साधना से ही आत्मा होगी पवित्र: मुनि विशद सागर
वाराणसी 16 सितंबर (दिल इंडिया लाइव) । श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे दसलक्षण महापर्व के सातवें दिन गुरुवार को जैन मंदिरों में सुगंध दशमी पर धूप चढ़ाकर चौबीसी एवं अनंत नाथ भगवान की विशेष पूजा की गई । आज जैन मंदिरों में सुगंध दशमी पर यह प्रार्थना की गई कि जिनेंद्र देव हम सब के दुष्कर्मों का नाश करें एवं धूप की तरह हम सबके जीवन में सुगंध भरे। गुरुवार को मंदिरों में जिनेंद्र भगवान का प्रक्षाल - पूजन के साथ अरहंत परमेष्ठी, सिद्ध परमेष्ठी, आचार्य परमेष्ठी , उपाध्याय परमेष्ठी, साधु परमेष्ठी को मंगलाचरण के रूप में प्रणाम किया गया। भगवान पार्श्वनाथ
की जन्म स्थली भेलूपुर में प्रातः दसलक्षण पर्व के सातवें अध्याय “उत्तम तप धर्म” पर व्याख्यान प्रवचन देते हुए मुनि महाराज ने कहा साधन वही है जो साध्य को दिशा दे , औषधि वही है जो रोग को दूर करे, और सच्चा तप वही है जो जीव को अंतर आत्मा से परमात्मा बना दे। परम आचार्य मुनि श्री ने अपने मुखारविंद से कहा - “समस्त रागादि पर भावों को त्याग कर आत्म स्वरूप में लीन होने पर इच्छाओं का नाश होता है , विकारों पर विजय प्राप्त होने को उत्तम तप कहते हैं।
सम्यक दर्शन , सम्यक ज्ञान , और सम्यक चारित्र ही सुखी होने का सही मार्ग है । हर मनुष्य के अंदर दया , धर्म , अहिंसा , तप और त्याग की भावना होनी चाहिए । सत्यवादी , अहिंसावादी एवं तपस्वी त्यागों से ही देव भी प्रसन्न होते हैं । ज्ञान हमेशा तप से ही प्राप्त होता है । कर्म बंधन से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है वह है राग द्वेष से दूर रहो , वीतरागी बनो। तप रूपी साधना से ही आत्मा को पवित्र किया जा सकता है ।
सायं काल खोजवा स्थित जैन मंदिर में प्रोफ़ेसर फूलचंद प्रेमी ने उत्तम तप धर्म पर कहा - “जिस प्रकार सोना खूब तपने के बाद ही खरा होता है , उसी तरह मानव को अपने जीवन में श्रद्धा के साथ तप ,साधना ,शास्त्र अध्ययन , जिनवाणी स्तुति, ध्यान मंत्र जप , सामायिक, प्रतिक्रमण , भावना भगवन्तों का पूजा प्रक्षाल , सेवा , दान , धर्म कर अपने को पूरा तपा के अपने जीवन को खरे सोने की तरह बना लेना चाहिए।
सायंकाल अन्य सभी मंदिरों में भी प्रवचन , जिनवाणी स्तुति, भजन एवं तीर्थंकरों की आरती की गई। महिला मंडल द्वारा सायं काल वर्ग पहेली *धर्म* पर प्रतियोगिता आयोजित की गई। आयोजन में प्रमुख रुप से सर्व श्री दीपक जैन , राजेश जैन, अरुण जैन , प्रोफेसर अशोक जैन, आदीश जैन , तरुण जैन , प्रमोद बागड़ा , ललित पोद्दार उपस्थित थे ।
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