मोमिनीन अदा करेंगे खास नमाज़
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। शबे बरात की अज़ीम रात १७ मार्च को है, इस बाबरकत रात रब के सभी नेक बंदे अपने पाक परवर दीगार की इबादत में मशगुल रहेंगे। सारी रात मोमिनीन खास नमाज़ अदा करेंगे। शबे बरात पर अपनों व बुजुर्गो की क्रबगाह पर अज़ीज चिरागा करते हैं, घरों में रोशनी की जाती है। इस दौरान घरों में शिरनी की फातेहा होती हैं।घरो में लौटती है पुरखों की रूह
शबे बरात से ही रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों की डय़ूटी लगाता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगा, किसकी जिंदगी खत्म होगी, किसके लिये साल कैसा होगा, पूरे साल किसकी जिन्दगी में क्या उतार-चढ़ाव आयेगा। ये इसी रात लिखा जाता है साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ व रौशन रखते हैं।
मर्द ही नही घरों में ख्वातीन भी शबे बरात की रात इबादत करती हैं। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाने में जुटती हैं। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो जाती हैं, शबे बरात पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में पिछली बार चहल-पहल नही दिखाई दी थी वजह लाक डाउन जो था मगर इस बार हालात सुधरे हुए हैं।
मर्द ही नही घरों में ख्वातीन भी शबे बरात की रात इबादत करती हैं। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाने में जुटती हैं। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो जाती हैं, शबे बरात पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में पिछली बार चहल-पहल नही दिखाई दी थी वजह लाक डाउन जो था मगर इस बार हालात सुधरे हुए हैं।
लाकडाउन में नही हुआ था चिरागा
पिछ्ली बार लाकडाउन था उस साल न तो मज़ारों पर चिरागा हुआ था और न ही रमज़ान और ईद कि नमाज़े ही अदा की जा सकी थी, मगर बुज़ुर्गो के नाम पर घर में ही शबे बरात पर शमां जलाया गया था और फातेहा पढ़ कर उनकी मगफिरत की दुआएं मांगी गई थी, और उन पर सवाब पहुंचाया गया था।बनारस में यहाँ लगाई जाती है हाज़िरी
बनारस शहर के प्रमुख कब्रिस्तान टकटकपुर, हुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंज, बहादर शहीद कब्रिस्तान रविन्द्रपुरी, बजरडीहा का सोनबरसा कब्रिस्तान, जक्खा कब्रिस्तान, सोनपटिया कब्रिस्तान, बेनियाबाग स्थित रहीमशाह, दरगाहे फातमान, चौकाघाट, रेवड़ीतालाब, सरैया, जलालीपुरा, राजघाट समेत बड़ी बाजार, पीलीकोठी, पठानीटोला, पिपलानी कटरा, बादशाहबाग, फुलवरिया, लोहता, बड़ागांव, रामनगर आदि इलाक़ों की कब्रिस्तानों और दरगाहों में लोग हर साल पहुच कर शमां रौशन करते हैं, फातेहा पढ़कर अज़ीज़ों की बक्शीश के लिए दुआएं मगफिरत मांगते हैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें