मंगलवार, 2 अगस्त 2022

Muharram 3rd: नवाब की ड्योढ़ी से निकला दुलदुल का कदीमी जुलूस

नाना मेरे रसूले ख़ुदा मैं हुसैन हूं...

दर्द भरे नौहे फिजा में बुलंद कर आगे बढ़ा अंजुमन जव्वादिया का जुलूस 


Varanasi (dil india live). तीसरी मोहर्रम को अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज से अकीदत के साथ निकाला गया। यह जुलूस नवाब की ड्योढ़ी से शाम में उठा। जुलूस, नाना मेरे रसूले ख़ुदा मैं हुसैन हूं, गूंजी है कर्बला में सदा मैं हुसैन हूं...। जैसे दर्द भरे नौहे फिजा में बुलंद करता हुआ आगे बढ़ा। जुलूस में अंजुमन जव्वादिया नौहाखवानी वह मातम करते हुए चल रही थी। वहीं शिवाला स्थित सैयद आलीम हुसैन रिजवी के इमामबाड़े से से भी एक जुलूस उठाया गया, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर जाकर समाप्त हुआ। रास्ते भर अंजुमनों ने नौहाखवानी वह मातम का नजराना पेश किया। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के इमामबाड़े से भी अलम का जुलूस उठा।

कल शिवाला से निकलेगी ताजिया

चार मोहर्रम को ताजिये का जुलूस शिवाला में सैयद आलीम हुसैन रिजवी के निवास से निकलेगा। जुलूस गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर जाकर समाप्त होगा। चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा। 

जुलूस मार्ग से हटाया डिवाइडर


मोहर्रम के जुलूसों को देखते हुए एडीसीपी ट्रैफिक दिनेश पुरी के निर्देश पर नई सड़क चौराहे और फाटक शेख सलीम पर से आज डिवाइडर हटवाया गया। दरअसल मुहर्रम के जुलूस इसी रास्ते से गुजरते है और डिवाइडर जुलूस के रास्ते को बाधित कर रहा था।


Ganga jamuni tahzeeb: बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आए भक्तों की मुस्लिमों ने की सेवा


Varanasi (dil india live). श्रावण मास के तृतीय सोमवार के मौके पर बाबा भोलेनाथ के दर्शन पूजन केे लिए दूर दराज से आने वाले लाखों शिवभक्त कांवरियों के रूप में पैदल ही बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूजन एवं मां गंगा (नदी) के पवित्र जल से बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक किया। इस दौरान पूर्वांचल विकास सेवा समिति द्वारा गोदौलिया केसीएम माल वाराणसी के पास मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया। जिसमें घायल हुए शिव भक्तों (कावंरियों) को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं मुस्लिमों द्वारा उपलब्ध कराई गई।

यहां दूर दराज से आए शिवभक्तों को चिकित्सकीय सूविधा के साथ साथ जूस (पैकेट) एवं पानी (मिनरल वाटर) का भी वितरण किया गया। एवं जिन शिवभक्तों के पैरो मे चलते चलते छालें व जख्म  पड़ गए थे। उन छालों व ज़ख्मों पर मरहम पट्टी  लगाकर एवं दवाओं का भी नि:शुल्क वितरण कर  संस्था के लोगो द्वारा अपनी ड्यूटी निभाई गई एवं शिवभक्तों (कांवरियों) की सेवा कर मानवता का फ़र्ज़ भी अदा किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य हैदर अब्बास चांद द्वारा कावंरियों को जूस बांटें गए एवं कावंरियों की सेहत की देख रेख का कार्य स्वास्थ विभाग के पूर्व स्वास्थ्य निदेशक  डॉ रविंद्र नाथ श्रीवास्तव  और उनके सहयोगी के रूप में डॉक्टर गुफरान जावेद द्वारा किया गया। इस स्वास्थ्य शिविर के मौके पर उपस्थित लोगों में भाजपा नेत्री हुमा बानो, नौशाद खां, मेहताब आलम, गौरव केशरी,सदफ आलम, अध्यछ नईम खान,  हाफिज फरीद आलम, सूफीयान ,अर्शआजम व शाहिद आलम आदि लोगो द्वारा सेवा कार्य किया गया।

सोमवार, 1 अगस्त 2022

Munshi Prem Chandra:साहित्यकार महाभारत काल के बर्बरीक की भांति

मुंशी प्रेमचंद, डॉ. उमाशंकर तिवारी की जयन्ती 
Ghazipur (dil india live). शहर के अष्टभुजी कॉलोनी स्थित द प्रेसिदियम इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में साहित्य चेतना समाज और अखिल भारतीय हिन्दी महासभा ने मुंशी प्रेमचंद और डॉ उमाशंकर तिवारी की जयन्ती का आयोजन किया। संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ने सभी आगन्तुक साहित्यसेवियों का स्वागत करते हुए मुंशी प्रेमचन्द और डॉ उमाशंकर तिवारी को नमन किया। कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्ज्वलन, माल्यार्पण और पुष्पार्चन से हुआ।

आधार वक्तव्य रखते हुए माधव कृष्ण ने कहा कि, साहित्यकार महाभारत काल के बर्बरीक की भांति होता है। साहित्यकार की वैयक्तिकता मरती है तो वह समग्रता विकसित करता है और तटस्थ रूप से घटनाओं का निरीक्षण कर साहित्य रचता है। मुंशी प्रेमचंद कालजयी इसलिए हैं क्योंकि उस कालखण्ड की कोई भी घटना उनकी पैनी दृष्टि से बच नहीं पायी। इस्लामिक कट्टरता पर ‘दिल की रानी’ इसका एक उदाहरण है। डॉ उमाशंकर तिवारी का साहित्यिक अवदान यही है कि जब साठ के दशक के बाद गीत लिखना पिछडापन माना जाने लगा, उन्होंने यथार्थवादी गीतों की रचना की जो आज भी लोग गुनगुनाते हैं।

मुख्य वक्ता डॉ रामनारायण तिवारी ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद का साहित्य पूरे भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करता क्योंकि उन्होंने अधिकांशतः नगरीय विसंगतियों का वर्णन किया है जबकि उस समय अस्सी प्रतिशत से ऊपर जनसंख्या गाँव में रहती थी। उन्हें आलोचकों ने गढ़ा है, पढ़ा नहीं। उन्होंने नवगीतकार डॉ उमाशंकर तिवारी को संवेदना पर खड़ा साहित्यकार बताया और यही उनकी विशिष्ट पहचान है। उन्होंने दोनों साहित्यकारों का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए कहा कि, तिवारी जी लोक को समझ पाए लेकिन मुंशी प्रेमचंद की लोकधर्मिता संदिग्ध है। उन्होंने आज के साहित्यकारों को अधिक से अधिक लोक के जुड़कर उसे समझने पर बल दिया।

विशिष्ट वक्ता डॉ श्रीकांत पाण्डेय ने मुंशी प्रेमचंद के साहित्य को विस्तृत बताया और कहा कि, वह बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे। प्रेमचंद की रचनाओं में तत्कालीन इतिहास बोलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की भावनाओं, परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया। उनकी कृतियाँ भारत के सर्वाधिक विशाल और विस्तृत वर्ग की कृतियाँ हैं। उन्होंने उमाशंकर तिवारी जी को अत्यधिक संवेदनशील गीतकार बताया जिसके अपने अनूठे जीवन संघर्ष थे, जो प्राचार्यत्व को बोझ मानते थे और गीतधर्म को मुक्ति।

विशिष्ट वक्ता डॉ व्यासमुनी राय ने मुंशी प्रेमचंद के इस वक्तव्य उद्धृत किया - साहित्य के भावों की जो उच्चता, भाषा की प्रौढ़ता और स्पष्टता, सुन्दरता की जो साधना होती है, वह हमें सिनेमा में नहीं मिलती। और कहा कि, एक अध्ययनशील वातावरण की आवश्यकता है। उन्होंने डॉ उमाशंकर तिवारी के पुराने दिनों को स्मरण किया और बताया कि राजकीय सिटी इंटर कॉलेज में कक्षा ६ से ही वह प्रेयर बॉय बन गए थे और उन्हें कोकिल उपनाम से बुलाया जाता था।

कथाकार गजाधर शर्मा गंगेश जी ने प्रेमचन्द हंसोड़ प्रकृति के मालिक थे। विषमताओं भरे जीवन में हंसोड़ होना एक बहादुर का काम है। इससे इस बात को भी समझा जा सकता है कि वह अपूर्व जीवनी-शक्ति का द्योतक थे। सरलता, सौजन्य और उदारता की वह मूर्ति थे। जहाँ उनके हृदय में मित्रों के लिए उदार भाव था वहीं उनके हृदय में ग़रीबों एवं पीड़ितों के लिए सहानुभूति का अथाह सागर था। प्रेमचन्द उच्चकोटि के मानव थे। उन्होंने डॉ मशंक्र तिवारी से अपनी निकटताओं पर बात करते हुए कहा कि, उनके जाने के बाद गाजीपुर में काव्य गोष्ठियों की सक्रियताएं कम हो गयीं। ऐसे महापुरुषों को याद करने मात्र से हिन्दी साहित्य गतिशील हो उठता है। 

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविमोहन शर्मा ने डॉ उमाशंकर तिवारी के गीत “वे लोग जो काँधे हल ढोते/खेतों में आँसू बोते हैं-/उनका ही हक़ है फ़सलों पर/अब भी मानो तो/बेहतर है।” का वाचन किया और मुंशी प्रेमचंद के साहित्य को अमर बताया।

डॉ राकेश पाण्डेय जी ने मुंशी प्रेमचंद की कहानियों में स्वजातीय लोगों को खलनायक न दिखाने पर प्रश्न खड़ा किया; और साथ ही कहा कि उनकी कहानियों में इस्लामिक आतंकवाद इत्यादि देखना ठीक नहीं। डॉ इन्दीवर रत्न पाठक ने राम अवतार सिंह भीखा जी द्वारा रचित गीत “भारत भूमि सुहावन देव मनभावन हो/भईया दुनिया में नाहीं अइसन माटी, न पानी अइसन पावन हो।” सुनकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कवयित्री पूजा राय जी ने “हमारे भीतर उपस्थित है प्रेम का शोर” का काव्य पाठ किया और वंचितों पीड़ितों को और अधिक प्रेम करने की आवश्यकता पर बल दिया। कवयित्री अनुश्री ने ऑनर किलिंग पर कविता “मौलिक अधिकारों वाले पन्नों को/चाट चुके थे दीमक” प्रस्तुत की और लोगों को सोचने पर विवश किया।

डॉ निरंजन यादव ने संचालन करते हुए श्रोताओं को बांधे रखा और वातावरण जीवंत बनाया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ शिखा तिवारी ने किया और कहा कि, दोनों साहित्यकारों का जन्मदिन एक साथ है फिर भी उनमें तुलनात्मक अध्ययन ठीक नहीं। दोनों का कालखंड अलग-अलग है और दोनों की विधा भी अलग है। मुंशी प्रेमचंद जहां युगों युगों तक अपने कथा के लिए याद किये जायेंगे वहीं डॉ उमाशंकर तिवारी अपनी संवेदना और हिंदी साहित्य में नवगीत के प्रस्थान बिंदु के रूप में याद किये जायेंगे। सभा में प्रभाकर त्रिपाठी, हरीश पाण्डेय, सहेंद्र यादव, सज्जन जायसवाल इत्यादि उपस्थित थे।

BJP:जनसमस्याओं के समाधान के लिए हुई जनसुनवाई

सप्ताहांत तक निस्तारण को दिए निर्देश



Varanasi (dil india live)।भाजपा जिला कार्यालय में स्थित जनसुनवाई केंद्र में जिला मीडिया सह प्रभारी अरविंद मिश्रा के नेतृत्व में जनसमस्याएं सुनी गई। कार्यालय में लगभग 8 शिकायतें आईं, इसमें सड़क, पेयजल के साथ विद्युत संबंधी मामले प्रमुख रहे।

कुछ शिकायतों को संबंधित विभागों से संपर्क कर मौके पर ही निस्तारण किया गया  । शेष शिकायतों व जनसमस्याओं को जिलाधिकारी , पुलिस अधीक्षक ,विद्युत विभाग,जल निगम के अधिकारियों को संचार माध्यम से संबंधित विभागों को सात दिनों में निस्तारण करने के लिए दिशा निर्देश दिए साथ ही कृत कार्रवाई से जनसुनवाई केंद्र को अवगत कराने के लिए कहा गया । 

कार्यालय में जनसुनवाई के दौरान जिला मीडिया सह प्रभारी अरविंद मिश्रा ने लोगों की समस्याओं का संज्ञान लेकर उनको संबंधित विभागीय अधिकारियों को प्रेषित कर दिया । वहीं इस दौरान नागरिक समस्याओं के अलावा से जुड़े कई विवाद भी सामने आए । जनसुनवाई के दौरान सर्वाधिक विद्युत संबंधित मामलों को विभागीय अधिकारियों को कार्रवाई के लिए प्रेषित कर दिया गया । 

सुनवाई के दौरान सहयोग के लिए संगठन की ओर से जिला मीडिया सह प्रभारी अरविंद मिश्रा,जिला मंत्री फौजदार शर्मा ,कार्यालय मंत्री जैसल ,नवीन उपाध्याय,सुधीर वर्मा तथा शिकायत कर्ताओं में श्याम केसरी,नत्थू पटेल प्रधान, विजय पटेल ,श्रवण साहनी, राकेश पासवान आदि रहे ।

Muharram: हिन्दू लेखक की जुबानी, मोहर्रम की दर्द भरी दास्तां

न्याय के पक्ष में संघर्ष करने वालों की अंतरात्मा में इमाम हुसैन आज भी है ज़िन्दा

(ध्रुव  गुप्त की वाल से)

Varanasi (dil india live). इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन्‌ के पहले महीने मुहर्रम की शुरुआत हो चुकी है। मुहर्रम का शुमार इस्लाम के चार पवित्र महीनों में होता है जिसे अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने अल्लाह का महीना कहा है। इस पाक़ माह में रोज़ा रखने की अहमियत बयान करते हुए उन्होंने कहा है कि रमजान के अलावा सबसे अच्छे रोज़े वे होते हैं जो अल्लाह के इस महीने में रखे जाते हैं। मुहर्रम के महीने के दसवे दिन को यौमें आशुरा कहा जाता है। यौमे आशुरा का इस्लाम ही नहीं, मानवता के इतिहास में भी महत्वपूर्ण स्थान है। यह वह दिन है जब सत्य, न्याय, मानवीयता के लिए संघर्षरत हज़रत मोहम्मद के नवासे हुसैन इब्न अली की कर्बला के युद्ध में उनके बहत्तर स्वजनों और दोस्तों के साथ शहादत हुई थी। हुसैन विश्व इतिहास की ऐसी कुछ महानतम विभूतियों में हैं जिन्होंने बड़ी सीमित सैन्य क्षमता के बावज़ूद आततायी यजीद की विशाल सेना के आगे आत्मसमर्पण कर देने के बजाय लड़ते हुए अपनी और अपने समूचे कुनबे की क़ुर्बानी देना स्वीकार किया था। कर्बला में इंसानियत के दुश्मन यजीद की अथाह सैन्य शक्ति के विरुद्ध हुसैन और उनके थोड़े-से स्वजनों के प्रतीकात्मक प्रतिरोध और आख़िर में उन सबको भूखा-प्यासा रखकर यजीद की सेना द्वारा उनकी बर्बर हत्या के किस्से और मर्सिया पढ़ और सुनकर मुस्लिमों की ही नहीं,  हर संवेदनशील व्यक्ति की आंखें नम हो जाती हैं - कब था पसंद रसूल को रोना हुसैन का/आग़ोश-ए-फ़ातिमा थी बिछौना हुसैन का / बेगौर ओ बेकफ़न है क़यामत से कम नहीं / सहरा की गर्म रेत पे सोना हुसैन का !

मनुष्यता और न्याय के हित में अपना सब कुछ लुटाकर कर्बला में हुसैन ने जिस अदम्य साहस की रोशनी फैलाई, वह सदियों से न्याय और उच्च जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए लड़ रहे लोगों की राह रौशन करती आ रही है। कहा भी जाता है कि 'क़त्ले हुसैन असल में मरगे यज़ीद हैं / इस्लाम ज़िन्दा होता है हर कर्बला के बाद।' इमाम हुसैन का वह बलिदान दुनिया भर के मुसलमानों के लिए ही नहीं, संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। हुसैन महज़ मुसलमानों के नहीं, हम सबके हैं। यही वज़ह है कि यजीद के साथ जंग में लाहौर के ब्राह्मण रहब दत्त के सात बेटों ने भी शहादत दी थी जिनके वंशज ख़ुद को गर्व से हुसैनी ब्राह्मण कहते हैं। हालांकि कुछ लोग हुसैनी ब्राह्मणों की शहादत की इस कहानी पर यक़ीन नहीं रखते।

इस्लाम के प्रसार के बारे में पूछे गए एक सवाल के ज़वाब में एक बार महात्मा गांधी ने कहा था - मेरा विश्वास है कि इस्लाम का विस्तार उसके अनुयायियों की तलवार के ज़ोर पर नहीं, इमाम हुसैन के सर्वोच्च बलिदान की वज़ह से हुआ। नेल्सन मंडेला ने अपने एक संस्मरण में लिखा है- क़ैद में मैं बीस साल से ज्यादा वक़्त गुज़ार चुका था। एक रात मुझे ख्याल आया कि मैं सरकार की शर्तों को मानकर उसके आगे आत्मसमर्पण कर यातना से मुक्त हो जाऊं, लेकिन तभी मुझे इमाम हुसैन और करबला की याद आई। उनकी याद ने मुझे वह रूहानी ताक़त दी कि मैं उन विपरीत परिस्थितियों में भी स्वतंत्रता के अधिकार के लिए खड़ा रह सका।

लोग सही कहते हैं कि न्याय के पक्ष में संघर्ष करने वाले लोगों की अंतरात्मा में इमाम हुसैन आज भी ज़िन्दा हैं, मगर यजीद भी अभी कहां मरा है ? यजीद अब एक व्यक्ति का नहीं, एक अन्यायी और बर्बर सोच और मानसिकता का नाम है। दुनिया में जहां कहीं भी आतंक, अन्याय, बर्बरता, अपराध और हिंसा है, यजीद वहां-वहां मौज़ूद है। यही वज़ह है कि हुसैन हर दौर में प्रासंगिक हैं। मुहर्रम का महीना उनके मातम में अपने हाथों अपना ही खून बहाने का नहीं, उनके बलिदान से प्रेरणा लेते हुए मनुष्यता, समानता,अमन,न्याय और अधिकार के लिए उठ खड़े होने का अवसर भी है और चुनौती भी।

School: पुस्तक पाकर बच्चे हुए प्रसन्न


Varanasi (dil india live)। चिरईगांव विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय गौराकलां में निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण का आयोजन इंचार्ज प्रिंसिपल वन्दना पाण्डेय के नेतृत्व में किया गया। इस अवसर पर प्रबंध समिति की अध्यक्ष अनीता देवी ने छात्र एवं छात्राओं को निःशुल्क पुस्तक वितरण किया।

       आयोजन में" अटेवा " पेंशन बचाओ मंच के जिला उपाध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक ने कहा कि सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष बच्चों तक निःशुल्क पुस्तक वितरित की जा रही है ताकि उनका भविष्य अंधकार मय न हो, छात्र एवं छात्राएं निःशुल्क पुस्तक पाकर बड़े ही प्रसन्न हुए। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंध समिति की अध्यक्ष श्रीमती अनीता देवी ने कहा कि सरकार की ओर से सरकारी स्कूल में कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं बच्चों को निशुल्क पुस्तकें, निशुल्क ड्रेस, निशुल्क बैग, निशुल्क जूता व मोजा और एमडीएम की व्यवस्था की गई है, सभी अभिभावकों से अनुरोध है कि अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश कराएं, सरकारी स्कूल में प्रशिक्षित शिक्षकों के द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है।

इंचार्ज प्रधानाध्यापिका वन्दना पाण्डेय ने कहा कि अपने बच्चों को घरों पर भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। डी बी टी के माध्यम से अभिभावक के खाता में सरकार की ओर से बच्चों के लिए ड्रेस बैग जूता मोज़ा कॉपी स्टेशनरी के लिए पैसा भेजा जा रहा है। आपलोग उसका सदुपयोग करें और साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। इस अवसर पर वंदना पांडे, एहतेशामूल हक, सादिया तबस्सुम, अनीता सिंह, प्रमिला सिंह, त्रिलोकी प्रसाद गुप्त, रीता, सोनी, आशा इत्यादि थीं।

Hariyali teej: सुहागन स्त्रियों ने मेंहदी लगाकर सावन में झूला झूला



Varanasi (dil india live). हरियाली तीज का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस पर्व को छोटी तीज भी कहते है। इस खास दिन माता पार्वती की पूजा संग बायना निकाला जाता हैं। इसका मुख्य पकवान घेवर होता है। सुहागन स्त्रिया मेंहदी लगा, हरी चूड़ियां पहन सजधाज कर कजरी गीत गाकर सावन में झूला झूलती हैं। इस पर्व को बनारस में उल्लास के साथ मनाया गया। खासकर संकटमोचन के समीप हरियाली तीज का कार्यक्रम अंजलि अग्रवाल के संयोजन में मनाया गया। यहां धन्यवाद निशा ने दिया। ममता तिवारी, रेनू कैला, सलोनी, सुषमा, विनीता, चंद्रा, सरोज राय सहित बड़ी संख्या में महिलाओं ने इस पर्व का लुत्फ उठाया।

Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...