तीन वर्ष में 50 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म
• गर्भवती का समय पर हो उपचार तो संक्रमण से बच सकता है गर्भस्थ शिशु
• इस वर्ष की थीम है “असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें”
वाराणसी01दिसंबर(dil india live)। विमला (परिवर्तित नाम) जब पहली बार गर्भवती हुई तो उन्होने अस्पताल में प्रसव पूर्व जांच के दौरान खून की जांच करायी तो उन्हें एचआईवी पॉजीटिव होने का पता लगा। डाक्टर ने जब इस बारे में उसे बताया तो ऐसा लगा कि उसपर जैसे वज्रपात हो गया हो। लगा जैसे मां बनने की सारी खुशियां किसी ने पलभर में छीन ली हों। पेट में पल रहे दो माह के बच्चे, लम्बी जिंदगी के साथ ही घर-गृहस्थी और समाज की चिंता भी उसे सताने लगी। तब उसके हौसले और एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर से मिले चिकित्सीय सलाह ने उसे एक नई जिंदगी दी। समय से शुरू हुए उपचार का नतीजा रहा कि एचआइवी पाजीटिव होते हुए भी उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। अब वह एक खुशहाल जिंदगी जी रही है। यह कहानी सिर्फ विमला की ही नहीं है पंडित दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर में उपचार कराकर एचआईवी संक्रमित 50 महिलाएं तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दे चुकी हैं।
प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिला एचआईवी/एड्स अधिकारी डॉ राहुल सिंह ने बताया कि हर साल एक दिसंबर को एचआईवी/एड्स के प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाने व मिथ्य व भ्रांतियों को तोड़ने के लिए विश्व एचआईवी/एड्स मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें” निर्धारित की गयी है।
डॉ राहुल सिंह बताते हैं कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों ने मां के एचआईवी संक्रमण से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बचाव करना मुमकिन कर दिया है। बशर्ते गर्भवती के बारे में समय रहते यह पता चल जाए कि वह एचआईवी संक्रमित है, इसलिए सुरक्षित मातृत्व का सुख प्राप्त करने के लिए गर्भवती को अपना एचआईवी जांच जरूर करवा लेना चाहिए। गर्भधारण के तीसरे-चौथे महीने के बाद संक्रमण का पता चलने पर बच्चे को खतरा अधिक होता है, इसलिए एचआईवी संक्रमित गर्भवती का जितनी जल्द उपचार शुरू हो जाता है उतना ही उसके बच्चे को खतरा कम होता है।
150 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म
एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि प. दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर उपचार करा रही एचआईवी संक्रमित 50 महिलाओं ने तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. प्रीति अग्रवाल बताती है कि वर्ष 2019 में 18, 2020 में 12 और 2021 में अक्टूबर माह तक 20 एचआईवी संक्रमित गर्भवती ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। एआरटी सेंटर में दावा लेने आई सुनीता (35 वर्ष) ने बताया कि चार वर्ष पूर्व हुई शादी के कुछ माह बाद ही पता चला था कि पति के साथ ही वह भी एचआईवी पॉजीटिव है। तब माँ बनने के सपने पर ग्रहण लगता नजर आया था पर एआरटी सेंटर की सलाह व उपचार से आज वह दो वर्ष के बेटी की माँ है।
उपचार के साथ ही सलाह भी
एआरटी सेंटर में एचआइवी संक्रमित गर्भवती का विशेष ख्याल रखा जाता है। साथ ही उसे दवा खाने के लिए विशेष रूप से निर्देश दियजाता है। इससे गर्भस्थ शिशु पर बीमारी का असर नहीं पड़ता है। समय पूरा होने पर एचआइवी संक्रमित गर्भवती को सुरक्षित प्रसव के लिए महिला अस्पताल रेफर किया जाता है।
क्या है एचआईवी वायरस डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि एचआईवी का वायरस मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिसका समय से उपचार न करने पर उसे अनेक बीमारियां घेर लेती हैं। इस स्थिति को एड्स कहते हैं। उपचार से वायरस को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन रोककर रखा जा सकता है। अच्छे खानपान और उपचार से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। इसलिए मरीज रोग को छिपाए न, समय पर और नियमित उपचार करे तो वह अपनी सामान्य आयु पूरी कर सकता है
एचआईवी पॉजीटिव होने के कुछ प्रमुख लक्षण
- लगातार वजन का घटना
- लगातार दस्त होना
- लगातार बुखार होना
- शरीर पर खाज, खुजली, त्वचा में संक्रमण होना
- मुंह में छाले, जीभ पर फफूंदी आना