Mother's day (14 May) पर खास
अपने बच्चों की जिंदगी संवारने के साथ ही समाज में भी कुछ कर दिखाने का है जज्बा
Varanasi (dil india live) ‘मां’ एक ऐसा शब्द है जिससे अपार प्रेम की अनुभूति होती है। मां के प्रति वैसे तो अपने प्रेम और कृतार्थ को जाहिर करने का कोई दिन कम या अधिक महत्वपूर्ण नहीं होता है। मगर मां को खास अहसास दिलाने के लिए हर वर्ष मई के महीने के दूसरे रविवार को “मदर्स डे” के तौर पर मनाया जाता है। वैसे तो हर मां अपने बच्चे पर अपना पूरा जीवन कुर्बान कर देतीं हैं लेकिन कुछ माताएं ऐसी भी होती हैं जो अपने बच्चों की जिंदगी संवारने के साथ-साथ समाज में भी कुछ अलग कर दिखाने की तमन्ना रखती हैं। ऐसी ही माताओं में शामिल है कुछ महिला स्वास्थ्यकर्मी भी जो घर में बच्चों को प्यार-दुलार देने के साथ ही अस्पताल पहुंच कर मरीजों पर अपना जीवन न्योछावर कर रहीं है।
मरीजों की खुशी से मिलती है उर्जा
हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर दानगंज की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) प्रियंका भी ऐसी माताओं में एक हैं। घरेलू जिम्मेदारियों को संभालने के साथ-साथ उन्हें अपने सेंटर से जुड़े मरीजों की चिंता हर वक्त सताती रहती हैं। प्रियंका दो बच्चों अंशिका (आठ वर्ष) व हर्षित (दस वर्ष) की मां हैं। वह बताती हैं कि ड्यूटी के चलते बच्चों के साथ वक्त गुजारने का समय बहुत कम ही मिल पाता है, लेकिन जो भी समय मिलता है उसमें वह अपने बच्चों को भरपूर प्यार-दुलार करती है। शेष समय वह मरीजों की सेवा में लगाती हैं। उन्हें इस बात का सुकून है कि वह समाज के लिए कुछ अलग कर रही हैं। उनके उपचार व सेवा से जब मरीज स्वस्थ होकर मुस्कुराता है तो उन्हें खुशी मिलती है। यही खुशी उन्हें उर्जा देती है।
मरीजों की भी रहती है चिंता
आराजी लाइन ब्लाक के कुरौना हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) अनुपम मौर्या बताती हैं उन्हें जितनी चिंता अपने बेटी की है उतनी ही अपने मरीजों की भी है। अनुपम की बेटी लगभग चार वर्ष की है। अनुपम तड़के ही उठकर घरेलू काम पूरा कर बेटी के लिए कुछ समय निकाल कर सेंटर के लिए रवाना हो जाती है। उन्हें वहां समय से पहुंचने का फिक्र रहती है। सेंटर पहुंच कर मरीजों का उपचार व उनके साथ आत्मीय व्यवहार अब उनकी जिंदगी में रोजमर्रा का कार्य हो चुका है। शाम को घर लौट कर वह बेटी का होमवर्क पूरा कराती हैं। इन जिम्मेदारियों के साथ मरीजों की सेवा से उन्हें शांति मिलती है।
मरीजों की सेवा ही ईश्वर की सेवा
काशी विद्यापीठ ब्लाक के बखरियां हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) सीमा गुप्ता के दो बच्चे है। बेटी खुशी गुप्त दस वर्ष व बेटा कृष छह वर्ष का। इन दोनों बच्चों की जिम्मेदारियों को संभालने के साथ-साथ वह मरीजों का भी भरपूर ध्यान देती हैं। वह बताती है कि मरीजों की सेवा उनके लिए र्इश्वर की सेवा जैसी है। इस सेवा में जो सुख मिलता है, वह किसी और में नहीं। यही कारण है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ मरीजों की सेवा को पूरी तन्मयता के साथ करती हैं।
स्वास्थ्य शिक्षा के लिए कर रहीं जागरूक
सीएचसी चोलापुर में तैनात स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डा.शिखा श्रीवास्तव व चिरईगांव पीएचसी की स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डा. मानसी गुप्ता भी मां होने की जिम्मेदारियों को संभालने के साथ-साथ समाज को स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति जागरूक करने का काम कर रही हैं। डा. शिखा की बेटी आद्विका डेढ़ वर्ष की है जबकि डा. मानसी के दो बच्चे हैं। इनमें बेटा शुभ (13 वर्ष) और बेटी वाणी (8 वर्ष) की। अपने बच्चों को भरपूर प्यार दुलार देने के साथ-साथ उन्हें समाज के आम नागरिकों के स्वास्थ्य की भी चिंता रहती हैं। यही कारण है कि वह अभियान चलाकर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का काम कर रही हैं।
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