सोमवार, 8 जनवरी 2024

Ajmer Sharif में जुटे ख़्वाजा के दीवाने

ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर चढ़ा 812 वें उर्स का झंडा 

जुलूस में पेश हुआ सूफियाना कलाम, हजारों अकीदतमंद रहे मौजूद



Mohd Rizwan 

Ajmer (dil India live)। ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी (गरीब नवाज) रहमतुल्लाह अलैह का सालाना 812 वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत झंडे की रस्म के साथ शुरू हो गई। झंडे का जुलुस असर की नमाज के बाद गरीब नवाज गेस्ट हाउस से रवाना हुआ, जिसमें शाही चौकी के कव्वाल असरार हुसैन सूफियाना कलाम पेश करते हुए चल रहे थे। बैंड बाजों के जुलुस के साथ लंगरखाना गली, निजाम गेट होते हुए जुलुस दरगाह के मुख्य द्वार निजाम गेट से अंदर प्रवेश किया। इस रस्म के दौरान अकीदतमंदों में एक अजीब सी होड़ मच गई और अपनी मन्नत को लेकर हर कोई झंडे को चूमने की ख्वाहिश पूरी करता नजर आया।

भीलवाड़ा से आए गौरी परिवार के अनुसार यह परंपरा काफी अरसे से चली आ रही है। साल 1928 से फखरुद्दीन गौरी के पीरो मुर्शीद अब्दुल सत्तार बादशाह झंडे की रस्म अदा करते थे। इसके बाद 1944 से उनके दादा लाल मोहम्मद गौरी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। उनके इंतकाल के बाद 1991 से पुत्र मोईनुद्दीन गौरी यह रस्म निभाने लगे और साल 2007 से फखरुद्दीन इस रस्म को अदा कर रहे हैं।

गौरतलब है कि वर्षों पहले झंडे की रस्म शुरू हुई, तब बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया झंडा आस-पास के गांवों तक नजर आता था। उस वक्त मकान छोटे-छोटे और बुलंद दरवाजा काफी दूर से नजर आता था। इस दरवाजे पर झंडा देखकर ही लोग समझ जाते थे कि पांच दिन बाद गरीब नवाज का उर्स शुरू होने वाला है। यह संदेश एक से दूसरे तक दूर-दूर तक पहुंच जाता था। वर्षों पुरानी इसी रस्म को निभाते हुए गरीब नवाज की दरगाह के बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार ने झंडा चढ़ाकर उर्स की अनौपचारिक शुरुआत की। झंडे की रस्म में हजारों की संख्या में जायरीनों की भीड़ उमड़ी। झंडे की रस्म के दौरान अजमेर रेंज आईजी लता मनोज कुमार, कलेक्टर भारती दीक्षित, एसपी चूनाराम जाट सहित भारी संख्या में पुलिस जाब्ता मौजूद रहा।

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