शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2024

रहती दुनिया तक याद किए जाएंगे अशअर रामनगरी

मशहूर शायर, वरिष्ठ पत्रकार अशअर रामनगरी किए गए सुपुर्द-ए-खाक, उमड़ा हुजूम 


Varanasi (dil India live)। मशहूर शायर, पत्रकार, इस्लामी विद ताजुद्दीन अशअर रामनगरी का लंबी बीमारी के बाद 96 वर्ष की आयु में बीती अर्ध रात्रि इंतकाल हो गया। उन्हें आज रामनगर की आबाई कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द ख़ाक किया गया। 

उनके देहांत से उर्दू पत्रकारिता जगत के एक युग का समापन हो गया। उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन में दर्जन भर से अधिक उर्दू समाचार पत्रों का संपादन किया ।उल्लेखनीय है कि उर्दू दैनिक समाचार पत्र कौमी मोर्चा का लगभग 30 सालों तक अपने संपादकीय से पाठकों के दिलों पर राज करते रहे ।विदित हो कि पाठक उनके संपादकीय को पढ़ने के लिए ही अखबार लेते थे ।उनके द्वारा लिखे संपादकीय के कई संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। श्री ताजुद्दीन अशअर रामनगरी एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति लब्ध उस्ताद शायर थे जिनके शागिर्द दुनिया भर में उर्दू अदब की सेवा कर रहे हैं ।उनके कविता संग्रह में नाल -ए- साज़, मताए अकीदत, मौज़े- नसीमे- हिजाज़ ,इहदनस्सीरातल मुस्तक़ीम और वाशिगाफ़ काबिले जिक्र हैं ।

मरहूम अशअर साहब को दर्जनों सरकारी और गैर सरकारी उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है। विगत वर्ष उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने एक लाख की धनराशि पत्रकारिता के क्षेत्र में पुरस्कार स्वरूप उन्हें दिया है।

अशअर साहब अदब और साहित्य के हर विधा में निपुण थे ।उन्होंने जहां एक तरफ गजलें नज्में लिखी है तो वही दूसरी तरफ हाजी नाम, रुखसती सेहरा क़सीदा के फन में भी माहिर थे। जो उन्हें अपने समकालीन फनकारों में नुमाया पहचान दिलाता था। अशअर साहब कई भाषाओं के माहिर थे स्कूली शिक्षा न होने के बावजूद हिंदी, संस्कृत, उर्दू ,अरबी ,फारसी, अंग्रेजी, में महारत रखते थे ,बनारस में होने वाले हर साल नातिया मुकाबले में उनके द्वारा लिखी गई नातों की लोकप्रियता यह थी कि हर वर्ष उनकी अंजुमन इस्लामिया कदीमी चौहट्टा लाल खान ,और अंजुमन फिरदौसे अदब चाह मेहमा दालमंडी को प्रथम पुरस्कार से अलंकृत किया जाता था। अशअर साहब के देहांत से बनारस शहर और उत्तर प्रदेश के उर्दू हल्के में मायूसी का माहौल है जिसकी भरपाई निकट भविष्य में मुमकिन नहीं है। अशअर साहब के बेटे और शाएर ज़म ज़म रामनगरी उनकी अदबी विरासत आगे बढ़ाने में प्रयत्नशील है। 

आज उनकी मिट्टी उनके पैतृक कब्रिस्तान गोलाघाट रामनगर में अमल में आई बड़े पैमाने पर नम आंखों से उनको लोगों ने सुपुर्द-ए-खाक किया।

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