शनिवार, 23 मार्च 2024
नन्हे असीम ने रखा रमज़ान का रोज़ा
Varanasi (dil India live)। मुक़द्दस रमजान में नन्हें मुन्ने बच्चों द्वारा रोज़ा रखने की परम्परा बनारस में लगातार बनी हुई है। यही वजह है रमजान शुरू होते ही नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा रोज़ा रखने का सिलसिला शुरू हो जाता है। मदरसा अहयाउल उलूम जैनपुरा में तालीम ले रहे महज 6 साल के मोहम्मद असीम भी रोज़ा है। मोहम्मद उमर और दरकशा महपारा के साहबजादे असीम कहते हैं कि रब राज़ी हो जाए इसलिए रोज़ा रखा। उनके वालिदैन को खुशी है की उनके साहबजादे नन्ही सी उम्र में ही रोज़ा रखने लगे हैं। वो कहते हैं कि हमने सोचा नहीं था कि मेरा बेटा रोज़ा रख लेगा मगर उसकी जिद के आगे हम लोग कुछ नहीं बोले और उसने रोज़ा रख कर हम सबको खुश कर दिया।
"वेस्ट फ्लावर रिसाइक्लिंग सेण्टर" का सीडीओ ने किया उद्घाटन
Varanasi (dil India live)। युवा ग्राम्य विकास समिति, बसनी द्वारा संचालित साईं इंस्टिट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट के बसनी स्थित परिसर में "वेस्ट फ्लावर रिसाइक्लिंग सेण्टर" का उद्घाटन वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से वाराणसी मंडल के संयुक्त आयुक्त (उद्योग) श्री उमेश कुमार सिंह, विकास खण्ड-बड़ागांव की खण्ड विकास अधिकारी सुश्री प्रतिभा चौरसिया एवं भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक लखनऊ के उप महाप्रबंधक नीरज भल्ला उपस्थित थे।
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री हिमांशु नागपाल जी ने कहा कि मंदिरों में अर्पित जिन फूलों को बाद में यहाँ वहाँ फेंक दिया जाता है या फिर नदियों और तालाबों में फेंक दिया जाता है उन्हीं फूलों से साईं इंस्टिट्यूट द्वारा अगरबत्ती, धूप और अन्य उत्पादों का निर्माण किया जाना और इस कार्य से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को जोड़कर उनको भी आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास निःसंदेह सराहनीय है। इस कार्य के लिए सरकार के स्तर पर जो भी सहयोग संभव होगा, किया जाएगा। हम चाहेंगे कि महिलाएं अपना यूनिट लगाएं ताकि वो सीधे उत्पादन से जुड़ सकें। इस काम को करने से धन तो मिलता ही है, साथ में पर्यावरण संरक्षण में भी हम महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। श्री नागपाल ने इस कार्य में संस्था को शासन स्तर पर पूर्ण सहयोग दिलाने की अनुशंसा की। इस अवसर पर उन्होंने मंदिरों पर अर्पित फूलों को इकट्ठा करने के लिए "फ्लावर कलेक्शन वैन" का भी शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा संस्थान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए छवि अग्रवाल, नीतू वर्मा, शर्मिला पटेल, अरविंद दूबे को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया तथा सिडबी के सहयोग से चल रहे अगरबत्ती व धूप का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी महिलाओं को प्रमाण पत्र का वितरण किया गया।
कार्यक्रम का संचालन साईं इंस्टिट्यूट के निदेशक अजय सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन शिव कुमार शुक्ला ने व्यक्त किया। इस अवसर पर अनुपमा दूबे, हर्ष सिंह, सुप्रिया पाठक, इन्दू वर्मा, प्रियंका पटेल, रेनू दूबे, सरिता देवी, डिम्पल पटेल, अनीता पटेल, दीपा, मधु देवी आदि उपस्थित रहे।
शुक्रवार, 22 मार्च 2024
शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब सुपुर्द-ए-खाक
देश-दुनिया में चर्चित शहर काजी के जनाजे में उमड़ा जनसैलाब
Varanasi (dil India live)। देश-दुनिया में मशहूर व मारूफ काजी-ए-शहर बनारस अल्लामा, मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब को जुमे की नमाज के बाद बजरडीहा सिथत कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इससे पहले उनके जनाजे की नमाज मौलाना मोहम्मद जमील अहमद ने अदा करायी। उनके जनाजे में लाखों लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
हम बता दें कि शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब गुरुवार को रोज़ा थे, शाम में मगरिब की नमाज के साथ ही उन्होंने रोज़ा इफ्तार किया, नमाज अदा किया और कुछ ही देर बाद वो अल्लाह को प्यारे हो गए। उनके इंतकाल की खबर से समूचे पूर्वांचल खासकर बरेलवी मुस्लिमों में अफसोस की लहर दौड़ गई। उनके साहबजादे मोहम्मद जावेद ने बताया कि शहर काजी मरहूम तकरीबन 90 साल के थे। उनके मुरीद इम्तियाज खां ने बताया कि हज़रत के लाखों मुरीद देश विदेश में फैले हुए हैं।
अब जलसे की कौन करेगा सदारत
आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शहर काजी तकरीबन पांच दशक से काजी ए शहर बनारस के पद पर आसीन थे। शहर ही नहीं जिले और आसपास के इलाकों में होने वाले तकरीबन सभी दीनी जलसों की सदारत शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब मरहूम ही किया करते थे। अहसन हमदी कहते हैं कि काजी साहब ही जलसों की ज़ीनत हुआ करते थे। इतनी उम्र होने के बावजूद सभी जलसों में वो पहुंचते थे। उनकी ही अगुवाई में तिलभांडेश्वर सिथत शरई अदालत रमजान, ईद, बकरीद समेत महीनों के चांद देखें जाने का ऐलान होता और तमाम फतवे जारी होते थे। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर समेत तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके इंतकाल पर अफसोस जाहिर किया।
सुल्तान क्लब ने पेश की खिराजे अकीदत
जिसमे काजिए शहर गुलाम यासीन साहब की सामाजिक और दीनी खिदमात पर विस्तृत प्रकाश डाला गया। इनके मुरीद काफी संख्या में पूरे पूर्वांचल में फैले हुए हैं,आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले काज़ी साहब 50 वर्षों से क़ाज़ी ए शहर बनारस की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इनकी निगरानी में एक शरई अदालत भी कायम है जो सुन्नी मसलक के मानने वाले उनके आवास पर फतवा लेने पहुंचते थे। बनारस से जब नरेंद्र मोदी सांसद चुने गए और देश के प्रधानमंत्री बने तो इनके नेतृत्व में एक दल मुबारकबाद देने के लिए दिल्ली पहुंचा। आप ने बनारस में हज हाउस कायम करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। आप के अगुवाई में ईद मिलादुन्नबी का जुलूस भी निकलता रहा है। आप ने अपने पीछे नाती पोतों का भरा पूरा परिवार छोड़ा है, पत्नी का 14 वर्ष पहले ही इंतकाल हो चुका है। इनके इंतकाल से समाज में जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति मुश्किल है।
अफसोस बैठक में अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, उपाध्यक्ष महबूब अली,महासचिव एच हसन नन्हें, सचिव जावेद अख्तर, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज, मौलाना अब्दुल्लाह, हाफिज मुनीर, मुहम्मद इकराम, नसीमुल हक, मुख्तार अहमद, अब्दुर्रहमान इत्यादि शामिल थे।
गुरुवार, 21 मार्च 2024
शहर काजी मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब के इंतकाल से अफसोस में डूबा पूर्वांचल
जुमे की नमाज के बाद होंगे सुपुर्द-ए-खाक
कुछ वर्ष पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील करने निकले थे शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब (फाईल फोटो) |
Varanasi (dil India live)। देश-दुनिया में मशहूर व मारूफ काजी-ए-शहर बनारस मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब का जुमेरात की शाम मगरिब की नमाज के बाद इंतकाल हो गया। उनके इंतकाल से समूचे पूर्वांचल खासकर बरेलवी मुस्लिमों में अफसोस की लहर दौड़ गई। उनके साहबजादे मोहम्मद जावेद ने बताया कि जुमे की नमाज के बाद उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। शहर काजी तकरीबन 90 साल के थे। उनके मुरीद इम्तियाज खां ने बताया कि हज़रत के लाखों मुरीद देश भर में फैले हुए हैं। आजादी के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले शहर काजी तकरीबन पांच दशक से काजी ए शहर बनारस के पद पर आसीन थे। उनकी ही अगुवाई में तिलभांडेश्वर सिथत उनके दौलतखाने पर शरई अदालत क़ायम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से देश भर के उलेमाओं का एक दल कुछ वर्ष पूर्व शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब की अगुवाई में जब मिलने गया था तो शहर काजी ने पीएम मोदी से बनारस में हज हाउस की मांग की थी। जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया था। काबा से लेकर ईराक समेत कई देशों की धार्मिक यात्रा कर चुके शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब के पूर्वांचल भर में लाखों मानने वाले बरेलवी है। रमजान के रहमत का अशरा पूरा करने के बाद उनके इंतकाल को बेहद मुबारक दिन माना जा रहा है। इसलाम में यह भी माना जाता है कि रमजान में जिनका इंतकाल होता है रब उनसे हिसाब किताब नहीं करता। बजरडीहा में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मौलाना जमील अहमद साहब उनके जनाजे की नमाज जुमा को दोपहर 3 बजे अदा कराएंगे।
रमजान का मुक़द्दस रोज़ा और तरावीह की पाबंदी
Varanasi (dil India live). मुकद्दस रमजान में पूरे महीने जिस तरह से मोमिन को रोज़ा रखना ज़रूरी है वैसे ही उसे तरावीह की नमाज़ भी अदा करना ज़रुरी होता है। रोज़ा फर्ज़ है और तरावीह सुन्नत। इसके बावजूद तरावीह अदा करना इस्लाम में बेहद ज़रूरी करार दिया गया है, इसलिए कि तरावीह नबी-ए-करीम को बेहद पसंद थी।
रमज़ान को इबादत का महीना माना जाता है और इस महीने की बहुत अहमियत है। इस मुकददस महीने में मुसलमान महीने भर रोजे (व्रत) रखता है। पांच वक्त की नमाज और नमाजे-तरावीह अदा करता हैं। कुछ मस्जिदों में तरावीह 4 दिन कि तो कहीं 6 दिन तो कहीं 15 दिन में अदा की जाती है। उलेमा कहते हैं कि अगर किसी ने 4 दिन की तरावीह या 15 दिन की तरावीह मुकम्मल कर ली तो वो ये न सोचे कि तरावीह उसकी हो गई। उलेमा कहते है कि तरावीह पूरे महीने अदा करना ज़रूरी है। तरावीह चांद देखकर शुरू होती है और चांद देखकर ही खत्म होती है। तरावीह में पाक कुरान सुना जाता है। अगर किसी ने 4 दिन, 7 दिन या 15 दिन या जितने भी दिन की तरावीह मुकम्मल की हो उसे सुरे तरावीह महीने भर यानी ईद का चांद होने तक अदा करना चाहिए।
दुआएं होती है कुबुल
रमज़ान में देश दुनिया में अमन के लिए दुआएं व तरक्की के लिए दुआएं मांगी जाती है। दरअसल रमजान का पाक महीना इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इस पाक महीने में लोग इबादत करके अपने रब का जहां शुक्रिया अदा करते हैं वहीं इस महीने में दुआएं कुबुल होती है।
क्या होती है तरावीह
रमजान में मोमिन दिन में रोज़ा रखते हैं और रात में तरावीह की नमाज़ अदा करते है। यह नमाज़ बीस रिकात सामूहिक रुप से अदा की जाती है। इस नमाज को कम से कम 3 दिन ज्यादा से ज्यादा 30 दिन में पढ़ा जाता है जिसमें एक कुरान मुकम्मल की जाती है। खुद पैगंबर हुजूर अकरम सल्लललाहो अलैह वसल्लम ने भी नमाज तरावीह अदा फरमाई और इसे पसंद फरमाया।।
हाफिज नसीम अहमद बशीरी
(प्रिंसिपल मदरसा हाफिज जुम्मन साहब)
जानिए कैसे रोज़ा रहते थे नबी और नबी के घरानै वाले
Varanasi (dil India live).हजरत अली के घर में सबने रोजा रखा। हजरत फातिमा ने भी रोजा रखा, दो बच्चे है उनके अभी छोटे है पर रोजा रखा हुआ है। मगरिब का वक़्त होने वाला है, इफ्तारी का वक़्त होने वाला है, सबके सब मुसल्ला बिछा कर रो-रोकर दुआ मांगते हैं। हजरत फातिमा दुआ खत्म करके घर में गयी और चार (4) रोटी बनाई, इससे ज्यादा उनके घर में अनाज नही है। हजरत फातिमा चार रोटी लाती है। पहली रोटी अपने शौहर अली के सामने रख दी! दूसरी रोटी अपने बड़े बेटे हसन के सामने! तीसरी रोटी छोटे बेटे हुसैन के सामने रख दी! ओर एक रोटी खुद रख ली।
मस्जिद-ए-नबवी में आजान हो गयी, सबने रोजा खोला, सबने रोटी खाई। मगर दोस्तो...अल्लाह की कसम वो फातिमा थी जिसने आधी रोटी खाई ओर आधी रोटी को दुपट्टे से बांधना शुरू कर दिया। ये मामला हजरत अली ने देखा और कहा के फातिमा तुझे भूख नही लगी, एक ही तो रोटी है उसमे से आधी रोटी दुपट्टे में बांध रही हो? फातिमा ने कहा!! ऐ अली हो सकता है मेरे बाबा जान(नबी पाक)को इफ्तारी में कुछ ना मिला हो, वो बेटी कैसे खायगी जिसके बाप ने कुछ खाया नही होगा?
फातिमा दुपट्टे में रोटी बांध कर चल पड़ी है उधर हमारे नबी मगरिब की नमाज़ पढ़ा कर आ रहे हैं हजरत फातिमा दरवाजे पर है देखकर हुजूर कहते हैं ऐ फातिमा तुम दरवाजे पर कैसे, फातिमा ने कहा ए अल्लाह के रसूल मुझे अंदर तो लेके चले। हजरत फातिमा की आंखों में आंसू थे, कहा जब इफ्तार की रोटी खाई तो आपकी याद आ गयी कि शायद आपने खाया नही होगा इसलिए आधी रोटी दुपट्टे से बांध कर लाई हूँ।
रोटी देखकर हमारे नबी की आंखों में आंसू आ गए और कहा, ए फातिमा अच्छा किया जो रोटी ले आई वरना चौथी रात भी तेरे बाबा की इसी हालात में निकल जाती। दोनों एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं। अल्लाह के रसूल ने रोटी मांगी, फातिमा ने कहा बाबा जान आज अपने हाथों से रोटी खिलाऊंगी ओर चौडे चोड़े टुकड़े किये और हुजूर को खिलाने लगी। रोटी खत्म हो गयी और हजरत फातिमा रोने लगती है। हुजूर पाक ने देखा और कहा के फातिमा अब क्यों रोती हो? कहा अब्बा जान कल क्या होगा? कल कोन खिलाने आयगा? कल क्या मेरे घर मे चुहला जलेगा ? कल क्या आपके घर में चुहला जलेगा? नबी ने अपना प्यारा हाथ फातिमा के सर पर रखा और कहा कि फातिमा तू भी सब्र करले ओर मैं भी सब्र करता हूँ। हमारे सब्र से अल्लाह उम्मत के गुनाहगारों के गुनाह माफ करेगा! अल्लाहु अकबर ये होती है मोहब्बत जो नबी को हमसे थी, उम्मत से थी। ये गुनाहगार उम्मती हम ही है जिनके लिए हमारे नबी भूखे रहे, नबी की बेटी भूखी रही! और आज हमलोग क्या कर रहे हैं, उनके लिए। कल कयामत के दिन मैं ओर आप क्या जवाब देंगे?
साभार
बुधवार, 20 मार्च 2024
गुरुवाणी विविध धर्मो के संतों फकीरों की साँझी वाणी - जगजीत कौर
Varanasi (dil India live)। भक्ति व्यक्ति के जीवन से प्रारंभ होकर मृत्यु तक चलने वाली प्रक्रिया है, बिना भक्ति के जीवन अधूरा है। उक्त विचार बुधवार को डीएवी पीजी कॉलेज में चल रहे दो दिवसीय 'हिन्दी भक्ति कविता और पंजाबी का गुरमति साहित्य : प्रभाव एवं अंतः सम्बन्ध' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी में गुरुनानक खालसा स्कूल की निदेशिका श्रीमती जगजीत कौर अहलूवालिया ने समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि कही। हिन्दी विभाग एवं उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में जगजीत कौर ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब सिख धर्म मे 11 वें गुरु के रूप में स्थापित है। गुरुग्रंथ साहिब एक साँझी बाणी है जो किसी खास को नेतृत्व देने के बजाए सबको नेतृत्व प्रदान करती है। उन्होंने बताया कि गुरुबाणी में हिन्दी भक्ति के कवियों के साथ साथ विभिन्न मतावलंबियों की बाणी भी शामिल है। कबीर, रविदास, रामदेव, रामानन्द, जयदेव, बाबा फरीद जैसे संतो फकीरों की साझी बाणी के रूप में संकलित है।
उन्होंने यह भी बताया कि सिख धर्म का काशी से गहरा संबंध रहा है, पहली उदासी के दौरान लगभग 530 वर्ष पूर्व प्रथम गुरु गुरुनानक देव काशी आये, आज उसी स्थान पर गुरुबाग गुरुद्वारा स्थापित है। नौंवे गुरु तेग बहादुर सिंह भी 7 महीने 18 दिन तक काशी के नीचीबाग में रह चुके है।
विशिष्ट वक्ता उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. अरविन्द नारायण मिश्र ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब में उत्तर प्रदेश के पाँच संतो को स्थान मिला है, जिसमे रामानंद ने निर्गुण भक्ति साधना की बात कही है। उनके सिद्धांत समानता के अधिकार की बात कहते है, यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। अध्यक्षता करते हए महाविद्यालय के कला संकाय प्रभारी प्रो. मिश्रीलाल ने कहा कि भक्ति कविता और गुरमति साहित्य दोनों ही व्यक्ति के जीवन को परिवर्तित करने की शक्ति रखते है। भक्ति काल की कविताओं का उदय लोकमंगल की भावना से ही हुआ। इसके अलावा विभिन्न सत्रों में सुश्री मांजना शोधार्थी पंजाब ने बाबा फरीद की भक्ति कविता, शोधार्थी विवेक कुमार तिवारी ने भक्ति कविता और पंजाब, हिंदू कन्या महाविद्यालय, सीतापुर की डॉक्टर पल्लवी मिश्रा ने पंजाब में सूफी कविता एवं डॉ. राकेश पांडे ने गुरु ग्रंथ साहिब में भक्ति कविता के संदर्भ में व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी, स्वागत प्रोफेसर समीर कुमार पाठक, रिपोर्ट प्रस्तुति डॉ. नीलम सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर राकेश कुमार राम ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रोफेसर ऋचारानी यादव, प्रोफेसर मधु सिसोदिया, डॉ. सीमा, डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ. सोमनाथ पाठक, डॉ. अस्मिता तिवारी, डॉ.विश्वमोली सहित अन्य विभागों के प्राध्यापक उपस्थित रहे।
शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण
बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...
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मुकम्मल की कुरान तो हाफिज साहेब को मिला इनाम में Varanasi (dil India live). अमूमन मस्जिदों में मुक़द्दस रमजान की खास नमाज़ तरावीह मुकम्मल कर...
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सुल्तान ने 275 लोगों का किया स्वास्थ्य परीक्षण निःशुल्क दवा वितरित की गई व 25 गुमशुदा बच्चों को अभिभावकों से मिलाया गया Varanasi (dil India...
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असामाजिक तत्वों से समाज का सभी वर्ग संयुक्त रुप से करे मुकाबला : हाफिज़ उबैदुल्लाह सांप्रदायिक तत्व देश के विकास में हैं बाधक, ऐसे तत्वों के...