Varanasi (dil India live)। बनारस के मशहूर शायर, वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार एवं शिक्षाविद ताजुद्दीन अशअर रामनगरी का लंबी बीमारी के बाद 96 वर्ष की आयु में बीती रात्रि रामनगर स्थित दौलतखाने पर इंतकाल हो गया था। उनके इंतकाल से उर्दू साहित्य व पत्रकारिता जगत के एक युग का समापन हो गया। इंतकाल की खबर लगते ही पूरे पूर्वांचल में शोक की लहर दौड़ गई। सामाजिक संस्था सुल्तान क्लब ने एक अफसोस बैठक आयोजित कर खिराजे अकीदत पेश की।
इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक ने अफसोस का इजहार करते हुए कहा कि अशअर रामनगरी साहब ने अपनी पूरी जिंदगी उर्दू साहित्य और पत्रकारिता में गुज़ारी। उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन में दर्जन भर से अधिक उर्दू समाचार पत्रों का संपादन किया, उर्दू दैनिक समाचार पत्र कौमी मोर्चा का लगभग 30 साल तक संपादन किया।
उर्दू बीटीसी टीचर्स एसोसिएशन के महामंत्री मुहम्मद जफर अंसारी ने कहा कि मरहूम ताजुद्दीन अशअर रामनगरी एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति लब्ध उस्ताद शायर थे। महबूब आलम ने कहा कि मरहूम अशअर साहब को दर्जनों सरकारी और गैर सरकारी उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है। शमीम रियाज़ ने कहा कि अशअर साहब अदब और साहित्य के हर विधा में निपुण थे। अशअर साहब के इंतकाल से बनारस शहर और उत्तर प्रदेश के उर्दू हल्के में मायूसी का माहौल है जिसकी भरपाई निकट भविष्य में मुमकिन नहीं है। अशअर साहब के बेटे और शाएर ज़मज़म रामनगरी उनकी अदबी विरासत आगे बढ़ाने में प्रयत्नशील है। सुल्तान क्लब के मेम्बर्स ने उन्हें सब्र से काम लेने की हिदायत दी।
अफसोस बैठक में डॉक्टर एहतेशामुल हक, जफर अंसारी, महबूब आलम, अब्दुर्रहमान, शमीम रियाज़, मुस्लिम जावेद अख्तर, एच हसन नन्हें, हाफिज मुनीर, शकील अंसारी, मौलाना अब्दुल्लाह, वफ़ा अंसारी, नसीमुल हक, मुख्तार अहमद, मुहम्मद इकराम, इरफान इत्यादि थे।
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