दरगाह फातमान में देर रात तक जुटे रहे लोग, मनाया गया जश्ने अली
Mohd Rizwan
Varanasi (dil India live). दरगाह फातमान Varanasi में जश्न-ए-मौलूदे काबा धूमधाम से मनाया गया। इस जश्न में कई ख्यातिलब्ध नेशनल व इंटरनेशनल शायरों ने शिरकत की। सभी ने पैगंबर हज़रत मोहम्मद (स.) के दामाद और शिया मुसलामानों के पहले इमाम हजरत अली के जन्मदिन का जश्न मनाया। मौलाना अकील हुसैनी, मौलाना वसीम रिजवी की मौजूदगी में देर रात तक हजरत अली की शान में कलाम पेश किए गए।
इस जश्न ए मौलूदे काबा में चार इंटरनेशनल शायरों शबरोज कानपुरी, शबीह गोपालपुरी, फाजिल जरैलवी और हेलाल ने शिरकत की। इसके अलावा बनारस से रोशन बनारसी, अतश बनारसी, इकबाल बनारसी, काविश बनारसी, साबिर बनारसी, शायद सिवानी, ऋषि बनारसी, अंबर तुराबी, चांद बनारसी, एलिया गाजीपूरी, जैन बनारसी और शाहिद ने अपने कलाम पेश किए। शबरोज कानपुरी को सुनने के लिए देर रात तक डटे रहे लोग* बेहतरीन लबो-लहजे के मालिक और हिन्दुस्तान के मशहूर शायर शबरोज कानपुरी को सुनने के लिए दरगाह फातमान का मजलिसी हाल खचाखच भरा रहा। रात 12 बजे के बाद उन्हें अंतिम शायर के रूप में माइक मिला तो पूरा हाल नारे हैदरी के नारों से गूंज उठा। उन्होंने जैसे-जैसे कलाम सुनाए। वैसे-वैसे सर्द रातों में गर्मी बढ़ती गई।
इस दौरान मौलाना अकील हुसैनी ने बताया- आज यहां जश्न मनाया जा रहा है। यह जश्न उस अली के लिए है जो पैगंबर मोहम्मद साहब के चचाजात भाई भी थे और उनके दामाद भी थे। अली ने पैगंबर साहब का हर मोर्चे पर साथ दिया। आज भी कौम के बच्चों को चाहिए की वो कौम के आलिम के साथ कंधे से कंधा मिलकर चले ताकि मुल्क के साथ ही साथ कौम भी तरक्की हो।