गुरुवार, 20 जुलाई 2023

Muharram 2023:शहादत की अनोखी मिसाल है मोहर्रम

इमाम हुसैन समेत कर्बला के 72 शहीदों कि 'याद' है मोहर्रम
Varanasi (dil India live). इमाम हुसैन समेत कर्बला के 72 शहीदों की अनोखी मिसाल मोहर्रम है। कर्बला कि जंग किसी तख्तोताज के लिए नहीं बल्कि हक, इंसानियत और इस्लाम को बचाने के लिए हुई थी। नाना के दीन को बचाने के लिए इमाम हसन इमाम हुसैन ने अपनी शहादत दे दी मगर दीने इसलाम को बचा लिया।

उक्त बाते मौला की मदहाखानी करने वाले सैयद नबील हैदर ने मोहर्रम के सिलसिले से कही। उन्होंने कहा की मोहर्रम इस्लाम धर्म में आस्था रखने वालों का गम का महीना है। इस माह की बहुत विशेषता है, इसी माह मुसलमानों के पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने मक्का के पवित्र नगर मदीना में हिजरत किया था।

कर्बला सन 60 हिजरी को यजीद इस्लाम धर्म का खलीफा बन बैठा, वह अपने वर्चस्व को पूरे अरब में फैलाना चाहता था जिसके लिए उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती इमाम हुसैन थे जो किसी भी हालत में यजीद के आगे झुकने को तैयार नहीं थे। जब यजीद के अत्याचार बढ़ने लगे तो इमाम हुसैन अपने परिवार और साथियों के साथ मदीना से इराक के शहर कूफा जाने लगे, रास्ते में ही यजीद की फौज ने हुसैन के काफ़िले को रोक लिया।

यही मोहर्रम का दिन था इमाम हुसैन का काफिला कर्बला की तपती रेगिस्तान पर रुका। हुसैन के काफिले पर पानी की रोक लगा दी थी यजीद ने, इसके बाद भी हुसैन नहीं रुके। यजीद चाहता था कि हुसैन झुके लेकिन हुसैन झुके नहीं और जंग का ऐलान हो गया। 

Chand dikha, शिया मुस्लिम ग़म में डूबे, ख़्वातीन ने तोड़ी चूड़ियां

चांद के दीदार संग शुरू हुआ इस्लामिक नया साल

-नौहों मातम से गूंजे अजाखाने 


Varanasi (dil India live)। शिया मुस्लिमों के लिए बुधवार का चांद गम और मातम का पैग़ाम लेकर आया है। मुस्लिम कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम बुधवार कि शाम चांद के दीदार के साथ शुरू हो गया। इसी के साथ इस्लामिक नये साल का आगाज़ भी हो गया।जुमेरात को मुहर्रम कि पहली तारीख होगी। पहली मोहर्रम का जुलूस सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में निकाला जायेगा जिसमें अंजुमनों द्वारा नौहाखवानी व मातम किया जाएगा।

इससे पहले बुधवार की शाम चांद के दीदार के साथ ही सुन्नी मस्जिदों में जहां दस दिनी जलसा व तकरीर का आगाज़ हुआ, वहीं शिया मुस्लिमों के घर अजाखाने में बदले नज़र आए। शिया ख़्वातीन ने हाथों की चूड़ियां तोड़ दी, सारे साजों-श्रृंगार मिटा दिए। इस दौरान मर्द व ख़्वातीन ने काला लिवास धारण कर लिया। हर आंख हजरत इमाम हुसैन की याद में डूब गई। चांद निकलते ही अजाखानों से दर्द भरे नौहों के बोल फिज़ा में बुलंद हो उठे, चांद निकला है माहे अजा का...व, जैदी दरे हुसैन पर झुकती है कायनात...। इन नौहों के बोल पर देर रात तक मातम का नजराना पेश हो रहा था। 

क्यों मनाया जाता है मोहर्रम

सन् 61 हिजरी 10 मोहर्रम को इराक़ के कर्बला में नबी के नवासे इमाम हुसैन समेत 71 हुसैनियों की शहादत हुई थी। उस अजीम शहादत कि याद में शहर बनारस के गौरीगंज, शिवाला, दालमंडी, मदनपुरा, बजरडीहा, दोषीपुरा, चौहट्टा, मुकीमगंज, प्रहलाद घाट, सरैया‌ शहर और आसपास का हर आंगन मातम में डूब गया।

बुधवार, 19 जुलाई 2023

Moharram 2023: चांद छुपा बादल में नहीं हुआ दीदार

20 से शुरू होगा अब इस्लामिक नया साल 

शिया अजाखानों में शुरू हुई मजलिसे इस्तेकबालिया



Lucknow (dil India live). इस्लामी साल मुहर्रम का चांद लखनऊ समेत कई जगहों पर १८ जुलाई को नहीं दिखाई दिया। लिहाजा मोहर्रम की शुरुआत १९ जुलाई का चांद देखकर २० जुलाई से होगी। इस बात की जानकारी मरकजी चांद कमेटी ने एक बयान जारी करके दी है। कमेटी ने कहा है, “मरकजी चांद कमेटी फरंगी महल के सदर और इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ‘काजी-ए-शहर’ ने ऐलान किया है कि आज (18 जुलाई) को मोहर्रम का चांद दिखाई नहीं दिया है। इसलिए मुहर्रम की 01 तारीख 20 जुलाई को होगी और यौमे आशूरा 29 जुलाई 2023 को होगा। हालांकि शिया अजाखाने सजा दिए गए। मजलिसे इस्तेकबालिया बनारस, जौनपुर, लखनउ, आजमगढ, मउ व गाजीपुर आदि में होने की खबर मिली है।

दरअसल मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक साल का पहला महीना है। इसी महीने के साथ इस्लामिक नए साल की शुरुआत होती है। वैसे तो ये एक महीना है लेकिन इस महीने में मुसलमान खास तौर पर शिया मुसलमान पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन समेत कर्बला में शहीद हुए ७२ लोगों की शहादत का गम मनाते हैं। सन 61 हिजरी (680 ईस्वी) में इराक के कर्बला में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को उनके 72 साथियों के साथ यजीदी सेना ने शहीद कर दिया था। मुहर्रम में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का गम मनाते हैं। मातम करते हैं।  

इस दौरान मस्जिदों में एक से दस मुहर्रम तक सुन्नी मुसलमान शहादतनामा पढते हैं’ तकरीर होती है तो शिया मुसलमान इमाम हुसैन की शहादत का जिक्र करते हैं. उनका गम मनाने के लिए मजलिसें करते हैं। मजलिसों में इमाम हुसैन की शहादत बयान की जाती है। मजलिस में तकरीर (स्पीच) करने के लिए ईरान से भी आलिम (धर्मगुरू) आते हैं और जिस इंसानियत के पैगाम के लिए इमाम हुसैन ने शहादत दी थी उसके बारे में लोगों को विस्तार से बताया जाता है।

मंगलवार, 18 जुलाई 2023

Geeta press को गांधी शांति पुरस्कार देना बाबा साहब का अपमान होगा

कांग्रेसियों ने महामहिम राष्ट्रपति को लिखा पत्र 


Varanasi (dil India live). उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के ऐलान पर आज पूरे प्रदेश में जिला अधिकारी के द्वारा राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। इसी क्रम में आज वाराणसी में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के महासचिव हसन मेहंदी कब्बन एवं महानगर कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व में कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग की ओर से जिलाधिकारी वाराणसी के माध्यम से जिलाधिकारी कि अनुपस्थिति में एसडीएम राजातालाब को ज्ञापन सौंपा गया और गुजारिश कि गई कि महामहिम राष्ट्रपति को पत्र भेजा जाए।

पत्र में उल्लेख किया गया कि केंद्र सरकार ने गीता प्रेस प्रकाशन को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। जब कि गीता प्रेस प्रकाशन से संबद्ध पत्रिका कल्याण में बाबा साहब अंबेडकर पर जातिगत टिप्पणी करते हुए लिखा गया, कि हिनवर्ण निचली जाति के होते हुए उन्होंने ने बुढ़ापे में एक ब्राह्मण महिला से शादी की और हिंदू कोड बिल पेश किया। पत्र में कहा गया कि जून 1940 पेज no 10--13 इसके अलावा भी अन्य बहुत से अवसरों पर इस प्रकाशन से ऐसी ही जातिगत टिप्पणियां वाले विचार प्रकाशित होते रहे, जो संविधान प्रदत समानता की मूल भावना के विपरीत है।

पत्र के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति से विनम्र निवेदन किया गया है कि बाबा साहब को अपमानित करने और संविधान के मूल्यों के विपरीत आचरण करने वाले प्रकाशन को गांधी शांति पुरस्कार देने के सरकार के निर्णय पर अपनी आपत्ति के साथ हस्तक्षेप करें। क्यों की गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने से बाबा साहब का अपमान होगा।

प्रतिनिधिमंडल में हसन मेंहदी कब्बन,  नईम अहमद, आशीष सिंह विक्की, आफाक हुसैन शान एडवोकेट, हाजी तौफिक कुरेशी, मेंहदी हसन आब्दी, अब्दुल हमीद डोडे, जुबैर खान बागी सहित दर्जनों लोग शामिल थे।

कांग्रेस अपना दिल बड़ा करें तो बात बने: लारी

मिशन 2024 फताह के लिए छोटे दलों का भी हो साथ 


Varanasi (dil India live). सपा के वरिष्ठ नेता अतहर जमाल लारी ने कहा है कि कांग्रेस अपना दिल बड़ा करें तो बात बने। मिशन 2024 फताह के लिए छोटे दलों का भी साथ हो। विपक्षी एकता में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी, कुमार स्वामी की पार्टी, जनता दल सेकुलर, केसीआर की पार्टी बीआरएस, उड़ीसा में बीजू जनता दल, असम में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी, चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी और पूर्वोत्तर की व देश की तमाम छोटी पार्टियां जो भाजपा के खिलाफ हैं भाजपा को हराना चाहती हैं उन सबको साथ लिया जाए और इस पर भी फैसला किया जाए ताकि नितीश कुमार द्वारा कही गई वह बात कि हम भाजपा को 50 सीट पर ला देंगे वह सही हो और भाजपा को करारी शिकस्त दी जा सके। भाजपा जब गाली देने वालों को अपने साथ ले सकती है तो हम थोड़ा बहुत मनमुटाव खत्म करके सारे अपोजिशन को एक करें ताकि लोकतंत्र बच सके, संविधान की रक्षा हो सके और धर्मनिरपेक्षता कायम रहे।  

सोमवार, 17 जुलाई 2023

Benaras me moharram or julus


Varanasi (dil India live)। इस्लामिक कैलेण्डर का पहला महीना मोहर्रम आगामी 19 या 20 जुलाई से (चंद्र दर्शन के अनुसार) शुरू होगा। हिजरी सन का पहला महीना गम का है। इस महीने में शिया मुसलमान गमगीन रहते हैं क्योंकि इसी माह की दस तारीख को पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन को दुनिया के पहले आतंकवादी यजीद ने ईराक के कर्बला शहर में तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया था। इन शहीदों में 6 माह के अली असगर भी थे। ऐसे में शहर बनारस में भी गौरीगंज, शिवाला, दालमंडी, मदनपुरा, बजरडीहा, दोषीपुरा, चौहट्टा, मुकीमगंज, प्रहलाद घाट, सरैया, अर्दली बाजार, कोयला बाजार आदि इलाकों में मजलिसों और जुलूसों का दौर शुरू हो जाता है। Dil India live के संपादक aman से इस सम्बन्ध में शिवाला स्थित कुम्हार के इमामबाड़े के संरक्षक सैयद आलिम हुसैन रिजवी, हजरत अली समिति के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने विस्तार से बातचीत की। 

बताया कि हिजरी सन 1445 का आगाज माहे मोहर्रम से होगा है, जो इस वर्ष 19 या 20 जुलाई 2023 से चांद के दर्शन के हिसाब से मोहर्रम शुरु होगा। इस दौरान शिया दो महीना आठ दिन तक ग़म का अययाम मनाते हैं। काला लिवास धारण करते हैं। इस दौरान शहर में तकरीबन 60 से ऊपर जुलूस एक से 13 मोहर्रम तक उठाये जायेंगे। इस्तकबाले अजा की मजलिसे 19 जुलाई से शुरु हो जायेगी। इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की याद में विभिन्न इलाकों में जुलूस उठेंगे।

पहली मोहर्रम

पहली मोहर्रम शहर भर के विभिन्न इलाकों में प्रातः सात बजे से मजलिसों का कार्यक्रम शुरु हो जायेगा। दिन में तीन बजे सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में कैम्पस के अन्दर ही अलम और दुलदुल ताबुत का जुलूस उठाया जायेगा। अन्जुमन नौहा और मातम करेंगी। मोमनीन शिरकत करेंगे। 

दूसरी मोहर्रम

शिवपुर में अंजुमने पंजतनी के तत्वावधान में अलम व दुलदुल का जुलूस रात 8 बजे उठाया जायेगा। बनारस के अलावा दूसरे शहरों की अंजुमनें भी शिरकत करेंगी। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ के मकान पर दिन में 2 बजे कदीमी मजलिस का आयोजन होगा।

तीसरी मोहर्रम

अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से सायं 5 बजे उठाया जायेगा। अंजुमन जव्वादिया जुलूस के साथ-साथ रहेगी। वहीँ शिवाला स्थित आलीम हुसैन रिजवी के निवास से भी एक जुलूस उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलम का जुलूस उठाया जायेगा ।

चार मोहर्रम

ताजिये का जुलूस शिवाले में आलीम हुसैन रिजवी के निवास से गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा।

पांचवीं मोहर्रम

वक्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली, छत्तातला, गोविंदपुरा से अलम का जुलूस उठया जाएगा, जिसमें मुजफ्फरपुर के मर्सिया ख्वां वज्जन खां के बेटे सवारी पढ़ेंगे। इसके अलावा जुलूस में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजन शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

छठवीं मोहर्रम

इस दिन विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक चलने वाले दुलदुल का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से शाम 5 बजे उठेगा। इस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मश्शूर बैंड भी मौजूद रहते हैं जो मातमी धुन बजाते हैं। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाता है। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होता है। यह जुलूस लगातार 6 से 8 मोहर्रम तक चलता रहता है।   

मेहंदी का जुलूस

चौहट्टा लाल खां इलाके से मोहर्रम के सातवें रोज़ छोटी मेहंदी व बड़ी मेहंदी के दो कदीमी जुलूस निकाला जाता है। इसमें बड़ी मेहंदी का जुलूस सदर इमामबाड़ा जाकर देर रात सम्पन्न होता है।

आठवीं मुहर्रम

अलम व तुर्बत का जुलूस ख्वाजा नब्बू साहब के चहमामा स्थित इमामबाडा से कार्यक्रम संयोजक सयेद मुनाजिर हुसैन मंजू के संयोजन मे रात 8:30 बजे उठेगा जुलूस उठने पर शराफत अली खां साहब, लियाकत अली साहब व साथी सवारी पढेंगे। जुलूस दालमंडी पहुचने पर अंजुमन हैदरी चौक नौहा ख्वानी व मातम शुरू करेगी। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होकर फातमान पहुंचेगा और पुनः वापस अपने कदीमी रास्तों से होते हुए चहमामा स्थित इमामबाडे  मे आकर एक्तेदाम पदीर होगा। जुलूस में पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खा व साथी शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

नवीं मोहर्रम 

शहर भर के तमाम इमामबाड़ों में तथा इमाम चौक पर जातिया रखी जाती है जो सैकड़ों की तादाद में होती है। कई इलाकों में गश्तीअलम का जुलूस उठाया जाता है जो अपने इलाकों में भ्रमण करता है। लोग नौहा मातम करते चलते हैं। अंजुमन हैदरी चौक गश्ती अलम लेकर फातमान पहुंचती है वहां 4 बजे भोर में अंगारों पर चलकर मातम किया जाता है। 9 मोहर्रम को ही अपनी नवैयत का खास दुल्हा का जुलूस शिवाला से उठाया जाता है। जिसमें हजारों लोग शिरकत करते हैं ये जुलूस बनारस की अलग पहचान रखता है। लोग शहर भर के इमामबाड़ों में जाकर नौहा मातम करते हैं ताजीये पर मन्नते मांगते हैं। 9 मोहर्रम को ही हड़हा सराय में सायं 3 बजे से हजरत अली असगर के झूले का जुलूस उठता है जो दालमण्डी, नईसड़क, कोदई चौकी होता हुआ छत्तातले पर समाप्त होता है।

दसवीं मोहर्रम यौमे आशूरा 

आज से 1378 साल पहले सन् 61 हिजरी (जुमा) में 10 वीं मोहर्रम को ही (शुक्रवार) के दिन इमाम हुसैन ने अजीम कारनामा कर दिखाया था। अपने साथ साथ अपने 71 साथियों जिसमें 18 परिवार के सदस्य भी थे। जिनमें 32 वर्ष का भाई अब्बास, 18 वर्ष का बेटा अली अकबर, 13 साल का भतीजा कासीम, 9 व 10 साल के भांजे औन तथा मोहम्मद के अलावा 6 महीने का उनका सबसे छोटा बच्चा अली असगर समेत शहादत दे दिया था। इसी अजीम शहादत कि याद में 10 वीं मोहर्रम को पूरे शहर भर में सुबह से जुलूसों का सिलसिला शुरू रहता है। शहर की तकरीबन 26 अंजुमने अलम व तुरबत व दुलदुल को जुलूस सुबह से शाम तक उठाती रहती है। जिसमें जंजीर व कमा (खंजर) का मातम होता है लोग आंसुओं के साथ-साथ खून का नजराना भी पेश करते हैं ये जुलूस विभिन्न इलाकों में उठते हैं और सदर इमामबाड़ा लाट सरैया और दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा शिवाले घाट पर शाम तक समाप्त होते हैं। शिया हजरात 10 मोहर्रम को जुलूस के बाद विभिन्न स्थानों पर शामे गरीबों की मजलिस करते हैं।

लुटा हुआ काफिला

ग्यारहवीं मोहर्रम को स्व. डा. नाजीम जाफरी के निवास से डा. मुज्तबा जाफरी के संयोजन में लुटे हुए काफिले का जुलूस 11 बजे दिन में उठाया जाता है इस जुलूस को चुप का डंका भी कहते हैं। रास्ते भर लोग नातिया कलाम पढ़ते हैं जो फातमान जाकर समाप्त होता है।  

तीजे का जुलूस

 शहर भर के इमामबाड़ों वर फातिहा दिलाई जाती है सुबह से ही इमाम के फूल की मजलिसें शुरू हो हैं दोपहर बाद आलम व अखाड़े का जुलूस उठाया जाता है। जो अपने रास्तों से होकर दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा सदर इमामबाड़ा लाटा पर शाम को समाप्त होता है।

तेरहवीं मोहर्रम

सदर इमामबाड़े में दुलदुल का जुलूस शाम 4 बजे कैम्पस में ही उठाया जाता है। शहर की कई अंजुमने नौहा मातम करती हैं।

रविवार, 16 जुलाई 2023

...अपनी नज़रों से पिलाओ तो कोई बात बने

एक शाम 'अदब' के नाम में पेश हुए कलाम




Varanasi (dil India live)। न्यू सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल रामनगर कैम्पस में एक शाम अदब के नाम  मुशायरा एवं कवि सम्मलेन का आयोजन व्योवृद्ध शायर व कवि (सीबीएसई उत्तर प्रदेश जोन के पूर्व निदेशक) अनिल सिंह की अध्यक्षता में किया गया। मुख्य अतिथि डा. कमालुद्दीन थे। स्कूल के मैनेजर मुख़्तार अहमद ने गुलदस्ता पेश कर मेहमानों का खैरमखदम किया तो संचालन समर गाजीपुरी ने किया।

मुख्य अतिथि डा. कमालुद्दीन ने अपने व्याख्यान में कहा की डा. इशरत जहां की स्व. रचित कविताओं का संग्रह नादानियां की वो ग़ज़लें जो सामाजिक ताने बनें से बुनी गयी हैं चौंका देती हैं साथ ही  उनकी शायरी में घर आँगन के खुबसूरत घटनाओं के साथ-साथ  रूमानियत की भी मौजूदगी देखी जा सकती है। डा. इशरत जहां नें अपने ख्यालात का इज़हार करते हुए कहा की शायरी जिसने हर ज़माने के बुरे वक्तों में दुनिया की रहबरी व मानवता का नेतृत्व किया है अब वक़्त आ गया है कि एक बार फिर हम इस तरह की महफ़िलें आरास्ता कर के इस तबाह होती दुनिया में इंसानियत भाईचारगी और इल्मो अमल के चिराग रौशन करें। 

इस मौके पर चंदौली की प्रतिनिधि शायरा डा. इशरत जहां का नवीन कविताओं का संग्रह  ‘नादानियां’ का  विमोचन हुआ। इस मौके पर मुशायरे में डा. कमाल जौनपूरी ने कलाम पेश किया...अहले गुलशन के जख्मी बदन हो गये, अच्छे मौसम भी अब बदचलन हो गये तो, अहमद आज़मी ने सुनाया, दोस्ती के परदे में दुश्मनी भी देखी है, आस्तीन में खंज़र देर तक नहीं रहता...। वहीं ज़मज़म रामनगरी ने सुनाया, वो बेवफा है मगर उससे दिल लगाना है, नमक से ज़ख्म का रिश्ता बहुत पुराना है। आलम बनारसी का कलाम, शायद तुमको लज्जते गम का अब एहसास हुआ है जो हमसे किस्सा पूछ रहे हो जो फुरक़त के एक–एक पल का...। ऐसे ही शमीम गाज़ीपुरी ने सुनाया, सबके चेहरे की रौनक पलट आएगी, मुस्कुराने में क्या आपका जायेगा...,  डा. इशरत जहां का कलाम, दयारे गैर में कैसे तुझे सदा देते, तू मिल भी जाता तो आखिर तुझे गवां देते...भी पसंद किया गया। अजफर अली ने सुनाया, अदब से बात करो और एहतेराम करो, जो घर से निकलो तो माँ बाप को सलाम करो...। झरना मुखर्जी ने, ज़िन्दगी एक बहता पानी है, चार दिन की ये जिंदगानी है व समर गाज़ीपुरी ने सुनाया, यकीन बिछड़ने का खुद को दिला सका भी नहीं, निशानी अहदे वफ़ा की मिटा सका भी नहीं...पसंद किया गया। नेज़ाम बनारसी ने पेश किया, जामो मीना या सुराही की ज़रुरत क्या है, अपनी नज़रों से पिलाओ तो कोई बात बने...। इसके अतिरिक्त डा० नसीमा जहाँ और डा० सविता सौरभ ने अपनी गज़लें पेश की।

Khwaja Garib Nawaz के 813 वें उर्स का आगाज, बुलंद दरवाजे पर फहरा झंडा

Mohd Rizwan  Ajmer (dil India live).अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर झंडा फहराने के साथ ही ख़्वाजा के 813 वें उर्स का आगाज हो ...