काशी और किसानों की समस्याओं, गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई पर खामोशी क्यों
Varanasi (dil India live)। पीएम मोदी के काशी दौरे को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने पत्रकार वार्ता की। जिसमें उन्होंने पीएम मोदी के दौरे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने क्षेत्र काशी का रात्रि प्रवास सहित एक और दौरा कर फिर वापस लौट गए लेकिन काशी की जन समस्याओं से जुड़े उन सवालों का कोई उत्तर इस बार भी काशी को नहीं मिला। यह दौरा भी मात्र उनके स्वागत का एक और इवेंट रहा। उन्होंने कहा कि जन समस्या फीडबैक के लिए कार्यकर्ता एवं जनप्रतिनिधियों से संवाद तक न होना चुनावी नतीजे की गणित को लेकर शायद उनकी राजनीतिक नाराज़गी का इजहार ही है। रही बात किसान की तो वह जब तक एमएसपी न देने की जिद नहीं छोड़ेंगे, किसान के लिये कितने ही कसीदे पढ़ें सब अर्थहीन है। आगे अजय राय ने कहा कि काशी की स्वास्थ्य सेवायें वेन्टिलेटर पर हैं। भीषण गर्मी से जल रही काशी के अस्पतालों में लोगों के इलाज की छोड़ें, शव भी ठीक से रखने की जगह नहीं है। पोस्ट-कोविड एवं कोविशील्ड प्रभावों से हार्ट अटैक बढ़े हैं पर उसके समाधान के लिए बीएचयू हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष के अनशन सत्याग्रह को अनैतिक प्रशासनिक अहंकार ने ठेंगे पर रखा और सत्याग्रह को नैतिक समर्थक 94 शिक्षकों को नोटिसें मिलीं, पर काशी के सांसद ने इन गंभीर मुद्दों का कोई संज्ञान दौरे में नहीं लिया। अजय राय ने कहा कि पीएम मोदी ने किसान सम्मेलन किया, पर धान की नर्सरी भीषण तापमान में कैसे बचे। उसकी रोपाई का क्या होगा, अवरोधों से बाधित प्रवाह की गंगा पर निर्भर लिफ्ट नहरों का क्या होगा, बीज एवं खाद की आपूर्ति की क्या स्थिति है। जगह जगह अनुत्पादक योजनाओं के लिये किसानों की भूमि की अधिग्रहण नोटिसों पर किसान जन-रोष, अविरल गंगा प्रवाह में बाधा से काशी में भूजल में अपूर्व घटोत्तरी से पेयजल समस्या के हाल क्या हैं, बिजली आपूर्ति की इतनी दुर्दशा क्यों है, जैसे मुद्दों पर सांसद दायित्वबोध दौरे में कत्तई नहीं दिखा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गंगा आरती में शामिल होकर गंगा से जुड़ी एक और इवेंट हिस्सेदारी तो कर गये, पर गंगा की पीड़ा की कोई सुध नहीं ली, जो अविरल गंगा की बहाली पर काशी में उम्मीद जगाये। इस दौरे में काशी एवं आस पास विकास के नाम पर पुनः लाखों पेड़ों की कटाई एवं उससे पैदा तापमान संकट के समाधान को लेकर उन्होंने जिम्मेदार तंत्र से कोई संवाद एवं समाधान निर्देशों की भी जहमत उठाई होती। नये सत्र से पहले शिक्षा संस्थाओं की समस्यायें समझने की भी उम्मीद लोग अपने सांसद से रखते हैं, पर उसकी कोई पहल या बीएचयू को बिना कार्यकारिणी विधि विरुद्ध अवैध तदर्थवाद पर चलाने के समाधान का कोई आश्वासन भी इस दौरे से सामने नहीं आया।
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