जिस्म पर मिट्टी मलेंगे पाक हो जायेंगे हम,
ए ज़मीं एक दिन तेरी खुराक हो जायेंगे
Varanasi (dil India live)। मरहूम शायर मुनव्वर राना का जाना शायरी की दुनिया में बड़ी क्षति है। मुनव्वर राना का बनारस से दिली रिश्ता था। वो बेनियाबाग, पितरकुंडा, सनबीम कालेज व दिन दयाल जलान के यहां मुशायरों व काव्य गोष्ठी में हिस्सा लेने आते रहते थे। चकाचक बनारसी से उनकी नजदीकियां थी। बनारस की अवाम उनकी शायरी की मुरीद थी।
उनके इन्तेकाल पर बनारस में भी अफ़सोस है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव गाज़ीपुर प्रभारी फसाहत हुसैन बाबू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन, कांग्रेस विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह एडवोकेट ने कहा कि जिस्म पर मिट्टी मलेंगे पाक हो जायेंगे हम, ए ज़मीं एक दिन तेरी खुराक हो जायेंगे...।
उक्त नेताओ ने मुनव्वर राना की आत्मा की शांति के लिए खिराजे अकीदत पेश करते हुए कहा की उनका जाना अदबी दुनिया का बड़ा नुकसान है। उर्दू अदब में विशेष योगदान के लिए उन्हें शहीद शोध संस्थान उत्तर प्रदेश की ओर से माटी रतन सम्मान, साहित्य अकादमी पुरस्कार,खुसरो पुरस्कार , मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार , ज़ाकिर हुसैन पुरस्कार, सरस्वती समाज पुरस्कार सहित कई पुरस्कार से नवाजा गया।उक्त नेताओ कहा की उनके जाने से उर्दू युग व उर्दू अदब की बड़ी क्षति हुई है।
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