शनिवार, 6 दिसंबर 2025

Indian Postal Department की युवाओं के लिए पहल देश भर में खुलेंगे Zen-Z Post office

दिल्ली के बाद आईआईटी गांधीनगर में नवीनीकृत जेन-Z डाकघर का उद्घाटन


dil india live (Gandhi nagar). भारतीय डाक विभाग ने आधुनिकीकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए जेन-Z थीम आधारित डाकघरों की शुरुआत की है। देश के पहले जेन-Z डाकघर के रूप में आईआईटी दिल्ली पोस्ट ऑफिस का गत माह शुभारंभ किया गया था। अब गुजरात में भी आईआईटी गांधीनगर पोस्ट ऑफिस को जेन-Z डाकघर के रूप में शुरू किया गया है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया के दृष्टिकोण से निर्देशित इस पहल का उद्देश्य डाकघरों को जीवंत, विद्यार्थी-केंद्रित, प्रौद्योगिकी-सक्षम स्थानों के रूप में फिर से परिकल्पित करना है, जो युवा नागरिकों के साथ प्रतिध्वनित हों। यह परिवर्तन एक राष्ट्रीय पहल का हिस्सा है, जिसमें 15 दिसंबर तक शैक्षणिक परिसरों में स्थित देश के 46 डाकघरों के नवीनीकरण को शामिल किया गया है।

गुजरात के प्रथम जेन-Z नवीनीकृत आईआईटी गांधीनगर डाकघर का उद्घाटन गुजरात परिमंडल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल गणेश वी. सावळेश्वरकर, आईआईटी गांधीनगर निदेशक प्रो. रजत मूना, पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव, महाप्रबंधक (वित्त) डॉ. राजीव कांडपाल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस अवसर पर ‘IITGN: गुजरात का प्रथम Gen Z विषयक डाकघर’ पर एक विशेष आवरण एवं आईआईटी गांधीनगर डाकघर का स्थायी चित्रात्मक विरूपण भी जारी किया गया।




मुख्य पोस्टमास्टर जनरल श्री गणेश वी. सावळेश्वरकर ने कहा कि आईआईटी गांधीनगर डाकघर विशेष रूप से युवाओं की जरूरतों, उनकी रचनात्मकता, आधुनिक सोच और तकनीकी अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इसका लुक एंड फील पूरी तरह जेन-Z वाइब्स और संस्कृति को प्रतिबिंबित करता है। इस डाकघर को आईआईटी गांधीनगर के छात्रों की सक्रिय भागीदारी से नया रूप दिया गया है। इनके विचारों ने भित्तिचित्रों, आंतरिक विषय और प्रचार सामग्री को आकार दिया है, जिससे डाकघर को एक विशिष्ट युवा-केंद्रित पहचान मिली है। 

 Zen-Z में उपलब्ध सुविधाएं

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि Zen-Z आईआईटी पोस्ट ऑफिस में उपलब्ध आधुनिक सुविधाएँ—जैसे वाई-फाई, कैफेटेरिया, मिनी-लाइब्रेरी, पार्सल, ज्ञान पोस्ट, पार्सल पैकेजिंग सेवाएँ, फिलेटली, डाकघर बचत सेवाएँ, डाक जीवन बीमा, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, छात्रों के लिए स्पीड पोस्ट में छूट, और क्यूआर आधारित डिजिटल भुगतान सुविधाएँ—इसे और अधिक आधुनिक एवं सुगम बनाती हैं। नवीनीकृत आईआईटी गांधीनगर डाकघर अब युवाओं के सशक्तिकरण, संस्थागत सहयोग और जन सेवा के आधुनिकीकरण का प्रतीक बन गया है। 

भित्ति-चित्र का लुत्फ 


आईआईटी गांधीनगर के निदेशक प्रो. रजत मूना ने डाक विभाग की इस Zen-Z पोस्ट ऑफिस पहल की सराहना की और आशा व्यक्त की कि अधिकतम संख्या में छात्र डाक विभाग की सेवाओं तथा उपलब्ध कराई गई आधुनिक सुविधाओं का लाभ उठाएंगे। डाकघर में आईआईटी गांधीनगर के छात्रों द्वारा निर्मित "ट्री ऑफ लाइफ ऑफ आईआईटीजीएन” भित्ति-चित्र में परिसर में पाए जाने वाले विविध पक्षियों की समृद्ध विविधता को उजागर किया गया है। इस कलाकृति में एक समृद्ध वृक्ष को दर्शाया गया है, जिसकी शाखाओं पर आईआईटी गांधीनगर परिसर में बसे विविध पक्षी दिखाई देते हैं, जो संस्थान के जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र से उसके गहरे संबंध का प्रतीक हैं।

बुधवार, 3 दिसंबर 2025

Mushayra : तामीर फाउंडेशन की अगुवाई में हुआ महफ़िल-ए-मुशायरा

वो मुझसे हारने के बाद अक्सर, मेरी परछाईं का सर काटता है...



dil india live (Chandoli). मुगलसराय (Mughalsarai) स्थित होटल स्प्रिंग स्काई में, तामीर फाउंडेशन की अगुवाई में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के शिक्षा दर्शन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अवसर पर महफ़िल-ए-मुशायरा का आयोजन किया गया। मुशायरे की सदारत उपन्यासकार व वरिष्ठ शायर प्रो. याकूब यावर, (पूर्व विभागाध्यक्ष URDU DEPARTMENT, BHU) ने की और संचालन डॉ. अज़हर सईद (डायट लेक्चरर) कर रहे थे। विशिष्ट अतिथि डॉ आयाज़ आज़मी थे। मुशायरे (काव्य संध्या) में बनारस, चंदौली, मिर्ज़ापुर, आज़मगढ़, इलाहाबाद सहित अन्य क्षेत्रों से कई प्रमुख शायरों और कवियों ने अपने कलाम और कविता से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान शायरों के उम्दा कलाम का कद्रदान ने पूरे मुशायरे में लुत्फ उठाया। इस मौके पर याकूब यावर ने सुनाया


 

“हमारा सच और आपका सच कुछ और है, हम यह जानते हैं, हमारा सच जान जाइएगा तो जान से अपनी जाइएगा।

ज़बा वाला यहां कम बोलता है, मगर गूंगा दमा‑दम बोलता है।” लोगों को खूब पसंद आया। मशहूर शायर आयाज़ आज़मी की शायरी भी लोगों ने पसंद की।

“प्रीत की पीड़ा क्या बतलाएं, अपना‑अपना अनुभव है,

मीरा तड़पे श्याम अगन में, राधा नाचे मधुबन में।”

अब नंबर था आलम बनारसी का, उन्होंने पढ़ा...

बेक़रारी सी बेक़रारी है, तुम चले आओ तो क़रार आए। 

लोगों से वाहवाही लूटने में कामयाब रहें।




शायरा नसीमा निशा ने लोगों को कुछ इस अंदाज में नसीहत दी,... “गिर न जाओ ज़मीन पर थक कर, इतना ऊंचा उड़ा नहीं जाता।” वहीं शाद मशरूकी ने अपने अंदाज में महफिल में किरदार पर सवाल खड़ा कर दिया, ...जैसा है जो वैसा है नज़र क्यों नहीं आता, किरदार का चेहरों पे असर क्यों नहीं आता।, लोग गुनगुनाते रहें। जहां दानिश ज़ैदी ने सुनाया... हम कहीं कैद रह नहीं सकते, हम परिंदों का घर नहीं होता। तो वहीं दूसरी ओर डा. बख़्तियार नवाज़ ने अपनी शायरी से अलग एहसास कराया, उन्होंने पढ़ा, वो मुझसे हारने के बाद अक्सर, मेरी  परछाईं का सर काटता है...।




ऐसे ही फूलपुर से तशरीफ़ लाए शारीक़ फूलपूरी ने कलाम सुनाया, गुलशन में न आना अभी कुछ रोज़ परिंदों, इस वक़्त भरोसे का निगहबान नहीं है...। लोगों को खूब पसंद आया। वहीं रामनगर से आए, युवा दिलों की धड़कन ज़मज़म रामनगरी ने अशरार पेश किया, वो बन संवर के सरे आम ऐसे बैठा है, के उसके सामने माह ए तमाम कुछ भी नहीं...।

वहीं सुरेश अकेला ने उर्दू ज़बान की तारीफ कुछ इस अंदाज में की, उसके बगैर गीत न गजलें कहा कभी, सच पूछिए तो शायरी की जान है उर्दू...। महफ़िल लूटने में कामयाब रहे।ज़िया अहसनी ने पढ़ा, अच्छी ही बात क्यों ना हो लाज़िम है एहतियात, बढ़ जाए रोशनी भी तो ज़ूल्मत से काम नहीं...। व नदीम गाजीपुरी ने सुनाया, मिसाल देगा ज़माना तेरी बगावत का, ये रस्म फैली हुई आज कायनात में है...। पसंद की गई। जहां अब्दुल रहमान नूरी ने माहौल को थोड़ा बदला, सुनाया ...वो एक पल में निगाहों में क़त्ल करता है, अब उसकी आंख ही खंजर है क्या किया जाए।




उधर अबू शहमा ने इल्म और तालीम की जरूरत पर जोर कुछ इस अंदाज में दिया, हो ताज भी मसनद भी हाकिम भी हो क्या मतलब, सिस्टम के चलने को तालीम जरूरी है...। तो अनिल प्रवक्ता ने महफ़िल को नया रंग दिया, तुम्हें देखकर बीनाई खोई मैंने, कोई तुमसे भी प्यारा कैसे हो सकता है...। लोगों को खूब पसंद आया। ऐसे ही आकाश मिश्रा ने आज के हालात बयां किए, जो तुम्हारे सहारे बैठे हैं, कभी उनका भी एक जमाना था..। मुशायरे में क़सीमुद्दीन मखदूमाबादी अपनी शायरी में सिस्टम के खिलाफ आंदोलन करते नजर आए, अमिर ए वक्त से कह दो कि आए मेरी महफ़िल में, क़सीदा मुझको भी दरबार में पढ़ना नहीं आता...।

शफाअत अली ने पढ़ा, मुझे मत ले चलो तुम अपनी महफिल में, मेरे हिस्से में तनहाइयां हैं...। तो, ज़हिद अल्फ़ाज़ ने पढ़ा, मेरी नजरों में बसी थी मेरे घर की गुरबत, पांव का इसलिए देखा नहीं छाला मैंने...। लोगों ने खूब सराहा।

 मुशायरा के आखिर में अफसर रूमानी ने सभी मेहमानों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डॉ. शमशीर अली, डॉ तमन्ना शाहीन, इरफान अली मंसूरी, इरफान, इमरान, मो अय्यूब, मतीन, शमसुद्दीन, शमीम रियाज़, सुल्तान क्लब के अध्यक्ष डा. एहतेशमुल हक आदि लोग उपस्थित थे।







मंगलवार, 2 दिसंबर 2025

BLW पहुंचा मोजाम्बिक रेलवे का 03 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल

प्रतिनिधिमंडल ने बरेका कार्यशाला के विभिन्न शॉपों का किया निरीक्षण 


F. Farooqui/Santosh Nagvanshi 

dil india live (Varanasi). मेसर्स राइट्स के अधिकारियों के साथ मोजाम्बिक रेलवे के प्रतिनिधिमंडल ने बनारस रेल इंजन कारखाना में 3300 HP केप गेज CFM मोज़ाम्बिक लोकोमोटिव के मैन्युफैक्चरिंग की स्थिति का आकलन के लिए 01.12.2025 को बरेका का दौरा किया। मोजाम्बिक के 03 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल में कार्यकारी बोर्ड सदस्य कैंडिडो गुमिस्साई जोन, वरिष्ठ यांत्रिक इंजीनियर एरास्टो जैसिंटो इवानो मुलेम्ब्वे, बोर्ड सलाहकार अरुण कुमार नरसिम्हा पाई सम्मिलित थे। प्रतिनिधिमंडल के बरेका आगमन पर प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर एस.के. श्रीवास्तव ने बुके प्रदान कर स्वागत किया। 

सर्वप्रथम प्रतिनिधिमंडल ने बरेका कार्यशाला की विभिन्न शॉपों जैसे न्यू् ब्लाक शॉप, लाईट मशीन शॉप, सब असेम्बली शॉप, इंजन टेस्ट शॉप, लोको असेंबली शॉप सहित विभिन्न शॉपों का दौरा किया। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल को मोज़ाम्बिक लोकोमोटिव के मैन्युफैक्चरिंग स्थिति के विभिन्न चरणों से अवगत कराया गया एवं बरेका में उपलब्ध अत्याधुनिक विनिर्माण सुविधाओं को भी दिखाया गया। कारखाना भ्रमण के उपरांत प्रतिनिधिमंडल ने बरेका के अभिकल्प (डिजाइन) विभाग का भ्रमण किया एवं बरेका में निर्माणाधीन मोजाम्बिक लोकोमोटिव को और बेहतर बनाने हेतु लोको के डिजाइन के संबंध में विशेष रूप से चर्चाएं की। प्रतिनिधिमंडल बरेका में उपलब्ध डिजाइन क्षमताओं और निर्माण सुविधाओं से काफी प्रभावित दिखे। 


तदोपरांत जीएम कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित बैठक में मुख्य यांत्रिक इंजीनियर-उत्पादन एवं विपणन सुनील कुमार एवं मुख्य अभिकल्प  इंजीनियर-डीजल प्रवीण कुमार ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बरेका की उपलब्धियों, तकनीकी विकास, लोको उत्पादन, वैश्विक निर्यात के साथ ही मोज़ाम्बिक लोकोमोटिव के मैन्युफैक्चरिंग के विभिन्न तकनीकी पहलुओं एवं निर्माण प्रक्रिया पर विस्तारपुर्वक अवगत कराया। इस दौरान लोको में लगने वाले उन्नत क्रिटिकल आइटम पर विशेष रूप से चर्चा हुई। इस दौरान प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर एस. के. श्रीवास्तव, प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर विवेक शील, मुख्य अभिकल्प इंजीनियर-विद्युत अनुराग कुमार गुप्ता, मुख्य विद्युत इंजीनियर-निरीक्षण भारद्वाज चौधरी, मुख्य विद्युत इंजीनियर-लोको अरविंद कुमार जैन, मुख्य संरक्षा अधिकारी एस.बी.पटेल सहित काफी संख्या में बरेका अधिकारी उपस्थित थे।


उल्लेखनीय है कि मोजाम्बिक रेलवे (सीएफएम) ने बरेका को 10 अत्याधुनिक 3300 हॉर्स पावर एसी–एसी डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के निर्माण और आपूर्ति के लिए मेसर्स राइट्स के माध्यम से प्रदान किया था। इन 10 इंजनों में से 04 लोकोमोटिव का निर्माण कार्य पूर्ण कर अक्टूबर 2025 तक सफलतापूर्वक मोजाम्बिक के लिए रवाना कर दिया गया है, शेष 06 लोकोमोटिव शीघ्र ही उत्पादन कर मोजाम्बिक को प्रेषण कर दिया जाएगा। विदित हो कि ये इंजन केप गेज (1067 मिमी) पर 100 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम गति से चलने में सक्षम हैं। तकनीकी नवाचार और चालक-सुविधाओं से युक्त इंजन न केवल तकनीकी दृष्टि से अत्याधुनिक हैं, बल्कि इसमें चालक के लिए रेफ्रिजरेटर, हॉट प्लेट, मोबाइल होल्डर, सौंदर्यबोध से परिपूर्ण कैब डिज़ाइन, शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। ये विशेषताएं न केवल चालक की सुविधा सुनिश्चित करती हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्यस्थल की गुणवत्ता को भी दर्शाती हैं। बरेका का यह प्रयास सिद्ध करता है कि भारतीय रेल निर्माण इकाइयाँ विश्व मानकों के अनुरूप इंजनों का उत्पादन कर सकती हैं और विश्व पटल पर ‘मेड इन इंडिया’ की पहचान को और मजबूत कर रही हैं।




23 अप्रैल 1956 को बनारस रेल इंजन कारख़ाना की स्थापना से अब तक बरेका भारतीय रेलवे, इस्पात संयंत्रों, खानों, बंदरगाहों और निर्यात के लिए 11000 से अधिक लोकोमोटिव बना चुका है। यह भारतीय रेलवे का उत्पादन इकाई लोको उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी है। जनवरी 1976 में पहला रेल इंजन तंजानिया को निर्यात किया गया। इसके बाद वियतनाम, माली, सेनेगल, अंगोला, म्यांमार, बंग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, मोजाम्बिक, सूडान आदि देशों को अब तक यहां के निर्मित 176 रेल इंजन भेजे जा चुके हैं।   

                                                                         

Ummid portal नहीं कर रहा काम-कोऑर्डिनेटर सैय्यद एजाज़

तय समय सीमा में कैसे होंगे सारे वक़्फ़ रजिस्टर्ड !



Mohd Rizwan 

dil india live (Varanasi). भारत सरकार द्वारा सभी वक़्फ़ की संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर दर्ज कराने की आखिरी तारीख 5 दिसम्बर निर्धारित की गई है। जैसे जैसे अंतिम तिथि करीब आ रही है वैसे वैसे पोर्टल पर भारी दबाव है। वाराणसी में उत्तरप्रदेश शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की ओर से वक़्फ़ की संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर दर्ज कराने के लिए कोऑर्डिनेटर बनाये गए सैय्यद एजाज़ हुसैन "गुड्डू बाक़री" ने बताया कि पिछले कई दिनों से उम्मीद पोर्टल की वेबसाइट बिल्कुल भी नहीं खुल रही है और यदि खुल भी रही है तो एक फ़ाइल पोस्ट करने में कई कई घंटे लग जा रहे हैं। लोगों की लंबी लाइन है लेकिन अंतिम समय में साइट के बिल्कुल भी काम न करने से लोगों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। अगर वेबसाइट का यही हाल रहा तो तय समय सीमा में सारी संपत्तियों का अपलोड कर पाना लगभग असंभव है।

अंतिम तिथि बढ़ाई जाए 
एजाज़ हुसैन ने उम्मीद पोर्टल के काम न करने और कि समस्या के समाधान के लिए कई बार अल्पसंख्यक आयोग को सीधे ईमेल किया है लेकिन वो कहते है कि हर बार जवाब यही आता है कि वेबसाइट ठीक चल रही है, जबकि साइट की धीमी गति के लिए पूरे देश से कंप्लेन पर कंप्लेन आ रही है। उन्होंने ने सरकार से मांग की है कि या तो वेबसाइट को तुरंत सही कराया जाए या अंतिम तिथि में बदलाव किया जाए ताकि सारी संपत्तियों को पोर्टल पर दर्ज किया जा सके।

सोमवार, 1 दिसंबर 2025

Seminar: Maulana Abul Kalam की शिक्षा, दर्शन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने पारंपरिक शिक्षा से आगे जाकर आधुनिक शिक्षा पर दिया था जोर-प्रो. आफ़ताब



dil india live (Chandoli). Mughalsarai के होटल स्प्रिंग स्काई में तमिल फाउंडेशन के तत्वाधान में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का शिक्षा दर्शन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषयक एक दिवसीय विचार गोष्ठी BHU उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आफ़ताब अहमद आफाक़ी की अध्यक्षता में हुई। इस मौके पर आफाकी ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को कई विषयों में महारत प्राप्त थी। वह एक बड़े आलिम ए दीन, महान शिक्षाविद, दार्शनिक, बेबाक पत्रकार, कुशल राजनीतिज्ञ थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उनकी राजनीतिक कुशलता के प्रशंसक थे और उन्हें एक मझा हुआ राजनीतिज्ञ मानते थे। उन्होंने कहा मौलाना का विचार था कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ ऐसी शिक्षा दी जाए जिसके माध्यम से हमारी नस्ले दुनिया को समझें और दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ें। इसके लिए उन्होंने 1948 में संस्कृत पाठशालाओं और मदरसे की नुमाइंदों के साथ अलग-अलग कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने दोनों संप्रदायों से कहा कि वे अपनी पारंपरिक शिक्षा से आगे बढ़कर पाठ्यक्रम में आधुनिक शिक्षा को जगह दें और बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ विज्ञान, टेक्नोलॉजी, कला, संस्कृति आदि भी सिखाएं, ताकि वे दुनिया के साथ चल सकें। उनका मानना ​​था कि अंग्रेजों द्वारा यूरोपीय शिक्षा प्रणाली ने छात्रों के दिमाग को बंद कर दिया है और उनके दिमाग से मानवीय मूल्यों, सहनशीलता और त्याग की भावना को खाली कर दिया है। 




विशेष अतिथि डिप्टी डायरेक्टर/प्रिंसिपल डाइट चंदौली ने कहा कि मौलाना आज़ाद स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ भारत में आधुनिक शिक्षा के संस्थापकों में से एक थे। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में मौलाना आज़ाद के शैक्षिक विचारों से जुड़ी कई बातें शामिल हैं। विशेष वक्ता BHU के हिंदी विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर बलराज पांडेय ने अपने भाषण में कहा कि मौलाना आज़ाद हमेशा मुसलमानों में राजनीतिक जागरूकता पैदा करने के लिए चिंतित रहते थे और कड़ी मेहनत करते थे। वे विभाजन के सख्त खिलाफ थे और इसे एक जानलेवा बीमारी बताते थे। उन्होंने हमेशा धार्मिक सहनशीलता और राष्ट्रवाद पर जोर दिया। BHU के भूगोल विभाग के प्रोफेसर सरफराज आलम ने आंकड़ों के हिसाब से मुसलमानों के पढ़ाई में पिछड़ेपन का जिक्र करते हुए कहा कि बेसिक एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में प्रवेश लेने वालों में मुस्लिम बच्चों का हिस्सा मुस्लिम आबादी के हिस्से से ज़्यादा है, लेकिन यह धीरे-धीरे कम होता जाता है, यानी वे बीच में ही पढ़ाई छोड़ने लगते हैं। यह दर आगे चलकर बहुत ज़्यादा है, ग्रेजुएशन में भी यह संख्या दुर्भाग्य से घटकर लगभग ढाई प्रतिशत रह जाती है।


इंडियन रेलवे मुगलसराय जोन के पूर्व वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी दिनेश चंद्र ने अपने भाषण में कहा कि बच्चों को शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश दिलाने के साथ-साथ उनकी पढ़ाई आगे जारी रखना भी बहुत ज़रूरी है। परिवार के भविष्य के साथ-साथ देश के भविष्य की ज़िम्मेदारी भी उनके कंधों पर होती है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि जिसक़ौम से आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे, वही क़ौम आज शिक्षा में पिछड़ रही है। इसका साफ़ मतलब है कि लोगों ने उनके कार्यों,विचारों और सेवाओं को भुला रखा है । उन्होंने मुसलमानों में शिक्षा के पिछड़ेपन के लिए मुस्लिमो को ही ज़िम्मेदार ठहराया। शिक्षा के महत्व पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल खोलना जेल बंद करने जैसा है। डॉ. शम्स अज़ीज़, वाराणसी के रीजनल डायरेक्टर (MANU) ने भी मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद की शख्सियत पर रोशनी डाली। इस प्रोग्राम में 2025 में सेवा निर्मित हुए उर्दू टीचरों को भी उनकी शिक्षा सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। अज़हर आलम हाशमी, इरफ़ान अहमद, सोहराब अली अंसारी, शाहजहां बेगम, जहांआरा, इश्तियाक अहमद को मेहमानों ने शॉल मुमेंटो और ततोहफे दिए । प्रोग्राम की शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। अपने स्वागत भाषण में, डाइट लेक्चरर डॉ. अज़हर सईद ने सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए  तामीर फाउंडेशन  के कार्य और उसके मकसद से लोगों को रूबरू करवाया। उन्होंने कहा कि तामीर फाउंडेशन मुख्य रूप से शिक्षा, जागरूकता , इसके प्रचार प्रसार और विशेष रूप से उर्दू भाषा एवं साहित्य के विकास और उसके संरक्षण कलिए बनाया गया है और आज का कार्यक्रम इसी फाउंडेशन की देखरेख में आयोजित किया गया है। सुश्री अफशां रोमानी और शफाअत अली ने संयुक्त रूप से संचालन किया। कार्यक्रम का समापन इरफान अली मंसूरी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। 

मुशायरे में हुई उम्दा शायरी  


कार्यक्रम के दूसरे भाग में, एक भव्य मुशायरा का आयोजन किया गया। मुशायरा की अध्यक्षता बीएचयू (BHU) उर्दू विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर याकूब यावर ने की, जबकि अयाज़ आज़मी ने विशेष अतिथि थे। मुशायरे में डॉ. शाद मशरिकी, ज़मज़म रामनगरी, दानिश ज़ैदी, नसीमा निशा, आलम बनारसी, ज़िया अहसानी, नदीम  गाज़ीपुरी, शारिक फूलपुरी, अबू शहमा, सुरेश  अकेला, आकाश मिश्रा, अब्दुल रहमान नूरी, जिया अहसनी आदि ने अपने कलाम से लोगों को देर तक बांधे रखा। मुशायरा की निजामत करते हुए डॉ. अज़हर सईद ने खूब वाहवाही लूटी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

रविवार, 30 नवंबर 2025

BLW: डिजिटल इंडिया मिशन को नई गति दे रहा बरेका

डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत बरेका में फाइलों के डिजिटलीकरण प्रक्रिया का शुभारंभ


F. farooqi/Santosh Nagvanshi 

dil india live (Varanasi). रेलवे बोर्ड के निर्देशानुसार एवं बरेका  महाप्रबंधक सोमेश कुमार के मार्गदर्शन में बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) में डिजिटल इंडिया मिशन को नई गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए  फाइलों का डिजिटलीकरण प्रक्रिया का शुभारंभ कर दिया गया है। 

फाइलों का डिजिटलीकरण होने से कार्यप्रणाली में आधुनिक तकनीकों का समावेश सुनिश्चित होगा। इससे  न केवल  कार्य संस्कृति में सुधार होगा, बल्कि कार्यस्थलों की स्वच्छता, बेहतर कार्यक्षमता के साथ ही श्रम एवं समय की बचत भी सुनिश्चित होगी। यह पहल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तेज, पारदर्शी और अधिक सुगम बनाएगी।

फाइलों के डिजिटलीकरण का कार्य वरिष्ठ आंकड़ा संसाधन प्रबंधक संतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में किया जा रहा है। इस टीम में आंकड़ा संसाधन प्रबंधक प्रशांत दुबे, वरिष्ठ अभियंता (आई.टी.) नईम अख्तर तथा तीर्थ विश्वास सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। बरेका की यह पहल डिजिटल इंडिया के संकल्प को मजबूत करेगी और बरेका को तकनीकी रूप से और अधिक सक्षम व दक्ष बनाएगी।


URS Hazrat Rahim Shah Baba : रहीमी दरबार में उमड़े बाबा के दीवाने

हज़रत रहीम शाह बाबा के तीन दिनी उर्स पर माहौल दिखा नूरानी

 



  • Mohd Rizwan 

dil india live (Varanasi)। हज़रत रहीम शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह का तीन दिनी सालाना उर्स अकीदत और एहतराम के साथ बाबा के बेनिया स्थित रहीमी दरबार में दूसरे दिन भी मनाया जा रहा है। उर्स के मौके पर हज़रत रहीम शाह बाबा के दर पर अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा हुआ है। उर्स में अकीदतमंद जहां मन्नती चादरें पेश कर रहे थे वहीं जियारत करने वाले सिर झुकाकर वहां पहुंचे हुए हैं। इस मौके पर फातिहा पढ़ने दूर-दराज़ से अकीदतमंद जुटे हुए थे।



दूसरे दिन इतवार को फज्र के बाद कुरआनख्वानी, बाद नमाज असर ग़ुस्ल मजार शरीफ, बाद नमाज मगरिब सरकारी चादर पोशी हुई व मिलाद शरीफ में लोगों का हुजूम उमड़ा। बाद नमाज इशा लंगर व महफिले समा का आयोजन समाचार लिखे जाने तक जारी था।

शनिवार को हुई थी शुरुआत 

तीन दिनी उर्स की शुरुआत शनिवार को हजरत रहीम शाह बाबा के दर पर पाक कुरान की तेलावत से हुई। जोहर की नमाज के बाद महफिल-ए-समां का आयोजन किया गया। शाम को चादरपोशी और मगरिब की नमाज के बाद मीलाद शरीफ में अकीदतमंद जुटे हुए थे। उर्स के मौके पर तकरीर और लंगर का भी दौर देर रात तक चला। आने वालों का खैरमखदम सज्जादानशीन मोहम्मद सैफ रहीमी कर रहे थे। उर्स को देखते हुए दरगाह को सजाया गया था, तथा आसपास भी विद्युतीय सजावट की गई थी।