बुधवार, 29 मार्च 2023

शिक्षक अज्ञानता को दूर कर नई मंजिल देता है

पूर्व माध्यमिक विद्यालय चौहानपुरवा में शिक्षक सम्मान समारोह 



Behraich (dil india live)। बकैना न्यायपंचायत के पूर्व माध्यमिक विद्यालय चौहाननपुरवा में शिक्षक सम्मान व विदाई समारोह का आयोजन हुआ, जिसमे प्रधानाध्यापक मिश्रीलाल के सेवाकाल समाप्ति के मौके पर उनको स्मृति चिन्ह, शॉल, अन्य सामग्री भेंट किया गया। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि जय प्रकाश सिंह ने शॉल व माल्यार्पण कर प्रधान शिक्षक को सम्मानित किया।सभी शिक्षकों व बच्चों को संबोधित करते हुए मिश्रीलाल ने कहा कि बच्चे पौधे की तरह होते है, जिस तरह पौधे के जीवन में हवा और पानी की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह बच्चे भी ज्ञान के भूखे होते है, और शिक्षक उन्हें ज्ञान, अज्ञानता को दूर करते हुए एक नई मंजिल का सही रास्ता प्रशस्त कराता है,

विद्यालय के विज्ञान शिक्षक फैजानुल हक ने कहा की शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता, उनके गुणों की सराहना हमेशा होती है, शिक्षक एक ऐसा मार्गदर्शक होता है जो अपने शिक्षार्थी को एक ऐसा मार्ग प्रशस्त करता है जिससे उसका भविष्य उज्ज्वलित होता है। इस मौके पर प्रधान प्रतिनिधि जय प्रकाश सिंह, शिक्षक फैजानुल हक, धर्मेंद्र कुमार अस्थाना, दीपचंद्र, युगराज,  जय शंकर मौर्य, सुमंत मौर्य, सुनील, राम गुलाम इत्यादि के अलावा बच्चों के अभिभावक गण भी उपस्थित थे।

Ramadan Mubarak -6

पड़ोसियों के साथ बेहतर सुलूक कि दावत देता है माहे रमजान 


Varanasi (dil india live)। मुकद्दस रमज़ान में कहा गया है कि अपने पड़ोसियों के साथ अच्छा सुलूक करो, भले ही वो किसी भी दीन या मज़हब का हो। पड़ोसी अगर भूखा सो गया तो उसके जिम्मेदार तुम खुद होगे। रब कहता हैं कि 11 महीना तो बंदा अपने तरीक़े से गुज़ारता है एक महीना अगर वो मेरे बताए हुए नेकी के रास्ते पर चले तो उसकी तमाम दुश्वारियां दूर हो जाएगी। इस 1 महीने के एवज़ में रोज़ेदार पूरे साल नेकी की राह पर चलेगा।

मुकद्दस रमजान में अगर कोई तुमसे झगड़ा करने पर अमादा हो तो उसे लड़ो मत, बल्कि उससे कह दो मैं रोज़े से हूं। यानी मैं तुमसे लड़ाई झगड़ा नहीं चाहता। रमज़ान मिल्लत की दावत देता है, रमज़ान नेकी की राह दिखाता है। यही वजह है कि रमज़ान में खून-खराबा, लड़ाई झगड़ा सब मना फरमाया गया है। रमज़ान के लिए साफ कहा गया है कि यह महीना अल्लाह का महीना है। इस महीने में रोज़ेदार केवल नेकी, इबादत और मोहब्बत के रास्ते पर चलें। यही वजह है कि रमज़ान आते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं। 

इस माहे मुबारक में पांच ऐसी रात आती है जिसे ताक रात या शबे कद्र कहा जाता है। इस रात में इबादत का सवाब रब ने कई साल की इबादत से भी ज्यादा अता करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की नेअमत अता कर और सभी को रोजा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

हाजी इमरान अहमद

राइन गार्डेन, वाराणसी

Muqaddas Ramadan: हज़रत बिजली शहीद में तरावीह मुकम्मल


Varanasi (dil india Live). हजरत बिजली शहीद बाबा रहमतुल्ला अलैह कि दरगाह अंधरापुल पर खुशनुमा माहौल में तरावीह मुक़म्मल हुई। तरावीह हाफिज नसीम अहमद बशीरी की सरपरस्ती में हाफिज जमाल अहमद ने जैसे ही मुकम्मल कराई तमाम नमाजियों ने उन्हें फ़ूल मालाओं से लाद दिया। इस दौरान मुल्क में अमन, शांति, तरक्की, आपसी भाईचारे के लिए दुआएं मांगी गई। इस मौके पर खास तौर पर भोलू उस्ताद, हाजी सलीम अंसारी सरदार, मो. आजाद, मो. हसन, जहीर कुरैशी, शाहिद अली खान, मो.आरिफ, धर्मदेव कुमार, हफिज़ूर्रमान मौजूद थ। मेहमानों का खैरमकदम दरगाह के ख़ादिम संतोष कुमार वारसी ने किया।

मंगलवार, 28 मार्च 2023

Ramadan Mubarak-5

कसरत इबादत की, इस महीने कि यही तो है खूबी



Varanasi (dil india live )। कसरत इबादत की जिस महीने में होती है उस माहे मुबारक को रमजान कहते हैं।इस महीने कि यही तो खूबी है कि बंदा रब कि रज़ा के लिए कसरत से इबादत करता है। एक रिपोर्ट....

रमज़ान की नेमतों और रहमतों का क्या कहना। रमज़ान तमाम अच्छाइयां अपने अंदर समेटे है। रमज़ान का रोज़ा रोज़ेदारों के लिए रहमत व बरकत का सबब बनकर आता है। इसमें तमाम परेशानियां और दुश्वारियां बंदे की दूर हो जाती हैं। नेकी का रास्ता ऐसे खुला रहता है कि फर्ज़ और सुन्नत के अलावा नफ्ल इबादत और मुस्तहब इबादतों की भी बंदा कसरत करता है। रोज़ा कितनी तरह का होता है इसे कम ही लोग जानते हैं। तो रमज़ान के रोज़े को तीन तरह से समझे। मसलन पहला, आम आदमी का रोज़ा: जो खाने पीने और जीमाह से रोकता है। दूसरा खास लोगों का रोज़ा: इसमें खाने पीने और जीमाह के अलावा अज़ा को गुनाहों से रोज़ेदार बचाकर रखता है, मसलन हाथ, पैर, कान, आंख वगैरह से जो गुनाह हो सकते हैं, उनसे बचकर रोज़ेदार रहता है। तीसरा रोज़ा खवासुल ख्वास का होता है जिसे खास में से खास भी कहते हैं। वो रोज़े के दिन जिक्र किये हुए उमूर पर कारबन भी रहते हैं और हकीकतन दुनिया से अपने आपको बिलकुल जुदा करके सिर्फ और सिर्फ रब की ओर मुतवज्जाह रखते हैं। रमज़ान की यह भी खसियत है कि जब दूसरा अशरा पूरा होने वाला रहता है तो, 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ करते है। जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानि मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार। पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। रमज़ान में एतेकाफ रखना जरूरी। एतेकाफ नबी की सुन्नतों में से एक है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना। हदीस और कुरान में है कि एतेकाफ अल्लाह रब्बुल इज्ज़त को राज़ी करने के लिए रोज़ेदार बैठते है। एतेकाफ सुन्नते रसूल है। हदीस व कुरान में है कि हजरत मोहम्मद रसूल (स.) ने कहा कि एतेकाफ खुदा की इबादत में रोज़ेदार को मुन्हमिक कर देता है और बंदा तमाम दुनियावी ख्वाहिशात से किनारा कर बस अल्लाह और उसकी इबादतों में मशगूल रहता है। इसलिए जिन्दगी में एक बार सभी को एतेकाफ पर बैठना चाहिए। या अल्लाह ते अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने और दीगर इबादतों को पूरा करने की तौफीक दे।..आमीन।

             डा. साजिद अत्तारी

(वरिष्ठ दंत चिकित्सक, बड़ी बाजार वाराणसी)

सोमवार, 27 मार्च 2023

Kashi में चोलापुर से शुरू होगी ‘tb मुक्त पंचायत’ की मुहिम

पहले पंचायत को करेंगे टीबी मुक्त, तब होगा काशी क्षय मुक्त: सीएमओ



Varanasi (dil india live). जनपद में अब ‘टीबी मुक्त पंचायत’ अभियान चलेगा। इसकी प्रक्रिया, योजना और रणनीति तेज कर दी है। यह पहल काशी में हुए तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय टीबी सम्मेलन के सफल आयोजन के बाद की गई है।  

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री की इस मुहिम को लेकर सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रवीण भारती पवार ने भी इस बात पर ज़ोर दिया था और आग्रह किया था कि हम सभी लोग देखें कि उनके ग्राम पंचायत में कोई भी टीबी मरीज नहीं होना चाहिए। यदि कोई टीबी का मरीज पहचान में आए तो तुरंत नजदीकी आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर जाने को कहें। इस कार्य में क्षेत्रीय आशा कार्यकर्ता और ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य उनका पूरा सहयोग करें। हर बैठक में इसके साथ ही उन्हें जागरूक करते हुये जांच के लिए प्रेरित करें जिससे गाँव टीबी मुक्त हो और देश भी टीबी मुक्त हो सके।  

         सीएमओ ने कहा कि वाराणसी में प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त पंचायत को हकीकत बनाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। पहले हम सभी ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त करेंगे, तब काशी क्षय मुक्त कहलाएगा। उन्होंने जनमानस से अपील की है कि किसी भी मरीज का पता चलने पर उसे तुरंत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर ले जाएं और जांच कराकर सम्पूर्ण उपचार कराएं। उपचार के दौरान टीबी मरीज को हर माह 500 रुपये पोषण भत्ते के रूप में सीधे उसके बैंक खाते में भेजें जाते हैं।  

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ पीयूष राय ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत अभियान के तहत जनपद ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। शुरुआत में चोलापुर ब्लॉक के सभी 89 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है। इसके बाद जल्द ही सभी ब्लॉकों और शहरी क्षत्रों पर यह अभियान शुरू किया जाएगा। चोलापुर में तीन अतिरिक्त पीएचसी, 13 आयुष्मान भारत - हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और 37 स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं। यहाँ 20 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ), 27 एएनएम और 206 आशा कार्यकर्ताएं तैनात हैं। ग्राम प्रधान और आशा कार्यकर्ता के माध्यम से वृहद स्तर पर समुदाय को जागरूक करने के साथ ही टीबी की सघन स्क्रीनिंग के अभियान चलाया जाएगा। सभी संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों की सूची तैयार की जाएगी। तत्पश्चात सभी का बलगम एकत्रित कर जांच की जाएगी। जांच में पुष्टि होने पर उन्हें निक्षय पोर्टल पर नोटिफ़ाई करते हुये उपचार शुरू किया जाएगा। यदि बलगम की जांच निगेटिव आती है तो उसका एक्सरे किया जाएगा। 

         डॉ पीयूष ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए पिरामल फ़ाउंडेशन विभाग का सहयोग कर रही है। सीएचओ और ग्राम प्रधान एक साथ टीबी मुक्त पंचायत में कार्य करेंगे। हर बैठक में वह टीबी के बारे में जागरूकता फैलाएँगे जिससे टीबी के प्रति सामाजिक मिथक व भ्रांतियों को दूर किया जा सके।

Ramadan Mubarak -4

Ramadan हमें हक़ की जिन्दगी जीने की दिखाता है राह


Varanasi (dil india live)। रमजान हिजरी कलैंडर का 9 वां महीना है। रमजान वो महीना है जिसके आते ही फिज़ा में नूर छा जाता है। चोर चोरी से दूर होता है, बेहया अपनी बेहयाई से रिश्ता तोड़ लेता है, मस्जिदें नमाज़ियों से भर जाती हैं। लोगों के दिलों दिमाग में बस एक ही बात रहती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा इबादत की जाये। फर्ज़ नमाज़ों के साथ ही नफ्ल और तहज्जुद पर भी लोगों का ज़ोर रहता है। अमीर गरीबों का हक़ अदा करते हैं, पास वाले अपने पड़ोसियों का, कोई भूखा न रहे, कोई नंगा न रहे, इस महीने में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे जहां तौफीक देता है। वहीं गरीबो, मिसकीनों, लाचारों, बेवा, और बेसहरा वगैरह की ईद कैसे हो, कैसे उन्हें उनका हक़ और अधिकार मिले यह रमज़ान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया, सिखा दिया। यही वजह है कि रमज़ान का आखिरी अशरा आते आते हर साहिबे निसाब अपनी आमदनी की बचत का ढ़ाई फीसदी जक़ात निकालता है। और दो किलों 45 ग्राम वो गेंहू जो वो खाता है उसका फितरा देता है।

सदका-ए-फित्र ईद की नमाज़ से पहले हर हाल में मोमिनीन अदा कर देता है ताकि उसका रोज़ा रब की बारगाह में कुबुल हो जाये, अगर नहीं दिया तो तब तक उसका रोज़ा ज़मीन और आसमान के दरमियान लटका रहेगा जब तक सदका-ए-फित्र अदा नहीं कर देता। रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। परवरदिगारे आलम इरशाद फरमाते है कि माहे रमज़ान कितना अज़ीम बरकतों और रहमतो का महीना है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस पाक महीने में कुरान नाज़िल हुआ।इस महीने में बंदा दुनिया की तमाम ख्वाहिशात को मिटा कर अपने रब के लिए पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा रखता है। नमाज़े अदा करता है। के अलावा तहज्जुद, चाश्त, नफ्ल अदा करता है इस महीने में वो मज़हबी टैक्स ज़कात और फितरा देकर गरीबों-मिसकीनों की ईद कराता है।अल्लाह ने हदीस में फरमया है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। यह महीना नेकी का महीना है इस महीने से इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने कि तौफीक अता कर... आमीन।

                 मौलाना हसीन अहमद हबीबी 

(शाही इमाम, मुगलिया मस्जिद, बादशाह बाग, वाराणसी)

रविवार, 26 मार्च 2023

Ramadan Mubarak -3

समुद्र की मछलियां भी करती हैं रोजेदारों के लिए दुआएं


Varanasi (dil india live)। फरमाने रसूल Hazrat Mohammad (स.) है कि रमजान अल्लाह का महीना है और उसका बदला भी रब ही देंगा। यही वजह है कि रमजान का रोज़ा बंदा केवल रब की रज़ा के लिए ही रखता है। रोज़ा वो इबादत है जो दिखाई नहीं देती बल्कि उसका पता या तो रब जानता है या फिर रोज़ा रखने वाला।

रमजान में जब एक मोमिन रोज़ा रखने की नियत करता है तो वो खुद ब खुद गुनाहों से बचता दिखायी देता हैं। उसे दूसरों की तकलीफ़ का पता भूखे प्यासे रहकर रोज़ा रखने पर कहीं ज्यादा होता है। रमजान का अन्य महीनों पर फजीलत हासिल है। हजरत अबू हुरैरा (रजि.) के अनुसार रसूल अकरम (स.) ने इरशाद फरमाया, कि माहे रमजान में पांच चीजें विशेष तौर पर दी गयी है, जो पहली उम्मतों को नहीं मिली थी। पहला रोजेदार के मुंह की महक अल्लाह को मुश्क से ज्यादा पसंद है। दूसरे रोजेदार के लिए समुद्र की मछलियां भी दुआ करती हैं और इफ्तार के समय तक दुआ में व्यस्त रहती हैं। तीसरे जन्नत हर दिन उनके लिए आरास्ता की जाती है। अल्लाह फरमाता है कि करीब है कि मेरे नेक बंदे दुनिया की तकलीफें अपने ऊपर से फेंक कर तेरी तरफ आवें। चौथे इस माह में शैतान कैद कर दिये जाते हैं और पांचवें रमजान की आखिरी रात में रोजेदारों के लिए मगफिरत की जाती है। सहाबा ने अर्ज किया कि शबे मगफिरत शबे कद्र है। फरमाया- नहीं, ये दस्तूर है कि मजदूर का काम खत्म होने के वक्त मजदूरी दी जाती है। एक बार अल्लाह के रसूल (स.) ने रमजान उल मुबारक के करीब इरशाद फरमाया कि रमजान का महीना आ गया है, जो बड़ी बरकतवाला है। हक तआला इसमें तुम्हारी तरफ मुतव्ज्जो होते हैं और अपनी रहमते खास नाजिल फरमाते हैं। गलतियों को माफ फरमाते हैं। दुआ को कबूल करते हैं। बदनसीब है वो लोग जो इस माह में भी अल्लाह की रहमत से महरूम रहे, रोज़ा नहीं रखा, तरावीह नहीं पढ़ी, इबादत में रातों को जागे नहीं। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदके में तमाम मुसलमानों को रमज़ान कि 

मौलाना साकीबुल क़ादरी (प्रबंधक मदरसातुननूर, वाराणसी) 

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...