मंगलवार, 16 जुलाई 2024

9 moharram: इमाम चौक पर बैठेगी सैकड़ों ताजिया, मुस्लिम रखेंगे रोज़ा

उठेगा दूल्हे का ऐतिहासिक जुलूस, घरों में होगी फातेहा 


फाईल फोटो 

Varanasi (dil India live). 9 वीं मोहर्रम पर मंगलवार की शाम मुस्लिम बहुल इलाके 'या हुसैन या हुसैन' की सदाओं से गूंज उठेंगे। शहीदाने कर्बला की याद में इमाम चौकों पर ताजिया मलीदे और शर्बत की फातेहा के बाद बैठा दी जाएंगी और इमाम हुसैन की शहादत को शिद्दत से याद किया जाएगा। इमाम चौकों और इमामबाड़ों में ताज़िए की जियारत को देर रात तक हुजुम उमड़ेगा। सुन्नी वर्ग ने शहर के विभिन्न इलाकों और मस्जिदों में जलसे का आयोजन किया है जहां देर रात तक उलेमाओं कर्बला की शहादत बयां करेंगे। इस दौरान दो दिन का मोमीनीन रोज़ा भी रखते हैं। कुछ लोग 9 वीं मोहर्रम और 10 वीं मोहर्रम को तो कुछ लोग 10 वीं, 11 वीं मोहर्रम को रोज़ा रहते हैं। मौलाना अजहरुल कादरी कहते हैं मोहर्रम की दस तारीख के रोज़े की बहुत फजिलत है। मौलाना कहते हैं कि कर्बला के मैदान में शहादत देकर इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाया है। अब तमाम दुनिया के इंसानों को चाहिए कि इमाम हुसैन के पैगाम को बचाएं। बुराई से बचें और नेकी व हमदर्दी के रास्ते पर चलें।

तैयारियां पूरी, तैयार हो गई खूबसूरत ताजिया 

आठ मोहर्रम को ताज़िए को अंतिम रूप दे दिया गया। ताज़िया को कारीगरी के बेहतरीन नमूनों और कलात्मक डिजाइनों से सजाया गया है। इन ताजियों को देखने के लिए शाम को भीड़ देर रात तक जमी रहेगी। खासकर लल्लापुरा स्थित रांगे का ताजिया, बाकराबाद के बुर्राक की ताजिया, बजरडीहा स्थित शीशे का ताजिया, उल्फत बीबी के हाते की ज़री की ताजिया, कोयला बाजार स्थित नगीने का ताजिया, मजीद पहलवान कमेटी की फूलों की ताजिया, दालमंडी स्थित पीतल की ताजिया, गौरीगंज की शीशम की ताजिया, चपरखट की ताजिया, शिवाला की कुम्हार की ताजिया, दोषीपुरा की शाबान की ताजिया, बजरडीहा की कागज की ताजिया के अलावा सैकड़ों मन्नती ताजिया आज मंगलवार की शाम इमाम चौक पर बैठा दी जाएगी इसकी तैयारियां पूरी हो गई है।

निकलेगा दूल्हे का ऐतिहासिक जुलूस

मुहर्रम की परंपरा का निर्वाह करते हुए शिवाला स्थित इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल से देर रात दूल्हे का जुलूस सदर परवेज़ कादिर खां की अगुवाई में निकलेगा। इसमें शामिल जनसैलाब 'या हुसैन या हुसैन' कहते हुए पारंपरिक रास्तों पर लगाएं गये अलावा से होकर दस मोहर्रम की सुबह पुनः शिवाला लौटेगा। इस दौरान दूल्हा 72 अलावा व 60 ताजिया को सलामी देकर  दहकते अंगारों से होकर वापस शिवाला लौटता है।

रविवार, 14 जुलाई 2024

रवायतों के साथ निकालें दूल्हे का जुलूस, नयी परम्परा न करें कायम

दूल्हा कासिम नाल कमेटी शिवाला कि बैठक में लिया गया निर्णय 


Varanasi (dil India live)। हज़रत दूल्हा कासिम नाल कमेटी के सदर परवेज़ कादिर खां की अगुवाई में 9 वीं मोहर्रम की मध्यरात्रि को आग पर दौड़ने वाला दूल्हे का जुलूस शिवाला से अपनी रवायतों के साथ उठेगा। जुलूस में कोई भी नयी परम्परा नहीं कायम की जाएगी। इन्हीं बातों पर जुलूस कमेटी के सदस्यों की पुलिस प्रशासन के साथ बैठक हुई। बैठक में डीसीपी काशी, एसीपी भेलूपुर, एसीपी चेतगंज, एसीपी दशाश्वमेध व भेलूपुर प्रभारी निरीक्षक ने प्रकाश डालते हुए कहा कि यह रिवायती जुलूस है। जुलूस शांति पूर्वक निकले इसके लिए कमेटी भी पुलिस प्रशासन का सहयोग करें। इस पर दूल्हा कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा कि बेशक जुलूस शिवाला से उठता है और कमेटी सदैव पुलिस प्रशासन का सहयोग करती रही है और इस बार भी करेगी। पदाधिकारियों ने कहा कि जुलूस दूल्हा कमेटी निकाल कर आवाम के हवाले कर देती है जुलूस में शामिल लोग इसे लेकर आगे बढ़ते हैं। जुलूस में अगर कोई भी शांति भंग करने की कोशिश करता है तो उसके लिए वो स्वयं जिम्मेदार होगा। ऐसे लोगों को कमेटी खुद पुलिस के हवाले करेंगी। इसलिए जुलूस शांति पूर्वक और रवायतों के साथ निकालें। शहर में अमन-चैन कायम रखे।

शनिवार, 13 जुलाई 2024

42 घंटे लगातार चलने वाला duldul का julus आज


Varanasi (dil India live)। ऐतिहासिक 42 घंटे लगातार चलने वाला दुलदुल का कदीमी जुलूस दालमंडी स्थित इमामबाड़ा कच्ची सराय से शनिवार को शाम में उठेगा। दुलदुल के इस जुलूस के मुतवल्ली सैयद इकबाल हुसैन, लाडले हसन के अनुसार 13 जुलाई शनिवार को 5:30 बजे जुलूस अपने परम्परागत रास्तों से गुजरेगा। जुलूस में अंजुमने दर्द भरे नौहो पर मातम का नज़राना पेश करेंगी। 

इस जुलूस में घोड़ा, ऊंट के साथ कई मशहूर बैंड भी मौजूद रहता है जो मातमी धुन बजाते हुए रास्ते भर चलता है। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर फाटक शेख़ सलीम, नई सडक, काली महाल, माताकुंड, पितरकुंडा होकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाएगा। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाएगा और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होगा। यह जुलूस 6 से 8 मोहर्रम तक लगातार चलता ही रहता है। जुलूस में अंजुमन जववादिया बनारस नौहाख्वानी व मातम का नजराना पेश करेगी।

शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

Matami dhun सुन Ustad Bismillah Khan की यादें हुई ताज़ा

5 वीं मोहर्रम का कदीमी दुलदुल का जुलूस रवायत संग निकला


Varanasi (dil India live)। वक़्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली व मेहंदी बेगम गोविंदपुरा छत्तातले से कदीमी पांचवी मोहर्रम का जुलूस अपनी पुरानी रवायतों संग मुतवल्ली  सैयद मुनाज़िर हुसैन 'मंजू' के ज़ेरे एहतमाम उठाया गया। जुलूस उठने से पूर्व मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ने करबला के शहीदों के मसायब बयां किए। जुलूस उठाने मुजफ्फरपुर से खास तौर पर आए नजाकत अली खां व उनके साथियों ने सवारी शुरू की, जब नहर पर आदा ने अलमदार को मारा...। 
जुलूस गोविंदपूरा, राजा दरवाजा, नारियल बाजार, चौक होते हुए दालमंडी स्थित हकीम काजिम के अज़ाख़ाने पहुंचा जहां से अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने नौहाख्वानी शुरू की, मुझको जन्नत ये अज़ाख़ाने लगे...। जिसमें  शराफत हुसैन, लियाकत अली खां, साहेब ज़ैदी, शफाअत हुसैन शोफी, अंसार बनारसी, शानू, राजा आदि ने नौहाख्वानी की।जुलूस दालमंडी, खजुर वाली मस्जिद, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महाल, पितरकुंड, मुस्लिम इंटर कालेज होते हुए लल्लापूरा  स्थित दरगाहे फ़ातमान पहुंचा। पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खां व उनके साथियों ने शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश किया। जिसे सुनकर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की यादें लोगों के जेहन में ताजा हो गई। फ़ातमान से जुलूस पुनः वापस मुस्लिम स्कुल, लाहंगपूरा, रांगे की ताज़िया, औरंगाबाद, नई सड़क, कपड़ा मंडी, दालमंडी नया चौक होते हुए इमामबाडे में समाप्त हुआ।
काशी नरेश की मन्नत का निकला जुलूस 

रामनगर में पांच मुहर्रम शुक्रवार को रात्रि में गोलाघाट मोहल्ला स्थित सुन्नी समुदाय के इमामबाड़े से सुन्नी समुदाय के लोगों ने काशी नरेश की मन्नत का ऐतिहासिक दुलदुल का जुलूस निकाला। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ पंचवटी स्थित कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। दुलदुल के जुलूस में शामिल सभी धर्मों के लोगों ने मन्नत के अनुसार दूध और नीबू आदि चढ़ाया। जिसमें महिलाएं बड़ी संख्यामें उपस्थित रही। दुलदुल के जुलूस को देखने के लिए सड़कों पर हिंदू मुस्लिम दोनों की भारी भीड़ थी, लोगों में दुलदुल की जियारत की होड़ देखी गई। यह जुलूस पूर्व काशी नरेश की मन्नत के उपलक्ष्य में निकाला जाता है। यह बरसों पुरानी परंपरा आज भी यहां जीवंत हैं। तो वहीं दूसरी ओर शिया समुदायके के लोगों ने इसी मोहल्ला स्थित मरहूम विलायत हुसैन रिजवी के अजाखाने से अलम का जुलूस निकाला गया। जो अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ टेंगरामोड़ भिटी स्थित कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस में रास्ते भर अंजुमन मोहाफी अजा ने नौहाख्वानी मातम किया। बड़ागांव स्थित इमाम बारगाह अब्बा की दालान गाग खुर्द बगिया से शुक्रवार को दुलदुल, अलम, गहवार-ए-अली असगर का जुलूस निकाला गया। जुलूस उठने से पूर्व मौलाना गुलजार मौलाई ने मजलिस को खिताब किया। जुलूस में कई अंजुमनों ने नौहाख्वानी, मातम किया। सैकड़ों की संख्या में जायरीन शामिल थे। जुलूस में सुरक्षा व्यवस्था के लिए एसीपी बड़ागांव प्रतिक कुमार, हरहुआ एस.डी.एम प्रतिभा मिश्र, बड़ागांव थाना प्रभारी अजय कुमार पाण्डेय एवं पुलिस, पीएसी के जवान जुलूस के साथ-साथ चल रहे थे।

सोमवार, 8 जुलाई 2024

इंसान को बेदार तो हो लेने दो, हर कौम पुकारेंगी हमारे है हुसैन


Varanasi (dil India live)। इंसान को बेदार तो हो लेने दो, हर कौम पुकारेंगी हमारे है हुसैन...इस्लामिक कैलेण्डर का पहला महीना मोहर्रम 8 जुलाई को शुरू हो गया। हिजरी सन का पहला महीना मोहर्रम है जिसे शिया गम के तौर पर मनातें है। इस महीने में शिया मुसलमान गमगीन रहते हैं क्योंकि इसी माह की दस तारीख को पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन को दुनिया के पहले आतंकवादी यजीद ने ईराक के कर्बला शहर में तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया था। इन शहीदों में 6 माह के मासूम अली असगर भी थे। ऐसे में शहर बनारस में भी गौरीगंज, शिवाला, दालमंडी, मदनपुरा, बजरडीहा, दोषीपुरा, चौहट्टा, मुकीमगंज, प्रहलाद घाट, सरैया, अर्दली बाजार, कोयला बाजार आदि इलाकों में मजलिसों और जुलूसों का दौर शुरू हो जाता है। Dil India live के संपादक aman से इस सम्बन्ध में शिवाला स्थित कुम्हार के इमामबाड़े के संरक्षक सैयद आलिम हुसैन रिजवी, हजरत अली समिति के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने विस्तार से बातचीत की। 

बताया कि हिजरी सन 1446 का आगाज माहे मोहर्रम से हो गया है। इस दौरान शिया दो महीना आठ दिन तक ग़म का अय्याम मनाते हैं। काला लिवास धारण करते हैं।शहर भर में तकरीबन 60 से ऊपर जुलूस एक से 13 मोहर्रम तक उठाये जायेंगे। इस्तकबाले अजा की मजलिसे पहले ही हो चुकी। इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की याद में विभिन्न इलाकों में जुलूस उठेंगे।

पहली मोहर्रम-

पहली मोहर्रम शहर भर के विभिन्न इलाकों में प्रातः सात बजे से मजलिसों का कार्यक्रम शुरु हो जायेगा। शाम में 4 बजे सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में कैम्पस के अन्दर ही अलम और दुलदुल व ताबुत का पहला जुलूस उठाया जायेगा। अंजुमन नौहा और मातम करेंगी।

दूसरी मोहर्रम-

शिवपुर में अंजुमने पंजतनी के तत्वावधान में अलम व दुलदुल का जुलूस रात 8 बजे उठाया जायेगा। बनारस के अलावा दूसरे शहरों की अंजुमनें भी शिरकत करेंगी। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ के मकान पर दिन में 2 बजे कदीमी मजलिस का आयोजन होगा।

तीसरी मोहर्रम-

अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से सायं 5 बजे उठाया जायेगा। अंजुमन जव्वादिया जुलूस के साथ-साथ रहेगी। वहीं शिवाला स्थित आलीम हुसैन रिजवी के निवास से भी एक जुलूस उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलम का जुलूस उठाया जायेगा ।

चार मोहर्रम-

ताजिये का जुलूस शिवाले में आलीम हुसैन रिजवी के निवास से गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा।

पांचवीं मोहर्रम-

वक्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली, छत्तातला, गोविंदपुरा से अलम का जुलूस उठया जाएगा, जिसमें मुजफ्फरपुर के मर्सिया ख्वां वज्जन खां के बेटे सवारी पढ़ेंगे। इसके अलावा जुलूस में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजन शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

छठवीं मोहर्रम-

इस दिन विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक चलने वाले दुलदुल का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से शाम 5 बजे उठेगा। इस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मशहूर बैंड भी मौजूद रहते हैं जो मातमी धुन बजाते हैं। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाता है। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होता है। यह जुलूस लगातार 6 से 8 मोहर्रम तक चलता रहता है।   

7 मोहर्रम को मेहंदी का जुलूस-

चौहट्टा लाल खां इलाके से मोहर्रम के सातवें रोज़ छोटी मेहंदी व बड़ी मेहंदी के दो कदीमी जुलूस निकाला जाता है। इसमें बड़ी मेहंदी का जुलूस सदर इमामबाड़ा जाकर देर रात सम्पन्न होता है।

आठवीं मुहर्रम-

अलम व तुर्बत का जुलूस ख्वाजा नब्बू साहब के चहमामा स्थित इमामबाडा से कार्यक्रम संयोजक सयेद मुनाजिर हुसैन मंजू के संयोजन मे रात 8:30 बजे उठेगा जुलूस उठने पर शराफत अली खां साहब, लियाकत अली साहब व साथी सवारी पढेंगे। जुलूस दालमंडी पहुचने पर अंजुमन हैदरी चौक नौहा ख्वानी व मातम शुरू करेगी। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होकर फातमान पहुंचेगा और पुनः वापस अपने कदीमी रास्तों से होते हुए चहमामा स्थित इमामबाडे  मे आकर एक्तेदाम पदीर होगा। जुलूस में पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खा व साथी शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

नवीं मोहर्रम-

शहर भर के तमाम इमामबाड़ों में तथा इमाम चौक पर जातिया रखी जाती है जो सैकड़ों की तादाद में होती है। कई इलाकों में गश्तीअलम का जुलूस उठाया जाता है जो अपने इलाकों में भ्रमण करता है। लोग नौहा मातम करते चलते हैं। अंजुमन हैदरी चौक गश्ती अलम लेकर फातमान पहुंचती है वहां 4 बजे भोर में अंगारों पर चलकर मातम किया जाता है। 9 मोहर्रम को ही अपनी नवैयत का खास दुल्हा का जुलूस शिवाला से उठाया जाता है। जिसमें हजारों लोग शिरकत करते हैं ये जुलूस बनारस की अलग पहचान रखता है। लोग शहर भर के इमामबाड़ों में जाकर नौहा मातम करते हैं ताजीये पर मन्नते मांगते हैं। 9 मोहर्रम को ही हड़हा सराय में सायं 3 बजे से हजरत अली असगर के झूले का जुलूस उठता है जो दालमण्डी, नईसड़क, कोदई चौकी होता हुआ छत्तातले पर समाप्त होता है।

दसवीं मोहर्रम यौमे आशूरा-

आज से 1379 साल पहले सन् 61 हिजरी 10 वीं मोहर्रम को (शुक्रवार) के दिन इमाम हुसैन ने अजीम कारनामा कर दिखाया था। अपने साथ साथ अपने 71 साथियों जिसमें 18 परिवार के सदस्य भी थे। जिनमें 32 वर्ष का भाई अब्बास, 18 वर्ष का बेटा अली अकबर, 13 साल का भतीजा कासीम, 9 व 10 साल के भांजे औन तथा मोहम्मद के अलावा 6 महीने का उनका सबसे छोटा बच्चा अली असगर समेत शहादत दे दिया था। इसी अजीम शहादत कि याद में 10 वीं मोहर्रम को पूरे शहर भर में सुबह से जुलूसों का सिलसिला शुरू रहता है। शहर की तकरीबन 26 अंजुमने अलम व तुरबत व दुलदुल को जुलूस सुबह से शाम तक उठाती रहती है। जिसमें जंजीर व कमा (खंजर) का मातम होता है लोग आंसुओं के साथ-साथ खून का नजराना भी पेश करते हैं ये जुलूस विभिन्न इलाकों में उठते हैं और सदर इमामबाड़ा लाट सरैया और दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा शिवाले घाट पर शाम तक समाप्त होते हैं। शिया हजरात 10 मोहर्रम को जुलूस के बाद विभिन्न स्थानों पर शामे गरीबों की मजलिस करते हैं।

लुटा हुआ काफिला

ग्यारहवीं मोहर्रम को स्व. डा. नाजीम जाफरी के निवास से डा. मुज्तबा जाफरी के संयोजन में लुटे हुए काफिले का जुलूस 11 बजे दिन में उठाया जाता है इस जुलूस को चुप का डंका भी कहते हैं। रास्ते भर लोग नातिया कलाम पढ़ते हैं जो फातमान जाकर समाप्त होता है।  

तीजे का जुलूस-

 शहर भर के इमामबाड़ों वर फातिहा दिलाई जाती है सुबह से ही इमाम के फूल की मजलिसें शुरू हो हैं दोपहर बाद आलम व अखाड़े का जुलूस उठाया जाता है। जो अपने रास्तों से होकर दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा सदर इमामबाड़ा लाट सरैया पर शाम को समाप्त होता है।

तेरहवीं मोहर्रम-

सदर इमामबाड़े में दुलदुल का जुलूस शाम 4 बजे कैम्पस में ही उठाया जाता है। शहर की कई अंजुमने नौहा मातम करती हैं।

Online attendance के खिलाफ प्राथमिक शिक्षक संघ ने खोला मोर्चा

आनलाईन एटेंडेंस गलत, आदेश वापस ले सरकार : महेंद्र बहादुर सिंह 


Varanasi (dil India live)। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ पंजीयन 1160 जनपद वाराणसी के जिला अध्यक्ष महेंद्र बहादुर सिंह ने प्रांतीय नेतृत्व के आह्वाहन पर सरकार द्वारा जारी फेशियल उपस्थिति का पुरजोर विरोध करते हुए इसे अव्यावहारिक, विधि विरुद्द अमानवीय , दुर्भावनापूर्ण तथा विपरीत परिस्थितियों पर सम्यक और सद्भावना पूर्वक विचार किए बिना जल्दबाजी में जारी किया गया एक तुगलकी फरमान की संज्ञा दी। उन्होंने सभी शिक्षक संघटन से अपने वजूद सम्मान और अस्तित्व तथा आने वाली पीढ़ी के भविष्य को बचाने के लिए ऐसे तुगलकी आदेश के विरोध में एक मंच पर आने का आह्वान किया है उन्होंने आगे कहा की बिना मूलभूत व्यवस्था दिए, हाफ डे लिव, सभी स्थानों पर नेटवर्क की उपलब्धता, शिक्षको से गैर शैक्षणिक कार्य कराए जाने की बाध्यता पूर्व में दिए गए शिक्षक संघटनो द्वारा प्रार्थना पत्रों में निहित व जायज मांगों के साथ लंबित समस्याओं के निराकरण के बगैर फेशियल, आनलाइन उपस्थिति का आदेश औचित्यहीन और प्रतिसंहरीत किए जाने योग्य है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य और दुःख व्यक्त किया कि आज 70 सालो में तो सरकार सभी दुर्गम जगहों पर बिजली पानी व सुगम सड़को का निर्माण नहीं करा पाई  वही दूसरी तरफ शिक्षको को अविलंब डिजिटल होने की बात की जा रही है जो हर दशा में निंदनीय अमानवीय और वापस लिए जाने योग्य है। उन्होंने आला अधिकारियों से ऐसे आदेश पर सद्भावनापूर्वक पुनर्विचार करते हुए उसे अविलंब वापस लेने की मांग की।

रविवार, 7 जुलाई 2024

Dawat-e-Islami ने चलाया पौधारोपण अभियान

दरख़्त बनने तक अपने बच्चों की तरह पालते हैं पौधों को -जीएनआरएफ




Varanasi (dil India live)। बढ़ते ग्लोबल वार्मिग और प्रदूषण के कारण जलवायु भी काफी हद तक प्रभावित हुई है। यदि हमने प्राकृतिक संसाधनों का सहारा नहीं लिया तो निकट भविष्य में हमें और भी गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। पेड़-पौधे बहुत महत्वपूर्ण हैं। एक शोध के अनुसार, एक पेड़ तापमान को कम से कम 4 डिग्री तक कम कर सकता है और साल भर में लगभग 20 किलो वायु प्रदूषण को अवशोषित कर सकता है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए दावत ए-इस्लामी हिंद के मानव कल्याण विभाग जीएनआरएफ (गरीब नवाज रिलीफ फाउंडेशन) ने 1 जुलाई से 10 जुलाई के बीच पूरे देश में बड़ी संख्या में पौधे लगाने का संकल्प लिया है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए वाराणसी में भी इतवार को बेनिया समेत कई जगहों पर वृक्षारोपण मुहिम चलाई गई। 

डा. साजिद अततारी ने बताया कि हम लोग न केवल पौधा लगाते हैं बल्कि उसे दरख्त बनने तक पौधे को अपने बच्चों की तरह पालते भी हैं ।डा. मुबससिर, मो. मोजममिल, हाफिज सलीम, शानू मदनी, मो. वसीम, अफरोज अततारी, जुलकरनैन बरकाती व अली अत्तारी आदि ने पौधारोपण किया। इस दौरान लोगों को पौधारोपण के लिए जागरूक भी किया गया।

गौरतलब है कि जीएनआरएफ के सदस्य कॉलेजों, स्कूलों, मदरसों और विभिन्न धार्मिक स्थानों पर प्रकृति बचाओ शीर्षक के तहत कार्यक्रम आयोजित करके लोगों से इस वृक्षारोपण अभियान में भाग लेने की अपील कर रहे हैं।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...