मंगलवार, 1 मार्च 2022

सामाजिक न्याय के ताने-बाने से मिलेगा सबको न्याय: प्रो. दीपक मलिक

देश को आजाद कराने वालों की सोंच का नहीं रहा देश: प्रो. दीपक मलिक

राष्ट्रीय एकता, शांति व न्याय’ को लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ समापन 


वाराणसी o 1 मार्च ( दिल इंडिया मार्च)। वाराणसी के नव साधना प्रेक्षागृह, तरना में राइज एंड एक्ट के तहत ‘राष्ट्रीय एकता, शांति व न्याय’ को लेकर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण का समापन समता मूलक, सम्पन्न, खुशहाल भारत निर्माण के संकल्प के साथ हो गया।

       समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बीएचयू के पूर्व प्रो. दीपक मलिक ने आजादी के दौर की चर्चा करते हुए कहा कि देश पर अपना सब कुछ न्यौछावर करने वाले महान लोगों की जो सोंच थी आज क्या वही देश है। हमें सोंचने की जरूरत है।

आजादी के पूर्व जो हमारा सामाजिक ढांचा था उसमें बदलाव लाकर समतामूलक बनना था। नए भारत की कल्पना देश की आजादी के पूर्व गांधी, नेहरू और अन्य  बलिदानियों ने की थी लेकिन उनके मूल्यों पर  आधारित मुल्क बन नहीं पाया जबकि गांधी को इसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी। 

 उन्होंने कहा कि आज हम मजबूती से दुनिया में खड़े हैं पर आम आदमी को जो संवैधानिक अधिकार मिलने थे वे नहीं मिल पाए। जिस मुकाम के लिए हमें आजादी मिली आज सियासत उसके बरक्स चल रही है। लेकिन हम भूल रहे हैं कि इतिहास की प्रवृत्ति आगे बढ़ने की होती है। समाज को पीछे नहीं धकेला जा सकता। राजनैतिक मंचों पर 400 साल पुराने इतिहास की चर्चा के माध्यम से इतिहास को पीछे ले जाने की कोशिश हो रही है पर आज पीछे मोड़ने वाले लोग अस्वीकार हो रहे हैं। यह डेमोक्रेसी का चैलेंज है। जनता जागरूक हो रही है। नई पीढियां अच्छी तरह समझ रही हैं कि नव पूंजीवाद, नव उदारवाद से गरीबी का समाधान नहीं है। सामाजिक न्याय के ताने-बाने से देश  और भेद रहित व्यवस्था से सबको न्याय मिलेगा। संजय कुमार  ने कहा कि अपने वरिष्ठों के दिशा निर्देशन में अच्छी सोंच व कार्ययोजना के बल पर अच्छा काम किया जा सकता है। 

                 आयोजक प्रो मोहम्मद आरिफ ने वर्तमान दौर की मुश्किलों पर अपनी सोंच स्पष्ट रखने और अध्ययन पर बल दिया। कहा कि हमें सीखने पढ़ने और सोंचने की जरूरत है कि संविधान की अवधारणाओं के अनुरूप राष्ट्रीय एकता, शांति व न्याय के लिए कैसे हम आगे आकर एक अच्छे समाज व राष्ट्र के निर्माण में सहयोग कर सकते हैं। इसी क्रम में रंजीत कुमार, कमलेश, राजेश्वर, मनोज, विनोद कुमार, रामकिशोर, संतोष, संजय ने अपने लेखों को प्रस्तुत किया। अंत में प्रतिभागियों ने अपनी अगली कार्ययोजना पर आपसी चर्चा की। इस दौरान। रणजीत कुमार, हरिश्चन्द्र, लाल प्रकाश राही, सुरेश कुमार अकेला, असलम अंसारी, साधना यादव, प्रज्ञा सिंह, शमा परवीन, अब्दुल मजीद, रामकृत, हीरावती, रामजन्म कुशवाहा, अर्सिया खान आदि मौजूद रहे।

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