शनिवार, 12 अक्तूबर 2024

सियासत का अखाड़ा : 'करहल' के मिजाज में बसा है 'समाजवाद'

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का अभेद्य दुर्ग है 'करहल' 

Aman (Editor dil India live)

Karhal (dil India live)। करहल एक बार फिर से राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र बिंदु में है।सियासत का अखाड़ा बना 'करहल' के मिजाज में 'समाजवाद' ही रचा बसा हुआ है। माना जाता है की सपा संस्थापक, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का यह अभेद्य दुर्ग है सोते जागते सिर्फ और सिर्फ समाजवाद ही सांस लेता है। वर्ष 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 'करहल' राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र बिंदु में था। यूपी के मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट राज्य की उन 10 विधासनसभा सीटों में से एक है, जहां अगले कुछ दिनों में उपचुनाव होने वाला हैं। 'करहल' सीट इसलिए भी खास है कि क्योंकि यह सीट सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। करहल में कई दशकों से किसी भी पार्टी की दाल नहीं गली है। क्योंकि, यह सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का अभेद्य दुर्ग है।इसे जीतने के लिए बीजेपी ने इसे चुनौती के रुप में ले लिया है। पिछले चुनाव परिणाम से मायूस हुई भाजपा में हरियाणा जीत ने संजीवनी का काम किया है। इससे भाजपा उत्साहित है। बीजेपी 'करहल' सीट फतह को लेकर प्लानिंग कर रही है। हालांकि सपा ने बिहार के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद को टिकट देकर अपनी सीट सुरक्षित मानकर चल रही है। सूत्रों की मानें तो इस उपचुनाव में 'करहल' सीट फतह के लिए यूपी ही नहीं बल्कि बिहार के भी कई दिग्गज नेता कैम्पेनिंग के लिए पहुंचेंगे।

शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2024

मशहूर शायर जमजम रामनगरी के वालिद को सुल्तान क्लब ने पेश की खिराजे अकीदत


Varanasi (dil India live)। बनारस के मशहूर शायर, वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार एवं शिक्षाविद ताजुद्दीन अशअर रामनगरी का लंबी बीमारी के बाद 96 वर्ष की आयु में बीती रात्रि रामनगर स्थित दौलतखाने पर इंतकाल हो गया था। उनके इंतकाल से उर्दू साहित्य व पत्रकारिता जगत के एक युग का समापन हो गया। इंतकाल की खबर लगते ही पूरे पूर्वांचल में शोक की लहर दौड़ गई। सामाजिक संस्था सुल्तान क्लब ने एक अफसोस बैठक आयोजित कर खिराजे अकीदत पेश की।

इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक ने अफसोस का इजहार करते हुए कहा कि अशअर रामनगरी साहब ने अपनी पूरी जिंदगी उर्दू साहित्य और पत्रकारिता में गुज़ारी। उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन में दर्जन भर से अधिक उर्दू समाचार पत्रों का संपादन किया, उर्दू दैनिक समाचार पत्र कौमी मोर्चा का लगभग 30 साल तक संपादन किया।

उर्दू बीटीसी टीचर्स एसोसिएशन के महामंत्री मुहम्मद जफर अंसारी ने कहा कि मरहूम ताजुद्दीन अशअर रामनगरी एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति लब्ध उस्ताद शायर थे। महबूब आलम ने कहा कि मरहूम अशअर साहब को दर्जनों सरकारी और गैर सरकारी उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है। शमीम रियाज़ ने कहा कि अशअर साहब अदब और साहित्य के हर विधा में निपुण थे। अशअर साहब के इंतकाल से बनारस शहर और उत्तर प्रदेश के उर्दू हल्के में मायूसी का माहौल है जिसकी भरपाई निकट भविष्य में मुमकिन नहीं है। अशअर साहब के बेटे और शाएर ज़मज़म रामनगरी उनकी अदबी विरासत आगे बढ़ाने में प्रयत्नशील है। सुल्तान क्लब के मेम्बर्स ने उन्हें सब्र से काम लेने की हिदायत दी।

अफसोस बैठक में डॉक्टर एहतेशामुल हक, जफर अंसारी, महबूब आलम, अब्दुर्रहमान, शमीम रियाज़, मुस्लिम जावेद अख्तर, एच हसन नन्हें, हाफिज मुनीर, शकील अंसारी, मौलाना अब्दुल्लाह, वफ़ा अंसारी, नसीमुल हक, मुख्तार अहमद, मुहम्मद इकराम, इरफान इत्यादि थे।

रहती दुनिया तक याद किए जाएंगे अशअर रामनगरी

मशहूर शायर, वरिष्ठ पत्रकार अशअर रामनगरी किए गए सुपुर्द-ए-खाक, उमड़ा हुजूम 


Varanasi (dil India live)। मशहूर शायर, पत्रकार, इस्लामी विद ताजुद्दीन अशअर रामनगरी का लंबी बीमारी के बाद 96 वर्ष की आयु में बीती अर्ध रात्रि इंतकाल हो गया। उन्हें आज रामनगर की आबाई कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द ख़ाक किया गया। 

उनके देहांत से उर्दू पत्रकारिता जगत के एक युग का समापन हो गया। उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन में दर्जन भर से अधिक उर्दू समाचार पत्रों का संपादन किया ।उल्लेखनीय है कि उर्दू दैनिक समाचार पत्र कौमी मोर्चा का लगभग 30 सालों तक अपने संपादकीय से पाठकों के दिलों पर राज करते रहे ।विदित हो कि पाठक उनके संपादकीय को पढ़ने के लिए ही अखबार लेते थे ।उनके द्वारा लिखे संपादकीय के कई संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। श्री ताजुद्दीन अशअर रामनगरी एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति लब्ध उस्ताद शायर थे जिनके शागिर्द दुनिया भर में उर्दू अदब की सेवा कर रहे हैं ।उनके कविता संग्रह में नाल -ए- साज़, मताए अकीदत, मौज़े- नसीमे- हिजाज़ ,इहदनस्सीरातल मुस्तक़ीम और वाशिगाफ़ काबिले जिक्र हैं ।

मरहूम अशअर साहब को दर्जनों सरकारी और गैर सरकारी उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है। विगत वर्ष उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने एक लाख की धनराशि पत्रकारिता के क्षेत्र में पुरस्कार स्वरूप उन्हें दिया है।

अशअर साहब अदब और साहित्य के हर विधा में निपुण थे ।उन्होंने जहां एक तरफ गजलें नज्में लिखी है तो वही दूसरी तरफ हाजी नाम, रुखसती सेहरा क़सीदा के फन में भी माहिर थे। जो उन्हें अपने समकालीन फनकारों में नुमाया पहचान दिलाता था। अशअर साहब कई भाषाओं के माहिर थे स्कूली शिक्षा न होने के बावजूद हिंदी, संस्कृत, उर्दू ,अरबी ,फारसी, अंग्रेजी, में महारत रखते थे ,बनारस में होने वाले हर साल नातिया मुकाबले में उनके द्वारा लिखी गई नातों की लोकप्रियता यह थी कि हर वर्ष उनकी अंजुमन इस्लामिया कदीमी चौहट्टा लाल खान ,और अंजुमन फिरदौसे अदब चाह मेहमा दालमंडी को प्रथम पुरस्कार से अलंकृत किया जाता था। अशअर साहब के देहांत से बनारस शहर और उत्तर प्रदेश के उर्दू हल्के में मायूसी का माहौल है जिसकी भरपाई निकट भविष्य में मुमकिन नहीं है। अशअर साहब के बेटे और शाएर ज़म ज़म रामनगरी उनकी अदबी विरासत आगे बढ़ाने में प्रयत्नशील है। 

आज उनकी मिट्टी उनके पैतृक कब्रिस्तान गोलाघाट रामनगर में अमल में आई बड़े पैमाने पर नम आंखों से उनको लोगों ने सुपुर्द-ए-खाक किया।

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2024

Muslim परिवार आजादी के पहले से बना रहा है लंकेश का पुतला

35 वर्षों से इश्तियाक ने संभाल रखी है यह परम्परा

मुस्लिम परिवार तैयार करते हैं हिंदुओं की आस्था का सामान 


Varanasi (dil India live)। इश्तियाक मुस्लिम हैं पर वो हिंदूओं की आस्था का सामान 'रावण' का पुतला तैयार कर रहे हैं। यही नहीं इश्तियाक का परिवार आजादी के पहले से लंकेश का पुतला बनाता चला आ रहा है। इश्तियाक पिछले तीन दशक से भी पहले से न सिर्फ यह परम्परा संभाले हुए है बल्कि इसी बहाने इश्तियाक बनारस की गंगा जमुनी तहज़ीब का रंग और सुर्ख करने में जुटे हुए हैं। शांति और सौहार्द के लिए काम करने वाले डा. मोहम्मद आरिफ कहते हैं की हिंदुस्तान ऐसी ही मिली जुली संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना पहचाना जाता है। कहीं इसे गंगा जमुनी तहज़ीब तो कहीं हिंदुस्तानी तहजीब के नाम से इसे ख्याति प्राप्त है। मोहर्रम में हिंदू का ताजिया बनाना और होली पर मुसलमानों का रंग खेलना बादशाह अकबर के दौर से भी पहले से कायम है। ईद पर हिंदू-मुस्लिम का गले मिलकर एक दूसरे को मुबारकबाद देना सौहार्द की सुखद तस्वीरें हिंदुस्तानी तहज़ीब की वो मिसालें हैं जो वक्त वक्त पर देश दुनिया के सामने आती रहती है। इसे कहीं गंगा जमुनी तहज़ीब तो कहीं हिंदुस्तानी तहजीब कहकर पहचाना जाता है। बनारस का विजयदशमी पर्व भी इसकी बड़ी नज़ीर है।

जहां इश्तियाक जैसे न जाने कितने मुस्लिम परिवार लंकेश का पुतला हिंदुओं की आस्था को पूरी करने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। लाटभैरव की रामलीला में इकोफ्रेंडली रावण, बरेका में 75 फीट और रामनगर में 60 फीट के रावण का दहन इस बार किया जाएगा। विजय दशमी पर जलने वाले रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले मुस्लिम परिवार ही तैयार कर रहे हैं। असत्य पर सत्य की जीत का महापर्व 12 अक्तूबर को मनाया जाएगा। गंगा-वरुणा संगम किनारे लंका मैदान में दशानन रावण का दहन काफी आकर्षक होगा। 500 साल से भी प्राचीन रामलीला में इकोफ्रेंडली रावण आकर्षण का केंद्र होगा। इस बार 70 फीट के रावण का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे ही इस बार लंका दहन की सबसे खास बात है कि लंका के आगे दो द्वारपाल होंगे और उनके बीच हनुमान जी अंदर जाकर पूरी लंका को जलाते हुए सीता मां को लेकर निकलेंगे। ये दृश्य देखने में काफी आकर्षक होगा। वहीं रावण वध के लिए इको फ्रेंडली आतिशबाजी की जाएगी। इससे कम प्रदूषण होगा। अंबिया मंडी के इश्तियाक अहमद इन पुतलों को बनाने का काम कर रहे हैं। वह बताते हैं कि यह उनके खानदानी काम का हिस्सा है। हम तीन पीढ़ियों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। रावण का एक पुतला तैयार करने में लगभग एक सप्ताह का समय लगता है। इसके लिए करीब 15 से 20 हजार रुपये की लागत आती है। रावण के पुतले बनाने के लिए बांस, रंग-बिरंगे कागज, रस्सी, और लकड़ी की स्केल का उपयोग किया जाता है। परिवार की तीन महीने की मेहनत से लगभग दो दर्जन से ज्यादा पुतले तैयार होते हैं, जो वाराणसी के अलावा पूर्वांचल के कई जिलों में भेजे जाते हैं। ऐसे ही विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला में 60 फुट ऊंचे और 30 फीट परिधि का विशालकाय रावण का पुतला आकर्षण का केंद्र होगा। पुतला बनाने में जुटे राजू खान बताते हैं कि उनका यह काम देश आजाद होने से पहले का है। शुरुआत परदादा हाजी अली हुसैन ने की थी। वह परिवार के अन्य सदस्यों के साथ लगभग 20 कारीगरों के साथ रामलीला शुरू होने के एक सप्ताह पहले से ही पुतला बनाने में जुट जाते हैं। उधर बरेका में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के विशालकाय पुतलों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इन पुतलों को बनाने का काम शमशाद का परिवार कर रहा है। ये परिवार चार पीढ़ियों से दशहरे के पुतले तैयार करने की परंपरा को जीवित रखे हुए है। इस बार वे पूर्वांचल का सबसे ऊंचा 75 फीट ऊंचा रावण का पुतला तैयार कर रहे हैं। रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले भी बनाए जा रहे हैं। इस कार्य में उनके परिवार के 12 सदस्य दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। शमशाद ने बताया कि इस परंपरा की शुरुआत उनके नाना ने की थी। उनका परिवार आज भी इसे निभा रहा है। डेढ़ महीने पहले से ही परिवार इस काम में जुट जाता है। इसके अलावा शमशाद का परिवार लंका, मलदहिया, और फुलवरिया के पुतले भी तैयार कर रहा है।

दुआ में गूंजा फिलिस्तीन की आजादी, ईरान की कामयाबी

नौचंदी जुमेरात पर अलम की जियारत जुटे जायरीन 


Varanasi (dil India live)। १० अक्टूबर 6 रबीउल आखिर को शहर में कई जगह अलम निकाले गए जिसकी जियारत हुई। इस दौरान नोहाखवानी व मातम के साथ दुआखवानी हुई। दुआ में फिलिस्तीन की आजादी व ईरान की कामयाबी की सदाएं फिज़ा में बुलंद हुई। दरगाहे फतमान में मौला अली के रौजे से अलम निकाला गया जो विभिन्न रौजो से होता हुआ हजरत अब्बास के रौजे पर पहुंचा।



मजलिस को खिताब करते हुए शिया जमा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने कहा की जुल्म के खिलाफ आवाज उठाना और मजलूमों की हिमायत करना हर हुसैनी का यही किरदार है। इस मौके पर बड़ी संख्या में मौजूद मर्द और खवातीन ने फिलिस्तीन की आजादी और ईरान की कामयाबी के लिए हाथ उठाकर दुआएं मांगी। इजरायल मुर्दाबाद और अमरीका मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता के अनुसार समर बनारसी, हैदर मौलाई ने कलाम पेश किया। साहब और शब्बीर हुसैन ने नोहखवानी की। ऐसे ही शाम को सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में अलम का जुलूस निकाला गया जो कैंपस में ही नोहा मातम और दुअखवानी के साथ समाप्त हुआ। अर्दली बाजार इमामबाड़ा मीर गुलाम अब्बास में अंजुमन इमामिया ने अलम निकल कर नोहाखवानी व मातम किया। पठानी टोला में अंजुमन सज्जादिया, चोहट्टा लाल ख़ां में अंजुमन आबिदिया, शिवाला की मस्जिद डिप्टी जाफर बख्त, रामनगर आदि में अलम निकालकर नोहाखवानी व मातम किया गया।

बुधवार, 9 अक्तूबर 2024

यति नरसिंहानंद के बयान ने धार्मिक भावनाएं हुई आहत: सदर काजी-ए-शहर बनारस

दिया डासना मंदिर के महंत के खिलाफ ज्ञापन, कहा देश की शांति-धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का हुआ उल्लंघन


Varanasi (dil India live).। डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती द्वारा इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर हज़रत मोहम्मद (स.) की शान में की गुस्ताख़ी से मुस्लिम समाज ही नहीं सभी इंसाफ पसंद लोगों में आक्रोश है। बयान के कारण धर्मनिरपेक्ष देश में अशांति फैलने का आरोप लगाते हुए बनारस के मुस्लिम धर्मगुरुओं व समुदाय के सदर काजी व मुफ्ती-ए-बनारस अहले सुन्नत बुधवार को जिला मुख्यालय पहुंचे। इस दौरान सदर काजी-ए-शहर मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मुफ्ती-ए-बनारस अहले सुन्नत मौलाना मोईनुद्दीन अहमद फारुकी प्यारे मियां ने जिलाधिकारी के नाम संबोधित ज्ञापन उनकी अनुपस्थिति में एडीएम सिटी को सौंपा और कार्रवाई की मांग की। 

इस ज्ञापन में यति नरसिंहानंद द्वारा दिए गए बयान को कानूनी परिधि में दंडनीय अपराध बताते हुए, भारतीय दंड संहिता की धाराओं और आईटी एक्ट के तहत उचित कानूनी कार्रवाई की मांग की गई। धर्मगुरुओं का कहना है कि यति नरसिंहानंद के बयान ने धार्मिक भावनाओं को अनावश्यक रूप से आहत किया है और यह देश की शांति और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उनके अनुसार, "दशहरे पर रावण के बजाय पैगंबर का दहन करना चाहिए" जैसी आपत्तिजनक भाषा देश के सामुदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती है।


इसलिए, इस मामले में यति नरसिंहानंद और उनके समर्थकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करते हुए उन्हें दंडित करना अत्यंत आवश्यक है। धर्मगुरुओं ने पुलिस और प्रशासन से इस स्थिति को गंभीरता से लेकर जल्द से जल्द कदम उठाने की मांग की। इस दौरान दर्जनों उलेमा, अधिवक्ता व संभ्रांत नागरिक मौजूद थे।

मंगलवार, 8 अक्तूबर 2024

Post stamp राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के संवाहक-पोस्टमास्टर जनरल

डाक टिकट संग्रह के लिए स्कूलों में खुलेगा फिलेटली क्लब-पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव

राष्ट्रीय डाक सप्ताह के तहत 'फिलेटली दिवस' का अहमदाबाद जीपीओ में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने किया शुभारंभ




Ahmedabad (dil India live). डाक टिकट किसी भी राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के संवाहक हैं। तभी तो डाक टिकट को नन्हा राजदूत कहा जाता है। उक्त उद्गार उत्तर गुजरात परिक्षेत्र, अहमदाबाद के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने 'राष्ट्रीय डाक सप्ताह' के क्रम में अहमदाबाद जीपीओ में 8 अक्तूबर को आयोजित फिलेटली दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। इस अवसर पर विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने फिलेटली ब्यूरो का भ्रमण करके डाक टिकटों के बारे में जानकारी ली। फिलेटली डिपाजिट एकाउंट, माई स्टैम्प, दीन दयाल स्पर्श छात्रवृत्ति योजना, ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता के बारे में विद्यार्थियों को विस्तार से बताया गया। माई स्टैम्प के तहत डाक टिकटों पर अब लोगों की फोटो भी हो सकती है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि एक अभिनव पहल के तहत डाक विभाग विभिन्न स्कूलों में फिलेटली क्लब खोल रहा है, ताकि विद्यार्थियों में डाक टिकट संग्रह की अभिरुचि के प्रति उनकी प्रवृत्ति को विकसित किया जा सके। इससे विद्यार्थियों की शिक्षा में भी फायदा मिलेगा। इस वित्तीय वर्ष में उत्तर गुजरात परिक्षेत्र में अबतक 11 फिलेटली क्लब खोले जा चुके हैं। 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि फिलेटली को "किंग आफ हॉबी व हॉबी आफ किंग" के रूप में जाना जाता है, जिसमें रूचि रखने पर विविध विषयों पर डाक टिकटों का संग्रह कर सकते हैं। साथ ही कहा कि संचार के बदलते दौर में आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया को अधिक तरजीह दे रही है, पर बच्चों को फिलेटली (डाक टिकट संग्रह और उनके अध्ययन) से जरूर जुड़ना चाहिए, इससे उनका सामान्य ज्ञान भी खूब विकसित होगा।

अहमदाबाद जीपीओ के चीफ पोस्टमास्टर श्री गोविन्द शर्मा ने बताया कि मात्र 200 रुपये में फिलेटली डिपाजिट एकाउंट खोलकर घर बैठे डाक टिकटें प्राप्त की जा सकती हैं। इसके प्रति लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।  

डिप्टी चीफ पोस्टमास्टर अल्पेश शाह ने बताया कि इस अवसर पर ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने ‘लेखन का आनंद : डिजिटल युग में पत्रों का महत्व’ विषय पर उत्साहपूर्वक पत्र लिखकर भाग लिया। 

इस अवसर पर अहमदाबाद जीपीओ के चीफ पोस्टमास्टर श्री गोविन्द शर्मा, डिप्टी चीफ पोस्टमास्टर श्री अल्पेश शाह, डिप्टी सुपरिन्टेन्डेन्ट श्री वी.एम. वहोरा, सहायक निदेशक श्री एम. एम. शेख, सहायक अधीक्षक श्री रोनक शाह सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...