रविवार, 18 अप्रैल 2021

रमज़ान हेल्पलाइन :आपके सवाल का जवाब दे रहे मुफ्ती साहब

ख्वातीन के मस्जिद में एतेकाफ करने का क्या तरीका हैं?


वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। शमीमा ने बजरडीहा से फोन किया क्या ख्वातीन मस्जिद में एतेकाफ कर सकती हैं? अगर हाँ, तो उसका तरीक़ा क्या है? इस सवाल पर उलेमा ने जवाब दिया कि ख्वातीन को मस्जिद में एतेकाफ का हुक्म नहीं हैखास कर अहले सुन्नत वल जमात से इत्तेफाक रखने वाली ख्वातीन को। ख्वातीन घर के एक हिस्से में एतेकाफ पर बैठ कर परवरदिगार की इबादत कर सकती हैं।जौनपुर से मो. वाज़े ने फोन किया कि रोज़े की हालत में सिर पर तेल का इस्तेमाल किया तो रोज़ा होगा या नहींजवाब में उलेमा ने कहा कि तेल लगानेसुरमा लगानेखुशबू सूंघने से रोज़ा नहीं टूटता ये पहले भी बताया जा चुका है। चोलापुर से अंसार ने सवाल किया कि रात में सो गया सहरी में नींद नहीं खुलीइसलिए कुछ सहरी नहीं कर सकाआंख खुली तो सुबह हो गयी थीबिना सहरी के ही मैं रोज़ा रह गयामेरा रोजा हुआ या नहींजवाब था किजी हां रोज़ा हो जायेगासहरी करना सुन्नत है अनजाने में सहरी छूट गयी तो कोई हर्ज नहीं है। हां जान बूझ कर सेहरी छोड़ना सख्त मना है। रमज़ान हेल्प लाईन में आये सवालो का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबीमौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई

इन नम्बरों पर बात करके आप अपनी दुश्वारी का हल निकाल सकते हैं। मोबाइल नम्बर ये है- 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

शनिवार, 17 अप्रैल 2021

रमज़ान का पैगाम-5(17-04-2021)


रोज़ेदार करता है रमज़ान में अपनी नफ्स पर कंट्रोल

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। रब फरमाता है रमज़ान मेरा महीना है। इसका बदला मैं ही दूंगा। यही वजह है कि बंदा ग्यारह महीना तो अपनी तरह गुज़ारता है मगर एक महीना वो पूरी तरह अल्लाह के बताये तरीक़ों और रास्तों पर चलकर गुज़ारता है तो रब भी राज़ी हो जाता है। इसलिए मोमिनीन को चाहिए कि वो किसी को दुख न देंपूरे महीने इबादत करें। यह पाक महीना कसरत से नमाज़ अदा करनेकुरान की तेलावतलोगों की गलतियां माफ करने में गुज़ारना चाहिएसाथ ही इस महीने में ज़कातखैरात व फितरा देकर इबादतगुज़ार अपना रोज़ा पाक-साफ तो करता ही है साथ ही दूसरों की मदद करके गरीब मोमिन की ईद भी हंसी-खुशी करा देता हैं। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़दार की सेहत भी दुरुस्त हो जाती है और वो बुरे कामों से बचा रहता है। रोज़ेदार रमज़ान में अपनी नफ्स पर कट्रोल करता हैदुनिया की तमाम लज़्ज़तो से बचता हुआ अपने रब के लिए दिन भर भूखा प्यासा रहता है और शाम में रोज़ा इफ्तार करके रब का शुक्र अदा करता है। रोज़ा रोज़ेदार की इस्लाह करता है और नेकी की राह दिखाता है। नबी-ए-करीम (स.) ने इसे इबादत और सब्र का महीना बताया। रमज़ान के रोज़े सौहार्द की मिसाल हैं। इस महीने मुस्लिम के साथ ही बड़ी तादाद में गैर मुस्लिम भी रोज़ा रखते हैं। रहमतमगफिरत और जहन्नुम से आज़ादी के 10-10 दिन के रब ने तीन अशरे तय किये हैं। इन अशरों में बंदा अपने रब की खूब इबादत करता हैं। इसलिए इसे फायदे और मुनाफे का भी महीना कहते हैं। जो अक्लमंद हैं वो पूरे महीनें बड़ी संजीदगी से रोज़ा रखनेइबादत करने और गरीबों को खैरातजकातफितरा देने में गुज़ारता है। अल्लाह का नेक बंदा किसी भी तरह से इबादत करके मुनाफा लेना चाहता है। वो समझता हैं कि इस महीने अपने मुनाफे में बढ़ोतरी करेंक्यों कि इस महीने में अल्लाह रब्बुल इज्ज़त इबादत के फायदे 70 गुना तक ज्यादा कर देता हैं। तो फिर जानबुझ कर कोई बंदा क्यों अपना घाटा करेगा। जो शक्स पूरे महीने इबादत करेगाअपनी नमाज़े वक्त पर अदा करेगातहज्जुद में उठकर नमाज़े अदा करेगातरावीह पढ़ेगा और सब्र करेगाउसे इनाम के तौर पर जिंदगी में ईद अता फरमाई जायेगा व आखिरत में उसे जन्नत में जगह मिलेगी। क्यों कि ईद उसी की है जिसने पूरे महीने इबादत कीनफ्स पर कंट्रोल किया। किसी को दुख नहीं दियाकिसी तरह का झगड़ा नहीं किया। या रब नबी-ए-करीम के सदके और तुफैल में हम सबको रमज़ान का रोज़ा रखने और पांचों वक्त नमाज अदा करने की तौफीक अता फरमा..आमीन।

       हाफिज़ नसीम अहमद बशीरी

(इमाम शाही मस्जिद ढाई कंगूरावाराणसी)

रमज़ान हेल्प लाइन: सवाल आपके जवाब दे रहें मुफ्ती साहब

रोज़े की नियत रात और दिन की एक ही है या अलग अलग?

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रामनगर से फिरोज़ ने सवाल किया, मुफ्ती साहब, क्या रोज़े की नियत रात और दिन की एक ही है या अलग अलगइस पर उलेमा ने कहा कि सुबह सादिक से पहले की नियत है बिस्सौमी गदीन नवैईतु मिन शहरी रमज़ान। और अगर सूरज निकलने के बाद से ज़वाल के पहले नियत करें तो पढ़ेनवैईतू अन असूमा हाज़ल यौमा लिल्लाही तआला मिन फ़रदी रमज़ान।

भदोही से तारिक ने पूछा, मुफ्ती साहब रोज़ा रखकर अगर कोई रोज़ेदार आंखों में काजल लगाता है तो शरियत का उसके लिए क्या हुक्म है? जवाब में उलेमा ने कहा कि रोज़े की हालत में काजल लगाने से रोज़ेदार को बचना चाहिए। क्यों कि रोज़ेदार जब आंखों में काजल लगाता है तो काजल का असर हलक में पता चलता हैऐसे में हुक्म यह है कि काजल रोज़े की हालत में लगाने से बचा जायेहालांकि अगर कोई रोज़ेदार काजल लगाये हुए है तो रोज़े पर उसका कोई असर नहीं पड़ेगा मगर शरियत में बचने का हुक्म है। 

रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद हैं। इन नम्बरों पर बात करके आप अपनी दुश्वारी का हल निकाल सकते हैं। मोबाइल नम्बर ये है-: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483 

कोरोना का काशी में कहर

वाराणसी में शनिवार की सुबह मिले इतने कोरोना मरीज़

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। स्वास्थ्य विभाग द्वारा शनिवार की सुबह जारी कोरोना मेडिकल बुलिटेन के अनुसार वाराणसी में 858 नए कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ मिले हैं। इसी के साथ जनपद में पॉज़िटिव मरीज़ों की संख्या 39292 हो गयी है। ज़िले में अभी तक इस बिमारी से 422 लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार शाम 7 बजे से लेकर शनिवार सुबह 11 बजे तक बीएचयू लैब से प्राप्त 2012 जांच रिपोर्ट्स में 858 नए कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ मिले हैं। वाराणसी में इस बिमारी से ग्रसित होकर होम आइसोलेशन और अस्पतालों में स्वास्थ्य लाभ ले रहे 24898 लोग अभी तक स्वस्थ हो चुके हैं। वाराणसी में इस समय 13972 एक्टिव केस हैं। वाराणसी स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक 896581 लोगों का कोरोना सैम्पलिंग की है।

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

ये है दो दिन के लिए गाइड लाइन

दूध, ब्रेड, फल की दुकाने 10 बजे तक रहेगी खुली

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। वाराणसी में शनिवार और रविवार की बंदी में केवल दूध, ब्रेड, सब्जी, फल की दुकानें सुबह 10 बजे तक खुलेंगी। डीएम कौशल राज शर्मा की ओर से जारी आदेश के अनुसार जिन लोगों ने पारिवारिक कार्यक्रमों की अनुमति पूर्व में ली हैं। वे इस प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे।

इस दौरान यात्री, मरीज, कोविड टेस्ट कराने वाले तथा वैक्सीनेशन कराने वालों के आवागमन व इनके वाहनों/टैक्सी/ऑटो/ई-रिक्शा पर प्रतिबंध नहीं होगा। अब वाहनों का आवागमन व जनसामान्य का घर से बाहर निकलना व सभी व्यापारिक व व्यवसायिक गतिविधियों को रात आठ बजे से सुबह सात बजे तक प्रतिबंधित किया गया है। वही रविवार का लाकडाउन 15 मई तक जारी रहेगा।

2002 कोरोना पाजीटिव

दरअसल वाराणसी में शुक्रवार को 2002 कोरोना पॉजिटिव मरीज़ मिले साथ ही 6 की हुई मौत की भी खबर है, इससे हड़कम मच गया है। जिले में कोरोना संक्रमण की दर फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रही है। लगातार दूसरे दिन दो हजार से अधिक लोगों में कोरोना की पुष्टी हुई है। शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार पिछले 24 घंटे में 2002 कोरोना पॉज़िटिव केस सामने आए हैं। वहीं शुक्रवार को 6 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत भी हुई है। इसी के साथ जनपद में कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ों का आंकड़ा 38434 पहुंच गया है।

रमज़ान का पैगाम-4(16-4-2021)

इबादत ही नही अदब भी सिखाता है रमज़ान

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान इबादत ही नही अदब भी सिखाता हैरमजान का महीना बेशुमार नेमतो वाला है। इस पूरे महीने एक रोज़ेदार नफ्स पर कंट्रोल के साथ ही इबादत और सब्र करता है। नबी (स.) ने फरमाया है कि ये महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। इस महीने के अंदर बाल-बच्चों और नौकरों से ज्यादा मेहनत व कड़े काम न लोयह महीना इबादत के साथ ही अदब व एहतराम का भी महीना है। इस महीने में जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं और जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिये जाते हैं। रमज़ान में अल्लाह के रसूल का हुक्म है कि बंदियों को इस महीने में रिहा कर दोरमज़ान में झगड़ा और फसाद से सख्ती से बचो। मोमीन को चाहिए कि मारपीटबहसलड़ाई-झगड़ा छोड़कर अमन और मिल्लत की नज़ीर पेश करे। जैसा हमारा रब चाहता है हमारे नबी (स.) चाहते हैं। नबी (स.) ने इरशाद फरमाया कि कोई रोज़े की हालत में गाली दे दे या तुम्हें मारने पर अमादा हो जाये तो उसे बता दो कि मैं रोज़ा हूं और मैं झगड़ा नहीं चाहता। रोज़ेदार रमज़ान का रोज़ा रख कर जहां ज़ाति तौर पर अपनी इस्लाह करता है वहीं वो एक अच्छे मोआशरे यानी बेहतर समाज भी बनाता है। ऐसे तो हर महीने हर दिन हर घंटे इंसान को पड़ोसियों के साथदूसरे मज़हब के साथ नरमी का हुक्म है मगर रमज़ान में खुसूसियत के साथ एक परिवार दूसरे परिवार का हक अदा करेंपड़ोसी मुसलमान हो या दूसरे मजहब का उसके साथ नरमी बरती जाये। यूं तो हर दिन झगड़ा करना हराम है मगर इस बरकत वाले महीने की बरकत हासिल करने के लिए पूरे महीने रोज़दार को अपनी और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने वाली हरकतों से बचना चाहिए। और अपनी पिछली गुनाहों से माफी मांगनी चाहिए। यह महीना बक्शीश का महीना है। इस महीने में जहां पर उनके गुनाहों की माफी होगी वहीं रोज़ा उसकी गुनाहों के लिए कफ्फारा भी है। अल्लाह हम सबको रमज़ान की नेयमत अता करेऔर सबको ईद की खुशियां दे.. आमीन

मुफ्ती मौलाना हारुन रशीद नक्श्बंदी

      {प्रमुख उलेमा वाराणसी}

मधुमेह पीड़ित भी रख सकते है रोज़ा, लज़ीज पकवानों का ले सकते है लुत्फ



मधुमेह से हैं पीड़ित तो मीठे को करे बाय बाय

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। मुसिलमों के सबसे बड़े त्योहार ईद की बुनियाद रमज़ान है। पहले रमजान आता है जिसमें पूरे महीने मोमिनीन रोज़ा रखते हैं। रमज़ान का आगाज़ हो चुका है। रमज़ान मुकम्मल होने पर ईद आयेगी। जब तक ईद नहीं आती तब तक पूरा महीना रमज़ान जोश-ओ-खरोश के मनाया जाता है। लोग अपने घरों में तरह तरह के पकवान बनाते हैं और एक दूसरे के साथ मिल बांटकर दिन भर रोज़ा रखने के बाद शाम में लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठाते हैं। काफी लोग यह सोचते है कि रमज़ान का पकवान मधुमेह से पीड़ित नही ले सकते है इसलिए काफी मधुमेह पीड़ित रोज़ा रखने से भी बचते है, जबकि चिकित्सको का कहना है कि मधुमेह से पीड़ित हैं तो भी आप रोज़ा रख सकते है और लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठा सकते है, बस आपको बचना है, मीठे से। रमज़ान के साथ आपकी ईद भी हंसी-खुशी बीत जाये इसके लिए हमें रमज़ान में खास ख्याल रखना पड़ेगा। खास कर ऐसे मौकों पर जब घर में लज़ीज मीठे पकवान बनते हैं तो डायबिटीज के मरीजों के लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है। क्यों कि इन लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका लेने से इफ्तार में वो अपने को रोक नहीं पाता, या तो कोई उसे खिला देता है या फिर वो खुद मीठे पकवान खा लेता है। बेहतर हो कि आप अपनी केस हिस्ट्री लेकर नज़दीकी चिकित्सक से सम्पर्क करे और उनसे उचित सलाह ले कर रोज़ा रखे, मीठे से बचते हुए लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका ले और ईद भी मनाये है।

खुद ही अपने स्वास्थ्य का रखना पड़ेगा ध्यान 

जनता सेवा हास्पिट्ल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. अकबर अली की माने तो रमज़ान में मधुमेह के मरीज़ों को खुद ही अपने स्वास्थ का ध्यान रखना पड़ेगा। क्योंकि अगर कोई मुश्किल आ गई तो रमज़ान का रोज़ा तो जायेगा ही साथ ही उसके ईद का भी मज़ा फीक़ा हो सकता है। इसलिए डायबिटीज़ के मरीज़ों को थोड़ा ख्याल रखने और एहतेयाद की ज़रूरत है। चिकित्सक डा. गुफरान जावेद की माने तो रोजे के दौरान शाम में इफ्तार के वक्त हर हाल में मीठे शर्बत व मीठें पकवान से परहेज़ करें तो मुश्किल टल सकती है, और ईद की खुशियां दुगनी हो सकती है।

क्या है हाइपरगिलेसेमिया ?

रोजे के दौरान मधुमेह के मरीज़ों को ग्लूकोज में अचानक गिरावट होने से हाइपोगिलेसेमिया हो सकती है इसमें मरीज को चक्कर और बेहोशी आने लगती है। हाथ-पांव ठंडे पड़ जाते हैं। रोजे के दौरान मरीज के खून में शुगर की मात्रा अधिक हो सकती है जिसे हाइपरगिलेसेमिया कहा जाता है। जिसमें मरीजों की आंखों के सामने धुंधलापन, बेहोशी, कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती है। ऐसी स्थिति में रोज़ा रखने से पूर्व अपने चिकित्सकों से परामर्श ज़रूर ले कि उन्हें सहरी में क्या खाना है और इफ्तार व खाने में उन्हें रात को क्या लेना है।

इन बातों को न करें नजरअंदाज

-जिन फलों में मीठा अधिक हो उनका सेवन ना करें।

-जितनी भूख हो उतना ही खाएं, रोजा समझकर ज्यादा ना खाएं।

-मीठे चीजों को एकदम दूरी बनाएं रखें।

-अपने आहार में रस भरे फल, सब्जियां, जूस और दही में चीनी का सेवन ना करें।

-भोजन और सोने के बीच दो घंटे का अंतराल रखें।

-सोने से पहले किसी भी कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार का सेवन ना करें।

-अधिक तले भोजन से परहेज करें, रोटी और चावल में स्टार्च होता है इसलिए इनका भोजन भी कम ही करें।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...