवृक्ष के समान है क्षमा से बड़ा कोई धर्म नहीं है । पश्चाताप की घड़ियां जीवन में हमेशा नहीं आया करती यह अपने स्वरूप तक ले जाने वाली घड़ियां हैं । क्षमा स्वरूप प्राप्ति का प्रवेश द्वार  है ।“ 

72 दिन के व्रत के धारक मुनि श्री 108 विशाल सागर जी महाराज ने कहा -“ जीवन में सुख , शांति , आनंद , प्रेम चाहते हो तो इस छोटे से वाक्य को जिंदगी का मूल मंत्र बनाओ - तुम सही , मैं गलत बात यहीं खत्म । उत्तम क्षमा क्योंकि क्षमा मांगने का परिणाम लाजवाब होता है । “ 

आर्यिका सरसमती माता जी ने कहा -“ जिनके जीवन में क्षमा अवतरित हो जाती है , वह पूज्य बन जाता है । जरा सोचो तो जो वस्तु तीन लोक में पूज्यता प्रदान करा दे वह कितनी मौलिक वस्तु होगी । “प्रोफ़ेसर अशोक जैन ने कहा -“ क्षमा धर्म वीरों का आभूषण है , क्षमा प्यार जताने का सर्वोत्तम तरीका है । प्रोफेसर फूलचंद्र प्रेमी ने कहा -“ क्षमा ही अहिंसा है , अपरिग्रह है । क्षमा से ही आध्यात्मिक शक्ति का विकास हो सकता है राजेश जैन ने कहा -“ जो क्षमा के अवतार होते हैं उससे क्षमा मांगने और क्षमा करने की बात ही नहीं क्योंकि उनके पास क्षमा हमेशा रहती है । “ 

प्रेम , वात्सल्य , सौहार्द एवं सद्भावना का जीवंत उदाहरण क्षमावाणी पर्व पर देखने को मिला। जिसमें छोटे-बड़े का भेदभाव मिटाकर बच्चे , बुजुर्ग , महिलाएं एवं पुरुष एक-दूसरे से अश्रुपूरित नेत्रों से खुशी के आंसू छलका कर सभी का पैर पकड़कर गले से गले मिलकर अपने द्वारा जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना कर क्षमा मांग रहे थे ।परस्परोपग्रहो जीवा नाम की भावना एक दूसरे के प्रति करुणा-दया का भाव रहे , यही क्षमावाणी का मुख्य उद्देश्य है । यही संदेश जैन धर्म पूरे विश्व में गुंजायमान करता है । यह पर्व प्रेम , करुणा , वात्सल्य और नैतिकता के भाव को जागृत करता है । क्षमावाणी पर्व पर जैन साधकों ने देश- विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों , इष्टमित्र , व्यापारी , शुभचिंतक सभी वर्ग के लोगों को क्षमावाणी कार्ड, दूरभाष, ईमेल, एसएमएस द्वारा संदेश देकर शुभकामना दी । विद्वत जनों एवं निर्जला व्रत करने वालों का सम्मान भी किया गया । 

आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन,  उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर.सी. जैन, विनोद जैन, तरुण जैन, रत्नेश जैन, निशांत जैन  उपस्थित थे।

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