मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

टीके की राह हुई आसान, उनकी अपनी नहीं थी कोई ‘पहचान’

बिना आधार कार्ड वाले छह सौ को लगा कोविड टीका

 • मलिन बस्तियों में ‘आईडी’ का न होना बना था टीकाकरण में रोड़ा

• संस्था की पहल पर कैम्प लगा कर हुआ टीकाकरण

वाराणसी 08 फरवरी (dil India live)। मलिन बस्तियों में रह रहे उन सभी के पास न तो आधार कार्ड था और न ही कोई और पहचानपत्र। ऐसे लोगों का कोविड-19 टीकाकरण एक बड़ी समस्या थी। तभी सामाजिक संस्था ‘अस्मिता’ की एक छोटी सी पहल ने इसका समाधान कर दिया। संस्था के प्रयासों से दो दिनों में छह सौ से अधिक लोगों को कोविड का टीका लगाया जा सका। साथ ही ऐसे लोगों के कोविड टीकाकरण का मार्ग भी सुगम हुआ जो आधारकार्ड अथवा अपना कोई पहचानपत्र का न होने की वजह से कोविड का टीका नहीं लगवा पा रहे थे *। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी* टीकाकरण के लिये संस्था के इस प्रयास की सराहना करते हैं, वह कहते हैं कि आधार कार्ड अथवा पहचानपत्र के अभाव में किसी मालिन बस्ती में लोगों का टीकाकरण यदि नहीं हुआ है तो कोई भी संस्था इस तरह का प्रयास कर वहां टीकाकरण करा सकती है, इसमे हम पूरा सहयोग करेंगे ।

शहर के चौकाघाट, शिवपुरवां, शिवपुर, अंधरापुल, पुरानापुल, अलर्इपुर, बजरडीहां, लंका, कैण्टोमेंट समेत दर्जनों ऐसे इलाके है जहां बस्तियां है। इन बस्तियों की झुग्यिों में रहने वाले लोगों में अधिकांश के पास न तो आधार कार्ड है और न ही उनका कोई पहचनापत्र। कोविड-19 टीकाकरण का लाभ उन तक पहुंच पाने में उनके पास आधारकार्ड अथवा पहचानपत्र का न होना बाधा बनी हुई थी। सामाजिक संस्था अस्मिता के निदेशक फादर मजू मैथ्यू बताते हैं, ‘यह जानकारी आते ही हमने ऐसे लोगों का टीकाकरण कराने का प्रयास शुरू किया ताकि सरकार के सौ फीसदी टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। ऐसी स्थिति में हमने यूनिसेफ के साथियों से सम्पर्क किया। यूनिसेफ के ब्लाक कोआर्डिनेटर तबरेज बताते हैं कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. वीएस राय व वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डा. एके पाण्डेय से इस गंभीर समस्या पर बात हुई। 

 जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. वीएस राय बताते हैं कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर संस्था को इसके लिए विशेष कैम्प लगाने की अनुमति मिल गयी। तय हुआ कि संस्था के निदेशक के आधार कार्ड व मोबाइल नम्बर ही ऐसे सभी लोगों का रजिस्ट्रेशन कर कोविड टीकाकरण किया जाएगा। फादर मजू मैथ्यू बताते है कि अनुमति मिलने के बाद जब हमने मलिन बस्तियों में लोगों से सम्पर्क शुरू किया तो पता चला कि टीके को लेकर उनमें भ्रम भी है। इसके चलते लोग शुरू में टीका लगवाने को तैयार नही थे, लेकिन जब उन्हें समझाया गया तो वे सभी इसके लिए राजी हो गये। इन प्रयासों का नतीजा रहा कि 20 जुलाई को संस्था के सिगरा स्थित परिसर में आयोजित पहले कैम्प में ही 270 ऐसे लोगों का टीकाकरण किया गया जिनके पास आधारकार्ड नहीं था। इसके कुछ ही दिनों बाद एक और कैम्प 16 अगस्त को आयोजित किया गया जिसमें 340 लोगों को कोविड टीके की पहली डोज लगायी गयी। इस तरह दो कैम्प में हमने छह सौ से अधिक लोगों को कोविड टीके की पहली डोज लगवाने में साफलता हासिल कर ली। अब इनमें अधिकांश लोग टीके की दूसरी डोज भी लगवा चुके हैं।

वरुणापुल की झुग्गी बस्ती में रहने वाली ममता देवी कचरे से प्लास्टिक बटोर कर अपनी गृहस्थी चलाती है। उसके पति गुब्बारा बेचते हैं। उनका कोई स्थायी ठिकाना नहीं है। वरुणा में जब बाढ आती है तो वह अपनी झुग्गी का स्थान बदल देती है। ममता बताती है अपना कोई स्थायी ठिकाना न होने की वजह से उसका न तो कोई पहचानपत्र है और न ही आधार कार्ड। चाह कर भी वह और उसके पति कोविड का टीका नहीं लगवा पा रहे थे। लेकिन अस्मिता के संस्था के प्रयासों से वह और उसके पति कोविड का टीका लगवा चुके हैं। शिवपुरवां की मलिन बस्ती में रहने वाले अमन चौहान बताते है ‘आधार कार्ड’ का न होना उनके टीकाकरण में बाधक बना हुआ था लेकिन अस्मिता संस्था के प्रयासों से उनको टीके की दोनो डोज लग चुकी है। अस्मिता के निदेशक फादर मजू मैथ्यू बताते है कि संस्था की अलग-अलग टीम हर रोज शहर की मलिन बस्तियों में जाती हैं और लोगों को कोविड टीका की दोनों डोज लगवाने के लिए प्रोत्साहित करती हैंं। हमारा पूरा प्रयास है कि हम सहयोग कर सरकार के सौ फीसदी टीकाकरण के लक्ष्य को जल्द से जल्द पूरा करा सकें।

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