Varanasi में कई जगह हुई महफिलें, घर घर हुआ जश्न
Varanasi (dil India live). बुधवार को देश और दुनिया के साथ ही शहर बनारस में भी शेरे खुदा, दमादे पयंबर मौला अली की १४६८ वीं जयंती पूरी अकीदत और जोशो-खरोश के साथ मनाई गई। इस दौरान दरगाहे फ़ातमान में मौला अली का रौज़ा सजाया गया और लोगों ने दुआखवानी की। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया की कदीमी महफिल इमानिया अरबी कॉलेज में इमामे जुमा मौलाना जफर हुसैनी के संयोजन में आयोजित की गई, जहां नामचीन शायरों ने कलाम पेश किया। वहीं स्वर्गीय मजाहिर हुसैन एडवोकेट के इमामबाड़े के अंदर उनके पुत्रों द्वारा मौला अली की महफिल का आयोजन किया गया। इसी तरह शहर के विभिन्न इलाकों में मौला अली की विलादत पर महफिल आयोजित हुई। फरमान हैदर ने बताया की १४६८ साल पहले मौला अली की विलादात काबे में हुई थी। पूरी दुनिया आपको मुश्किल कुशा के नाम से जानती है। इस सिलसिले में गुरुवार यानी २५ जनवरी को जुलूस-ए मौला अली टाउनहॉल से प्रातः ९ बजे पूरी अकीदत के साथ उठाया जाएगा। इसके पूर्व दोषीपुरा से आकर जुलूस टाउनहॉल पर ही शामिल होगा जो मैदागिन चौराहा, चौक, दालमंडी , नई सड़क, कालीमहाल, होता हुआ दरगाहे फातमान पोहचेगा और यहां नमाज के तुरंत बाद १२.३० बजे सेमिनार शुरू होगा जिसमें सभी धर्मो के नामचीन हजरत शिरकत करेंगे। जिसमें प्रो. विशंभर नाथ मिश्र महंत संकट मोचन, भाई धरमवीर सिंह, बिशप यूजीन जोसेफ, फादर फिलिप्स डेनिस, तिब्बती यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नेगी और मौलाना गुलाम रसूल और बिहार के मशहूर शायर सलीम अपने कलाम और तकरीर के जरिए मौला अली के जीवन पर रोशनी डालेंगे। मौला अली की जयंती का जश्न लगातार ५ दिनों तक जारी रहेगा और हर जगह महफिल सजती रहेगी। मौला अली के पिता का नाम अबू तालिब था और मां का नाम फातिमा बिनते असद था। मौला अली हजरत पयंबर के दामाद थे और बीबी फातिमा के शौहर थे। इमाम हसन और हुसैन जैसे बेटों के वालिद थे। जिन्होंने कर्बला की जंग में अपने 71 साथियों के साथ शहादत दी थी।
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