सोमवार, 13 सितंबर 2021

पर्वाधिराज 10 लक्षण पर्व का चौथा दिन

भारत वसुंधरा धार्मिक विविधताओं का देश

वाराणसी । श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे 10 दिवसीय पर्युषण पर्व की चतुर्थ दिवस सोमवार को प्रातः चौथे अध्याय “उत्तम शौच धर्म “ पर भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली भेलुपूर में प्रवचन व्याख्यान देते हुए जैन मुनि विशद सागर जी महाराज ने कहा-“उत्तम शौच का अर्थ है मन को मांजना ।पहले दिन क्रोध को भगाया ,दूसरे दिन मान को मारा,  तीसरे दिन मन को बच्चे की तरह सरल किया और आज मन को मांजने की बात हो रही है । किसी ने पूछा संसार छोटा है या बड़ा ? हमने कहा संसार न छोटा है ना बड़ा । जिसकी कामना ,वासनाएँ बढ़ी है ,उसका संसार बड़ा है और जिसकी कामना , वासना कम है उसका संसार छोटा है । संतों का संसार का संसार इच्छाए सीमित है ।”मुनिश्री ने कहा -“पर्युषण शुद्ध रूप से आध्यात्मिक पर्व है ,इसमें आत्मचिंतन ही नहीं , आत्ममंथन की प्रक्रियाए भी निहित है ।सभी जीवों में मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ जीव है ।श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए पर्यूषण पर्व का तोहफ़ा मिला है ।इन दिनों जैन धर्मावलंबी १० वृत्तियों का व्रत लेकर उपवास ,साधना, पूजा आदि क्रियाएं कर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं ।इन दिनों सांसारिक क्रियाएं छोड़कर , इन्द्रियों को संयमित कर त्याग-तपस्या , आत्मा भावना , धर्मग्रंथों का अध्ययन कर तीर्थंकरों का पूजन अभिषेक करते हैं मुनि श्री ने कहा -“भारत वसुंधरा धार्मिक विविधताओं का देश है ,यह पर्व मानव के कल्याण के लिए हैं । यह मनुष्य को क्षमा वान बनाता है । यह पर्व लोक और परलोक में सुख देने वाला है । आत्म शुद्धि के साथ जैन धर्म में अहिंसा का सर्वोच्च स्थान है ।

4-4  तीर्थंकरों की नगरी होने से वाराणसी जैनों की बहुत बड़ी तीर्थ स्थली कही जाती है।

सोमवार को प्रातः सारनाथ में भगवान श्रेयांसनाथ जी , भदैनी में भगवान सुपार्श्वनाथ मंदिर, भेलुपूर  में भगवान पार्श्वनाथ जी, चंद्रपुरी में चंद्रप्रभु भगवान की मंदिरो में श्रावकों ने तीर्थंकरों का अभिषेक कर मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया। सायंकाल खोजवा स्थित जैन मंदिर में पंडित फूलचंद प्रेमी ने भी शास्त्र प्रवचन किया ।भगवंतो की आरती , प्रश्नोत्तरी , जिनवाणी पूजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।

आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन , राजेश जैन , अरुण जैन , तरुण जैन , विनोद जैन , आलोक जैन , विजय जैन , ललित पोद्दार उपस्थित थे।

                                      

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